संपादकीय

संपादकीय@तिरंगे की शान को बरकरार रखना है तो देश को भ्रष्टाचार की गंदगी से स्वतंत्र करना जरुरी

हर व्यक्ति को है अपने तिरंगे पर अभिमान, क्योंकि हर भारतीय की तिरंगा है पहचान।आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर सभी ने भारतीय होने का दिया परिचय, घरों में लगाया तिरंगा।बीजेपी, कांग्रेस दोनों ने घरो तिरंगा पहुंचाने का चलाया अभियान, तिरंगे के साथ भ्रष्टाचार मुक्त भारत का दिलाना था संकल्प।राजनीतिकरण के बीच हर व्यक्ति ने बड़ी शान से अपने …

Read More »

संपादकीय@आजादी का अमृत महोत्सव, देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया गया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वीकार्यता पूरे देश मे है, हर घर तिरंगा अभियान की सफलता से साबित भी हुआ।अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री ने ताली और थाली बजाने का भी किया उल्लेख।कोरोना वारियर्स को याद कर कहा, देश ने ताली और ताली बजाकर आह्वान को सफल बनाया।ताली और थाली बजाना कोरोना वारियर्स को सम्मान देना था, जिसे हर भारतवासी ने पूरा …

Read More »

संपादकीय@युकां का चुनाव रहा काफी दिलचस्प कुत्ते बिल्लियों को भी बनाया गया सदस्य

क्या युकां चुनाव कुत्ते व बिल्ली को सदस्य बनाने के लिए हुआ था?17 लाख में से 9 लाख कुत्ते बिल्ली व अन्य रहे सदस्य, जिन की सदस्यता हुई रद्द।युवक कांग्रेस के चुनाव में आखिर किसके पक्ष में पड़ा कुत्ता बिल्ली का मत।युवा कांग्रेस के प्रत्याशी अपने पक्ष में मतदान कराने के चक्कर में जिसे चाहा उसे बांटा ऐप और पड़े …

Read More »

सालों से जुड़ा एक प्यार भरा रिश्ता आखिर क्यूँ टूट जाता है?

“तलाक की शमशीर बड़ी तेज होती है चलती है जब रिश्तों के धागे पर तब एक प्यार से पिरोई माला कतरा कतरा बिखर जाती है”तलाक की तलवार कहर ढ़ाती है, दो दिलों के किले पर और इमारत दांपत्य की ढ़ह जाती है। तलाक या (डिवोर्स) महज़ शब्द नहीं एहसासों को विच्छेद करने वाली छैनी है।जब दो विपरीत तार जुड़ जाते …

Read More »

कोरिया कुमार और थाती के घाती!

स्व. रामचन्द्र सिंहदेव! ये आधिकारिक नाम कोरिया की पहचान समझा जाता है मगर सादगी और सरलता का पर्याय समझे जाने वाले इस हुतात्मा के कोरिया के प्रति समर्पण और निष्ठा ने कोरिया के जन जन को ऐसे प्रेम और अपनत्व में बांधा है कि उन्हें उनके सामंती नाम “कोरिया कुमार” से पुकारने में न कभी किसी तरह की राजशाही दासता …

Read More »

आखिर क्यों बदल रहे हैं मनोभाव और टूट रहे परिवार?

भौतिकवादी युग में एक-दूसरे की सुख-सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा ने मन के रिश्तों को झुलसा दिया है. कच्चे से पक्के होते घरों की ऊँची दीवारों ने आपसी वार्तालाप को लुप्त कर दिया है. पत्थर होते हर आंगन में फ़ूट-कलह का नंगा नाच हो रहा है. आपसी मतभेदों ने गहरे मन भेद कर दिए है. बड़े-बुजुर्गों की अच्छी शिक्षाओं के अभाव में …

Read More »

भारत की वृहद् जनसंख्या वैश्विक बाजार की ताकत या देश के विकास को चुनौती?

भारत की विशाल जनसँख्या आजकल राजनैतिक गलियारों में खासी चर्चा का विषय बनी हुई है7 भारत की बढ़ती जनसंख्या के सन्दर्भ में मशहूर विचारक गार्नर का कहना है कि जनसंख्या किसी भी राज्य के लिए उससे अधिक नहीं होनी चाहिए जितनी साधन संपदा उसके पास है जनसंख्या किसी देश के लिए तब तक वरदान होती है, जब तक वह अपनी …

Read More »

ज्ञान बटोरिए पर उससे पहले थोड़ा टटोलिए!

लंबे समय से टेलीविजन पर ऐसा कोई विज्ञापन नहीं आया था, जिसकी चर्चा हो या जिसके मुहावरे लोगों की जुबान पर चढ़ जाएं। कुछ विज्ञापनों का धार्मिक व सांस्कृतिक कारणों से विरोध जरूर हुआ लेकिन कोई विज्ञापन ऐसा नहीं आया था, जो समाज की किसी भी हकीकत पर उंगली रखता हो। यह सूखा दूर हुआ है ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के …

Read More »

 संपादकीय@आखिर कब बंद होगा देश अवैध कारोबार का गोरख धंधा, क्या अवैध कारोबारियों के बल पर ही टिकी हैं सरकारें?

हरियाणा में डीएसपी पर चढ़ाया गया डम्फर, प्रदेश में भी होता है अवैध कारोबार।अवैध उत्खनन माफियाओं को मिलता है राजनीतिक एवम प्रशासनिक संरक्षण।क्या कभी बंद भी हो सकेगा यह संरक्षण मिलने का सिलसिला या मरते रहेंगे शासकीय कर्मचारी।बात पुलिस की आई तो एनकाउंटर भी तत्काल हुआ, आम व्यक्ति की बात होती आरोपी अज्ञात ही होता।आखिर क्यों पुलिस पर हमले के …

Read More »

इस्तीफा है या रिश्तों की दरार?

टीएस के इस्तीफे में जो वजह है वह सरकार को कठघरे में खड़ा करती है?इस्तीफा टीएस ने दिया पर तकलीफ विधायकों को क्यों? क्या विधायकों का कद टीएस से बड़ा या मुख्यमंत्री से छोटा?क्या मुख्यमंत्री के करीबी बनने के लिए विधायकों ने टीएस के प्रति छेड़ा मुहिम या वास्तव में चाहते हैं पार्टी हित?तकलीफ सहते रहो तो सब ठीक तकलीफ …

Read More »