संपादकीय

जयंती विशेष@ गरीबों के संरक्षक थे ईश्वर चंद्र विद्यासागर

बंगाल पुनर्जागरण के प्रमुख स्तंभ तथा नारी शिक्षा के प्रबल समर्थक ईश्वर चंद्र विद्यासागर को समाज सुधारक, दार्शनिक, शिक्षाविद्,स्वतंत्रता सेनानी, लेखक इत्यादि अनेक रूपों के स्मरण किया जाता रहा है,जिनकी आज हम जयंती मना रहे हैं। ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जन्म 26 सितम्बर 1820 को पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले में धार्मिक प्रवृत्ति के एक निर्धन ब्राह्मण परिवार में हुआ …

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लेख @ जड़ता को श्रम से ललकारता मानव

@ अवसर का इंतजार नहीं… अवसर को निर्मित करें… जब जब मनुष्य ने जड़ता को ललकारा है तब तब परिवर्तन ने दस्तक दी है,और प्रत्येक परिवर्तन अपने साथ-साथ बड़े तथा महान अवसर लेकर आया है। इस अवसर का जिसने भी सदुपयोग कर लाभ उठाया है और अपने अनुकूल बनाने का ऊर्जा के साथ प्रयास किया है वह विश्व विजेता बनने …

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जयंती विशेष @ राष्ट्र के महानिर्माता,दीनदयाल उपाध्याय

भारत के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले पं दीनदयाल उपाध्याय कुशल संगठक, बौद्धिक चिंतक और भारत निर्माण के स्वप्नदृष्टा के रूप में आज तलक कालजयी हैं। माता रामप्यारी और पिता भगवती प्रसाद उपाध्याय के घर 25 सितम्बर 1916 को मथुरा जिले के नगला चन्द्रभान ग्राम में जन्मे पं दीनदयाल उपाध्याय हम सबके प्रेरणास्रोत और मातृभूमि के सच्चे उपासक थे। …

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व्यंग्य लेख @ मोहब्बत की दुकान

दुकानें तो हमने बहुत सुनी है जैसे हलवाई की दुकान, नाई की दुकान, करियाने की दुकान, कपड़े की दुकान आदि। लेकिन साहब हमने पहले कभी मोहब्बत की दुकान के बारे में नहीं सुना हुआ था। राजनीति भी अजीब खेल है। इसमें राजनीति साधने के लिए कौन कब और क्या कर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। बात लोगों को प्रभावित …

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बाल कहानी @ माँ का दर्द

माँ मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वाह! मैदान भी हरा-भरा है। चीनू उछलते हुए अपनी माँ से कहने लगा; हम रोज आ कर खेलेंगे न…! हाँ बेटा चीनू; माँ ने हँसते हुए हामी भरी। खुले मैदान में चीनू जैसे और भी छोटे-छोटे बच्चे खेल रहे थे यह देख चीनू और भी खुश हो गया। चीनू की दोस्ती उन नन्हें …

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लेख @ न्याय की लड़ाई में हार-जीत से ज्यादा महत्वपूर्ण है सच्चाई की विजय

हमारे समाज में मीडिया का कॉरपोरेट तंत्र फल-फूल रहा है पर पत्रकारिता गहरे संकट में है। असल में पत्रकारिता प्रोफेशनल और ऑब्जेक्टिव होकर ही की जा सकती है। मौजूदा मीडिया उद्योग को प्रोफेशनलिज्म और ऑब्जेक्टिविटी हरगिज मंजूर नहीं! हमारे यहां पत्रकार तो बहुत हो गये हैं. टेलीविजन और अखबार भी बहुत हैं, पर पत्रकारिता बहुत कम है। रेगिस्तान में नखलिस्तान …

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लेख @आर्थिक विकास के साथ लोकतंत्र की रक्षा,वैश्विक पहचान का पैमाना

आजादी के 77 वर्ष के व्यतीत हो जाने के बाद स्वाधीनता एवं लोकतंत्र की आस्था का सही मूल्यांकन किया जाना चाहिए। लोकतंत्र की यथार्थ सीमाओं में वित्तीय विकास और प्रयास हमे वैश्विक स्थापना प्रदान करते हैं।आर्थिक विकास के बिना लोकतांत्रिक व्यवस्था हमें मजबूत आधार स्तम्भ नहीं दे सकतीं हैं,मजबूत वित्तीय प्रबंधन और संवैधानिकता की जुगलबन्दी जी देश के चहुमुखी विकास …

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लेख@ भीड़भाड़ को न्यौता देती टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारें

@टैक्स देकर भी घंटों टोल पर इंतजार करते वाहन,समय और पैसों का होता नुकसान आज भारत की टोल प्रणाली के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ भीड़भाड़ और विलम्ब हैं। फास्टैग सिस्टम शुरू होने के बावजूद, टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारें और देरी एक बड़ी समस्या बनी हुई हैं। तकनीकी गड़बडç¸याँ और कुछ क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान विधियों का …

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लेख@मीडिया का हो रहा है दुरुपयोग

आजकल सोशल मीडिया का जमाना है! शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा होगा जोकि बाइल,ऐसएमऐस,फेसबुक,ट्विटर, व्हाट्सएेप,चैटिंग आदि का प्रयोग नहीं करता होगा! अपने या प्रतिद्वंदी के बारे में विचार प्रकट करने का सोशल मीडिया एक लाजवाब माध्यम है! सोशल मीडिया पर फेसबुक या व्हाट्सएेप पर या ट्विटर पर लोग अपने विचार व्यक्त करते हैं! सोशल मीडिया का जहां सदुपयोग होता है, …

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लेख@ बस्तर का प्रथम कृषि महाविद्यालयःशहीद गुण्डाधूर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र,जगदलपुर

ये तो विश्व विख्यात है की छत्तीसगढ़ धान का कटोरा है और उन्हीं धान-धान्य के अनैक किस्मों को विकसित करने वाला, संरक्षित और संवर्धन करने वाला इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के अंतर्गत शहीद गुण्डाधूर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र अपना 24 वां वर्षगांठ मना रहा है।सन 1981 में जब बस्तर जिला रायपुर संभाग से अलग होकर 16 फ़रवरी को …

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