तुम्हे हमसे मोहब्बत नहीं, तो कोई बात नहीं। मगर किसी और से होगी तो बात ठीक भी नहीं। कुछ हालातों के दौर इसी तरह के हैं। राजनीति के अखाड़े में कभी हसदेव से मोहब्बत की कसमें खाने वालों के पाला बदलते देर कहाँ? कभी इस से दल से, कभी उस दल से कसमें,वादे प्यार वफा के तराने निकले,बस नहीं बदला …
Read More »संपादकीय
लेख @ शिक्षा,संस्कार और साक्षरता ये तीनों बिंदू विकसित देश की है आधारशिला
@ तकनीकी शिक्षा अति महत्वपूर्ण… शिक्षा और संस्कार और साक्षरता किसी भी विकसित राष्ट्र की पृष्ठभूमि हो सकते हैं। एक शिक्षित राष्ट्र एक महान राष्ट्र बन सकता है।सुसंस्कृत देश को एक सभ्य शांत और शालीन राष्ट्र माना जाता है जो वैश्विक शांति स्थापना का पक्षधर होने की दिशा में निरंतर प्रगतिशील होता है। भारत देश की गिनती ऐसे ही सभ्य …
Read More »कविता@जंगल की क टाई
लूट रही धरती की हरियाली,प्रकृति की सुंदरता निराली।चंद रुपयों में बिक गए सारे,कहाँ मिलेगी उनको खुशहाली।।बिखर रहा पंछियों का बसेरा,बन बैठे हैं शिकारी सँपेरा।तरस खाओ उन बेजुबानों पर,बनाओ कभी ना मौत का घेरा।।जल जंगल है जीवन दाता,धरती में बारिश है लाता।कटने ना दो पेड़-पौधों को,ऑक्सीजन दे प्राण बचाता।।रोको अब जंगल की कटाई,होगी तभी हम सब की भलाई।कोपित होगी इक दिन …
Read More »कविता@आई है शरद् ऋ तु
आई है शरद ऋतु छाई सिहरन है।प्रकृति में दिखते छबि कणकण है।फूल-कली तरुवर दिखते मगन है।हरी-भरी तृण में मोती कण-कण है।बाग में बागीचों में रौनकता आई है।चहुँ-दिसि सुरभित सुषमा समाई है।डाली-डाली विहग-वृंद चहचहाई है।तरु में तड़ाग में विहाग उड़ आई है।भोर सुरम्य दिखे छबि मनोहारी है।ओस की बूंदें झलके बड़ी प्यारी है।फाहों की उड़ती दिखे धरा सारी है।हिम की धवल-धरा …
Read More »कविता @बाकी भोले देखेंगे
कर्म किए जा बस दुनिया में,बाकी भोले देखेंगे,मन से बस तू पावन बन जा,मुस्कानों के फूल झरेंगे।कर्म किए जा …..सुबह-सवेरे जो भोले का,नाम जुबां से लेता है,मन का मंदिर खुल जाता है,वो भोले का होता है।कर्म किए जा ….अपना-अपना तो सब करते,काम नया नहीं होता है,जो बनता दुखियों का भागी,काम नया वहीं होता है।कर्म किए जा …..चलते-चलते जो थम जाता,समय …
Read More »कविता @जय किसान
जय हो जय किसानतुम भी हम जैसे इंसानजगत में आप हो महानत्याग कर्म है ईश समान।।जय हो जय किसानजग का तूं है विश्वप्राणकैसे करूं मैं बखानश्रम का तूं है खान।।जय हो जय किसानअन्न दाता है महानसर्दी गर्मी सहता तुफानरचता जग में नया बिहान।।जय हो जय किसानदेता सबको मीठा मुस्कानसदा करता धरा का सम्मानधरती का सगा पुत्र समान।।लक्ष्मी नारायण सेनखुटेरी फिंगेश्वर …
Read More »लेख @अब तो मैं भी लिखूंगा
पिछले तीन दिनों से दो कमरों में अलमारी निर्माण का कार्य चल रहा था, जिसके कारण उन दोनों कमरों का भी सामान अन्य कमरों में शिफ्ट किया गया था। मन बेचैन हो उठा कि कैसे इन सारी चीजों को सुव्यस्थित तरीके से रख लूं। सभी वस्तुएं अत्यंत उपयोगी और महत्वपूर्ण थीं, लेकिन उनका इस तरह से बेतरतीब होना सबको निरर्थक …
Read More »लेख @ वैज्ञानिक तकनीक से ही भारत की गरीबी,भुखमरी का उद्धार संभव
भारत के विकास पर जनसंख्या का भारी दबाव है उस पर उसके संसाधन तथा उत्पादन के संतुलन में 141 करोड़ की जनसंख्या भारी पड़ती है। देश में इतनी बड़ी जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संसाधन बहुत ही सीमित और न्यून है, इन परिस्थितियों में देश को अपने उपलब्ध कृषि,जल, खनिज तथा अन्य संसाधनों का अधिकतम दोहन कर आर्थिक …
Read More »कविता @ जीवन-सार
मैंने अपनी प्रियतम को जब,होले से एक टेर लगाई,कुछ सकुचाती,कुछ मुस्काती,पल में दौडी¸-दौडी¸ आई।आंखों से आंखें मिलते ही,शर्म से पलकें फिर झपकाईं,जैसे बदली सावन आते,करती है ज्यूं लुका-छुपाई।हमने जब पूछा फिर उनसे,कैसे हैं अब हाल तुम्हारे,गालों पर लाली-सी लाकर,कांधे पर रख शीश हमारे।कुछ पढ़ती कुछ अनसोची-सी,भावों में बह गई प्रियतमा,अश्रु पल-पल उभर रहे थे,कुछ छलके कुछ ठहर रहे थे।उलझ रहे …
Read More »कविता@ इंतजार में बैठी प्रियतमा
आज की चाँद की बात ही कुछ और होगीप्रियतम के इंतजार मे बैठी प्रियतमा होगीमधुर मुस्कान संग प्रियतम के ख्यालों मेमेहंदी,सिंदूर और गजरा सजा के बालों मेकरवा चौथ का रखी आज फिर व्रत होगीप्रियतम के इंतजार मे बैठी प्रियतमा होगीसजेगी दुल्हन सी आज पत्नि धर्म के लिएसोलह श्रृंगार करेगी अपने सुहाग के लिएहाथ मे कंगन,पाँव मे महावर सजाई होगीप्रियतम के …
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