हरियर हरियर लुगरा पहिरकेदाई बहिनी मन नाचत हेआरा पारा खोर गली मोहल्लासुवा गीत ल गावत हेसुग्हर संदेश के नेवता देवतदेवारी तिहार आवत हेघर अंगना कोठा कुरियापेरौवसी माटी म छबावत हेजाला जक्कड़ खोंदरा कुरियानिसैईनी चड़के झटावत हेलाली सफेद पिंवरी छुहीघर अंगना ल लिपावत हेकोल्लर कोल्लर माटी लाकेगईरी माटी ल मतावत हेओदरे खोदरे भाड़ी लचिक्कन चिक्कन चिकनावत हेघर मुहाटी के तुलसी चउंरामारबल …
Read More »संपादकीय
लेख@ देशी खिलौनों की खत्म होती चमक
पंजाब के एक छोटे से कस्बे धनौला में पारंपरिक रूप से लकड़ी के खिलौने बनाने वाले सैकड़ों कारीगरों की आर्थिक बदहाली परेशान करने वाली है। दशकों से ये कारीगर बच्चों के लिए लकड़ी के ट्रैक्टर, बस, कम्बाइन, ट्रॉली आदि बनाते आ रहे हैं। पहले हजारों घरों के बच्चे इन खिलौनों से खेलकर खुश होते थे जिससे इन कारीगरों के बच्चों …
Read More »कविता @ आओ इनसे सीखें…
पहले शिक्षक हैं हमारे मात पिताजिन्होंने अच्छे हमें संस्कार सिखाए।दूसरी शिक्षक है यह दुनिया सारीजो रोज़ हमें कुछ नया सिखाए।क्या कहना है गुलाब के फूलों काजो कांटों में रहकर भी सदा मुस्काए।छोटी सी कीड़ी है हमारी बड़ी शिक्षकजो रात दिन कुछ ना कुछ करती जाए।क्या कहना है इस छोटी सी मधुमक्खीका जो हमें मीठा मीठा शहद खिलाए।कमाल है इस ऊंचे …
Read More »लेख @ स्ति्रयों की अस्मिता के प्रति पुरुष समाज का नैतिक स्खलन
किसी भी राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं का महत्व इसलिए भी सर्वोपरि है कि महिलाएं बच्चों को जन्म देकर उनका पालन पोषण करते हुए उनमें संस्कार एवं सद्गुणों का सर्वोत्तम विकास करती हैं,और राष्ट्र के प्रति उनकी जिम्मेदारी को सुनिश्चित करती है। जिससे ाष्ट्र निर्माण और विकास निर्बाध गति से होता रहे और वही पुरुष समाज स्ति्रयों का अनादर कर …
Read More »लेख@ कायनात के संकेत और मेरा विश्वास
सुनो दिकु,तुमसे कोई बात नहीं हुई, न कोई खबर आई है, न ही किसी ने कुछ बताया, पर फिर भी मेरे दिल के किसी कोने में एक अजीब-सा यकीन घर कर गया है कि तुम लौटने वाली हो। मुझे लगता है, जैसे कायनात मुझे संकेत दे रही है, जैसे हर तरफ से मुझे यह आवाज़ सुनाई दे रही है कि …
Read More »कविता @आँधियां हैं और तूफ ान है
आँधिया है और तूफान है, बवंडर का रेला हैजोश-जज्बा मत खोना,न कहना अकेला है।घटा-घनघोर भले छाए,चाहे बादल फट जाएहिमालय सा तू अडिग है,जो यूँ ही हट जाए।वह खून नही पानी है, जो कष्टो में घबराए हैंवह कैसी जवानी है,जो आफत से न टकराए हैंतेरी सोंच छोटी क्यों है,जो हिम्मत क्यो हारे हैंतेरी उड़ान ऊंची है, नापे आसमां यह सारे हैं।बुलन्दी …
Read More »कविता @यदि जीभ सोचती तो…
वैसे तो जीभ बोलती हैंपर यदि ये सोचती होतीतो सोचती कि. ……कितना बोलता है इंसानभला -बुरा न जाने क्या -क्यामुझसे कहलवा जाता है इंसान।ईर्ष्या ,नफरत से भरा हो,पर मुझसे मिश्री सी बातें कहलवाता है ।हँसी, मजाक कभी यूँ ही बेमतलबबोलता जाता है ।ईश भजन तो ये मुझसेमतलब से करवाता है ।वरना ये तो हर समय मुझसेस्वार्थ ही पूर्ण करवाता है …
Read More »लेख@ राष्ट्र किसी व्यक्ति विशेष की धरोहर नहीं है
राष्ट्र से व्यक्ति है, व्यक्ति से राष्ट्र है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। राष्ट्र मात्र एक भौगोलिक इकाई नहीं; समरूप, समकक्ष, एक समान दिखने वाले कुछ जीवों का संगठन मात्र नहीं; अन्य प्रकार के इंसानों से द्वेष/प्रतिद्वंदिता/शत्रुता रखने वालों का समुदाय नहीं; वस्तुतः, राष्ट्र एक भावना है जो भिन्न परिस्थितियों में समयानुसार गोचर होती रही है। तथापि,अलग-अलग लोगों ने …
Read More »लेख@ मणिपुर की जातीय हिंसा,अधिकारियों की अग्नि परीक्षा
हिंसा और जातीय विभाजन के कारण एस्पि्रट डे कॉर्प्स (अधिकारियों के बीच एकता और आपसी सम्मान) तनाव में है, जिससे अधिकारियों के बीच सहयोग और विश्वास कमजोर हो रहा है। संघर्ष ने एआईएस अधिकारियों के बीच पारस्परिक सम्बंधों पर गहरा प्रभाव डाला है, सामाजिक आदान-प्रदान और सहयोग दुर्लभ हो गए हैं। नफ़रत फैलाने वाले भाषण,प्रचार और ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों …
Read More »लेख@ सन्तान की दीर्घायु की कामना का पर्व है अहोई अष्टमी
अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन किया जाता है। विशेष तौर पर यह पर्व माताओं द्वारा अपनी सन्तान की लम्बी आयु व स्वास्थ्य कामना के लिए किया जाता है। पुत्रवती महिलाओं के लिए यह व्रत अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जिन माता-पिता को अपने सन्तान की ओर से स्वास्थ्य व आयु की दृष्टि से चिंता बनी रहती …
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