संपादकीय

कविता@आई है शरद् ऋ तु

आई है शरद ऋतु छाई सिहरन है।प्रकृति में दिखते छबि कणकण है।फूल-कली तरुवर दिखते मगन है।हरी-भरी तृण में मोती कण-कण है।बाग में बागीचों में रौनकता आई है।चहुँ-दिसि सुरभित सुषमा समाई है।डाली-डाली विहग-वृंद चहचहाई है।तरु में तड़ाग में विहाग उड़ आई है।भोर सुरम्य दिखे छबि मनोहारी है।ओस की बूंदें झलके बड़ी प्यारी है।फाहों की उड़ती दिखे धरा सारी है।हिम की धवल-धरा …

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कविता @बाकी भोले देखेंगे

कर्म किए जा बस दुनिया में,बाकी भोले देखेंगे,मन से बस तू पावन बन जा,मुस्कानों के फूल झरेंगे।कर्म किए जा …..सुबह-सवेरे जो भोले का,नाम जुबां से लेता है,मन का मंदिर खुल जाता है,वो भोले का होता है।कर्म किए जा ….अपना-अपना तो सब करते,काम नया नहीं होता है,जो बनता दुखियों का भागी,काम नया वहीं होता है।कर्म किए जा …..चलते-चलते जो थम जाता,समय …

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कविता @जय किसान

जय हो जय किसानतुम भी हम जैसे इंसानजगत में आप हो महानत्याग कर्म है ईश समान।।जय हो जय किसानजग का तूं है विश्वप्राणकैसे करूं मैं बखानश्रम का तूं है‌ खान।।जय हो जय किसानअन्न दाता है महानसर्दी गर्मी सहता तुफानरचता जग में नया बिहान।।जय हो जय किसानदेता सबको मीठा मुस्कानसदा करता धरा का सम्मानधरती का सगा पुत्र समान।।लक्ष्मी नारायण सेनखुटेरी फिंगेश्वर …

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लेख @अब तो मैं भी लिखूंगा

पिछले तीन दिनों से दो कमरों में अलमारी निर्माण का कार्य चल रहा था, जिसके कारण उन दोनों कमरों का भी सामान अन्य कमरों में शिफ्ट किया गया था। मन बेचैन हो उठा कि कैसे इन सारी चीजों को सुव्यस्थित तरीके से रख लूं। सभी वस्तुएं अत्यंत उपयोगी और महत्वपूर्ण थीं, लेकिन उनका इस तरह से बेतरतीब होना सबको निरर्थक …

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लेख @ वैज्ञानिक तकनीक से ही भारत की गरीबी,भुखमरी का उद्धार संभव

भारत के विकास पर जनसंख्या का भारी दबाव है उस पर उसके संसाधन तथा उत्पादन के संतुलन में 141 करोड़ की जनसंख्या भारी पड़ती है। देश में इतनी बड़ी जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संसाधन बहुत ही सीमित और न्यून है, इन परिस्थितियों में देश को अपने उपलब्ध कृषि,जल, खनिज तथा अन्य संसाधनों का अधिकतम दोहन कर आर्थिक …

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कविता @ जीवन-सार

मैंने अपनी प्रियतम को जब,होले से एक टेर लगाई,कुछ सकुचाती,कुछ मुस्काती,पल में दौडी¸-दौडी¸ आई।आंखों से आंखें मिलते ही,शर्म से पलकें फिर झपकाईं,जैसे बदली सावन आते,करती है ज्यूं लुका-छुपाई।हमने जब पूछा फिर उनसे,कैसे हैं अब हाल तुम्हारे,गालों पर लाली-सी लाकर,कांधे पर रख शीश हमारे।कुछ पढ़ती कुछ अनसोची-सी,भावों में बह गई प्रियतमा,अश्रु पल-पल उभर रहे थे,कुछ छलके कुछ ठहर रहे थे।उलझ रहे …

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कविता@ इंतजार में बैठी प्रियतमा

आज की चाँद की बात ही कुछ और होगीप्रियतम के इंतजार मे बैठी प्रियतमा होगीमधुर मुस्कान संग प्रियतम के ख्यालों मेमेहंदी,सिंदूर और गजरा सजा के बालों मेकरवा चौथ का रखी आज फिर व्रत होगीप्रियतम के इंतजार मे बैठी प्रियतमा होगीसजेगी दुल्हन सी आज पत्नि धर्म के लिएसोलह श्रृंगार करेगी अपने सुहाग के लिएहाथ मे कंगन,पाँव मे महावर सजाई होगीप्रियतम के …

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करवा चौथ लेख @ सुहागिनों का महापर्व करवा-चौथ

???????????? हमारी भारतीय सस्कृति में पर्व-अनुष्ठान आदि का हिंदुओ के जीवन में अत्यधिक महत्व रखता है। और इस पर्व-अनुष्ठानों में जन-मानस को मंगल कामना, जन कल्याण की भावना, साफ-साफ नजर आती है और इसी बहाने यह जन-मानस अपनी संस्कृति, परम्परा, रीति-रिवाज,को अक्षुण बनाये रखने में सतत प्रयास करता है।इसी परम्परा और संस्कृति में हिंदु सुहागन माताओं-बहनों का एक पर्व आता …

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करवा चौथ लेख @ सुहागिनों का सबसे बड़ा त्यौहार

करवा चौथ पर्व का हमारे देश में विशेष महत्व है क्योंकि विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलती हैं। भारतीय समाज में वैसे तो महिलाएं विभिन्न अवसरों पर अनेक व्रत रखती हैं लेकिन पति को परमेश्वर मानने वाली नारी के …

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करवा चौथ लेख @ करवा चौथ के व्रत की सार्थकता

पौराणिक परंपराओं के मुताबिक हमारे देश में पत्नियों द्वारा पत्तियों के कल्याण एवं दीर्घायु के लिए कार्तिक मास में करवा चौथ का व्रत रखने का रिवाज है। इस दिन पत्नियां सारा दिन खाना तो दूर की बात पानी की बूंद भी नहीं पीती। शाम को करवा चौथ की कथा सुनती हैं रात को चंद्रमा के निकलने पर उनका पति ही …

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