राष्ट्र से व्यक्ति है, व्यक्ति से राष्ट्र है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। राष्ट्र मात्र एक भौगोलिक इकाई नहीं; समरूप, समकक्ष, एक समान दिखने वाले कुछ जीवों का संगठन मात्र नहीं; अन्य प्रकार के इंसानों से द्वेष/प्रतिद्वंदिता/शत्रुता रखने वालों का समुदाय नहीं; वस्तुतः, राष्ट्र एक भावना है जो भिन्न परिस्थितियों में समयानुसार गोचर होती रही है। तथापि,अलग-अलग लोगों ने …
Read More »संपादकीय
लेख@ मणिपुर की जातीय हिंसा,अधिकारियों की अग्नि परीक्षा
हिंसा और जातीय विभाजन के कारण एस्पि्रट डे कॉर्प्स (अधिकारियों के बीच एकता और आपसी सम्मान) तनाव में है, जिससे अधिकारियों के बीच सहयोग और विश्वास कमजोर हो रहा है। संघर्ष ने एआईएस अधिकारियों के बीच पारस्परिक सम्बंधों पर गहरा प्रभाव डाला है, सामाजिक आदान-प्रदान और सहयोग दुर्लभ हो गए हैं। नफ़रत फैलाने वाले भाषण,प्रचार और ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों …
Read More »लेख@ सन्तान की दीर्घायु की कामना का पर्व है अहोई अष्टमी
अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन किया जाता है। विशेष तौर पर यह पर्व माताओं द्वारा अपनी सन्तान की लम्बी आयु व स्वास्थ्य कामना के लिए किया जाता है। पुत्रवती महिलाओं के लिए यह व्रत अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जिन माता-पिता को अपने सन्तान की ओर से स्वास्थ्य व आयु की दृष्टि से चिंता बनी रहती …
Read More »24 अक्टूबर पुण्य तिथि पर विशेष @महान गणितज्ञ सोफिया एलेक्जेंड्रोवना
सोफिया एलेक्ज़ेंड्रोवना का जन्म 31 जनवरी 1896 को प्रूज़नी, बेलारूस में हुआ सोफि़या एलेक्ज़ेंड्रोवना नीमार्क के पिता, एलेक्ज़ेंडर नीमार्क,एक अकाउंटेंट थे। उनका जन्म कोब्रिन के पास एक गाँव प्रूज़नी में एक यहूदी परिवार में हुआ था, जो उस समय रूसी साम्राज्य का हिस्सा था, लेकिन अब बेलारूस में स्थित है। उनके जन्म के तुरंत बाद आयोजित 1897 की जनगणना में …
Read More »कविता @ सरल हृदय छला जाता है
एक दिन बदल जाता है सच्चा मन भीबार-2 दोष दो बदल जाता जीवन भीबदलाव से सहजता ही चला जाता हैसरलता से युक्त मन ही छला जाता हैमानस के मति की अब कहनी क्या हैजीवन समर की आगे नियति क्या हैचंचल मन जो वक़्त पर बदल जाता हैसरलता से युक्त मन ही छला जाता हैजीवन बन गया क्या कठपुतली जैसाआरम्भ क्या …
Read More »कविता @ वह प्रश्न क्या है?
वह सवालसदाइसे सुना जाएगालेकिन।।।।उस प्रश्न के लिएकिसी नेजवाब नहीं दियाकोई इतिहास नहीं कारण।।।यही सवाल हैइसका उत्तर हैकभी कभीअक्सरयही उत्तर हैसवाल यह है किवह प्रश्न क्या है?यही आप पूछ रहे हैंयदि आप कोई प्रश्न पूछते हैंकह नहीं सकतेयदि आप उत्तर देते हैंमैं नहीं पूछ सकता …ओट्टेरी सेल्वाकुमारचेन्नई,तमिलनाडु
Read More »लघु कथा@राम और कृष्ण?
प्रिया श्वेता के कमरे में गयी। देखा, श्वेता खिन्न चेहरे लिये बिस्तर पर लेटी हुई थी। नजरे सिलिंग फैन पर थी। नजरे इतनी एकटक थी, मानो वह फैन की राऊँडिंग मूवमेंट गिन रही हो। मुस्कुराती हुई प्रिया बोली- क्यों…? क्या बात है श्वेता, क्या सोच रही हो ?प्रिया के सवाल पर श्वेता मुस्कुरा दी। बोली-कुछ नहीं बुआ। बस ऐसे ही।न..न..! …
Read More »लेख@ मध्य-भारत के फेफड़े में सुराखों का दौर
तुम्हे हमसे मोहब्बत नहीं, तो कोई बात नहीं। मगर किसी और से होगी तो बात ठीक भी नहीं। कुछ हालातों के दौर इसी तरह के हैं। राजनीति के अखाड़े में कभी हसदेव से मोहब्बत की कसमें खाने वालों के पाला बदलते देर कहाँ? कभी इस से दल से, कभी उस दल से कसमें,वादे प्यार वफा के तराने निकले,बस नहीं बदला …
Read More »लेख @ शिक्षा,संस्कार और साक्षरता ये तीनों बिंदू विकसित देश की है आधारशिला
@ तकनीकी शिक्षा अति महत्वपूर्ण… शिक्षा और संस्कार और साक्षरता किसी भी विकसित राष्ट्र की पृष्ठभूमि हो सकते हैं। एक शिक्षित राष्ट्र एक महान राष्ट्र बन सकता है।सुसंस्कृत देश को एक सभ्य शांत और शालीन राष्ट्र माना जाता है जो वैश्विक शांति स्थापना का पक्षधर होने की दिशा में निरंतर प्रगतिशील होता है। भारत देश की गिनती ऐसे ही सभ्य …
Read More »कविता@जंगल की क टाई
लूट रही धरती की हरियाली,प्रकृति की सुंदरता निराली।चंद रुपयों में बिक गए सारे,कहाँ मिलेगी उनको खुशहाली।।बिखर रहा पंछियों का बसेरा,बन बैठे हैं शिकारी सँपेरा।तरस खाओ उन बेजुबानों पर,बनाओ कभी ना मौत का घेरा।।जल जंगल है जीवन दाता,धरती में बारिश है लाता।कटने ना दो पेड़-पौधों को,ऑक्सीजन दे प्राण बचाता।।रोको अब जंगल की कटाई,होगी तभी हम सब की भलाई।कोपित होगी इक दिन …
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