दिमाग के एक कोने में सालभर की स्कूल की फीस एवं वाहन की फीस की चिंता भी होगी।सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के पालक अपने बच्चों के बस्ते को खोलकर देखते भी नहीं, आखिर क्यों ?स्कूल आ पढ़े बर, जिंदगी ला गढ़े बर। आशीष जायसवाल शिक्षक। कल से स्कूल खुल गए खर्चा कर प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों …
Read More »संपादकीय
क्या कानून का डर अब लोगों के मन मे नहीं बचा है?
क्या लोग कानून से डरना नहीं उसे खरीदना चाहते हैं?कानून सत्ताधारियों व पैसे वालों के कब्जे में हो गया है क्या?क्या सत्ताधारी व रसूखदारों के अनुसार ही चलेगा देश का कानून?क्या कानून को खुद रक्षा की जरूरत है क्योंकि कानून भी सुरक्षित नहीं है क्योंकि कानून को मानने कोई तैयार नहीं है? -:रवि सिंह कटकोना कोरिया छत्तीसगढ़:- कानून शब्द कहने …
Read More »इंसान के मन में ही पर्यावरण का दुश्मन है
पेड़ पौधों के लिए किसी को चिंतित नहीं जितना पेट्रोल के दाम बढ़ने से दिखते हैं।जब अपने देश में पर्यावरण दिवस अता है तब हमें महत्व याद अता ऐसा क्यों?पर्यावरण दिवस के दिन से पर्यावरण और ज्यादा विपन्न होता है। आज पूरे दिन पर्यावरण दिवस पर बधाई का तांता लगा रहा। मोबाइल के मेमोरी छोटे बड़े-पेड़ पौधों से भर गई। …
Read More »पत्रकार विपक्ष की भूमिका में झेल रहें हैं सत्तापक्ष का एफआईआर वाला प्रहार
जनता से रिश्ता सरकार व लोकतंत्र के चौथे स्तंभ दोनों का पर निर्भर है सिर्फ एकजनता से रिश्ता सरकार व लोकतंत्र के चौथे स्तंभ दोनों का पर निर्भर है सिर्फ एकसत्ता और सत्ता पाकर ठेकेदारी करने वाले नेताओं से जनता है परेशानचुनाव पैसों के दमपर लड़ना है इसलिए जारी है केवल कमाई का अभियानउपलब्धियों और जनसरोकारों से अब नेताओं को …
Read More »विश्व शांति का अर्ध सत्य एक आदर्श
स्थिति की मनोकामना विश्व शांति की अवधारणा, इच्छा और उस स्थिति को स्थापित करने के प्रयास सुखद अनुभूति देते हैं। विश्व शांति सदैव मानव की एक ऐसी आदर्श स्थिति की मनोकामना है, जिसमें वह अपनी संपूर्ण स्वतंत्रता, रचनात्मकता और प्रफुल्लता के साथ जीवन यापन कर सके। विश्व शांति एक विचार है, जिसमें समाहित हैं अहिंसा, सभी देशों में आपसी सहयोग, …
Read More »अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई
अमीर और गरीब के बीच पहले से ही भारी असमानता रही है, लेकिन कोरोना ने इसे और बढ़ा दिया है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा किये गये अखिल भारतीय ऋण और निवेश सर्वेक्षण की हालिया रिपोर्ट के अनुसार अमीर और गरीब के बीच खाई गहरी होती जा रही है. यह तथ्य कोई नया नहीं है और न ही चौंकाता है. …
Read More »