कोरिया@सत्ता में रहते हुए भी मारपीट और सत्ता जाने के बाद भी मारपीट,आखिर ऐसी स्थिति क्यों?

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  • चुनाव के समय का गुस्सा क्या चुनाव के बाद निकाला जाएगा,क्या यह है उचित।
  • क्या पूर्व विधायक को यह शोभा देता है की बीच सड़क पर किसी को रुकवा के थप्पड़ मारें?…पूर्व विधायक पर लगा है बड़ा आरोप।
  • आरोप भले पीड़ित ने लगाया है पर इसमें पूर्व विधायक का कहना है कि मैंने ना तो थप्पड़ मारा है और ना ही कॉलर पकड़ा है।
  • विधायक के ऊपर लगे आरोप की गूंज पहुंची राजधानी तकहो रही फजीहत।
  • चुनाव संपन्न होने के बाद जहां  कमियों को दूर कर आगे बढ़ने की सोच होनी थी वहां पर इस प्रकार के आरोप।
  • क्या पूर्व विधायक के लिए आगे का राजनीति सफर ऐसे में सही होगा?

-रवि सिंह-
कोरिया 16 दिसम्बर 2023 (घटती-घटना)। विधानसभा चुनाव संपन्न हो गया किसी को हार मिली तो किसी को जीत, हारने वाले ने हार स्वीकार कर आगे का मौका अपने लिए देख रहा है वहीं समीक्षा पर समीक्षा हो रही है, कहां पर गलती हुई इस पर पुनर्विचार किया जा रहा है पर अभी तक किसी भी विधानसभा से चुनाव संपन्न होने के बाद हारे हुए विधायकों के प्रति कोई भी गलत आरोप सामने नहीं आए, किसी भी हारे हुए प्रत्याशी के ऊपर  गंभीर आरोप मारपीट या गाली गलौज करने का अभी तक समाने नहीं आया न ही वह सुर्खियों में हैं, लेकिन अचानक परिणाम के 13 दिन बाद कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा की पूर्व विधायक पर एक बहुत बड़ा आरोप लगा है और उस आरोप की गूंज रायपुर तक सुनाई देने लगी है, तमाम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व अखबारों में यह खबर छप गई, यह आरोप भी छोटा-मोटा आरोप नहीं है पूर्व विधायक पर मारपीट का आरोप लगा है, अब ऐसे में यह बात सामने आ रही है कि क्या हारने के बाद पूर्व विधायक अपना आपा खो बैठी हैं? यदि ऐसे ही इनका व्यवहार रहा तो क्या इनका आगे का राजनीतिक सफर सही होगा या फिर इनका राजनीतिक सफर पर बट्टा लग जाएगा? राजनीति सफर जारी रहे क्योंकि मौका तो सामने फिर मिलना है, पर यदि राजनीतिक सफर में ऐसे कृत्यों से बट्टा लग गया तो फिर राजनीतिक कैरियर भी समाप्त हो सकता है। खैर मामला जो भी है पर बैकुंठपुर की पूर्व विधायक अंबिका सिंहदेव पर नवयुवक का कालर पकड़ने व मारपीट का आरोप लगा है जो आरोप काफी बड़ा है और इसकी शिकायत भी थाने तक पहुंची है पर इसमें प्राथमिकी दर्ज होगी या नहीं होगी यह तो पुलिस कर्मियों के विवेक पर है पर फजीहत पूरी तरीके से हो रही है और हर तरफ इस बात की चुटकी ली जा रही है। वैसे जिस नवयुवक का कालर पकड़ने की बात पूर्व विधायक द्वारा समाने आ रही है वह कांग्रेस पार्टी का ही कार्यकर्ता है और पूर्व विधायक भी कांग्रेस पार्टी की ही नेता हैं ऐसे में यदि कोई शिकायत कार्यकर्ता से थी भी तो उससे पार्टी के किसी बैठक में निपटाना था, उससे बातचीत करना था सरेराह उसे रोककर उससे हुज्जत नहीं करना था ऐसा भी लोगों का कहना है क्योंकि एक जनप्रतिनिधि रहकर यदि संगठन के नियमो के विपरीत कोई व्यक्ति व्यवहार करे उसे उचित नहीं कहा जा सकता। मामले में ब्राह्मण समाज भी समाने आ चुका है नवयुवक के समर्थन में क्योंकि नवयुवक ब्रह्मण समाज से है और अब हो सकता है की समाज मामले में कार्यवाही की मांग करे जो सुनाई भी दे रहा है।
सत्ता रहते हुए भी हो चुकी है कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट
कांग्रेस की सत्ता प्रदेश में पांच साल रही है,बिता पांच साल कांग्रेस सत्ता का कार्यकाल था, इस चुनाव में भाजपा ने फिर बाजी मार लिया है और सत्ता पर काबिज हो गई है। सत्ता में रहते हुए कांग्रेस में पहले भी कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट हो चुकी है। कांग्रेस की सत्ता रहते हुए मारपीट की घटना का उल्लेख करना तो उचित नहीं है फिर भी एक कार्यकर्ता के साथ मारपीट भी हुई थी और मामला थाने तक पहुंचा था जिसमे बाद में कुल मिलाकर उसे मना लिया गया था। अब सत्ता जाने के बाद मारपीट की घटना समाने आई है इस बार भी यदि आरोप सही हैं जिसकी पुष्टि हम नहीं करते तो कहीं न कहीं मार खाने वाला कांग्रेस पार्टी का ही कार्यकर्ता है जो पार्टी को पार्टी प्रत्याशी को मिली हार के बाद पूर्व विधायक पार्टी प्रत्याशी के गुस्से का शिकार हुआ है।पति भी मारपीट का लगा चुके हैं आरोप
पूर्व विधायक पर उनके पति भी मारपीट का आरोप सोशल मीडिया में लगा चुके हैं। पूर्व विधायक के पति ने एक नहीं कई सोशल मीडिया पोस्ट डालकर उस समय पर पूर्व विधायक पर मारपीट का आरोप लगाया था जब वह विधायक थीं संसदीय सचिव भी थीं और सरकार भी उनकी पार्टी की थी, अब जब वह पूर्व विधायक भी हैं फिर उनके ऊपर आरोप लगा है और इस बार पार्टी कार्यकर्ता ने उनके ऊपर आरोप लगाया है।
विपक्ष के साथ मारपीट हो तो समझ में आता है पर अपने ही पार्टी के कार्यकर्ताओं व समर्थकों के साथ हो तो फिर सवाल उठता है
किसी चुनाव में पराजय के बाद अक्सर यह संभावना बनी रहती है की पक्ष विपक्ष के कार्यकर्ताओं में साथ ही पदाधिकारियों में वाद विवाद या मारपीट हो सकती है। इस स्थिति के लिए प्रशासन और पुलिस भी मुस्तैद रहती है तैयारी में रहती है। वहीं जब आपस में ही एक दल के बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच विवाद की बात मारपीट की बात सामने आयेगी निश्चित ही सभी को अचंभा होगा जो इस मामले में भी हो रहा है। लोगों की भी बातों पर गौर करें तो लोगों का भी कहना है की किसी को सड़क पर रोककर उलाहना ही देना अनुचित है बात मारपीट या कालर पकड़ने की यदि है तो वह बिल्कुल ही गलत बात है ऐसा नहीं होना चाहिए।
कार्यकर्ताओं के साथ सामंजस्य बनाने की बजाय सामंजस्य बिगाड़ना ही राजनीति है?
पूरे मामले में बाद एक सवाल भी खड़ा होता है की क्या कार्यकर्ताओं के साथ सामंजस्य बनाने की बजाए सामंजस्य बिगाड़ना ही राजनीति है। क्या पूर्व विधायक आने वाले समय में कार्यकर्ताओं के बगैर आगे के लिए अपनी राह तैयार कर रही हैं। वैसे राजनीति में आज का विरोधी कल का समर्थक और प्रशंसक भी हो सकता है यदि उसे विश्वास में लेने का प्रयास किया जाए। अब पूर्व विधायक बैकुंठपुर पर लगे आरोपों के बाद ऐसा लगता नहीं है की वह सामंजस्य बनाने वाली राजनीति कर रही हैं। वह कहीं न कहीं अपने आने वाले समय के राजनीतिक जीवन के लिए एक प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रही हैं यह भी कहना अनुचित नहीं होगा।अपनी ही पार्टी के दूसरे नेताओं के समर्थित कार्यकर्ता पूर्व विधायक के टारगेट में क्यों?
बैकुंठपुर की पूर्व विधायक के टारगेट में वह कांग्रेसी कार्यकर्ता हमेशा रहे हैं जो कांग्रेस पार्टी के ही जिले के बड़े नेताओं के समर्थक हैं। आखिर ऐसा क्यों है यह समझ से परे है। बड़े नेताओं के समर्थक भी कांग्रेस पार्टी की ही विचारधारा से जुड़े हुए हैं और उन्हे पूर्व विधायक अपने कार्यकाल के दौरान भी स्वीकार नहीं कर पाईं और न ही अब चुनाव में पराजय के बाद ही वह उन्हे स्वीकार कर पा रही हैं। वैसे राजनीति के जानकारों की माने तो पूर्व विधायक को अब सम्हलकर चलना चाहिए और पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को एक सूत्र में बांधने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि भविष्य में यदि वह दुबारा अपने लिए प्रयास करती हैं तो कार्यकर्ता के बिना फिर उन्हे पराजय का ही मुंह देखना पड़ेगा।
क्या शिकायत पर एफआईआर होगा?
पूर्व विधायक पर कांग्रेस कार्यकर्ता ने मारपीट का आरोप लगाया है। कार्यकर्ता ने विधायक के दो समर्थकों पर भी आरोप लगाया है और मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए उसने पुलिस को शिकायत पत्र भी सौंपा है। अब देखना है की क्या विधायक और उनके दो समर्थकों पर प्राथमिकी पुलिस दर्ज करती है। क्या उनके विरुद्ध शिकायत पर कार्यवाही करती है। पुलिस के लिए भी मामला गले की हड्डी बन गया है क्योंकि ब्राह्मण समाज भी पूर्व विधायक पर कार्यवाही ही मांग कर रहा है।
विधायक ने कहा सरासर गलत आरोप है
पूरे मामले में बैकुंठपुर की पूर्व विधायक का भी पक्ष जानना चाहा गया। पूर्व विधायक ने मामले में केवल यही कहा है की उनके ऊपर लगाए गए आरोप सरासर गलत हैं समझाइस देना मारपीट नहीं होता।


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