अंबिकापुर,@कामांध ने मंदबुद्धि बालिका की डस ली जिंदगी ….

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दुष्कर्म से बनी मां,नन्ही जान को भी मिला अपमानजनक जीवन…अदालत ने दोषी को दिया 20 वर्ष सश्रम कारावास का दंड ….
अंबिकापुर,16 दिसम्बर 2023 (घटती-घटना)। छाीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिला अंतर्गत अंबिकापुर के गांधीनगर थाना क्षेत्र में करीब तीन वर्ष पूर्व हुए एक मंदबुद्धि 15 वर्षीया किशोरी से अनाचार के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट विशेष न्यायालय श्रीमती पूजा जायसवाल की अदालत ने संपूर्ण साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर आरोपी अर्जुन चेरवा को पॉस्को एक्ट के आरोपित धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए 20 वर्ष सश्रम कारावास और अर्थदंड से दंडित की है। न्यायलयीन सूत्रों के मुताबिक पीडि़ता के पिता द्वारा 25 अप्रैल 2020 को थाना गांधीनगर में रिपोर्ट दर्ज कराया गया था कि उसकी 15 वर्षीया पुत्री है जो मंदबुद्धि है, के साथ आरोपी ने अनाचार किया था। इसका पता उन्हे तब चला जब पत्नी ने बेटी के बढ़े पेट को लेकर पुछताछ की। पुत्री ने अपनी मां को बताई कि 5- 6 माह पहले मेण्ड्राखुर्द का रहने वाला अभियुक्त उसके गांव आया था और उसे मक्का बाड़ी में घुमने के बहाने ले जाकर जबरन बलात्कार किया था। आरोपी ने घटना के बारे में किसी को बताने पर जान से मार देने की धमकी भी दिया था । इसके बाद आरोपी ने गिफ्ट देने के बहाने कई बार अनाचार किया था, जिससे वह गर्भवती हो गई। जिससे उसने पुत्री को जन्म दी।
न सिर्फ पीडि़ता,नन्हा जीव भी अपमानजनक जीवन जीने होगा मजबूर
विद्वान न्यायाधीश श्रीमती पूजा जायसवाल ने इस मामले में मार्मिक और ज्वलंत टिप्पटी करते हुए कहा कि प्रकरण के अनुसार रिपोर्ट दिनांक को 16 वर्ष से कम आयु की अभियोक्त्री गर्भवती थी तथा न्यायालयीन साक्ष्य के दौरान अभियोक्त्री से एक संतान उत्पन्न हो चुका था। सामान्यतः देखा जावे तो प्रकृति ने स्त्री को कितना खुबसुरत वरदान दिया है जन्म देने का, लेकिन बलात्कार पीडि़ताओ के लिए यही वरदान अभिश्राप बनकर उसकी सारी जिंदगी को डस लेता है। ना सिर्फ वह स्त्री लांछित की जाती है, बल्कि बलात् इस दुनिया में लाया गया वह नन्हा जीव भी अपमानजनक जीवन जीने के लिए विवश हो जाता है। इंसानियत के नाम पर एक स्त्री को कैसी परीक्षा देनी होती है कि इंसान के नाम पर एक पशु बना व्याभिचारी, कुछ सजा के बाद समाज में सहज रूप से स्वीकृत हो जाता है और स्त्री बिना किसी गुनाह के सारी उम्र गुनाहगार बना दी जाती है।
मासूम को पिता का नाम दिलाने 50 साल के व्यक्ति के साथ रहने विवश
इस प्रकरण में पीडि़ता को अपने बच्चे को, एक पिता का नाम दिलाने के लिए स्वयं से कही अधिक उम्र 50-55 वर्ष के व्यक्ति के साथ उसकी पत्नी बनकर निवास करना पड़ रहा है।
इन धाराओं के तहत मिली सजा
दोषी अर्जुन चेरवा को धारा-376(3) भा0दं0सं0, धारा-05 (ठ)/06 पॉक्सो एक्ट और धारा-05/06 पॉक्सो एक्ट के तहत 20 – 20 वर्ष सश्रम व साधारण कारावास, एक – एक हजार रुपए अर्थदंड से दंडित की है। अर्थ दंड की राशि अदा नहीं करने पर अतिरिक्त एक माह कारावास का प्रावधान है। मामले की शासन की ओर से पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक राकेश कुमार सिन्हा ने की।
पीडि़ता को 5 लाख
रूपये देने की अनुशंसा

इस प्रकरण में फैसला देते हुए विद्वान न्यायाधीश ने कहा कि पीडि़ता को समुचित प्रतिसमुचित प्रतिकर दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। अभियोक्त्री घटना के समय 16 वर्ष से कम आयु की अबोध बालिका थी। उक्त परिस्थितियों में शारीरिक, मानसिक पीड़ा एवं वर्तमान में अभियोक्त्री के एक संतान उत्पन्न होने को दृष्टिगत रखते हुए समुचित प्रतिकर हेतु यौन उत्पीड़न/अन्य अपराधों से पीडित महिलाओं एवं उारजीवियों के लिए क्षतिपूर्ति योजना 2018 जो कि 02 अक्टूबर 2018 को प्रभाव में आया है, के तहत अभियोक्त्री को कुल पांच लाख समुचित प्रतिकर दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। फलस्वरूप सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अंबिकापुर जिला सरगुजा को अनुशंसा किया जाता है कि अभियोक्त्री को निर्धारित प्रतिकर राशि 5,00,000 लाख को क्षतिपूर्ति योजना 2018 के नियम 11 के तहत आवश्यक कार्यवाही कर प्रदान करे।


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