बैकु΄ठपुर 21 सितम्बर 2021 (घटती-घटना)। शासकीय कार्यालयों में किसी भी अधिकारी की पोस्टिंग इस आशय से की जाती हैं कि वह अपनी जिम्मेदारी शासन के दिशा निर्देश के अनुसार जरूर निभाएंगे। वही विभाग के उच्च अधिकारी भी नई सरकार के आते ही ध्वस्त हो चुके तंत्र को ठीक करने का हर सम्भव प्रयास करते है। इस आशय के फरमान भी समय समय पर जारी होने लगते है कि जो भी अधिकारी या कर्मचारी कार्य के प्रति लापरवाही बरतेगा उसे दण्डित किया जायेगा। साथ ही कार्यालयो में समय पर उपस्थित होने की हिदायत दी जाती है लेकिन इन हिदायतों और फरमानों का वन विभाग के अधिकारी की पूर्व निर्धारित कार्य प्रणाली पर कोई असर नहीं पड़ता।जिससे वह सीमा अंतर्गत वन व वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठना लाजमी हैं।
यह मामला जिले के स्थित गुरु घासी दास राष्ट्रीय उद्यान के सोनहत वन परिक्षेत्र का हैं जहा पदस्थ प्रभारी अधिकारी मुख्यालय से ज्यादातर गायब ही रहते है। वही अपनी जिम्मेदारी अपने निवास से निभा रहे यह आरोप वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा ही लगाया जा रहा किन्तु प्रभारी अधिकारी के रुतबा के आगे पदस्थ कर्मचारियों की शिकायत की हिम्मत नही। जिस कारण इन्होंने बिना नाम छापने की शर्त पर ही यह जानकारी दी। ऐसे में संबंधित कार्यालय अंतर्गत चल रहे इलाको में हो रहे कार्यों व किसी कार्य से अधिकारी से मिलना किसी चमत्कार से कम नही जिससे मुख्यालय के बजाय अपने गृह निवास में अधिकारी के रहने के कारण सम्बधित आमजनो व ग्रामीणों को बैरंग लौटना पड़ता है। जबकि क्षेत्रों में स्थित वन कटाई व वन्य जीवों की सुरक्षा की व्यवस्था सुधारने के लिए समय समय पर स्थानान्तरण करके अधिकारियों-कर्मचारियों को पदस्थ करता है। लेकिन ये अधिकारी एवं कर्मचारी पदस्थ मुख्यालय से दूर रहकर सप्ताह में 2 व 3 दिन से ज्यादा उपस्थिति नहीं दे पाते है। जब कि हाल में हो रही वर्षा के बाद से कुछ हरियाली आई हैं। वही वन्य जीवों की भी आमद बड़ी है जब कि इसके पूर्व गर्मी के दिनों में पूरे जंगल के आधे हिस्सों मे आग लगने से वन्य जीव भी नदारत थे ऐसे में किसी अधिकारी के बिना मुख्यालय में रहे कैसे वन व वन्य जीवों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाता होगा इससे अंदाजा लगाया जा सकता हैं जब कि वर्तमान में जिले के इस राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व के रूप में पहचान मिलने की पहली सीढ़ी की सुरुवात हो चुकी हैं।
शासकीय वाहन बढ़ा रही घर की शोभा
मिली जानकारी अनुसार शासन द्वारा प्रभारी अधिकारी को शासकीय वाहन पदस्थ मुख्यालय में रहकर वन व वन्य जीवों की सुरक्षा हेतु उपलब्ध कराया गया है किंतु अब यह वाहन प्रभारी अधिकारी के निवास की शोभा बढ़ा रहा हैं जिससे प्रभारी अधिकारी के शासकीय वाहन के उपयोग को लेकर भी इनके निवास ग्राम में यह काफी चरचा का विषय बना हुआ हैं। जब कि शासन द्वारा लाखो रुपये हर वर्ष डीजल के रूप भुगतान भी किया जा रहा।