कोरिया@मुख्य सड़क से लगी पंचायत भवन एवं पटवारी कार्यालय के ठीक सामने की लाखों की शासकीय भूमि पर हो रहा अवैध कब्जा

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ग्राम पंचायत के बीचो-बीच शासकीय भूमि के अवैध कब्जे पर कई सवाल,छड़-कंक्रीट की पक्की दीवार बनाकर किया गया कब्जा

-रवि सिंह-
कोरिया,08 दिसम्बर 2023 (घटती-घटना)। शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे का यह मामला विकासखंड बैकुंठपुर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत अमहर का है । जहां ग्राम पंचायत भवन एवं पटवारी कार्यालय के सामने चंद कदम की दूरी पर मुख्य मार्ग पर स्थित शासकीय भूमि पर गैर कानूनी तरीके से कब्जाधारी ने पक्की दीवार बनाकर अवैध कब्जा कर लिया है। मुख्य सड़क से लगी यह भूमि लाखों की है। जहां एक ओर शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए पंचायत स्तर पर शासकीय भूमि की अनुपलब्धता सामान्य सी बात हो गई है। वहीं दूसरी ओर राजस्व विभाग के रीढ की हड्डी कहे जाने वाले पटवारी कार्यालय के ठीक सामने शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे का हो जाना कई सारे सवालों को जन्म देता है। वहीं इस मामले में जबकि भूमि पंचायत के बीचो-बीच और ग्राम पंचायत भवन के ठीक सामने स्थित है, पंचायत प्रतिनिधियों की चुप्पी और चुपचाप कब्जाधारीयों का मौन समर्थन बड़े मिली भगत की ओर इशारा करता है। मामला कुछ इस प्रकार का है कि ग्राम पंचायत अमहर में ग्राम पंचायत भवन और पटवारी कार्यालय के सामने की सड़क के पार मुख्य मार्ग से लगी खसरा नंबर 531 एवं 533 भूमि अजय कुशवाहा एवं अरविंद कुशवाहा के संयुक्त नाम पर है। इसी से संलग्न खसरा नंबर 530 एवं खसरा नंबर 532 की भूमि शासकीय है। कब्जाधारियों ने मुख्य मार्ग से ही पक्की दीवार खींचकर इन दोनों खसरा नंबर की शासकीय भूमियों को अवैध कब्जा कर लिया है। जब इस भूमि पर अवैध कब्जे की नीयत से दीवार खड़ी की जा रही थी, तब तत्कालीन पटवारी ज्योति नेताम ने मौखिक आपत्ती की थी। और दीवार उठाने से मना किया था। जिस कारण अवैध कब्जाधारियों में उक्त भूमि के सामने तत्काल में दीवार खड़ा नहीं किया था। बाद में जाने किस प्रकार की सांठगांठ हुई, वर्तमान में अपने निजी स्वामित्व की भूमि के अलावा कब्जाधारियों ने शासकीय भूमि पर भी अवैध पक्की दीवार बनाकर कब्जा कर लिया है। जबकि ठीक इसी भूमि के सामने ग्राम पंचायत कार्यालय एवं पटवारी कार्यालय स्थित है। यहां प्रतिदिन सरपंच, सचिव, अन्य जन प्रतिनिधियों के अलावा पटवारी का आना-जाना है। बावजूद इसके अवैध कब्जे पर किसी प्रकार का सवाल ना उठाना, पटवारी द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही का ना किया जाना एवं पंचायत प्रतिनिधियों का मौन मुक समर्थन सबकी मिली भगत का इशारा करता है।
विगत वर्ष सहकारी समिति में अवैध रूप से रकबा बढ़ाकर धान बेचने के मामले में कब्जाधारी धारा 420 के तहत काट चुके हैं फरारी
ग्राम पंचायत अमहर के सड़क से लगे शासकीय भूमि के अवैध कब्जे के मामले में जिन दो भाइयों का नाम आ रहा है, इन्होंने विगत वर्ष भी शासन को चूना लगाने की नीयत से बड़े कारनामें किए थे। और वर्तमान में हाई कोर्ट से जमानत पर बाहर चल रहे हैं। विगत वर्ष इन दोनों भाइयों द्वारा तहसील कार्यालय पटना से दूसरे की भूमि को अपने हक में दिखाकर शासकीय सहकारी समिति तरगांवा में अवैध रूप से धान विक्रय किया गया था। मामले का खुलासा होने पर धारा 420 के तहत मामला दर्ज किया गया। जिसमें महीनों फरारी के बाद हाई कोर्ट से धान विक्रय की राशि जमा करने की सशर्त जमानत मिली थी। और वर्तमान में दोनों भाई धोखाधड़ी के मामले में जमानत पर बाहर हैं। अभी अवैध कब्जे के मामले में देखने वाली बात यह होगी कि राजस्व विभाग इसमें किस प्रकार की कार्यवाही करता है, और अपने विभाग के पटवारी के संलिप्तता की जांच किस प्रकार करता है। क्योंकि मामला बड़ा स्पष्ट है। पहली नजर में ही जांच से सारी बातें सामने आ जाएगी। हालांकि पूरे मामले में ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव एवं अन्य जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी संदिग्ध है।
दीवार बनाते समय पटवारी ने की थी मौखिक आपत्ति, बाद में जाने क्या हुआ,बन गई पक्की दीवार
सूत्रों के अनुसार एवं पंचायत में निर्वाचित एक प्रतिनिधि ने बताया कि जब अवैध कब्जेकी नीयत से अरविंद कुशवाहा एवं अजय कुशवाहा ने दीवार खड़ी करनी प्रारंभ की तो पटवारी कार्यालय से निकलते समय महिला पटवारी ने शासकीय भूमि के सामने दीवार खड़ी करने से मना किया था। हालांकि तब तक कब्जाधारियों ने कालम और बीम खड़ा कर दिया था। पर पटवारी के मौखिक आपत्ती के बाद उन्होंने कुछ दिनों तक ईट की जोड़ाई नहीं की। बाद में शीघ्रता से एक ही दिन में दीवार खड़ी कर अवैध कब्जेको अंजाम दिया गया। अवैध कब्जे के पूरे मामले में बड़ा सवाल यह है कि पटवारी के मौखिक आपत्ती के बाद जिस कार्य को कुछ समय के लिए रोका गया था, बाद में ऐसा क्या हुआ कि इस अवैध कार्य को अंजाम दिया गया। जबकि वही पटवारी आज तक अमहर कार्यालय में पदस्थ हैं। और प्रतिदिन उनका इस अवैध कब्जे के सामने से आना जाना है।
जिन्होंने किया अवैध कब्जा उनमें से एक कानून का जानकार और दूसरा कांग्रेस का सिपाहसालार
शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे का आरोप जिन दो भाइयों पर लग रहा है, उनमें से एक अरविंद कुशवाहा कानून के जानकार हैं। और उनके भाई अजय कुशवाहा के कांग्रेसियों से सीधे संपर्क हैं। सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस शासन का नाजायज फायदा अवैध कब्जे के रूप में इनके द्वारा उठाया गया? क्या अब सत्ताशासन बदलने के बाद इस मामले में कार्यवाही होगी? शासकीय संपत्तीयों पर अवैध कब्जे के ऐसे मामले आते रहते हैं, परंतु उचित कार्यवाही होने के अभाव में ऐसे अवैध कब्जा धारियों के हौसले बुलंद होते जाते हैं, जिसका खामियाजा अन्य आम जनता को भुगतना पड़ता है।


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