- अब खुला भरतपुर सोनहत क्षेत्र का भाग्य,राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने की चर्चा हुई तेज।
- समर्थको में हर्ष का माहौल,कई जगह हुई पूजा अर्चना।
- रेणुका का मजबूत मैनेजमेंट आया काम,देवेन्द्र तिवारी की रणनीति भी आई काम।
-रवि सिंह-
एमसीबी 05 दिसम्बर 2023 (घटती-घटना)। आखिरकार केन्द्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने एक महीने में ही भरतपुर सोनहत क्षेत्र की फिजा बदल दी,पूर्व विधायक गुलाब कमरो के तानाशाही रवैया सत्ता का नशा उनके कार्यकर्ताओं के द्वारा मचाये गए लूट से त्रस्त जनता ने आखिरकार रेणुका सिंह जैसी तेज तर्रार नेत्री के हाथ में नेतृत्व सौंप ही दिया,टिकट की घोषणा के बाद कई मीडिया रिपोर्टो ने रेणुका सिंह की जीत पर संशय जताया था लेकिन घटती घटना ने उनकी जीत की बात कही थी अंततःरेणुका सिंह को भरतपुर क्षेत्र की प्रसिद्व माँ चांगमाता का आशीर्वाद मिला और अथक परिश्रम के बाद वे विधायक बनने में कामयाब हो गईं,उनके विधायक बनने के बाद से ही इस क्षेत्र में हर्ष का माहौल व्याप्त है,आम जन के साथ ही शासकीय अधिकारी कर्मचारियों ने भी राहत की सांस ली। तों वहीं गुलाब कमरो समर्थक सत्ता के दम पर लूट मचाने वाले छुटभैये नेताओं की हालत अभी से गंभीर हो गई है।
1 महीने में ही बदल गई भरतपुर की फिजा
भरतपुर सोनहत क्षेत्र में इस बार किसी को नही लग रहा था कि यहां से भाजपा का विधायक बनेगा,कागजी विकास कार्य और खुद को विकास पुरूष बताने वाले तात्कालिक विधायक गुलाब कमरो भी विपक्ष की कमजोरी के कारण खुद को एक बार फिर विधायक मान रहे थे,लेकिन भाजपा के द्वारा रेणुका सिंह को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद गुलाब कमरो की चाल ही बदल गई। सामने मजबूत प्रत्याशी होने का डर पूरे चुनाव अभियान के दौरान गुलाब कमरो के माथे पर स्पष्ट झलक रहा था,सत्ता के नशे में चूर गुलाब कमरो की चाल और बोलचाल का तरीका भी लोगो की जुबान था। तो वहीं मात्र 1 महीने के धुआंधार प्रचार अभियान से रेणुका सिंह ने इस क्षेत्र की फिजा ही बदलकर रख दी।
भीतरघात के बाद जीत से और उत्साह दिखा
यह सर्वविदित है कि भरतपुर क्षेत्र से टिकट की मांग कर रही एक नेत्री के द्वारा चुनाव में रेणुका सिंह का खुला विरोध किया जा रहा था,जगह – जगह कार्यकर्ताओ को दिग्भ्रमित किया जा रहा था। कुछ और पदाधिकारी भी उक्त नेत्री के साथ रेणुका सिंह का विरोध कर रहे थे। भीतरघात की खबर के बाद भी रेणुका सिंह ने अपने प्रचार अभियान में कोई कमी नही की बल्कि और तेजी के साथ अपना काम जारी रखा जिसका परिणाम उन्हे जीत के रूप में देखने को मिला।
कई कार्यकर्ता हुए एकजुट,जिससे आसान हुई जीत
रेणुका सिंह को टिकट मिलने के बाद कई ऐसे कार्यकर्ता भी एकजुट और सक्रिय हो गए जो कि काफी समय से निष्क्रिय थे या कि उपेक्षित किये जा रहे थे। इनमें उर्मिला नेताम,दुर्गाशंकर मिश्रा आदि प्रमुख नाम हैं जिन्होने पूरी ईमानदारी से काम किया। नागपुर क्षेत्र में कपिल पांडेय,जमुना पांडेय,बसंत राय,मनोज शुक्ला आदि पदाधिकारियों ने भी मेहनत कर परिणाम रेणुका सिंह के पक्ष में करने में सफलता हासिल की।
देवेन्द्र तिवारी ने प्रभारी बन संभाला मोर्चा,मिली कामयाबी
भाजपा कोरिया के जिला उपाध्यक्ष देवेन्द्र तिवारी ने भी रेणुका सिंह की जीत के लिए जी तोड़ मेहनत किया,श्रीनगर के भाजपा नेता शशि तिवारी के साथ मिलकर उन्होने पूरे विधानसभा क्षेत्र में घूमकर मैनेजमेंट का काम किया कई कमियों को दूर करने का काम किया। भरतपुर सोनहत वनांचल क्षेत्र की आबो हवा से परिचित होने के कारण देवेन्द्र तिवारी के लिए इस क्षेत्र में काम करना काफी आसान था इस वजह से रामानुजगंज विधानसभा के प्रभारी से उन्होने खुद को भरतपुर क्षेत्र का प्रभारी बनवाकर काम किया। देवेन्द्र तिवारी एक ऐसे नेता हैं जिन्होने शासकीय सेवा से त्यागपत्र देकर राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा है,तथा वे पिछली बार सोनहत क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं। संगठन में गहरी पैठ के कारण उनकी एक अलग छवि है। इस विधानसभा चुनाव में रेणुका सिंह के पक्ष में मोर्चा संभालकर उन्होने अपनी काबिलियत एक बार फिर सिद्व कर दी है।
मजबूत मैनेजमेंट समेत प्रमुख घोषणांए हुई कारगार
भरतपुर सोनहत क्षेत्र से रेणुका सिंह की जीत के पीछे उनका मजबूत मैनेजमेंट भी प्रमुख कारण रहा है,जानकारों की माने तो एक माह के कम समय में जिस प्रकार उन्होने मजबूत किलेबंदी की उसी का फलस्वरूप है कि एक सक्रिय विधायक को उन्होने परास्त किया। जानकारों का कहना है कि मतदान के दूसरे दिन ही रेणुका सिंह ने अपने प्रतिद्वंदी गुलाब कमरो को बता दिया था कि मैं चुनाव जीत चुकी हूँ। रेणुका सिंह अपनी कार्यशैली के कारण हमेशा ही चर्चित रही हैं जिस कारण उनके विरोधी भी विरोध से पहले एक बार जरूर सोचता है। रेणुका सिंह ने मैनेजमेंट के साथ ही टेन चलाने एवं चांगभखार क्षेत्र को जिला बनाने की घोषणा की है,जिसका फायदा उन्हे मिला।
रेणुका सिंह जैसा मजबूत चेहरा ही दिला सकता था जीत
जानकारो का कहना है कि भरतपुर सोनहत विधानसभा चुनाव जीतना इस बार भाजपा के लिए काफी मुश्किल था, क्षेत्र में पुराने जो भी चेहरे थे वे कहीं ना कहीं से जनता की नापसंद थे। कार्यकर्ता भी उनसे रूष्ट थे। यहीं कारण था कि गुलाब कमरो भी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त थे। लेकिन भाजपा ने अपनी रणनीति के तहत रेणुका सिंह तेज तर्रार नेत्री को इस विधानसभा से उतारकर एक दांव खेल दिया। बतलाया तो यह भी जा रहा है कि सत्ता के रंग में डूबे कई कांग्रेसी कार्यकर्ता चुनाव के पहले से ही कई अधिकारियों कर्मचारियों को फिर सरकार आने पर स्थानांतरण कराने और लिस्ट बनाने की धमकी देने लगे थे। लेकिन जनता ने उन्हे ही मैदान से बाहर कर दिया।
अब चर्चा मुख्यमंत्री बनने की,लोगो में हर्ष का माहौल
वर्तमान में केन्द्रीय राज्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाल रही रेणुका सिंह के बारे में मंगलवार से पूरे प्रदेश में एक चर्चा ने जोर पकड़ लिया है,जिसमें कई न्यूज घरानो के द्वारा उन्हे मुख्यमंत्री बनाये जाने की बात कही जा रही है। कहा जा रहा है कि उनके नाम पर शीर्ष नेतृत्व ने मन बना लिया है,और रेणुका सिंह स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद मानी जा रही है। इन खबरो के बीच जहां भरतपुर सोनहत से लेकर एमसीबी,कोरिया एवं सरगुजा संभाग मे खुशी की लहर है तो वहीं रेणुका सिंह के गृह ग्राम श्रीनगर मंे हवन पूजन का दौर भी प्रारंभ हो चुका है। बतलाया जा रहा है कि रायपुर में भी रेणुका सिंह के बंगले मे सुरक्षा व्यवस्था बढा दी गई है,उनसे मिलकर लोग अभी से बधाइे दे रहे हैं। सूत्रो की माने तो आगामी एक दो दिनों के भीतर शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम मुहर लगाने वाला है। महिला आरक्षण लाने के बाद यदि प्रदेश में महिला मुख्यमंत्री की बात होगी तो आदिवासी वर्ग से आने वाली रेणुका सिंह नेतृत्व की पहली पसंद होंगी इसे नकारा नही जा सकता।