सूरजपुर@निजी वाहन में पुलिस अधिकारी को नीली बत्ती लगाने का नहीं है अधिकार…बसदेई चौकी प्रभारी कैसे अपने निजी वाहन में नीली बत्ती लगाकर घूम रहे?

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  • क्या बसदेई चौकी प्रभारी को अपने उच्च अधिकारियों का नहीं है डर? 
  • सूरजपुर के बसदेई चौकी प्रभारी अपने निजी वाहन में नीली बत्ती लगाकर बिखेर रहे हैं जलवे 
  •  दिख रहे है अपना प्रभाव,क्या अधिकारियों की अभी तक नहीं पड़ी नजर।
  • क्या एमसीबी जिले के तर्ज पर सूरजपुर जिले में भी काम करते नजर आ रहे हैं उप निरीक्षक?
  • अधिकारियों को खुश कर कमाने की इनकी है पुरानी आदत,एमसीबी के एसपी के बाद अब वह सूरजपुर में भी जमा बैठे हैं धाक।
  • क्या बिना प्रभार इन्होने नही काम करना पसंद है,सिपाही से लेकर उप निरीक्षक बनने तक हमेशा रहे प्रभार में?

ओंकार पांडेय
सूरजपुर,30 नवम्बर 2022 (घटती-घटना)। पुलिस विभाग लोगों के लिए न्याय का दरबार होता है इन्हें लोक सेवक भी कहा जाता है क्योंकि इसे जनता का सीधे सरोकार होता है, पर सवाल यह भी होता है और कहा भी जाता है की पुलिस की वर्दी में काफी ताकत होती है क्या यही वजह है कि इसे पहनने वाला बहुत ताकतवर होकर उसे वर्दी का दुरुपयोग करता है या फिर अपने पद का दुरुपयोग करता है? पुलिस की वर्दी पहनने के बाद यदि आप अपने आप को सुपरमैन समझ कर लोगों को न्याय दिलाना का काम करते हैं तब तो समझ में आपकी और आपके किए गए कामों की सराहना होती है पर यदि समाज के विरुद्ध यदि काम करते हैं तो आपकी बदनामी भी होना लाजमी, पुलिस विभाग समाज की सुरक्षा के लिए बनाई गई है और समाज की सुरक्षा इनकी जिम्मेदारी है पर यदि समाज की सुरक्षा करने वाले ही अपने ही नियम कायदे कानून को ना माने और नियम विरुद्ध तरीके से काम करके सुर्खियां बटोर तो फिर इनसे उम्मीद क्या की जा सकती है पुलिस विभाग में अनुशासन बहुत जरूरी है पर यानी अनुशासन ही ना हो तो वैसे पुलिसकर्मियों की क्या औकात? कुछ ऐसा ही अक्सर पुलिस विभाग में देखने सुनने को मिल जाता है ऐसा ही पुलिस विभाग के ही एक उपनिरीक्षक की बात करें जो नियम विरुद्ध तरीके से अपने निजी वाहन में पुलिस की पुलिस की नीली बत्ती व सायरन लगाकर बेधड़क चलते हैं जहां पर पुलिस विभाग के अधिकारियों को अपने निजी वाहन में सायरन वह नीली बत्ती लगाने की अनुमति नहीं है वहां पर एक उप निरीक्षक अपने वाहन में नीली बत्ती व सायरन लगाकर अपना धौस दिख रहे हैं क्या शायद उनके उच्च अधिकारियों को यह नहीं दिखता यह कहा जाए तो काफी प्रभावशील उप निरीक्षक है जिस वजह से कोई इन्हे बोल नहीं सकता कई अधिकारी और यह प्रभावशील इसलिए भी माना जा सकता है क्योंकि यह पड़ोसी जिले यानी कि कोरिया व एमसीबी दोनों में काम करते हुए एक अलग ही कीर्तिमान हासिल कर चुके हैं वह भी कीर्तिमान ऐसा है कि किसी से छुपा नहीं है अधिकारियों को अपनी गिरफ्त में करने में यह माहिर है और अधिकारियों को अपने में गिरफ्त में करने के लिए अपनी विभाग के पुलिसकर्मियों की चुगली करके अधिकारियों के करीबी बनते हैं और उनकी सबसे अच्छी आदत यह है कि यह कहीं पर भी बिना प्रभारी के काम करना उचित नहीं समझते। इतने प्रभावशील पुलिसकर्मियों में इनकी गिनती आती है की यह एक ही जिले में आरक्षक से लेकर पदोन्नति होते-होते तक उप निरीक्षक बन गए थे पर जिला परिवर्तन नहीं हुआ था लंबे समय के अंतराल के बाद पहली बार जिला परिवर्तन हुआ और यह भी अपने ही पड़ोसी जिला पाने में सफल रहे यह भी माना जा रहा है कि यह भी जिला इन्हें जुगाड़ से प्राप्त हुआ है अब यह बात अलग है कि यह विभागीय मामला है पर उनके कार्यकर्ताओं को देखकर ही यह समझ में आ जाता है कि उनके लिए विभाग को मैनेज करना काफी आसान है सरकार किसी की भी हो और जिला में कोई भी चौकी थाना का प्रभारी बनना हो तो उनके लिए आसान हो जाता है।

कोरिया उसके बाद विभाजित जिला एमसीबी में लगातार कीर्तिमान स्थापित करते हुए हमेशा थाना प्रभारी या चौकी सहायता केंद्र प्रभारी बनकर रहने वाले आरक्षक से उप निरीक्षक तक का सफर पूरा करने वाले वर्तमान में सूरजपुर जिले के बसदेई चौकी प्रभारी उप निरीक्षक नए जिले में भी अपना कारनामा करते नजर आ रहे हैं,सबसे बड़ी बात की जैसे ही इनका तबादला हुआ पहले तो यह जुगाड में लगे रहे की प्रभार मुक्त न होना पड़े इन्हे वहीं जब प्रभार मुक्त होना पड़ा जिला छोड़ना पड़ा तो इन्होंने पहले ही सभी जुगाड कर लिया। इन्होंने सबसे पहले पहुंचकर नए जिले में एक चौकी का प्रभारी बनने का जुगाड लगाया और उसमे सफल हुए फिर वहां अपनी धौंस जमाने में लग गए। आजकल इनकी अपनी निजी गाड़ी चर्चा का विषय है जिसमे इन्होंने नीली बत्ती लगाई हुई है जिससे यह एमसीबी से सूरजपुर जिले आना जाना भी करते हैं एमसीबी इनका गृह जिला है।

 बसदेई चौकी के प्रभारी बने एमसीबी के खड़गवां थाने से स्थानांतरित हुए उप निरीक्षक के लिए जैसे की बसदेई चौकी इंतजार ही कर रहा था। यह जैसे ही सूरजपुर जिला पहुंचे इन्हे बसदेई चौकी का प्रभारी बनाया गया। कुल मिलाकर पहले ही पूरी सेटिंग करके यह पुराने जिले से भारमुक्त हुए। इनका जुगाड कितना अच्छा है कितना तगड़ा है इसी से समझा जा सकता है की थाना चौकी प्रभार में मिल जाए इसके लिए पुलिस विभाग में लंबी कतार रहती है लेकिन यह कतार तोड़कर आगे बढ़ने में माहिर हैं क्योंकि इनका जुगाड तगड़ा है बाकियों से।

 सूरजपुर जिले के बसदेई चौकी प्रभारी अपनी निजी वाहन में नीली बत्ती लगाकर तीन जिलों में अपनी धौंस जमा रहे हैं,एमसीबी इनका गृह जिला है जहां इनका आना जाना लगभग प्रतिदिन है,कोरिया जिला बीच में पड़ता है वहीं सूरजपुर जिले में यह पदस्थ हैं अब इस तरह यह तीन जिलों में अपनी निजी गाड़ी में नीली बत्ती लगाकर खुद की धौंस बता रहे हैं।

बसदेई चौकी प्रभारी अपनी निजी वाहन में नीली बत्ती लगाकर तीन जिलों में सफर कर रहे हैं,क्या यह जायज है क्या यह नियम अनुसार सही है ,अब इसका जवाब तो पुलिस विभाग के पास ही होगा की क्या यह अनुमति उन्हे पुलिस विभाग से मिली हुई है। वैसे लोगों के बीच तीन जिलों के लोगों के बीच यह चर्चा का विषय है क्योंकि कई जिलों के कई लोग पुलिस विभाग में बड़े बड़े पदों पर हैं लेकिन जब वह अपने गृह जिले आते हैं अपनी निजी गाड़ियों में तब वह कोई बत्ती अपनी गाड़ी पर नहीं लगाकर आते यह चर्चा का विषय है।

 जिस बसदेई चौकी का प्रभारी उपनिरीक्षक विजय सिंह को बनाया गया है वह क्षेत्र अवैध कारोबार का गढ़ माना जाता है, इस चौकी का प्रभारी अच्छे-अच्छे लोग बनना चाहते हैं ताकि यहां पर कमाई अच्छी हो सके क्या इसी वजह से इन्हें चुनकर यहां पद स्थापना दी गई है या फिर सही में पुलिस विभाग इस क्षेत्र से अवैध कारोबार को खत्म करना चाहता है? वैसे सूत्रों का मानेतो इस क्षेत्र में अवैध कारोबार के नाम पर खूब उगाही की जा रही है। 

 सूत्रों का कहना है कि चौकी प्रभारी अपने निजी स्कॉर्पियो वाहन में नीली बत्ती लगाकर तो घूम ही रहे है साथ अपने निजी वाहन में शासकीय ईंधन भी डलवा कर घूम रहे हैं बताया यह भी जा रहा है कि यह रोज चिरमिरी से ही आना जाना कर रहे हैं ऐसे में रोज का ईंधन खर्च देखा जाए तो उनके वेतन से ज्यादा हो जाएगा फिर भी आखिर उनके वाहनों में जो ईंधन डाल रहा है वह कहीं ना कहीं शासकीय ईंधन की ओर इशारा करता है सूत्रों का यह भी कहना है कि चिरमिरी से लेकर सूरजपुर तक में उनके वाहनों का ईंधन खर्च उठाने वाले कई लोग बैठे हुए हैं। 

 इस संबंध में जानकारी लेने के लिए जब बसदेई चौकी प्रभारी विजय सिंह को फोन लगाया गया तो उन्होंने सवाल तो सुना पर जवाब देने से पहले ही फोन काट कर इंगेज कर दिया। 

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शोभराज अग्रवाल से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नीली बत्ती अपनी निजी वाहन में लगाने का अधिकार किसी को भी नहीं है यदि ऐसा हो रहा है तो यह गलत है इसकी जांच करवाते है।


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