बैकुंठपुर,@क्या सोशल मीडिया के किसी समूह में किसी को गाली-गलौज करना व धमकी देना अपराध नहीं?

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  • कई ऐसे प्रकरण हैं जहां कोरिया जिले में सोशल मीडिया पर आपçाजनक गाली-गलौज पर टिप्पणी को लेकर दर्ज है किए गए हैं अपराध!
  • लेकिन एक मामले में अपराध पंजीबद्ध करने में तकलीफ कोरिया पुलिस को क्यों?
  • क्या कोरिया पुलिस मुंह देखा कार्यवाही करती है,क्या सत्ता की भनक पहले ही कोरिया पुलिस को लग गई है?
  • व्हाट्सएप समूह में एक व्यक्ति द्वारा जमकर उपद्रव फैलाया गया साथ ही गाली-गलौज और धमकी भी दी गई पर शिकायत पर अपराध दर्ज करने से घबरा रही पुलिस?

रवि सिंह –
बैकुंठपुर,26 नवम्बर 2023 (घटती-घटना)। कोरिया पुलिस वैसे तो अपनी दोषपूर्ण कार्यवाही को लेकर पहले से ही विख्यात रही है खासकर वर्तमान पुलिस अधीक्षक के कार्यकाल में पुलिसिंग चुनाव कार्य का छोड़ दें तो कभी बेहतर नहीं रहा वहीं इनके कार्यकाल में अवैध कारोबार भी जमकर फला फूला, जिले में कानून व्यवस्था का यदि हाल जाना जाए तो एक तरफ पुलिस चोरी तक रोक पाने में नाकाम साबित हो रही है पूरा जिला पुलिस बल मिलकर पटना बाजार की चोरी न तो रोक पा रहा है न ही चोरों को पकड़ पा रहा है वहीं अब एक सोशल मिडिया पोस्ट जिसमे एक पत्रकार को लेकर एक समाचार पत्र में एक पत्रकार को लेकर लगातार आपत्तीजनक टिप्पणी की जा रही है उसके परिजनों उसकी बुजुर्ग माता के लिए टिप्पणी की जा रही है अमर्यादित टिप्पणी की जा रही है पत्रकार जिसके विरुद्ध यह टिप्पणी की जा रही है वह न्याय के लिए पुलिस थाना पटना में आवेदन लेकर बार बार जा रहा है लेकिन आवेदन अस्वीकार किया जा रहा है यह कहकर की घटना सोशल मीडिया में कारित हुई और जगह क्या था यह प्रार्थी तय करके बताए। यहां ध्यान देने वाली बात यह है की यह वही कोरिया पुलिस है जो आज जो प्रार्थी पत्रकार है उसके विरुद्ध एक अपराध कायम कर चुकी है जिसमे आज के प्रार्थी पत्रकार का केवल यह अपराध था की उसने एक सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर खबर प्रकाशित की थी।
मामला उस समय कोरिया पुलिस के लिए इतना बड़ा हो गया था की उसने पत्रकार के लिए ऐसी घेराबंदी की थी की उसके जानने पहचानने वालों तक के घर पर पुलिस पहुंची थी और प्रताडि़त करने की कोशिश की थी। सोशल मीडिया की एक पोस्ट को सही मानकर केवल खबर प्रकहैत करने पर कोरिया पुलिस की उस दौरान की सक्रियता की बात की जाए तो कोरिया पुलिस ने मामले को एस टी एस सी एक्ट के तहत दर्ज किया था और प्रार्थी आवेदक नहीं मिलने की स्थिति में उसने एक पुलिसकर्मी को ही प्रार्थी आवेदक बनाया था। उस समय ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि मामला पुलिस की छवि से जुड़ा हुआ था इसलिए पुलिस ने मामले में सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर भी मामला दर्ज किया था और जितनी धाराएं कानूनी जोड़ी जा सकती थीं उसने जोड़ी थीं। आज सोशल मडिया पोस्ट को लेकर एक पत्रकार एक समाचार को लेकर एक पत्रकार लगातार कोरिया पुलिस के पटना थाने का दरवाजा खटखटा रहा है अपने अपने माता जी के लिए लिखे गए अमर्यादित टिप्पणी के लिए मय सबूत खुद को प्रार्थी बताकर कार्यवाही चाह रहा है लेकिन कोरिया पुलिस की पटना शाखा प्राथमिकी दर्ज करने से पीछे हट रही है यह कहकर की घटना का स्थान और जगह स्पष्ट नहीं है। अब सवाल यह उठता है की क्या सोशल मीडिया में समाचारों में किसी के लिए उसकी छवि के साथ बिना आधार कुछ लिखना केवल इसलिए क्षम्य है क्योंकि कोरिया पुलिस को आभास हो गया है की प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की लहर है? जब की कई उदाहरण है जिसमे पुलिस अपराध दर्ज किया है पर इस मामले में घबरा रही है क्यों?


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