सूरजपुर@भैयाथान के बहुचर्चित पौने दो करोड़ के पशु ऋ ण घोटाले के आरोपियों की जमानत याचिका खारिज

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एक आरोपी जेल, दो पहुँचे अस्पताल

  • ओमकार पांडेय-
    सूरजपुर, 21 नवम्बर 2023 (घटती-घटना)।शिवप्रसादनगर सहकारी समिति में हुए पशु ऋण गड़बड़ी मामले में आरोपी सहकारी बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक,समिति प्रबंधक व एक अन्य कर्मचारी की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। हालांकि सोमवार को अस्पताल प्रबंधन व पुलिस की मेहरबानी से शाखा प्रबंधक व समिति प्रबंधक जेल जाने से बच गए। ज्ञात हो कि शिवप्रसादनगर सहकारी समिति के द्वारा अपात्र किसानों को नियम विरुद्ध तरीके से पशु संबंधी ऋण प्रदान किया गया था।जिसकी शिकायत कलेक्टर इफ्फत आरा से की गई थी।जिसपर कलेक्टर ने चार सदस्यीय जांच टीम गठित कर मामले की जांच कराकर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश बैक के सीईओ को दी थी, लेकिन थाना प्रभारी के द्वारा 10 बिंदुओं पर आपçा लगाकर पुनः जांच हेतु वापस जांच दल के पास भेज दिया था। जांच दल ने पुनः10 बिंदुओं पर जांच कर जमा कर दिया तदोपरांत थाना झिलमिली में तत्कालीन बैंक के शाखा प्रबंधक अजित सिंह, समिति प्रबंधक साधना कुशवाहा व समिति के कर्मचारी मन्नू लाल के विरुद्ध धारा 409, 420 व 34 के तहत अपराध दर्ज कर लिया था।मामले में रिपोर्टकर्ता सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी रामचंद्र ठाकुर ने जांच प्रतिवेदन के अनुसार झिलमिली थाने में लिखित शिकायत प्रस्तुत करते हुए बताया है कि बैंकिंग नियम उलंघन करते हुए निर्धारित ऋणमान के विपरीत दोषियों ने 71 किसानों को 1,88, 59000 (एक करोड़ अठ्ठासी लाख उनसठ हजार रुपये) का ऋण स्वीकृत करा दिया था। जिससे समिति व बैंक को आर्थिक क्षति पहुंची है।पुलिस ने तब आरोपियों को चेक लिस्ट के आधार पर जमानत दे दिया था।मगर सोमवार को इस मामले की डायरी जब अदालत में पेश हुई तो तीनों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर जेल भेज दिया गया।
    जैसे ही न्यायालय से जमानत याचिका रद्द हुई वैसे ही शाखा प्रबंधक व समिति प्रबंधक को अस्पताल ले जाया गया जहाँ डाक्टरो ने उन्हें अनफिट घोषित कर अस्पताल में दाखिल कर लिया गया।जिससे वे जेल जाने से बच गए पर तीसरा आरोपी को पुलिस ने जेल दाखिल कर दिया था।मंगलवार को फिर एक बार जिला अदालत से जमानत याचिका खारिज कर दी गई है।
    अस्पताल में कायदे से कैदी वार्ड में रखना था पर बताते है कि अस्पताल प्रबंधन व पुलिस की मेहरबानी से शाखा प्रबंधक को फीमेल के प्रायवेट वार्ड में पूरे सुख सुविधा के साथ रखा गया था।हालांकि , बाद में मीडिया के सवालों से बचने के लिए देर रात दिखाने के लिए कैदी वार्ड में शिफ्ट किया गया था।आरोपी को क्या परेशानी है इसे लेकर डॉक्टर कोई स्पष्ठ जवाब नही दे पा रहे थे।जिस चर्चित डॉक्टर ने चेक किया था वे मोबाइल रिसीव नही कर रहे थे और हायर अथार्टी किसी मीडिया पर्सन को कुछ बीमारी तो कुछ को बीमारी बता कर पल्ला झाड़ रहे थे।सूत्रों की माने तो अस्पताल में आरोपी मौज मस्ती में थे जिसकी कीमत भी अदा की गई थी।लिहाजा अस्पताल प्रबंधन को जबाव देते नही बन रहा था।इधर देर रात जब कुछ मीडिया कर्मी अस्पताल पहुँचे थे तो आरोपी जहाँ आय बाय चिल्ला कर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा था तो वहीं पुलिस कर्मियों के चेहरे की हवाइंया उड़ी हुई थी और वे मिन्नते कर रहे थे।जबकि अफसर डाक्टर का हवाला देकर खुद बचते नजर आए।

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