- कुछ भाजपा नेता कांग्रेस के साथ हुए अंदरूनी रूप से हुए एक साथ,कर सकते हैं अपनी पार्टी को ही नुकसान:सूत्र
- भाजपा जिस प्रत्याशी को बैकुंठपुर विधानसभा में सबसे मजबूत मान रही थी..आज वही भाजपा प्रत्याशी कांग्रेस के कमजोर प्रत्याशी के सामने बराबरी पर खड़ी हैं।
- कांग्रेस प्रचार अभियान में निकली आगे बीजेपी हुई पीछे,भाजपा में बड़े पदाधिकारी निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को कर रहे नाराज।
- भाजपा अपने घोषणा पत्र के 178 महत्वपूर्ण बिंदुओं को लोगों तक पहुंचा पाने में दिख रही है असमर्थ,वही कांग्रेस की सिर्फ एक ही घोषणा कर्ज माफी कांग्रेस को कर रही मजबूत।
- क्या चुनाव प्रचार में पिछड़े भाजपा प्रत्याशी निकाल पाएंगे यह चुनाव,आगे क्या सुनिश्चित कर पाएंगे अपनी जीत?
- बैकुंठपुर विधानसभा में कांग्रेस बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर।
- भाजपा नेता हाट बाजारों में भाषण तक सीमित,कांग्रेस कार्यकर्ता डोर टू डोर कर रहे प्रचार।
- भाजपा कार्यकर्ता मान चुके हो गई है उनकी जीत,मेहनत की नहीं उन्हे जरूरत,चाय पर केवल हो रही उनकी चर्चा लीड कितने की होगी लगा रहे आपस में दाव।
- गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी हुई इस चुनाव में कमजोर,गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का परंपरागत वोट अब जा सकता है कांग्रेस के खाते में।
- कुल मिलाकर अब चुनाव कांग्रेस के लिए दिखने लगा आसान,कार्यकर्ताओं की मेहनत लाई रंग।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 11 नवम्बर 2023 (घटती-घटना)। बैकुंठपुर विधानसभा में जब प्रत्याशियों के चयन को लेकर जद्दोजहद हो रही थी उस समय कांग्रेस के वर्तमान विधायक को बतौर कांग्रेस प्रत्याशी कमजोर माना जा रहा था भाजपा के भईयालाल राजवाड़े की अपेक्षा,और टिकट काटने की मांग की जा रही थी पर ऐसा हुआ नहीं कांग्रेस ने उन्हें ही दोबारा मौका दिया और जिन्हें कम आंका जा रहा था सर्वे में कांग्रेस के ही जिन्हे हारा हुआ माना जा रहा था वह इस समय भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के समाने बराबरी पर आ खड़ी हैं या यह कहें आगे निकल चुकी हैं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी,क्योंकि यही वर्तमान माहौल है और सीधे तौर पर कड़ी टक्कर देखी जा रही है, अब एक तरफा कुछ नहीं रह गया यह कहना गलत बिलकुल नहीं है, कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ही कांग्रेस के प्रत्याशी से एक पायदान नीचे हैं वह भी चुनाव प्रचार में और योजना व अपने आगामी घोषणा पत्र लोगों तक पहुंचा पाने में, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के लिए सिर्फ उनके पार्टी का कर्ज माफी की घोषणा ही उन्हें मजबूत बना रही है, वहीं चुनाव प्रचार भी उनके पार्टी का धुआंधार हो रहा है प्रचार करने वाले कांग्रेसी अपने प्रत्याशी को प्रचार में आगे रखे हुए हैं, वैसे इस बार प्रचार की दृष्टि से देखा जाए तो प्रचार का पैटर्न भी चेंज हो चुका है, प्रचार उस तरह से नहीं हो रहा है जैसा पहले के चुनाव में देखा जाता था इस बार प्रत्याशियों के वॉल पेंटिंग बिल्कुल भी कहीं देखने को नहीं मिल रही है, वही झंडी पतंगे भी उस कदर नहीं लग रहे जैसे पहले लगाए जाते थे फिर भी यदि चुनाव की दृष्टिकोण से देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी प्रचार में बैकुंठपुर विधानसभा में पिछड़ी नजर आ रही है और झंडा बैनर में भी कांग्रेस आगे दिख रही है यहां तक की सोशल मीडिया पर भी प्रचार करने में भाजपा पीछे है और कांग्रेस कहीं आगे है।
भाजपा के साथ सबसे बड़ी दिक्कत जो नजर आ रही है वह यह की जिन्हे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली हुई है वह अपनी बड़ी गाड़ियों से उतरना नहीं चाहते उन्हे अतिआत्मविश्वास हो चुका है की वह जीत चुके हैं, वहीं उनकी गाड़ियों में भी उनके अलावा वह किसी को बैठाना पसंद नहीं कर रहे हैं क्योंकि उन्हे किसी के बैठने से भी अपने कद को छोटा करना जैसा आभास हो रहा है। भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ता जहां चिंतित हैं अपने स्तर पर बिना संसाधन जो कर पा रहे हैं वह कर रहे हैं वहीं जिन्हे बड़ी गाड़ियों की जिम्मेदारी मिली है या जो भाजपा प्रत्याशी के कार्यकाल में मलाई खाने वाले थे वह ख्यालों में जीत मान चुके हैं और शर्त लगाकर अब लीड कितने की होगी यही करते नजर आ रहे हैं। कोई बड़ा भाजपाई दिल से काम करता नजर नहीं आ रहा है जो इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के लिए मुश्किल वाला मामला है। देखा जाए तो भाजपा और जीत का फासला दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और कांग्रेस जीत के मुहाने के पास पहुंचती नजर आ रही है।
कांग्रेस का प्रचार अभियान तेजी से गति पकड़ता हुआ,भाजपा पिछड़ी प्रचार प्रसार में
बैकुंठपुर विधानसभा में कांग्रेस प्रचार प्रसार में भाजपा से आगे निकल चुकी है। भाजपा जहां अपने कार्यकर्ताओं को सही दिशा निर्देश नहीं दे पा रही है वहीं वह और उसके कार्यकर्ता जहां विरोधी लहर के भरोसे आराम फरमा रहे हैं चाय पर ही जीत हार की समीक्षा कर घर लौट जा रहे हैं वहीं कांग्रेस कार्यकर्ता जो भले ही सीमित हों घर घर दस्तक दे रहे हैं और पार्टी की घोषणा से लोगों को अवगत करा रहे हैं, भाजपा का झंडा बैनर भी लगभग गायब है क्षेत्र में, भाजपा कुल मिलाकर काफी पिछड़ चुकीं है प्रचार में। भाजपा के घोषणा पत्र को लेकर भी भाजपा कार्यकर्ता सहित पार्टी के बड़े नेता निष्क्रिय हैं सोशल मिडिया में भी कांग्रेस ही आगे है प्रचार में। कांग्रेस जहां शुरू में काफी पीछे नजर आ रही थी अब वह आगे है भाजपा से यह कहना गलत नहीं होगा। भाजपा में कार्यकर्ता चुनाव जीत चुके हैं यह मानकर निश्चिंत नजर आ रहे हैं वहीं कांग्रेस खुद को पिछड़ता मानकर काम कर रही है इस तरह वह कछुए की चाल से अब खरगोश भाजपा को मात देने की स्थिति में आ पहुंची है। भाजपा का डोर टू डोर प्रचार अभियान काफी पिछड़ गया जिसमे कांग्रेस बाजी मार ले गई है। भाजपा नेतृत्व और कार्यकर्ता केवल हाट बाजारों के भाषणों से ही जीत की उम्मीद में हैं और वहीं कांग्रेस घर घर जाकर अपनी जीत सुनिश्चित करने में लगी हुई है। अब परिणाम जो भी आए चुनाव का फिलहाल कांग्रेस अब भाजपा से काफी आगे निकल चुकी है प्रचार अभियान में वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं की गाड़ी घूमकर लौट रही है संपर्क कर घोषणाओं को जनता को बताने में झंडा बैनर लगाने में भाजपा कार्यकर्ताओं का कोई भी रुख सकारात्मक नजर नहीं आ रहा है। भाजपा चुनाव जीत चुकी है मानकर बैठ चुकी है यही आज की बैकुंठपुर विधानसभा की भाजपा कार्यकर्ताओं की स्थिति है।
भाजपा के एक मंडल अध्यक्ष अपनी गाड़ी में दूसरे का बैठना भी पसंद नहीं करते है
भाजपा के एक मंडल अध्यक्ष के बारे में तो यह भी भाजपा कार्यकर्ता कह रहे हैं की उन्हे अपनी गाड़ी में दूसरे का बैठना भी पसंद नहीं है वह अकेले चुनाव जितवाकर खुद सर्वे सर्वा होंगे यह उन्होंने तय कर लिया है। उनके बारे में यह भी बताया जा रहा है की जहां लोगों के बीच बैठकर उन्हे स्थिति का आंकलन करने की जरूरत होनी चाहिए वह बैठे लोगों से दूर गाड़ी से ही आंकलन कर रहे हैं। वैसे एक भाजपा कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की वह मंडल अध्यक्ष हेलीकॉप्टर के लायक थे, जमीन पर उनका पैर टिक नहीं रहा है इसलिए उन्हे हेलीकॉप्टर देने की जरूरत थी वह हवाई सर्वे से और कारगर प्रचार कर पाते।मंडल अध्यक्ष को लेकर यह भी बात सामने आई है की उन्हे वरिष्ठ पुराने कार्यकर्ता का सम्मान करना भी नहीं आ रहा है,वह अकड़ में एक तरह से भाजपा प्रत्याशी को निपटाने में लगे हुए हैं जबकि उनका प्रयास प्रत्याशी को जीत दिलाना है। वैसे वह जिलाध्यक्ष के खास हैं इसलिए सभी कार्यकर्ता मौन हैं और अब कार्यकर्ता भी विपरीत मतदान का मन बना रहे हैं जैसा सुनने में आ रहा है क्योंकि मंडल अध्यक्ष की मनमानी और उनकी हवाई यात्रा कार्यकर्ताओं को पसंद नहीं आ रही है।
बैकुंठपुर में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी हुई कमजोर,अपने परंपरागत मतदाताओं को भूलकर वह शहरी क्षेत्र के मतदाताओं को रिझाने में समय कर रही बर्बाद
बैकुंठपुर विधानसभा में इस चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का प्रदर्शन पहले से खराब होने का पूरा अनुमान है। जहां जहां से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी बढ़त बनाती थी वहां इस बार कांग्रेस बढ़त बनाएगी यह तय माना जा रहा है,कुल मिलाकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का मत कांग्रेस खेमे में जा रहा है,इसकी मुख्य वजह यह मानी जा रही है की गोंडवाना गणतंत्र पार्टी इस बार अपने परंपरागत मतदाताओं से अलग हटकर शहरी क्षेत्र के मतदाताओं को रिझाने में लगी हुई है जिसके कारण उसके अपने मतदाता उससे दूर होते जा रहे हैं। अब इसका फायदा कांग्रेस को होने जा रहा है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से जुड़े कुछ नए नेता एक तरह से कांग्रेस के पक्ष में यह एक रणनीति के तहत कर रहे हैं जिससे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी अपने मूल मतदाताओं से दूर हो जाए और उसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिल जाए।
भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी भी जा रही देखी,संसाधन भी देने में उनके साथ किया जा रहा भेदभाव
भाजपा का बैकुंठपुर विधानसभा का चुनाव संचालन भगवान भरोसे वाला मामला कहें या यह कहें कुछ सीमित निर्णय लेने वालो के भरोसे संचालित है,संसाधन मामले में भाजपा यह भी परहेज कर रही है की पुराने कार्यकर्ताओं को बिलकुल भी संसाधन उपलब्ध न कराया जाए वहीं दिया भी जाए तो इस तरह दिया जाए की उनके मान सम्मान को ठेंस पहुंचे और वह खुद ही संसाधन लेने से इंकार कर दें और पार्टी के काम से किनारे हो जाएं। संचालन में यह देखा जा रहा है की कोई बैठक एक साथ नहीं की जा रही है समीक्षा नहीं हो रही है,बस खुद को सबसे ज्यादा मेहनती बताने के चक्कर में सभी एक दूसरे कार्यकर्ता की छुट्टी करने में लगे हुए हैं जिससे प्रत्याशी की जीत का सेहरा उनके माथे सजाया जाए अन्य को विभीषण माना जाए।
जिलाध्यक्ष भाजपा प्रत्याशी के साथ हर जगह अपनी तस्वीर छपवाकर मान चुके हैं प्रत्याशी की जीत,कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने में उनकी रुचि नहीं
भाजपा जिलाध्यक्ष प्रत्याशी के साथ हर बैनर पोस्टर में अपनी तस्वीर जरूर छपवा रहे हैं,उन्हे तस्वीर छपवाकर ही जीत का विश्वास है। वहीं कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने की ज़रूरत वह बिलकुल नहीं समझ रहे हैं। वहीं कांग्रेस के प्रचार अभियान में जिलाध्यक्ष की तस्वीर कहीं नहीं है प्रत्याशी के साथ और इसके पीछे की वजह यह मानी जा रही है की एक की तस्वीर लगाने से अन्य वरिष्ठ नाराज होंगे जिससे पार्टी बचना चाह रही है वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष अपनी तस्वीर प्रत्याशी के साथ लगवाकर खुद के सहारे जीत मिली जीत मिलने की स्थिति में इस प्रयास में लगे हुए हैं।
पुराने कार्यकर्ताओं का कहना है भाजपा प्रत्याशी फिर कर रहे पुरानी भूल,फिर घिर चुके उन्हीं से जिनके कारण पिछला परिणाम आया था विपरीत
भाजपा के पुराने कार्यकर्ता अब यह भी कहते सुने जा रहे हैं की भाजपा प्रत्याशी अति आत्मविश्वास में आ चुके हैं और यह आत्मविश्वास उन्हे वह लोग दे रहे हैं जिनके कारण वह पिछला परिणाम विपरीत देख चुके हैं। कुल मिलाकर अब भाजपा प्रत्यासी कुछ के चंगुल में फंस चुके हैं आम कार्यकर्ता का फिर आगे पहले जैसा हाल होगा यह कार्यकर्ता मानकर चल रहे हैं।
पुराने कार्यकर्ताओं धोखा नहीं देंगे यह भी सुनाई दे रहा
पुराने कार्यकर्ता धोखा नहीं देंगे भाजपा प्रत्याशी को यह वह ठान चुके हैं,वहीं अब वह खुद से जितना संभव हो सकेगा काम करेंगे प्रत्याशी के लिए यह उनका रुख सुनने में आ रहा है। माना जा रहा है की वह संसाधन का न इंतजार करेंगे न लेंगे वह ऐसे ही प्रचार में लगे रहेंगे।