- स्कूल मैदान में सभा की अनुमति देने वाले अधिकारी को यह समझ नहीं आया कि आदर्श आचार संहिता उलंघन हो सकता है?
- क्या आमसभा की अनुमति जारी करने वाले पर निर्वाचन आयोग करेगा कार्यवाही…क्या स्कूल परिसर के भीतर चुनावी सभा की अनुमति देना उचित था?
- जिला निर्वाचन अधिकारी कोरिया साथ ही कलेक्टर कोरिया ने आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय पटना के प्राचार्य को किया निलंबित।
- आदर्श आचार संहिता के उलंघन मामले में हुई कार्यवाही,चुनावी सभा में पहुंच गए थे स्कूली बच्चे।
- मध्यान्ह भोजन अवकाश के समय स्कूली छात्र पहुंचे थे चुनावी सभा में,शिक्षक उन्हे इसलिए भी बुलाने नहीं जा सके क्योंकि उन्हे सभा में जाने की थी मनाही।
- स्कूल के शिक्षक यदि आचार संहिता के भय का त्याग कर पाते बच्चों को वापस स्कूल बुलाने जरूर जाते।
- मामले में प्राचार्य पर हुई एक तरफा कार्यवाही,स्कूल परिसर जहां हुई आमसभा वहां से स्कूल महज 50 मीटर की दूरी पर।
- क्या 50 मीटर की दूरी पर किसी राजनीतिक दल को आमसभा की अनुमति स्कूल समय पर दिया जाना उचित?
- क्या मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी या अनुमति जारी करने वाले अधिकारी की गलती इसलिए क्षमा योग है क्योंकि वह प्रशासनिक अधिकारी हैं?
- आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी स्कूल परिसर में ही क्यों दी गई सत्ताधारी दल को आमसभा की अनुमति यह भी है?
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 05 नवम्बर 2023 (घटती-घटना)। आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय पटना के प्राचार्य को आखिरकार निलंबित कर दिया गया। आदर्श आचार संहिता का उलंघन करने का आरोप उनके ऊपर लगा है, एक दिन पहले ही उन्हे नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था और जवाब संतोषजनक नहीं होने पर उन्हे निलंबित कर दिया गया है। मामला विधानसभा अध्यक्ष सहित क्षेत्रीय सांसद के आदर्श आचार सहित के समय आमसभा से जुड़ा हुआ है जो पटना ग्राम अंतर्गत करजी स्कूल ग्राउंड में आयोजित किया गया था जिसमे कांग्रेस से बैकुंठपुर प्रत्याशी के लिए चुनाव में मतदान की अपील की जा रही थी, कार्यक्रम में स्कूली बच्चे भी पहुंचकर भीड़ का हिस्सा सहित व नेतओं के भाषण के स्रोत बन गए थे, उन्होंने बकायदा विधानसभा अध्यक्ष और सांसद को ज्ञापन भी दिया जिसके कारण प्राचार्य को निलंबित कर दिया गया है, क्योंकि आचार संहिता के दौरान शासकीय संस्थाओं साथ ही स्कूली बच्चों को स्कूल समय में चुनावी सभा में शामिल होने की मनाही होती है और यह निर्देश स्कूल प्रमुख को दिया जाता है पूर्व में ही। प्राचार्य पर निलंबन की कार्यवाही तो हो गई अब इस बात की भी मांग उठ रही है की कार्यवाही उसके ऊपर भी होनी चाहिए जिसने शासकीय स्कूल परिसर के ग्राउंड में राजनीतिक दल के आमसभा की अनुमति आचार संहिता के दौरान प्रदान की क्योंकि जिस स्कूल परिसर ग्राउंड में आमसभा की अनुमति दी गई वहां सभा स्थल से स्कूल की दूरी महज 50 मीटर है या यह कहें स्कूल के प्रमुख द्वार से कुछ कदम दूर ही आमसभा आयोजित हुआ था। क्या अब जिला निर्वाचन अधिकारी आमसभा की अनुमति देने वाले अधिकारी पर भी निलंबन की कार्यवाही करेंगे यह भी सवाल उठ रहा है क्योंकि अक्सर देखा गया है की राजस्व विभाग जिसे प्रशासनिक तंत्र का प्रमुख माना जाता है वह अपनी गलतियां अन्य विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों पर थोपने का प्रयास करता है वह खुद की गलती कभी स्वीकार नहीं करता।
स्कूल परिसर के भीतर स्थित मैदान में राजनीतिक दल को आमसभा की अनुमति देने मामले में क्या जिला निर्वाचन अधिकारी अनुमति प्रदान करने वाले अधिकारी पर करेंगे निलंबन की कार्यवाही?
पटना आत्मानंद स्कूल के प्राचार्य को आदर्श आचार संहिता के उलंघन मामले में दोषी पाया गया उनकी गलती मात्र इतनी है की स्कूल के भोजन अवकाश के दौरान स्कूली बच्चे राजनीतिक दल के आमसभा में शामिल दिखे और उन्होंने आए हुए नेताओं से मुलाकात की,वैसे स्कूल से आमसभा स्थल की दूरी महज चंद कदम की है,भोजन अवकाश एक निश्चित समय का होता है उसमे भोजन कर स्कूली बच्चे स्कूल के मैदान में खेलकूद भी कर लेते हैं और खुद का मनोरंजन भी कर लेते हैं,यही पटना स्कूल ग्राउंड में भी हुआ बच्चे खाना खाकर आमसभा स्थल तक जा पहुंचे और भीड़ का हिस्सा बन गए जैसा की बताया जा रहा है। बच्चों का आमसभा में जाना स्वाभाविक मामला है इस मामले में सबसे बड़ा दोषी वह है जिसने स्कूल दिवस स्कूल परिसर मैदान में राजनीतिक दल को खासकर सत्ताधारी दल को आमसभा की अनुमति प्रदान की। जिला निर्वाचन अधिकारी को सबसे पहले उस अधिकारी को निलंबित करना चाहिए जिसने स्कूल दिवस अनुमति प्रदान की आमसभा की,प्राचार्य पर की गई कार्यवाही तब ही सही मानी जायेगी न्याय संगत मानी जायेगी जब आमसभा देने वाले पर भी निलंबन की कार्यवाही होगी जो जिला निर्वाचन अधिकारी खुद कर सकते हैं।
क्या प्रशासनिक अधिकारियों की गलती क्षम्य है,अन्य विभाग ही क्या प्रशासनिक अधिकारियों के हाशिए पर रहता है?
पटना आत्मानंद स्कूल के प्राचार्य पर निलंबन की हुई कार्यवाही एक तरफा मानी जा रही है, इस मामले में यह माना जा रहा है की प्रशासन अपनी गलती एक शिक्षक पर थोपने का प्रयास कर रहा है जबकि सबसे पहले निलंबन स्कूल परिसर में राजनीतिक दल की आमसभा वह भी आचार संहिता के दौरान देने वाले अधिकारी पर कार्यवाही करनी चाहिए। प्रशासन कार्यवाही अपने उस अधिकारी पर निलंबन की यदि नहीं करता जिसने आमसभा की अनुमति स्कूल परिसर में जारी की तो माना जायेगा यह पक्षपात का मामला है और कहीं न कहीं खुद की गलती में एक शिक्षक को हाशिए पर डाला गया है।
स्कूली बच्चों को मैदान से आमसभा से वापस लाने शिक्षक जाना चाहते थे लेकिन आचार संहिता के भय से वह ऐसा करने की हिम्मत नही जुटा पाए
मामले में कुछ शिक्षकों से भी बात की गई उनका कहना है भोजन अवकाश में बच्चों के मन में हेलीकॉप्टर देखने की उत्सुकता शायद जगी हो क्योंकि कुछ कदम दूर पर ही हेलीकॉप्टर उतरा था यह केवल उत्सुकता है,वहीं बच्चे जब आमसभा में पहुंच गए शिक्षकों सहित अन्य कर्मचारियों को आभास हो भी गया लेकिन वह भयवश बच्चों को वापस लेने मैदान में नहीं जा सके क्योंकि आचार संहिता का भय उन्हे भयभीत कर गया और उन्हे यह लगा की यदि वह भी जाते हैं बच्चों को बुलाने और ऐसे में उनकी तस्वीर कोई खींच लेता है वह भी निपट जाएंगे और निलंबित हो जायेंगे इसलिए वह हिम्मत नहीं जुटा पाए। ऐसा शिक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया।
बच्चों को राजनीतिक दल के एक नेता ने आकर्षित किया बुलाया और सामने बैठाया यह भी बताया जा रहा है प्रत्यक्षदर्शियों के द्वारा
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है की बच्चे मैदान में हेलीकॉप्टर तक ही पहुंचे थे लेकिन वहीं एक नेता ने उन्हे समाने आमसभा के लिए बिछाई दरी पर बैठने को कह दिया क्योंकि भीड़ जुट नहीं पाई थी और बच्चे वहां जाकर बैठ गए। अब सच्चाई जो हो हर तरह से दोषी केवल स्कूल परिसर में आमसभा की अनुमति देने वाले को लोग मान रहे हैं और प्राचार्य को निर्दोष।
यदि स्कूल परिसर में आमसभा की अनुमति दी गई थी तो क्या स्कूल के लिए कोई निर्देश अलग से जारी किया गया था,यह भी उठ रहा सवाल
सवाल यह भी उठ रहा है की एक तरफ स्कूल परिसर में आचार संहिता के दौरान स्कूल दिवस राजनीतिक दल को आमसभा की अनुमति दी गई वहीं वहां स्कूली बच्चों के पहुंचने के बाद प्राचार्य को निलंबित कर दिया गया,इस मामले में सवाल यह उठ रहा है की क्या स्कूल के लिए इस मामले में कोई निर्देश था क्या की उक्त दिवस कार्यक्रम के दौरान आमसभा के दौरान भोजन अवकाश का समय बदला जाए ,या स्कूल समय सारणी में परिवर्तन किया जाए या फिर स्कूल को पूरी तरह से सामने से बंद रखा जाए। सवाल बहुत से हैं जिसका जवाब लोग पूछ रहे हैं।
क्या सत्ताधारी दल के विधानसभा अध्यक्ष सांसद के कारण,शासन की महत्वाकांक्षी योजना आत्मानंद स्कूल परिसर में दी गई आमसभा की अनुमति,जो मांगी भी गई?
वे सवाल यह भी है की पटना में हेलीकॉप्टर उतरने आमसभा के लिए कई स्थल सुरक्षित और उपयोगी माने जाते हैं, अब ऐसे में आत्मानंद स्कूल परिसर में ही सत्ताधारी दल को आमसभा की अनुमति क्यों दी गई, इसके पीछे क्या एक सुनियोजित तैयारी थी,क्या मांगने पर यह स्थल तय किया गया दल के।आत्मानंद स्कूल सत्ताधारी दल की महत्वाकांक्षी योजना है वहां से आमसभा करके कई लक्ष्य चुनावी तय हो सकते थे प्रचार योजना का भी हो सकता था क्या यह एक सोची समझी रणनीति थी, सवाल यह भी उठ रहा है की क्या अनुमति देने वाले अधिकारी को इसके लिए विशेष रूप से कहा गया था।
निरीह शिक्षकों पर ही होती है चुनाव के दौरान निलंबन की कार्यवाही,क्या प्रशासनिक अधिकारियों को मिला हुआ है अभयदान?
चुनाव के दौरान आचार संहिता उलंघन की कार्यवाही हमेशा या अधिकांश मामलों में निरीह शिक्षकों पर ही होती है क्योंकि वह सबसे आसान लक्ष्य होते हैं,प्रशासनिक अधिकारी खुद के अमले पर कार्यवाही कम ही करते नजर आते हैं,जबकि शिक्षक के पास न तो सुरक्षा का भरोसा होता है न अतिरिक्त कोई अधिकार जिसका वह उपयोग कर सके,इस मामले में यदि शिक्षक को अधिकार होता वह आमसभा की अनुमति कभी देता ही नहीं यह तय है।कुल मिलाकर मामले में अनुमति देने वाले अधिकारी को बचाने के लिए शिक्षक को बली का बकरा बना दिया गया।
क्या चंद कदम दूर स्कूल में बैठे शिक्षक भी हैं आचार संहिता मामले में दोषी,उनकी भी उपस्थिति तो पास में ही थी?
प्राचार्य पर हुई कार्यवाही एक तरफा थी यह तो तय हो गया अब क्या वह शिक्षक भी दोषी हैं जो आमसभा के दौरान स्कूल में बैठे थे जबकि स्कूल से आमसभा की दूरी कुल चंद कदम की थी,यदि प्राचार्य दोषी हैं। कुल मिलाकर गजब का न्याय किया है जिला निर्वाचन अधिकारी ने जिन्हे आमसभा की अनुमति जारी करने वाले अधिकारी पर कार्यवाही करनी थी उन्होंने निरीह एक शिक्षक पर कार्यवाही करके अपना नम्बर निर्वाचन आयोग के समाने बढ़ा लिया।