- सारे युवा कार्यकर्ता हुए दूर,पार्टी में ही दिख रहा विरोध,विपक्ष हुआ मजबूत।
- कई पंचायतो के सरपंच कर रहे कांग्रेस प्रत्याशी का मुखर विरोध,जिसे सताया गया वे सभी अब बदला लेने की कर रहे बात।
- पहली बार ऐसा नजारा जिसमें पार्टी प्रत्याशी का नेता और कार्यकर्ता ही कर रहे खुला विरोध।
- अंबिका सिंहदेव ने जैसा बोया वैसा ही काटेंगी जनता का यही है कहना।
बैकुण्ठपुर 30 अक्टूबर 2023 (घटती-घटना)। वर्ष 2018 में कोरिया जिले के शिल्पकार स्व.कुमार साहब की उत्तराधिकारी के तौर पर खुद को पेश कर राजनीति के मैदान में आईं बैकुंठपुर विधायक एवं संसदीय सचिव को इस चुनाव में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, गलत सलाहकार उनके निज सहायक ने खुद के स्वार्थ में अपने मित्र के साथ मिलकर अंबिका सिंहदेव की राजनीति पर ही ग्रहण लगा दिया है, ऐसा लोगो का मानना है। कांग्रेसी नेताओं से लेकर पीड़ित कार्यकर्ता अब चैक चैराहो एवं अन्य सार्वजनिक स्थलों पर अंबिका सिंहदेव के निज सचिव भूपेंद्र सिंह और उनके परम मित्र ज्ञानेंद्र शुक्ला उर्फ जानी शुक्ला के खिलाफ खुलकर अपनी बात रख रहे हैं। लोग जगह जगह अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। कहा जाता है राजनीति के मैदान में एक एक कदम भारी रहता है, अंबिका सिंहदेव ने अपने कार्यकाल में लोगो से जिस प्रकार का व्यवहार किया है उसे अब लोग भुनाने का प्रयास कर रहे हैं। आम जन का यही कहना है कि अंबिका सिंहदेव ने जैसा बीज बोया है वैसा ही काटेंगी, चुनाव भी ऐसे समय पर हो रहा है जब किसानो की खेत में धान पककर तैयार है और अब कटाई का समय आ चुका है।
निज सहायक ने बर्बाद की अंबिका की राजनीति
विधायक निर्वाचित होने के बाद अंबिका सिंहदेव ने विवादित पत्रकार रहे भूपेंद्र सिंह को अपना निज सहायक बनाया था, उस दौरान भी कई लोगो ने विरोध जताया था लेकिन उनकी नही सुनी गई, धीरे-धीरे निज सहायक ने अपने मित्र मंडली खासकर ज्ञानेंद्र शुक्ला उर्फ जानी शुक्ला को भी विधायक के करीब कर दिया, दोनो ने मिलकर सारे युवा कार्यकर्ता जिन्होने 2018 के चुनाव मे जी तोड़ मेहनत किया था उन्हे दूर कर दिया। बड़े नेताओं के बारे में भी भड़काकर अंबिका सिंहदेव से दूर किया। बड़े से लेकर छोटे कार्यकर्ता भी अब उनके करीब जाने से हिचक रहे हैं। निज सहायक ने पूरे पांच वर्ष अपने मित्र के साथ क्षेत्र में किस प्रकार का उत्पात मचाया है यह जनचर्चा है। पूरे क्षेत्र मे यह चर्चा का विषय है कि निज सहायक ने अपने मित्र के साथ अंबिका की राजनीति पर ग्रहण लगा दिया है।
कार्यकर्ताओ के लिए तरस रहीं अंबिका सिंहदेव
विधायक अंबिका सिंहदेव का अस्थायी निवास कोरिया पैलेस का एक कमरा है,जहां स्व.कुमार साहब रहा करते थे, कांग्रेस सूत्रो ने बतलाया कि चंद कार्यकर्ता और निज सहायक एवं उसके मित्र के अलावा पूर्व में दिखने वाली कार्यकर्ताओ की भीड़ भी पैलेस से गायब है। जो कार्यकर्ता दीदी, दीदी कहते फिरते थे आज वे दीदी तो गई, दीदी तो गई कहते घूम रहे हैं, अंबिका सिंहदेव के पास आज कार्यकर्ताओं की भारी कमी देखी जा रही है।
बैकुंठपुर से आशीष डबरे का गुट हुआ दूर,आशा महेश साहू भी विरोध में
गत चुनाव में यह जगजाहिर था कि आशीष डबरे गुट ने अंबिका सिंहदेव को जिताने के लिए काफी मेहनत किया था सारे युवा कार्यकर्ताओं को लेकर उन्होने सारे समीकरण सेट किये थे, अंबिका सिंहदेव के चुनाव जीतने के बाद कुछ समय तक तो आशीष डबरे खास बने रहे लेकिन धीरे-धीरे निज सहायक ने उन्हे भी दूर करा दिया। डबरे समेत उनका गुट आज अंबिका सिंहदेव से दूर दिखलाई दे रहा है,बैकुंठपुर जनपद पंचायत की उपाध्यक्ष आशा साहू की गिनती भी अब अंबिका सिंहदेव के विरोधियों में होने लगी है।
चरचा से अजीत लकड़ा,काजू सिंह दूर,सिर्फ भूपेंद्र पर विश्वास
कभी अंबिका सिंहदेव के खास रहे चरचा के पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अजीत लकड़ा, युवक कांग्रेस के नेता काजू सिंह भी आज के दौर में अलग हो चुके हैं वे सिर्फ संगठन का काम करते हैं। शिवपुर चरचा नपाध्यक्ष पति भूपेंद्र यादव के ऊपर ही अंबिका सिंहदेव चरचा में आश्रित हैं देखना होगा वे अंबिका सिंहदेव के लिए कितना काम कर पाते हैं।
क्या भूपेंद्र की हुई भैयालाल राजवाड़े से मुलाकात?
जैसा कि अपुष्ट सूत्रों का कहना है कि विधायक अंबिका सिंहदेव के करीबी भूपेंद्र यादव की भाजपा प्रत्याशी भैयालाल राजवाड़े से भी रात के अंधेरे में मुलाकात हुई है,कालरी के एक नेता ने इसके लिए मध्यस्तता की है जैसा कि जानकारी मिल रहा है।योगेश,वेदांती ने भी किया किनारा
कोरिया जिले में कांग्रेस के बड़े नेताओं में योगेश शुक्ला और जिला पंचायत उपाध्यक्ष वेदांती तिवारी का नाम सामने आता है,वे भी इस बार टिकट के लिए प्रयासरत थे। अंबिका सिंहदेव के विधायक बनने के बाद से ही दोनो नेताओं को हाशिये पर रखा गया था,सूत्रो ने बतलाया कि इन दोनो नेताओं ने अंबिका सिंहदेव के लिए चुनाव में काम करने से मना भी कर दिया है।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष के साथ चंद लोगो की टीम कर रही काम
कांग्रेस प्रत्याशी के लिए पूर्व में कभी इस प्रकार की बुरी स्थिति निर्मित नही रही,विगत दिनों प्रत्याशी अंबिका सिंहदेव के स्वयं ना जाकर कांग्रेस प्रत्याशी एवं अन्य नेताओ से नामांकन फार्म क्रय कराया है। अंबिका सिंहदेव के लिए कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता,बृजवासी तिवारी आदि नेताओं की टीम ही सक्रिय दिखलाई दे रही है। जबकि बैकुंठपुर शहर में ही कांग्रेसी कार्यकर्ताआंे की भरमार है।
बैकुंठपुर शहर में भी कमजोर हुई कांग्रेस
बैकुंठपुर शहर को कांग्रेस का गढ माना जाता था,हर चुनाव में कांग्रेस ने यहां से बढत ही ली है,लेकिन अंबिका सिंहदेव ने अपने कार्यकाल में जिस प्रकार शहर के लोगो के साथ अनदेखी किया है,कई लोग प्रताड़ना के शिकार हुए है,निज सहायक से लेकर उनके मित्र मंडली ने लोगो को परेशान और सत्ता का नशा दिखाया है उसके कारण अब बैकुंठपुर शहर में भी कांग्रेस कमजोर नजर आने लगी है, पूर्व पार्षद आफताब अहमद ने भी गत नपा चुनाव के बाद से कांगे्रस का साथ छोड़ दिया था,उनका भी खुला विरोध अंबिका सिंहदेव से हो चुका है,मुश्लिम वोटो पर मजबूत पकड़ रखने वाले आफताब अहमद की नाराजगी के कारण कांग्रेस को मुश्लिम वोट का भी नुकसान हो सकता है।
सरपंच भी कर रहे विरोध
विधायक अंबिका सिंहदेव के कार्यकाल से क्षेत्र के सरपंच एवं अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी परेशान हैं, विधायक एवं अन्य निधि से ग्राम पंचायतो में निर्माण एवं अन्य कार्यो के लिए जिस प्रकार से निज सहायक ने हस्तक्षेप कर संरपचो को परेशान किया है उससे सरपंच भी नाराज बतलाये जाते हैं,कई ऐसे कार्य थे जो कि कमीशनखोरी के कारण नही हो सके या एकदम घटिया स्तर के हुए हैं,सरपंचो की नाराजगी भी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है।
सारे जमीन दलालो को मिलता था निज सचिव का सहारा
कोरिया जिला के मुख्यालय बैकुंठपुर में जमीन दलालो ने किस प्रकार आतंक मचा रखा है वह किसी से छिपा नही है,आज जमीन यदि किसी बाबूलाल के नाम है तो कल किसी रामलाल के नाम पर हो जाती है, इस प्रकार का उदाहरण भी देखने को मिला है। जमीन दलालो ने शहर की हवा खराब कर के रख दी है,कई भू स्वामी आज इनसे प्रताड़ित हैं और चक्कर लगा रहे हैं। विश्वस्त सूत्रो का कहना है कि जमीन दलालो को विधायक के निज सहायक का पूरा समर्थन कमीशन पर मिलता था,जिससे कि जमीन दलाल डंके की चोट पर कोई भी काम करते थे। पूर्व में एक तहसीलदार ने भी निज सहायक की मदद से जमीन के मामले में खूब अफरा तफरी की है,बतलाया जाता है कि निज सहायक ने कई जगह पर दलालो के माध्यम से खूब जमीन भी बनाया है।
हर जगह अंबिका सिंहदेव ने किया हस्तक्षेप,इसलिए ज्यादा विरोध
पूरे 5 वर्ष विधायक अंबिका सिंहदेव ने हर जगह हस्तक्षेप किया है, जहां विरोध नही भी करना था वहां उनके द्वारा विरोध किया गया, पत्रकारों के खिलाफ भी उनके द्वारा कई तरह के हथकंडे अपनाए गए। टेक्टर मालिको को तक नही बख्शा गया था, विपक्षी तो विपक्षी कांग्रेस के कार्यकर्ता भी उनसे परेशान होते रहे, कई अधिकारी कर्मचारी भी उनके टार्गेट में रहे। छोटे-छोटे मुद्वो को लेकर पुलिस में जबरन दबाव बनाया गया, अब यही कारण है कि प्रत्याशी बनाये जाने के बाद उनके पास कार्यकर्ता से लेकर आमजनो की दूरी हो गई है, जिस प्रकार से स्थिति देखने को मिल रहा है उसके अनुसार यह चुनाव पैलेस की राजनीति को समाप्त करने वाला है।