- कांग्रेस के बड़े नेताओं ने बैकुंठपुर विधानसभा को लेकर ऐसा फंसाया पेंच की सभी संभावित दावेदार लगा रहे अभी तक राजधानी की रेस।
- विधानसभा से प्रत्याशी वर्तमान विधायक ही होंगी तय,अन्य दावेदारों को उलझाकर नेताओं ने खेला खेल।
- बैकुंठपुर विधानसभा में राजनीतिक के बड़े खिलाड़ी माने जाने वाले नेताओं ने ऐसा प्रत्याशियों को लेकर अरझाय कि टिकट तो वर्तमान विधायक को ही मिलेगा।
- क्या जानबूझकर ब्राह्मणों का कोटा बाकी जगहों पर पूरा कर दिया ताकि बैकुंठपुर विधानसभा में देना ना पड़े?
- सारे महिलाओं का टिकट फाइनल कर दिया गया सिर्फ बैकुंठपुर विधानसभा को ही रोक के रखा गया ताकि महिला को लेकर पेंच फंसा रहे।
- महिला को लेकर पेंच फंसा रहेगा तो अशोक जायसवाल का भी नंबर नहीं लगेगा।
- अंतिम समय में प्रत्याशी का नाम होगा सार्वजनिक,विरोध के लिए भी अन्य दावेदारों के पास नहीं होगा समय।
- क्या महिला दावेदार को मौका देने के नाम पर खत्म किया जायेगा अन्य प्रबल दावेदारों का मौका?
- कांग्रेस के बड़े नेताओं के चक्कर में फंसकर अभी तक दावेदार लगा रहे उनके घर घर चक्कर,वर्तमान विधायक आश्वस्त टिकट उनकी तय।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 20 अक्टूबर 2023 (घटती-घटना)। प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने कुल 7 विधानसभाओं में अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं उसमे से बैकुंठपुर विधानसभा भी एक है जहां अभी तक पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है और एक तरह से अभी पार्टी ने यह स्पष्ट नहीं किया है की बैकुंठपुर से किसे पार्टी मौका देने वाली है। आठ ब्राह्मण को टिकट दे चुके नववें ब्राह्मण वेदांती को नहीं देंगे, महिला देना है पर आशा साहू का कही नाम नही है, वर्तमान विधायक का सर्वे रिपोर्ट खराब है,अशोक जायसवाल को देना नहीं है क्योंकि महिला देना जरूरी है, कांग्रेस के बड़े नेताओं ने ऐसा पेंच फसाया की देना अंत में टिकट वर्तमान विधायक को ही पड़ेगा, कुछ ऐसा ही इशारा करती हैं अभी तक की स्थितियां परिस्थितियां सिर्फ समय काटना ही क्या कांग्रेस का उद्देश्य? दिग्भ्रमित हो रहे है बैकुंठपुर विधानसभा कांग्रेसी। बैकुंठपुर विधानसभा से कांग्रेस अभी भी प्रत्याशी तय नहीं कर पाई है सारे लोग अंबिकापुर डिप्टी सीएम के पास मिलने पहुंचे थे पर सभी को यही आश्वासन दिया गया है कि देखते हैं पर क्या देखते हैं इसका पता नहीं, पता तो तभी चलेगा जब सूची जारी होगी। बड़े नेताओं का सिर्फ एक ही बयान है देखते हैं। अब इस देखते दिखाने के चक्कर में टिकट देने में हो रही है देरी।
ज्ञात हो की जो इस समय बैकुंठपुर में कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर चल रहा है वह किसी पहली से काम नहीं है राजनीति के बड़े खिलाड़ी माने जाने वाले दो दिग्गज नेताओं ने मिलकर बैकुंठपुर विधानसभा में प्रत्याशी को ऐसा पेंच फसाया है की लोग दौड़ते रहे पर प्रत्याशी तो अंत में वर्तमान विधायक ही तय होंगी, यदि उलझे हुए पेंच को समझा जाए व सूत्रों से मिलिजानकारी पर गौर किया जाए तो कांग्रेस ने आठ ब्राह्मणों को पहले से ही प्रत्याशी तय कर चुकी है, जिस वजह से बैकुंठपुर विधानसभा में ब्राह्मण को प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा, यदि बनाया गया तो ब्राह्मण प्रत्याशियों की संख्या हो जाएगी 9 जिस वजह से उनकी संख्या बढ़ जाएगी, जबकि सर्वे में सबसे प्रबल दावेदार ब्राह्मण समाज से वेदांती तिवारी माने जा रहे हैं पर सर्वे रिपोर्ट भी इस जगह पर आकर फेल हो जा रही, क्योंकि ब्राह्मण को अब टिकट नहीं दिया जा सकता, अब सर्वे रिपोर्ट के अनुसार बचे पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अशोक जायसवाल इनके लिए यह बात सामने आ रही है की महिला देना है इस वजह से यह भी बैकुंठपुर विधानसभा के प्रत्याशी नहीं बन सकते, जबकि कांग्रेस चाहती तो इन्हें भी प्रत्याशी बनाकर उलझे हुए प्रत्याशी के मसले को सुलझा सकती थी पर इस मसले में भी उलझे रहना ही कांग्रेस ज्यादा जरूरी समझ रही, महेंद्रगढ़ विधानसभा में महिला प्रत्याशी देना तय था पर एनवक्त में प्रत्याशी चेंज हो गए, और बैकुंठपुर विधानसभा में महिला प्रत्याशी को लेकर पेज फंसा दिया गया,अब यह कहा जा रहा है कि इस विधानसभा में महिला ही प्रत्याशी देना है महिला प्रत्याशी में वर्तमान विधायक तो आती हैं पर इनका सर्वे रिपोर्ट अच्छा नहीं है जिस वजह से आशा साहू का नाम उछाला गया पर यह नाम ना तो बैकुंठपुर से गए प्रत्याशी सूची में है और ना ही राज्य से गए प्रत्याशी सूची में है और ना ही सर्वे रिपोर्ट में है ऐसे में इस नाम को कैसे फाइनल करें यह भी नाम फाइनल होना संभव नहीं है इस दृष्टिकोण से अन्यथा यही समझ में आ रहा है की फाइनल तो वर्तमान विधायक का ही होना है जो तय है।विधानसभा के महिला प्रत्याशी ही चुनाव में पार्टी की प्रत्याशी होगी यह तय नजर आ रहा है
बैकुंठपुर विधानसभा से वर्तमान महिला विधायक निर्वाचित हैं और इस विधानसभा के महिला प्रत्याशी ही चुनाव में पार्टी की प्रत्याशी होगी यह भी तय नजर आ रहा है क्योंकि अविभाजित कोरिया जिले के नजरिए से यदि देखा जाए तो तीन विधानसभाओं में से दो विधानसभा में पुरुष प्रत्याशी पार्टी ने घोषित कर दिया है वहीं एक विधानसभा शेष बची है जहां महिला दावेदार को ही मौका मिलेगा यह लगभग तय नजर आ रहा है वहीं पार्टी की मंशा भी ऐसी ही नजर आ रही है, बैकुंठपुर विधानसभा से महिला प्रत्याशी को ही मौका मिलेगा यह इसलिए भी तय नजर आ रहा है कांग्रेस पार्टी में क्योंकि भाजपा ने भी अविभाजित कोरिया जिले की तीन विधानसभाओं में से एक में महिला प्रत्याशी मैदान में उतारा है और महिला मतदाताओं को पार्टी के पक्ष में लाने एक प्रयोग किया है और यह भी एक कारण है की कांग्रेस भी अविभाजित कोरिया जिले से एक महिला उम्मीदवार प्रत्याशी बतौर मैदान में उतारेगी जो बैकुंठपुर विधानसभा से होगा यह तय है वहीं पार्टी वर्तमान विधायक पर ही दांव लगाएगी यह भी लगभग तय माना जा रहा है और इस मामले में सूत्रों की माने तो इसीलिए इस विधानसभा सीट के प्रत्याशी के नाम का पार्टी ऐलान नहीं कर रही है क्योंकि पार्टी अभी सभी अन्य प्रबल दावेदारों को टटोल रही है और उन्हे किसी बड़े नुकसान से रोकना चाहती है जो वह जल्द प्रत्याशी घोषित होने की स्थिति में कर सकते हैं वहीं विलंब से प्रत्याशी घोषित किए जाने पर उन्हें कम मौका मिलेगा और पार्टी वर्तमान विधायक पर दांव लगाने में कामयाब हो जायेगी।
क्या बड़े नेता दावेदारी से यह कहा कर बाहर कर देंगे की बैकुंठपुर विधानसभा सीट महिला प्रत्याशी के लिए आरक्षित है?
बताया जा रहा है की बैकुंठपुर विधानसभा से वर्तमान विधायक का नाम पूरी तरह तय है और उनके प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर घोषणा होना ही मात्र शेष है लेकिन उनका विरोध ज्यादा है पार्टी से ही उनके पक्ष में समर्थन मिलना असंभव नजर आ रहा है इसलिए पार्टी के बड़े नेता पेंच लगाकर इस सीट पर अन्य दावेदारों को फिलहाल टटोल रहे हैं और अंत में उन्हे यह कहकर बड़े नेता दावेदारी से बाहर कर देंगे की बैकुंठपुर विधानसभा सीट महिला प्रत्याशी के लिए आरक्षित है और इसलिए अन्य की दावेदारी खारिज की जाती है। बैकुंठपुर विधानसभा से महिला दावेदार और भी प्रत्याशी बनने की दौड़ में हैं लेकिन उन्हे भी एक एक करके बड़े नेता कोई न कोई कारण बताकर उनकी दावेदारी समाप्त करते जा रहे हैं जिससे वर्तमान विधायक की दावेदारी पुख्ता हो सके जो पार्टी ने पहले से ही तय कर रखी है और जिसकी घोषणा मात्र शेष है जो औपचारिकता मात्र है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है की बैकुंठपुर विधानसभा में पार्टी का प्रत्याशी तय किया जा चुका है जो वर्तमान विधायक ही हैं और अन्य दावेदारों को धीरे धीरे किसी तरह समझाया जाए मनाया जाए उनकी दावेदारी क्यों समाप्त की जा रही है यह कारण उन्हें जतलाया जाए और उन्हे आश्वस्त किया जाए की सभी संभावनाओं को लेकर उनके नाम पर भी विचार किया गया और उसके बाद समीक्षा में वर्तमान विधायक ही प्रत्याशी बतौर सही दावेदार हैं इसलिए उनके लिए ही सभी काम करें उनकी जीत तय करें।क्या कांग्रेस अंतिम समय में बैकुंठपुर विधानसभा का प्रत्याशी चुनेगी ताकि बगावती लोग बगावत न कर सके?
बैकुंठपुर विधानसभा में प्रत्याशी को लेकर कांग्रेस अंतिम समय में कोई निर्णय लेगी यह भी तय नजर आ रहा है क्योंकि बैकुंठपुर विधानसभा में वर्तमान विधायक का पार्टी के ही कार्यकर्ताओं बड़े नेताओं के बीच काफी विरोध है। पार्टी या दो बड़े नेता यह भी जानते हैं की बैकुंठपुर से अन्य कई दावेदार टिकट के ऐसे हैं जो यदि बगावत कर गए पार्टी की हार तय है। पार्टी के यही दो बड़े नेता इसलिए इस सीट से प्रत्याशी का ऐलान करने में विलंब करना चाहते हैं जिससे बगावत करने वालों को कम मौका मिल सके क्योंकि दोनो बड़े नेताओं की मंशा है की वर्तमान विधायक को ही टिकट मिले विरोध भले ही उनका प्रबल हो पार्टी के भीतर ही। कुल मिलाकर विलंब का मतलब यही माना जा रहा है की विरोध जो वर्तमान विधायक को टिकट मिलने के बाद होना है उसे कम किया जा सके उसके प्रभाव को कम किया जा सके।
बगावत को खत्म करने के लिए अशोक जायसवाल पर भी दांव लगाया जा सकता था
वर्तमान विधायक का रिपोर्ट कार्ड सबसे खराब गया था पार्टी सर्वे के अनुसार वर्तमान विधायक चुनाव में काफी कमजोर प्रत्याशी साबित होंगी बैकुंठपुर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ वहीं सर्वे में पार्टी के सबसे प्रबल दावेदार वेदांती तिवारी को माना गया है लेकिन वह जाती आधार पर अब तक दिए गए टिकट संख्या के आधार पर योग्य नहीं हैं यह पार्टी ने साबित करने की कोशिश की है,अब सर्वे में दूसरे नंबर पर अशोक जायसवाल का नाम है उन्हे पार्टी टिकट दे सकती थी लेकिन पार्टी यह कहकर उनके नाम पर भी पेंच फंसा दी की महिला प्रत्याशी ही बैकुंठपुर से तय किया जाना है इसलिए वह भी योग्य नही माने जायेंगे कुल मिलाकर वर्तमान विधायक को टिकट देने जो जो पैंतरा अपनाया जा सकता है वह पार्टी के दो बड़े नेता अपना रहे हैं। अशोक जायसवाल को लेकर भी पार्टी में सर्व स्वीकार्यता बन सकती थी लेकिन वर्तमान का ही टिकट तय करना मुख्य उद्देश्य है और इसलिए महिला प्रत्याशी का बहाना है यह सूत्रों का कहना है।
यदि बैकुंठपुर से आशा साहू को प्रत्याशी घोषित किया जाएगा तो क्या वर्तमान विधायक इनके साथ खड़ी होंगी?
एक महिला दावेदार का भी नाम सामने आया जो वर्तमान विधायक के अलावा दावेदार हैं पार्टी से टिकट की,आशा साहू जो जनपद उपाध्यक्ष भी हैं जो कभी विधायक की ही करीबी थीं उनकी खास थी वह दावेदार हैं उनके नाम को भी महिला प्रत्याशी बतौर दौड़ में टिकट के शामिल माना जा रहा है,अब सवाल उठता है की यदि उन्हे टिकट मिलता है तो वर्तमान विधायक उनके साथ खड़ी होंगी क्या उनका साथ देंगी,वैसे बताया जा रहा है की आशा साहू की भी दावेदारी दो बड़े नेता कमजोर करने में लगे हुए हैं उन्हे भाजपा मानसिकता से प्रेरित बताकर साबित कर उनकी दावेदारी भी समाप्त की जा सकती है जिसके पीछे भी वर्तमान विधायक को ही टिकट देना उद्देश्य है।
वर्तमान विधायक की वजह से ही आशा साहू का नाम राजनीति के क्षेत्र में बड़ा हुआ था
आशा साहू जनपद उपाध्यक्ष हैं यह भी कहना गलत नहीं होगा की वर्तमान विधायक ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया उनका नाम बड़ा हो सका,अब आज स्थिति ऐसी है की वही विधायक की टिकट की दौड़ में हैं, इसलिए माना जा रहा है की वर्तमान विधायक उनके साथ खड़ी नहीं होगी किसी हाल में साथ नहीं देंगी।
आशा साहू को लेकर वरिष्ठ कांग्रेसी भी नहीं होंगे एक ऐसे में इन्हें प्रत्याशी घोषित कर कैसे दिलाएंगे जीत?
आशा साहू के नाम से वरिष्ठ कांग्रेसी भी एक होंगे यह नहीं लगता वहीं आशा साहू जनपद उपाध्यक्ष रहते हुए एक ऐसे आंदोलन में शामिल हुई थीं जिसमे भाजपा का नेतृत्व शामिल हुआ था जो भाजपा का ही आंदोलन था,भाजपा नेताओं से उनकी नजदीकी वहीं भी वजह है की वरिष्ठ कांग्रेसी उनके लिए एक होंगे,वह उपाध्यक्ष रहते कभी कांग्रेस जनों के साथ खड़ी हुईं साथ दी यह भी उदाहरण नहीं देखा गया। जब जनपद सीईओ को हटाने आंदोलन हुआ था भाजपा ने किया था उसमे जब उपाध्यक्ष शामिल हुईं थीं तब जिलाध्यक्ष कांग्रेस ने उक्त आंदोलन में पार्टी का हांथ नहीं होने शामिल नही होने का भी प्रेस विज्ञप्ति जारी किया था। कुल मिलाकर आशा साहू को लेकर कांग्रेसी शायद एक हों क्योंकि उनके ऊपर पार्टी लाइन से हटकर काम करने का आरोप लगा हुआ है।
क्या टिकट में पेंच बड़े नेताओं के रणनीति का हिस्सा,टिकट वर्तमान विधायक का ही होगा तय?
बैकुंठपुर विधानसभा से वर्तमान विधायक का प्रत्याशी बनना तय है वहीं उनके नाम की औपचारिक घोषणा ही शेष है नाम तय पहले ही हो चुका है यह सूत्रों का कहना है। टिकट में पेंच फंसाकर बड़े नेता विधानसभा से अन्य दावेदारों को अंतिम समय तक उलझाकर रखना चाहते हैं जिससे उन्हें विरोध का ज्यादा समय न मिले। वर्तमान विधायक को ही प्रत्याशी घोषित किए जाने के लिए ही जल्दबाजी पार्टी के बड़े नेता नहीं दिखाना चाहते क्योंकि इससे पार्टी से टिकट के अन्य दावेदारों में विद्रोह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है वह बगावत कर सकते हैं।
क्या प्रत्याशी की घोषणा देर से करके बड़े नेता अन्य दावेदारों को अंतिम समय तक उलझाकर रखना चाहते हैं?
बैकुंठपुर विधानसभा से कांग्रेस पार्टी से टिकट के लिए वर्तमान विधायक सहित 51 अन्य ने दावेदारी की है, 51, अन्य में से 5 अन्य अभी भी प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर उम्मीद में हैं, पार्टी के बड़े नेता वर्तमान विधायक को ही प्रत्याशी बनाने के पक्ष में हैं वहीं अन्य प्रबल दावेदार खुद की दावेदारी मजबूत बता रहे हैं जो है भी,बताया जा रहा है इसलिए पार्टी के बड़े नेता इस विधानसभा के प्रत्याशी की घोषणा अंतिम समय में करना चाहते हैं अन्य दावेदारों को उलझाकर रखना चाहते हैं जिससे उन्हें टिकट नहीं मिलने की स्थिति में विरोध विद्रोह का कम मौका मिले और वर्तमान विधायक को लेकर सभी की स्वीकार्यता बन सके।
पार्टी सर्वे में जो हैं टिकट के प्रबल दावेदार उन्हे प्रत्याशी बनाए जाने से रोकने ही बड़े नेताओं की यह पेंच है
बैकुंठपुर विधानसभा से कांग्रेस पार्टी ने टिकट नहीं दिया है किसी को वहीं बताया जा रहा है टिकट को लेकर सब कुछ तय है वहीं वर्तमान विधायक ही टिकट पाने वाली हैं,पार्टी सर्वे अनुसार जो टिकट के प्रबल दावेदार हैं उन्हे पार्टी के दो बड़े नेता टिकट देने के पक्ष में नहीं हैं जबकि चुनाव जीतने की स्थिति में वहीं हैं। सर्वे के विपरीत जाकर टिकट वर्तमान विधायक को दिलाने वाले बड़े नेता पेंच लगाकर यह साबित करना चाहते हैं की पार्टी सीट पर पूरी तरह आश्वस्त होकर टिकट देगी वहीं सभी सर्वे रिपोर्ट आधार होगी।कुल मिलाकर एक प्रबल दावेदार को रोकना उद्देश्य है और इसीलिए टिकट में विलंब है।
पार्टी सर्वे में वर्तमान विधायक किसी स्थिति में जिताऊ नहीं,नई सर्वे रिपोर्ट में उन्हे जिताऊ बनाकर किया जायेगा पेश तब की जाएगी प्रत्याशी की घोषणा,सूत्र
सूत्रों की माने तो पार्टी के आंतरिक सर्वे में वहीं अन्य सभी सर्वे में वर्तमान विधायक का नाम जिताऊ प्रत्याशी बतौर शामिल नहीं है वहीं इसके लिए एक सर्वे रिपोर्ट फिर तैयार कराई जा रही है जो उनके पक्ष में होगी उसके बाद टिकट तय कर दिया जायेगा जो पहले से ही तय है।
दावेदारों की परेड कराकर उन्हें जा रहा है भांपा,कौन कितना कर सकता है नुकसान यह भी हो रहा आंकलन
सूत्रों की माने तो बैकुंठपुर विधानसभा से वर्तमान विधायक ही कांग्रेस पार्टी से प्रत्याशी होंगी यह तय है,अन्य दावदारों की परेड राजधानी तक केवल इसलिए कराई जा रही है की जिससे भांपा जा सके ही कौन कितना नुकसान पहुंचा सकता है,फिर किसे किस तरह मनाना है यह भी पार्टी विचार करेगी।
सभी दावेदारों को लेकर हुई समीक्षा,सभी की दावेदारी पर किया गया विचार तब जाकर तय हुआ एक नाम,यह भी पार्टी जताएगी,इसलिए भी विलंब से टिकट तय किया जायेगा,सूत्र
बैकुंठपुर विधानसभा से सभी संभावित दावेदारों की दावेदारी पर गंभीरता से विचार किया गया सभी को लेकर सभी संभावनाएं टटोली गईं तब जाकर एक नाम तय हुआ ,सभी को लेकर गहन चर्चा विमर्श हुआ किसी के साथ उसकी दावेदारी को लेकर समझौता नहीं किया तब जाकर एक नाम तय किया गया यह भी पार्टी सभी दावेदारों को जताना चाहती है इसलिए भी वह टिकट तय करने में विलंब कर रही है, वहीं एक तरह से यह एक अभिनय प्रकिया है सब कुछ तय है वहीं वर्तमान का टिकट तय है इसलिए सभी को संतुष्ट कर टिकट अंत में वर्तमान को ही दिया जायेगा यह तय लग रहा है यह सूत्रों का कहना है।