बैकुण्ठपुर@कांग्रेस के सर्वे रिपोर्ट में वर्तमान विधायक का नाम नहीं सर्वे रिपोर्ट के अनुसार वेदांती तिवारी सबसे ऊपर:सूत्र

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  • वर्तमान विधायक का सर्वे रिपोर्ट में नाम न होने की वजह से बैकुंठपुर विधानसभा का प्रत्याशी नहीं हो पाया तय,सूत्र।
  • वर्तमान विधायक को ही प्रत्याशी बनाया जाए इसे लेकर दो मंत्रियों की पैरवी जारी,पैरवी से मिलेगा टिकट या फिर सर्वे रिपोर्ट के आधार पर प्रत्याशी होंगे तय?
  • अंबिका,वेदांती के बाद आशा साहू के नाम की चर्चा,किसे मिलेगा कांग्रेस से टिकट संशय बरकरार।
  • भईयालाल के मुकाबले मजबूत प्रत्याशी की है पार्टी को तलाश।
  • सामाजिक समीकरण में आशा साहू भारी,लेकिन सर्वमान्य होंगी?..यह पार्टी के अंदर ही है मतभेद।
  • वेदांती तिवारी को मिल सकता है अच्छा खासा जनसमर्थन,कांग्रेस की सर्वे रिपोर्ट भी यही कह रही है।
  • क्या अंबिका सिंहदेव का कार्यकाल भारी पड़ रहा टिकट वितरण में बैकुंठपुर से कांग्रेस पार्टी के परिपेक्ष्य में?
  • क्या कांग्रेस बैकुंठपुर अनारक्षित सीट से पहली बार दे सकती है अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से आने वाले किसी दावेदार को टिकट?
  • कांग्रेस पार्टी ही एक ऐसी पार्टी थी जो अब तक बैकुंठपुर विधानसभा में अभी तक सामान्य वर्ग उम्मीदवार पर दांव लगाते आई।
  • क्या सामाजिक वोट बैंक के दबाव में कांग्रेस भी इस सीट पर अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से उतारेगी प्रत्याशी?
  • यदि कांग्रेस ने भी दिया अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से बैकुंठपुर सीट से प्रत्याशी फिर यह सीट सामान्य वर्ग के हांथ से भाजपा कांग्रेस दोनो के हिसाब से उनके लिए हमेशा के लिए सपना हो जायेगी?
  • भाजपा ने पहले ही बैकुंठपुर विधानसभा सीट को अन्य पिछड़ा वर्ग समाज के लिए एक तरह से कर दिया है आरक्षित।

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 19 अक्टूबर 2023 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ प्रदेश का तीसरा विधानसभा बैकुंठपुर विधानसभा इस समय कांग्रेस के प्रत्याशियों को लेकर संशय से घिरा हुआ है, यह संशय खत्म होने  का नाम नहीं ले रहा है समय जैसे-जैसे चुनाव का नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे संशय बढ़ता जा रहा है, आखिर यह संशय कब खत्म होगा इसका भी इंतजार है, अब माना जा रहा है कि प्रदेश का तीसरे नंबर के विधानसभा में कांग्रेस के लिए प्रत्याशी चुनना काफी कठिन हो गया है, कठिन होने की वजह सिर्फ यह है कि सर्वे रिपोर्ट से अलग सोच रहे हैं वर्तमान विधायक को टिकट दिलाने वाले मंत्री, यही वजह है की टिकट में पेच फसते देखा जा रहा है, सूत्रों के हवाले से यह जानकारी आ रही है कि 18 अक्टूबर को कांग्रेस की दूसरी सूची जारी हुई इस सूची में बैकुंठपुर विधानसभा का भी प्रत्याशी तय होना था, जिले से लेकर प्रदेश तक वर्तमान विधायक के नाम के साथ वेदांती तिवारी व अशोक जायसवाल का नाम भेजा गया था पर जब पार्टी के द्वारा कराए गए सर्वे की सूची  देखी गई तो उसमें वर्तमान विधायक का नाम ही नहीं था, बताया जा रहा है कि उस सूची में वेदांती तिवारी योगेश शुक्ला व अशोक जायसवाल का नाम शामिल था, सर्वे सूची में वर्तमान विधायक नाम न होने की वजह से टिकट तय होते-होते रह गई। जिला से लेकर प्रदेश तक लोग चाह रहे हैं कि वर्तमान विधायक को ही टिकट मिले पर वही सर्वे रिपोर्ट बता रही की जीतने के लिए वेदांती तिवारी ही कांग्रेस के लिए सही उम्मीदवार हो सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस यह तय नहीं कर पा रही की सर्वे के आधार पर टिकट दें या फिर जो प्रदेश से व जिले से नाम आया है उसी को मानते हुए वर्तमान विधायक को ही दोबारा मौका दिया जाए। इधर जहां वर्तमान विधायक व पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी के बीच टिकट का संशय बरकरार था कि तीसरा नाम साहू समाज से अचानक चर्चा का विषय बन गया है, कहा जा रहा है कि कांग्रेस साहू समाज से नई-नई हाल ही में कांग्रेस में सक्रिय हुई  महिला नेत्री आशा साहू को पहली ही बार में ही मौका दे दे पर मौका देने से वरिष्ठ कांग्रेसियों की नाराजगी भी सामने आ सकती है यह भी डर है, अब ऐसे में पेच इस तरह फंसा हुआ है की सीट पर प्रत्याशी तय करने के लिए और जोर आजमाइश चलेगी। वैसे यदि क्षेत्र की जनता की माने और पार्टी के ही पदाधिकारी सहित कार्यकर्ताओं की माने तो साहू समाज निश्चित रूप से विधानसभा में अच्छा जनाधार रखता है लेकिन कांग्रेस से जिस महिला नेत्री के टिकट की चर्चा चल रही है वह कांग्रेस के लिए सर्व समाज को साधने में कामयाब होंगी कार्यकर्ताओं को साधने में कामयाब होंगी इसका कम ही आसार है।
कांग्रेस अभी तक सामान्य वर्ग उम्मीदवारों पर ही बैकुंठपुर विधानसभा में भरोसा करते आई है
बैकुंठपुर विधानसभा अनारक्षित श्रेणी में आने वाली विधानसभा है वहीं भाजपा ने इस सीट पर लगभग यह तय कर दिया है की वह हमेशा इस सीट से अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से ही उम्मीदवार घोषित करेगी और वह अन्य पिछड़ा वर्ग समाज के मतदाताओं को साधेगी, वहीं अब तक कांग्रेस इस सीट से सामान्य वर्ग उम्मीदवार को ही मौका देती आई है और यदि इस बार कांग्रेस अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से प्रत्याशी घोषित कर देती है तो यह तय हो जायेगा की अब इस विधानसभा सीट से सामान्य वर्ग की दावेदारी दोनो ही प्रमुख राष्ट्रीय दलों से समाप्त हो जायेगी। वैसे इसकी संभावना कम है फिर भी हालिया घटनाक्रम इस ओर इशारा जरूर करते हैं। वैसे भी अनारक्षित कई विधानसभाओं से सरगुजा संभाग में दोनो ही दलों ने आरक्षित वर्ग प्रत्याशी मैदान में उतारा है और धीरे धीरे सभी दल अब बड़े जनसंख्या वाले समाज से किसी विधानसभा में किसी प्रत्याशी को टिकट देना चाह रहे हैं जो दिखने भी लगा है।
क्या कांग्रेस की तरफ से बैकुंठपुर सीट सामान्य वर्ग से छीन ली जाएगी?
बैकुंठपुर विधानसभा से भाजपा ने सामान्य वर्ग को पांचवीं बार मौका नहीं दिया है अनारक्षित सीट से अन्य पिछड़ा वर्ग उम्मीदवार ही भाजपा की पसंद हो चुकी है वहीं वह यह लगभग तय कर चुकी है की संख्या जिस जाति समाज की ज्यादा होगी उसी को वह टिकट देगी पार्टी में योग्यता सहित वरिष्ठता का कोई मोल नहीं, वहीं पार्टी के लिए किया गया परिश्रम भी बेमोल है। वहीं अब जैसा लग रहा है कांग्रेस भी इस सीट से अन्य पिछड़ा वर्ग उम्मीदवार पर दांव लगा सकती है तो यह भी प्रश्न उठ रहा है की क्या कांग्रेस भी भाजपा की ही राह पर है क्या वह भी इस सीट से सामान्य वर्ग किसी दावेदार को स्वीकार नहीं करेगी। वैसे यदि ऐसा है तो यह सामान्य वर्ग के पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं के लिए बुरी खबर है क्योंकि उन्हे झंडा ही उठाना शेष काम पार्टी हित में बच जायेगा शेष उन्हे कभी आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलने वाला भले ही उनका समर्पण उनका त्याग पार्टी के लिए ज्यादा हो,वह संख्या आधार पर अयोग्य माने जायेंगे जो सामान्य वर्ग किसी नेता के लिए अच्छी खबर नहीं मानी जायेगी।
आखिर कांग्रेस कब खत्म करेगी बैकुंठपुर सीट के टिकट का संशय?
बैकुंठपुर विधानसभा में आज की स्थिति यह है की भाजपा प्रत्याशी जहां कई चरण का चुनाव प्रचार अपना संपन्न कर चुके हैं वहीं कांग्रेस पार्टी अब तक अपना प्रत्याशी इस सीट से घोषित नहीं कर पाई है। कांग्रेस में यदि सर्वे के आधार पर टिकट देने की बात समाने आ रही है तो बताया जा रहा है की उसका अपना ही सर्वे वेदांती तिवारी को आगे बता रहा है वहीं यदि पहुंच पकड़ और शोर सिफारिश की बात की जाए तो उसमे वर्तमान विधायक आगे हैं जबकि उनका जनाधार काफी कमजोर हुआ है यह भी सर्व रिपोर्ट का ही हिस्सा है वहीं यदि जाति समाज के मतदाताओं के हिसाब से टिकट तय हुआ तो यह सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के खाते में जाएगी यह भी संभावना बनी हुई है। संभावना भले ही कई हों लेकिन टिकट वितरण में विलंब से इस सीट को लेकर संशय पार्टी नेताओं कार्यकर्ताओं में भी बना हुआ है वहीं क्षेत्र के लोगों में भी इसको लेकर चिंतन देखा जा रहा है क्योंकि बैकुंठपुर विधानसभा का यह चुनाव पार्टी चिन्ह का न होकर चेहरे पर होना है यह लोग भी मान रहे हैं वहीं यही भाजपा कांग्रेस के कार्यकर्ता नेता भी मान रहे हैं। कांग्रेस कब संशय समाप्त करेगी इस सीट का इसका सभी को इंतजार है।
दावेदार अशोक जायसवाल का नाम सभी सर्वे सूचियों में शामिल,पार्टी सर्वे अनुसार अभी वह भी दौड़ से बाहर नहीं,सूत्र
सूत्रों की मानें तो बैकुंठपुर विधानसभा से प्रत्याशी चयन के लिए जो सर्वे पार्टी ने कराया है उसमे सभी सर्वे सूचियों में अशोक जायसवाल का नाम शामिल है वहीं वेदांती तिवारी के बाद उन्ही को प्रबल माना गया है सर्वे में ,माना जा रहा है अशोक जायसवाल भी पिछड़ा वर्ग समाज से आने वाले चेहरा हैं और उनको लेकर भी पार्टी विचार कर रही है।
साहू समाज से संभावित नाम जो टिकट की दौड़ में शामिल माना जा रहा है उसको लेकर पार्टी में ही नहीं बन पाएगी स्वीकार्यता इस बात की भी हुई चर्चा, सूत्र
बैकुंठपुर विधानसभा सीट को लेकर कांग्रेस पार्टी का मंथन जारी है वहीं पार्टी यहां से काफ़ी सोचविचार करके टिकट देगी यह भी तय माना जा रहा है। बताया जा रहा है बैकुंठपुर की टिकट को लेकर कई तरह का पेंच फंस गया है,यहां अब तक का सर्वे प्रथम प्रत्याशी वेदांती तिवारी को मानता है दूसरा नाम अशोक जायसवाल का यह भी बात सामने आ रही है योगेश शुक्ला भी अभी दौड़ में हैं वर्तमान विधायक सर्वे में पीछे हैं तो उनके साथ उनका तगड़ा जुगाड काम कर रहा है वहीं अब साहू समाज से भी एक दावेदार का नाम सामने आ रहा है जिसकी भी चर्चा अब होने लगी है। वैसे साहू समाज से आने वाली महिला दावेदार की दावेदारी पार्टी पदाधिकारी कार्यकर्ता स्वीकार नहीं करेंगे कुछ गिने चुने कार्यकर्ताओं को छोड़कर यह भी माना जा रहा है और पार्टी यह बात अच्छी तरह समझ भी रही है वहीं साहू समाज से जिसका नाम सामने आ रहा है उसको प्रत्याशी बनाए जाने की स्थिति में साहू समाज का समर्थन मिल सकता है यह पार्टी मान भी रही है तो यह दिक्कत भी है की फिर सर्व स्वीकार्यता आड़े आयेगी क्योंकि हाल के ही वर्षों से राजनीति में शामिल हुई महिला दावेदार एक समाज के मतों तक ही सिमट जाएगी ऐसी संभावना ज्यादा है। वहीं मंचों पर भी उनका वक्तव्य जनाधार अपनी तरफ आकर्षित करने वाला साबित होगा यह भी संभव नजर नहीं आ रहा ऐसा पार्टी के अंदरखाने की चर्चा है। अब देखना है पार्टी निर्णय क्या लेती है जबकि अभी प्रत्याशी तय नहीं हुआ है और संभावना सभी के लिए बनी हुई है।


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