रायपुर,@चुनाव ड्यूटी से बचने तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं कर्मचारी

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रायपुर,16 अक्टूबर 2023(ए)। आम चुनाव एक अहम कार्य है और सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की ड्यूटी इसमें अनिवार्य होती है। चुनाव की तारीखों की घोषणा होते ही निर्वाचन आयोग चुनावी ड्यूटी करने वाले अफसर-कर्मियों की सूची तैयार करने में जुटा हुआ है, वहीं दूसरी ओर अधिकारी-कर्मचारी खुद को निर्वाचन कार्यों से अलग करने के लिए तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं। ड्यूटी से नाम कटवाने के लिए रायपुर जिले में 350 से ज्यादा कर्मियों ने आवेदन लगाया है।
ये है आवेदन पत्रों का मजमून
निर्वाचन कार्य से छूट देने के लिए प्रयास में जुटे एक बाबू का आवेदन तो ऐसा भी है कि उसकी कमर में दर्द है और उठने-बैठने में तकलीफ है, इसलिए उसे चुनाव ड्यूटी से छूट दी जाए। वहीं एक महिला ने आवेदन में बताया कि उनका बच्चा यूपीएससी की तैयारी कर रहा है, इसके लिए उसकी देखभाल के लिए उसे चुनाव ड्यूटी से पृथक किया जाए। इसके अलावा अधिकांश मामलों में शुगर और बीपी की बीमारी होने का भी हवाला दिया गया है। वहीं तृतीय श्रेणी की एक महिला ने आवेदन किया है कि उनकी और उनके पति दोनों की तबीयत खराब रहती है। बच्चे बाहर नौकरी कर रहे हैं। अवकाश चाहिए। वहीं किसी ने रीढ़ की हड्डी में परेशानी होना बताया है। आश्चर्य इस बात का है कि इनमे से आवेदन करने वाले कर्मचारी-अधिकारी कई वर्षों से बिना किसी परेशानी के अपने-अपने विभाग में नौकरी कर रहे हैं।
महिला आवेदकों
की संख्या ज्यादा
निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक ड्यूटी से नाम हटाने के लिए आवेदन करने वालों में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। लोग बच्चों के छोटे होने का हवाला देकर ड्यूटी से हटाने को कह रहे हैं। इसके अलावा पति-पत्नी दोनों के कर्मचारी होने से लोग पत्नी को ड्यूटी से बचाने के लिए ऐसे आवेदन दे रहे हैं। बच्चों की देखभाल के लिए चुनाव से मुक्ति चाहिए। आठ फीसदी आवेदनों में महिलाओं के गर्भवती होने का हवाला दिया गया है।
मेडिकल बोर्ड से
नियमित होगी जांच
छुट्टी के लिए आवेदन करने वालों की जांच के लिए तीन डाक्टरों का पैनल बनाया जा रहा है, जो कि जिला अस्पताल में आचार-संहिता से पहले तक सप्ताह में दो दिन मेडिकल बोर्ड आवेदकों के सेहत की जांच करता था, वह अब रोजाना ऐसे कर्मचारियों की जांच करेगा। अधिकारियों के अनुसार नियमों के तहत ही नाम हटाए जा रहे हैं, लेकिन उस पर भी सीधे जिला निर्वाचन अधिकारी का अप्रूवल होना जरूरी है। इसके बाद उसे एनआइसी द्वारा उसी साफ्टवेयर पर अपलोड किया जा रहा है, जिस साफ्टवेयर से कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है।


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