- क्या भाजपा प्रत्याशी की मजबूरी बने भाजयुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष अंचल राजवाड़े?
- लगातार साथ में कर रहे दौरा,कार्यकर्ताओं में भी दिखने लगा असंतोष।
- शैलेश शिवहरे व देवेंद्र तिवारी समर्थकों ने बनाई भईयालाल राजवाड़े से दूरी,देवेंद्र तिवारी ने तो भरतपुर सोनहत का ले लिया प्रभार।
- भईयालाल राजवाड़े को भले ही जनता का समर्थन मिल सकता है पर अपने पार्टी के दो दिग्गजों की नाराजगी उन्हे नुकसान पहुंचा सकता है।
- पूर्व भाजयुमो जिलाध्यक्ष सहित कुछ पुराने समर्थक भी उनके लिए बन सकते हैं मुसीबत,पूर्व भाजयुमो जिलाध्यक्ष पर लगा है गंभीर आरोप।
- कुछ पुराने समर्थकों से फिर से घिरने की वजह से फिर न हो जाए भईयालाल राजवाड़े को नुकसान,पिछली बार वही बने थे हार का कारण।
- जिन्हे जनता नहीं करती पसंद वह ही दिख रहे भईयालाल राजवाड़े के साथ,घेरा बनाना उन्होंने शुरू किया।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 13 अक्टूबर 2023 (घटती-घटना)। विधानसभा चुनाव की तिथि निर्धारित होते व आचार संहिता लगते ही राजनीतिक पार्टियां जनसंपर्क में अपनी ताकत झोंक रही हैं, जहां प्रत्याशी तय हो गए हैं वहां तो जनसंपर्क शुरू हो गया है पर वहीं प्रत्याशी तय होने के बाद पार्टियों के अंदर खाने का आक्रोश भी खत्म नहीं हो रहा है, अपने-अपने पार्टी से ही भीतरघात करने के लिए अंदर खाने की तैयारी शुरू हो चुकी है, कुछ ऐसा ही बैकुंठपुर विधानसभा में देखने को मिल रहा है भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री भईयालाल राजवाड़े को भाजपा से प्रत्याशी घोषित कर दिया है पर इसके बाद भाजपा के दो बड़े नेता शैलेश शिवहरे व देवेंद्र तिवारी की दूरी लगातार देखने को मिल रही है, जहां इन दोनों नेताओं को भाजपा के द्वारा घोषित प्रत्याशियों के साथ दिखना चाहिए था वहां यह अलग-अलग दिख रहे हैं, वहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री भी अकेले ही प्रयास करते नजर आ रहे हैं, उनके पास इस समय युवा मोर्चा के पूर्व जिला अध्यक्ष व वर्तमान जिला अध्यक्ष की टीम ही नजर आ रही है, जबकि बैकुंठपुर शहर के लिए शैलेश शिवहरे का काम करना जरूरी है तो वहीं कई क्षेत्र देवेंद्र तिवारी के समर्थकों का आता है पर इस समय गुटबाजी साफ दिख रही है, शैलेश शिवहरे व देवेंद्र तिवारी गुट पूरी तरीके से भईयालाल राजवाड़े से किनारे किए हुए बैठा है, भाजपा प्रत्याशी भईयालाल राजवाड़े इन दोनों नेताओं को कैसे मना कर अपने साथ लाएंगे यह बड़ा सवाल है और इन नेताओं का एक होना भाजपा के लिए भी जरूरी है।
वैसे इस समय भाजपा ने एक बार फिर पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े को बैकुंठपुर विधानसभा से उम्मीदवार बनाया है इसके बाद उनके साथ भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष अंचल राजवाड़े की सक्रियता दिखाई देने लगी है, उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत पर चल रहे अंचल के सक्रिय होने से कई भाजपा कार्यकर्ता निराश देखे जा रहे हैं। लोगो का कहना है कि भाजपा उम्मीदवार के अंचल राजवाड़े हितैषी हैं,जिसके कारण उनका दौरा साथ चल रहा है,मालूम हो कि अंचल राजवाड़े की कार्यशैली से भाजपा का एक बड़ा वर्ग नाराज रहता है और उनका विरोधी भी है वह और उनके सक्रिय रहने पर भईयालाल राजवाड़े को कई जगह वोटों का भी नुकसान हो सकता है क्योंकि उनके ऊपर जो आरोप लगे हैं जिनमे वह उच्च न्यायालय से जमानत में हैं वह आरोप आदिवासी समाज के एक व्यक्ति के साथ आर्थिक गड़बड़ी करने का आरोप है और जिसके आरोप में अभी वह दोषमुक्त नहीं हैं और यदि वह भईयालाल राजवाड़े के साथ नजर आते हैं तो उन्हे नुकसान होना तय है वहीं अंचल राजवाड़े की बढ़ती सक्रियता देखकर यह भी लोग कहते सुने जा रहे हैं की अंचल राजवाड़े भईयालाल राजवाड़े को एक तरह से फिर हाइजैक करने में लगे हुए हैं और यदि ऐसा हुआ तो आम जनता का भईयालाल राजवाड़े से चुनाव जितने के बाद सीधा संपर्क समाप्त हो जायेगा और वह हर काम में सीधा हस्तक्षेप फिर करने लगेंगे जो पहले से ही लोगों को क्षेत्र के नापसंद चला आता रहा है।राजनीति भी गजब का खेल है
राजनीति को समझना बड़ा ही कठिन है,जो दिखता है वो होता नही और जो होता है वह दिखता नहीं,कहा जाए तो बैंक के एक फ्राड मामले में जो कि एक गंभीर विषय है,इसमें अंचल राजवाड़े की भूमिका भी बतलाई जाती है,कुछ समय पहले इसमें मामला भी दर्ज हुआ है,420 जैसे धाराओं के लगने बाद कुछ माह फरारी काटने के बाद तात्कालिक भाजयुमो जिलाध्यक्ष अंचल राजवाड़े को भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्ण बिहारी जायसवाल ने एड़ी चोटी एक कर हटवाया था और हितेश सिंह को जिलाध्यक्ष बनवाया,उस समय भईयालाल राजवाड़े और कृष्णबिहारी जायसवाल में काफी दूरी बन गई थी,क्योंकि अंचल राजवाड़े भईयालाल राजवाड़े के खास समर्थक थे तो उन्हें हटाया जाना भईयालाल राजवाड़े को मंजूर नहीं था लेकिन अग्रिम जमानत लेकर आने के बाद अंचल राजवाड़े की पुनः भाजपा में सक्रियता देखी जाती है,उन्होंने अपना जन्मदिवस भी धूमधाम से मनाकर खुद को राजनीति में स्थापित करने की कोशिश की थी लेकिन समय गुजरते ही अब भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल और अंचल राजवाड़े कई कार्यक्रम में एक साथ देखे जाते हैं,भाजपा उम्मीदवार भईयालाल राजवाड़े के दौरे में भी अगल बगल उक्त दोनों नेता देखे जा रहे हैं,जो कि कुछ माह पहले ही एक दूसरे के धुर विरोधी माने जाते थे।
अंचल की सक्रियता का फायदा या नुकसान
युवा मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष अंचल राजवाड़े की कार्यशैली से कई कार्यकर्ता और भईयालाल राजवाड़े के कई चहेते लोग भी नाखुश हैं,पिछले चुनाव में हार के बाद कहीं न कहीं ये बात आई थी कि इसमें अंचल राजवाड़े का भी बड़ा योगदान है,उनके इर्द गिर्द रहने से कई जगह वोट का नुकसान भी हुआ था,कई युवा कार्यकर्ता भी भईयालाल राजवाड़े से सिर्फ इसलिए दूर दिखलाई देते हैं क्योंकि उनके पास कुछ ऐसे लोगो का जमाव रहता है जो कि अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं और उन्हें भड़काकर अपना उल्लू सीधा करते हैं। अंचल राजवाड़े के ऊपर आपराधिक मामला दर्ज है वहीं भईयालाल राजवाड़े को अब फिर से मैदान में उतारा गया है,अंचल राजवाड़े लगातार सक्रिय रहकर खुद को भईयालाल राजवाड़े का खास बताने से भी नही चूक रहे हैं ऐसे में भाजपा उम्मीदवार के रूप में अंचल राजवाड़े की छवि के कारण उन्हे फायदा होगा या नुकसान यह तो समय बताएगा लेकिन इससे वर्तमान में भाजपा के कार्यकर्ता ही असंतुष्ट नजर आ रहे हैं।अंचल राजवाड़े के बारे में यह भी कहा जाता है की वह हाइजैक करके चलते हैं भईयालाल राजवाड़े को और वह भईयालाल राजवाड़े व आम जनता के बीच एक मध्यस्थ बनकर काम करने का इरादा रखते हैं जैसा वह पहले भी करते रहें हैं जब भईयालाल राजवाड़े मंत्री थे और जिसका प्रभाव गलत पड़ा था आम लोगों पर और भईयालाल राजवाड़े की भी सरल सहज छवि में यह दाग लगा था की उनके निर्णय के बीच एक दीवार है जिसके बाद की वह निर्णय ले पाएंगे,अंचल राजवाड़े शासकीय विभागों में भी उस समय सक्रिय थे और उसी समय थोड़ी बहुत उनकी पहचान बन सकी थी जिसके बाद एक धोखाधड़ी उन्होंने की जिसका आरोप उनपर लगा जिसने उनके राजनीतिक कैरियर को ही समाप्त कर दिया और उन्हे भाजपा से भाजयुमो जिलाध्यक्ष पद से हटा दिया गया।
अंचल राजवाड़े यदि अभी दोषमुक्त नहीं हैं तो क्या भाजपा प्रत्याशी के साथ उनके भ्रमण पर रोक लगाएगी कोरिया भाजपा,क्या अनुशासित पार्टी होने का उदाहरण देगी भाजपा?
अंचल राजवाड़े फिलहाल एक गड़बड़ी मामले में दोषी हैं उच्च न्यायालय से जमानत पर हैं, दोष भी 420 का है और जिसमे उन्हे फरारी काटनी पड़ चुकी है,फिलहाल अंचल राजवाड़े भाजपा प्रत्याशी के साथ नजर आ रहे हैं मंच संचालन कर रहे हैं। भाजपा अनुशासित पार्टी है ऐसा भाजपा का ही दावा है तो क्या अंचल राजवाड़े को कोरिया भाजपा प्रत्याशी से दूर करेगी क्या उन्हे चुनाव तक पार्टी मंचो से पार्टी दूर रखकर यह साबित करेगी की अनुशासन से भाजपा समझौता नहीं करती। देखना है यदि अंचल दोष मुक्त नहीं हैं तो पार्टी अब उनके लिए क्या निर्णय लेती है क्योंकि भाजपा ने यदि ऐसा नहीं किया तो विपक्ष के पास वर्तमान प्रत्याशी को घेरने का मौका होगा और वह मंचों से यह जरूर कहेगी की आरोपियों को लेकर वर्तमान भाजपा प्रत्याशी लोगों के बीच जा रहे हैं और ऐसे आरोपी हैं वह लोग जो उनके साथ जा रहे हैं जिनपर जनता के साथ ही धोखधड़ी का आरोप है। अंचल राजवाड़े वैसे जनाधार वाले नेता नहीं हैं, भईयालाल राजवाड़े का नाम ही उनकी कुल सफलता मानी जाती है,उनका लोगों के बीच परिचय भी यही है की वह भईयालाल राजवाड़े के परिवारिक सदस्य हैं इसके अलावा उनके भईयालाल राजवाड़े के साथ जाने न जाने से उन्हे मिलने वाले समर्थन पर कोई असर नहीं पड़ेगा यह माना जाता है और ऐसे में भाजपा उन्हे फिलहाल दूर रहने कहती है तो यह कोई बड़ा निर्णय नहीं होगा माना जा सकता है जिससे भाजपा को किसी नुकसान का खतरा हो।
शैलेश शिवहरे सहित देवेंद्र तिवारी को कैसे मनाएंगे भईयालाल राजवाड़े सहित जिलाध्यक्ष भाजपा कोरिया
बैकुंठपुर विधानसभा से इस चुनाव में भईयालाल राजवाड़े सहित शैलेश शिवहरे एवम देवेंद्र तिवारी भी दावेदार थे भाजपा से टिकट के लिए,भाजपा से भईयालाल राजवाड़े को उम्मीदवार बनाया जा चुका है और इसके बाद से ही शैलेश शिवहरे सहित देवेंद्र तिवारी को मौन देखा जा रहा है और उनकी सक्रियता कम कहा जाए या नगण्य मानी जा रही है,शैलेश शिवहरे बैकुंठपुर शहर में काफी प्रभावी छवि रखते हैं उनका शहर में काफी अच्छा जनाधार है वहीं देवेंद्र तिवारी ने भी मेहनत कर विधानसभा स्तर पर काफी बड़ी टीम तैयार कर ली थी जो युवाओं की थी जो खुद भी उन्हे टिकट नहीं मिलने पश्चात नाराज है,अब देखना यह है की भईयालाल राजवाड़े इन दोनो को कैसे मनाते हैं वहीं जिलाध्यक्ष भाजपा क्या करते हैं जिससे यह एकजुट होकर काम करें,जिलाध्यक्ष भाजपा के बारे में कहा जाता है की वह संगठन संचालन मामले में काफी सक्रिय हैं और उन्होंने संगठन को काफी मजबूत किया है,वैसे यह दिखता नहीं फिर भी यदि यह सच है तो वह कैसे दो नाराज लोगों को मनाते हैं यह देखने वाली बात होगी। वैसे शैलेश शिवहरे देवेंद्र तिवारी के बिना भईयालाल राजवाड़े के लिए यह चुनाव आसान नहीं होने वाला।
कई अन्य पुराने ऐसे समर्थकों के घेरे से बचना होगा भईयालाल राजवाड़े को जिनका घेरा ही उनके लिए पिछली चुनाव में हार का कारण बना था
भईयालाल राजवाड़े को कुछ और ऐसे पुराने समर्थकों के घेरे से बचना होगा जिनका पिछले कार्यकाल में उनके इर्द गिर्द घेरा ही उनके लिए हार का कारण बना था,कई भाजपा नेताओं को लोग नहीं पसंद करते लेकिन भईयालाल राजवाड़े की अपनी छवि उनकी सफलता बनती चली आ रही है,पिछले चुनाव में उनकी हार का कारण यह माना गया था की उनके इर्द गिर्द उनके समर्थक घेरा बनाकर रखते हैं और आम लोग सीधे उनसे नहीं मिल पाते,अब देखना है कि इस बार वह क्या करते हैं,भईयालाल राजवाड़े लोगों के बीच इसलिए लोकप्रिय हैं क्योंकि वह लोगो की समस्याओं को खुद सुनते हैं खुद निराकरण करते हैं और पिछले चुनाव से कुछ समय पूर्व लोगों को कुछ लोगों का घेरा उनके इर्द गिर्द नापसंद लगने लगा था और उन्हे हार का मुंह देखना पड़ा था,यदि भईयालाल राजवाड़े पुनः वही गलती दुहराते हैं तो उन्हे फिर दिक्कत हो सकती है इसलिए उन्हे घेरा तोड़कर चलना होगा खुद ही वह निर्णय लेंगे हर मामले में उन्हे साबित करना होगा।