बैकुण्ठपुर@न्यायिक जांच में डॉक्टर शर्मा अस्पताल के संचालक पाए गए थे दोषी,फिर भी इतने दिनों तक जांच रिपोर्ट क्यों थी दबी?

Share

  • पुलिस क्यों नहीं आज तक दर्ज कर सकी डॉक्टर शर्मा अस्पताल के संचालक पर 302 का मामला?
  • जबकि जांच में स्पष्ट उल्लेख किया गया था एपेडिमिक एक्ट 1897 का उलंघन हुआ,मरीज की मृत्यु हुई?
  • क्या पूर्व पुलिस अधीक्षक की नजदीकी होने के कारण नहीं हुई थी एफआईआर?
  • जांच रिपोर्ट चोरी करवाने या गुम किए जाने का भी हो रहा यह षड्यंत्र,क्या इसी वजह से नहीं मिल रहा था सूचना के अधिकार के तहत जानकारी?
  • मनेंद्रगढ़ विधायक डॉक्टर विनय जायसवाल तक ने की थी कार्यवाही करने की मांग।
  • मामला शर्मा हॉस्पिटल बैकुंठपुर का जहां वर्ष 2021 में कोरोना ग्रसित मरीज सुनील तिवारी की हुई थी मौत।
  • हॉस्पिटल को नहीं थी कोरोना मरीजों के इलाज करने की इजाजत,फिर भी भर्ती था हॉस्पिटल में मरीज।
  • हॉस्पिटल में इलाज के दौरान ही हुई थी मरीज सुनील तिवारी की मौत,जांच में हॉस्पिटल को दोषी पाया गया था।
  • मामले में जांच दल किया गया था गठित जांच रिपोर्ट भी थी शर्मा हॉस्पिटल के विरुद्ध फिर भी अभी तक बचते चले आ रहे हैं हॉस्पिटल संचालक।
  • नियमानुसार हत्या का मामला होना चाहिए दर्ज,बिना वैध अनुमति वैश्विक महामारी का हॉस्पिटल में किया जा रहा था इलाज।
  • इलाज के ही दौरान हुई थी बैकुंठपुर निवासी सुनील तिवारी की मौत,परिजनों ने भी हॉस्पिटल में इलाज की पुष्टि बयान में की थी।

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 12 अक्टूबर 2023 (घटती-घटना)। शर्मा हॉस्पिटल बैकुंठपुर फिलहाल वैध पंजीयन के अभाव में सील कर दिया गया है, वहीं वहां जारी समस्त स्वास्थ्य सुविधाएं आगामी आदेश तक स्थगित हैं, जिन्हे प्रशासन ने खुद मौजूद रहकर सील किया है और अभी हॉस्पिटल संचालक वैध अनुमति के लिए लगातार शासकीय कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं और काफी परेशान हैं। यह हॉस्पिटल बैकुंठपुर शहर का काफी नामी हॉस्पिटल बना चला आ रहा है कई दशकों से और हॉस्पिटल में विभिन्न तरीकों की कई स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जा रही थीं, जिनको लेकर हॉस्पिटल के पास वैध अनुमति ही नहीं था और यहां तक की जैसा बताया जा रहा है की हॉस्पिटल की बिल्डिंग भी जिस भूमि पर स्थित है वह भी आज तक न तो व्यववर्तीत थी न ही उसके निर्माण और उसके विस्तार की कोई अनुमति ही हॉस्पिटल संचालक के पास थी और जहां तक बताया जा रहा है की इसके बिना नर्सिंग होम एक्ट के तहत मान्यता भी नहीं मिलना था और मान्यता थी भी नहीं और हॉस्पिटल संचालित था अवैध तरीके से जिसे प्रशासन ने जांच कर सील कर दिया। ज्ञात हो कि यह सब कुछ एक शिकायत के बाद संभव हुआ जो शहर निवासी संजय अग्रवाल ने किया और तभी प्रशासन सोती नींद से जाग सका और तीन दशकों से ज्यादा समय से संचालित बिना पंजीयन हॉस्पिटल प्रशासनिक कार्यवाही की जद में आ सका। माना यह भी जा रहा है की यदि शिकायत नहीं होती हॉस्पिटल चलता रहता क्योंकि सामने से शिकायत होने की वजह से प्रशासन मजबूर हुआ नहीं तो सब कुछ जानकर भी प्रशासन मौन था चुप था। अभी फिलहाल हॉस्पिटल सील है और इसी बीच हॉस्पिटल से जुड़ी एक बड़ी बात सामने आ रही है जो यह साबित करती है की हॉस्पिटल संचालक का प्रशासन पर नियंत्रणकर्ताओं पर स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में पर किस तरह नियंत्रण था दबाव था की एक बड़े मामले में जिसमे प्रथम दृष्टया साथ ही जांच उपरांत हॉस्पिटल सहित संचालक दोषी माने गए हैं, उस मामले को अभी तक दबाए रखा गया है कार्यवाही नही की गई है, जबकि मामला काफी गंभीर है और एक व्यक्ति की मौत से जुड़ा हुआ है वह भी व्यक्ति की मौत वैश्विक महामारी से हुई थी और उसका इलाज शर्मा हॉस्पिटल में किया जा रहा था वह भी जब हॉस्पिटल को महामारी के इलाज करने की अनुमति नहीं थी साफ मनाही थी। लेकिन हॉस्पिटल ने बकायदा कोरोना वैश्विक महामारी से ग्रसित व्यक्ति को हॉस्पिटल में एडमिट किया वहीं उसका इलाज भी किया जो की गैर कानूनी था वहीं इलाज के ही दौरान व्यक्ति की मौत हो गई थी। एपेडमिक एक्ट 1897 के तहत यह कृत्य हॉस्पिटल का गैर कानूनी माना गया और जांच कर प्रतिवेदन कार्यवाही के लिए दिया गया जिसके बाद भी मामला दर्ज नही किया गया।
शर्मा हॉस्पिटल संचालक पर जांच प्रतिवेदन के आधार पर 302 का अपराध होना था पंजीबद्ध,आज तक नहीं हुई कार्यवाही आखिर क्यों?
बैकुंठपुर निवासी सुनील तिवारी की मौत मामले में शर्मा हॉस्पिटल बैकुंठपुर सहित हॉस्पिटल संचालक पर 302 का मामला पंजीबद्ध किया जाना था क्योंकि उनके द्वारा ऐसे व्यक्ति का उस समय हॉस्पिटल में भर्ती करके इलाज किया जा रहा था जिसे वैश्विक महामारी ने घेर रखा था वह उससे पीड़ित था वहीं उस वैश्विक महामारी के इलाज की अनुमति शर्मा हॉस्पिटल को नहीं थी और न ही उस समय के नियम अनुसार शर्मा हॉस्पिटल को इलाज करना था एडमिट करके। बावजूद इसके हॉस्पिटल संचालक ने कोरोना पीड़ित सुनील तिवारी का इलाज किया गया हॉस्पिटल संचालक के द्वारा जहां इलाज के ही दौरान हॉस्पिटल में शर्मा हॉस्पिटल में ही मरीज की मौत हो गई। मामले में जितने भी बयान जांच के दौरान दर्ज किए गए जो मृतक सुनील तिवारी के परिजनों के थे के अनुसार सुनील तिवारी को कोरोना ही था और जिसकी एंटीजन रिपोर्ट मौजूद है आज भी वहीं जब मृत्यु हुई तो उन्होंने मृतक के शव को भी शर्मा हॉस्पिटल से ही प्राप्त किया जो सही है। पूरे मामले में देखा जाए तो पूरी तरह शर्मा हॉस्पिटल दोषी है और जांच रिपोर्ट भी इसकी पुष्टि करता है फिर भी हॉस्पिटल संचालक सहित हॉस्पिटल पर 302 का मामला दर्ज होना था जो नहीं हुआ। सवाल यह उठता है की जब जांच में स्पष्ट हुआ था की हॉस्पिटल की पूरी तरह से गलती थी जानबूझकर हॉस्पिटल ने एक ऐसे मरीज का इलाज किया जिसको एडमिट करने का भी उसके पास अधिकार नहीं था उस बीमारी के इलाज की सुविधा भी हॉस्पिटल में मौजूद नहीं थी वहीं इसी दौरान मरीज की मौत हुई फिर क्यों आज तक हॉस्पिटल संचालक सहित हॉस्पिटल पर कार्यवाही नही की गई। क्या कोई दबाव था कोई बड़ी अड़चन थी यह स्पष्ट किया जाना जरूरी है।मनेंद्रगढ़ विधायक ने भी मामले में प्रशासन को लिखा था पत्र,की था कार्यवाही की मांग
बैकुंठपुर निवासी सुनील तिवारी की मौत मामले में जो शर्मा हॉस्पिटल की लापरवाही की वजह से मनमानी की वजह से गलत आश्वासन की वजह से जो मरीज सहित परिजनों को दी गई थी की वजह से हुई थी मनेंद्रगढ़ विधायक ने भी प्रशासन को पत्र लिखा था और हॉस्पिटल सहित संचालक पर कार्यवाही की मांग की थी। विधायक ने यह उल्लेख करते हुए पत्र लिखा था कलेक्टर कोरिया को की हॉस्पिटल संचालक ने सुनील तिवारी का कोरोना बीमारी से ग्रसित होने के बाद भी इलाज किया जिसकी बीमारी के इलाज की समुचित व्यवस्था भी हॉस्पिटल सहित संचालक के पास नहीं थी,लापरवाही सहित समुचित देखभाल के अभाव में सुनील तिवारी की मौत हुई ,प्रशासन हॉस्पिटल सहित संचालक की इस लापरवाही को दृष्टिगत रखते हुए कठोर कार्यवाही हॉस्पिटल सहित संचालक पर करे। विधायक के पत्र के बाद भी जो कार्यवाही को लेकर लिखा गया था प्रशासन कार्यवाही नही कर सका और हॉस्पिटल संचालक स्वतंत्र अपना काम करता रहा जबकि नियमानुसार उसके विरूद्ध 302का मामला बनना था।जांच रिपोर्ट गुम कराने का भी हुआ प्रयास,सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर भी नहीं मिल पा रही थी मामले में जानकारी..शिकायतकर्ता का आरोप
शिकायतकर्ता ने मामले की जांच और उसकी कार्यवाही के संबंध में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी लेने का प्रयास किया। शिकायतकर्ता को पहले इस मामले में टालने का प्रयास किया गया और उसे यह कहकर शांत करने का प्रयास किया गया की अभी जांच प्रकिया प्रक्रियाधीन है जो आपके जानने योग्य नहीं है। माना जा रहा है की मामले में जांच रिपोर्ट गुम कराने का भी प्रयास किया जा रहा था और चूंकि शिकायत कर्ता लगातार जानकारी मांगता रहा इसलिए रिपोर्ट गायब नही की जा सकी देनी पड़ी जानकारी।
क्यों मृतक सुनील तिवारी के परिजनों को पूरी तरह ठीक करने का डॉक्टर शर्मा ने दिया आश्वासन?…आश्वासन के बाद सुनील एडमिट हुए शर्मा हॉस्पिटल में
सुनील तिवारी मौत मामले में जो कोरोना महामारी से हुई थी को लेकर एक जांच टीम गठित की गई थी जिसने मामले की जांच की थी और इस्तेहार जारी कर मामले में सभी ऐसे लोगों को बयान देने बुलाया गया था जो इससे जुड़ी कोई जानकारी देना चाहते थे। मामले में मृतक के भाई पत्नी सहित कई अन्य के बयान दर्ज किए गए थे,जिसके अनुसार सभी का एक ही बयान है जिसमे उन्होंने बताया है की सुनील तिवारी को एंटिजन टेस्ट से पता चल गया था की उन्हे कोरोना वैश्विक महामारी है और उन्होंने जांच उपरांत कोविड सेंटर कोरिया में भी जाकर इलाज लेने की सोची थी जबकि वह जब कोविड सेंटर गए वहां कई मृतकों के शव देखकर वह भयभीत हो गए और लौट आए। उसके बाद उनका संपर्क शर्मा हॉस्पिटल संचालक से हुआ जिन्होंने उन्हें आश्वस्त किया की वह उन्हे पूरा इलाज देंगे और उन्हे स्वस्थ कर देंगे वहीं इसी आश्वासन की वजह से ही सुनील तिवारी जाकर हॉस्पिटल में एडमिट हुए जबकि हॉस्पिटल में कोरोना के इलाज की व्यवस्था सुविधा नहीं थी वहीं इलाज के दौरान उनकी मौत हुई वहीं वहीं से उनका शव भी परिवार के सदस्य प्राप्त कर सके और उनका अंतिम संस्कार कर सके। कुल मिलाकर परिवार का बयान साबित कर गया की सुनील तिवारी का इलाज कोरोना बीमारी का इलाज शर्मा हॉस्पिटल कर रहा था और वहीं मौत हुई उनकी जो सीधे तौर पर लापरवाही जानबूझकर की गई लापरवाही थी जो हत्या की श्रेणी में माना जा सकता है।क्या भाजपा जिला संयोजक चिकित्सा प्रकोष्ठ पद से हटाएगी डॉक्टर शर्मा को?…गंभीर आरोपों से घिरे डॉक्टर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिख  क्या पुनः अपना अनुशासन साबित करेगी?
शर्मा अस्पताल बैकुंठपुर के संचालक पर कई गंभीर आरोप लग चुके हैं,उनके ऊपर लापरवाही सहित बिना पंजीयन बिना अनुमति अस्पताल संचालित करने बिना एपेडिमिक इलाज की मान्यता के इलाज करने जिससे एक व्यक्ति की जान भी चली गई थी ऐसे कई मामलों को लेकर आरोप लग चुका है कई मामलो में जांच के बाद आरोप सही भी पाया गया है जिसमे उनके उपर कार्यवाही भी हो सकती है। डॉक्टर शर्मा फिलहाल भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के जिला संयोजक हैं वहीं वह लोकसभा कोरबा क्षेत्र से खुद को भाजपा प्रत्याशी भी बतौर भी मानकर चल रहे हैं,अब देखना यह है की अनुशासन की बात करने वाली भाजपा डॉक्टर साहब के मामले में क्या कार्यवाही करती है,क्या उन्हे वह पदमुक्त करती है आरोपों से बरी होने तक या उन्हे पद पर बनाए रखती है। वहीं भाजपा क्या उन्हे लोकसभा प्रत्याशी घोषित करती है कोरबा लोकसभ क्षेत्र से जबकि उनके ऊपर आरोपों की लंबी फेहरिस्त दर्ज है। वैसे भाजपा को इस मामले में अनुशासन का उदाहरण देना चाहिए ऐसा लोगों का मानना है क्योंकि यह एक बड़ा उदाहरण होगा भाजपा का अनुशासन मामले में।
क्या बैकुंठपुर निवासी सुनील तिवारी मौत मामले में शर्मा हॉस्पिटल संचालक पर प्रशासन करेगा कार्यवाही,क्या होगा अपराध दर्ज??
कोरोना इलाज की मान्यता न होने के बाद भी शर्मा हॉस्पिटल बैकुंठपुर ने बैकुंठपुर के निवासी सुनील तिवारी को हॉस्पिटल में एडमिट किया जबकि एपेदमिक एक्ट के तहत किसी भी निजी हॉस्पिटल को बैकुंठपुर में कोरोना के इलाज की मान्यता नहीं थी,शर्मा हॉस्पिटल ने अवैध तरीके से सुनील तिवारी को एडमिट किया उसका इलाज किया और इसी दौरान उनकी मौत हो गई,मामले की शिकायत हुई जांच हुई और मामला सही पाया गया। अब जब मामला जांच के बाद स्पष्ट है और लापरवाही सहित जानबूझकर लापरवाही तय हो चुकी है तो क्या प्रशासन शर्मा हॉस्पिटल सहित संचालक पर कार्यवाही करेगा क्या उनके ऊपर अपराध दर्ज करेगा यह बड़ा सवाल है। वैसे अपराध दर्ज कर मृतक के परिजनों को न्याय दिलाना प्रशासन की जिम्मेदारी है और प्रशासन को यह जिम्मेदारी निभानी चाहिए ऐसा लोगो का मानना है।
शर्मा हॉस्पिटल के संचालक से जुड़े कुछ सवाल:-
सवाल: क्या एक हत्या के अपराधी को भारतीय जनता पार्टी अभी भी बनाए रखेगी अपना पदाधिकारी?
सवाल: क्या डॉक्टर राकेश शर्मा अभी भी होंगे भारतीय जनता पार्टी से सांसद के उम्मीदवार?
सवाल: क्या न्यायिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद क्या भारतीय जनता पार्टी डॉक्टर राकेश शर्मा को दिखाएगी बाहर का रास्ता?
सवाल: डॉक्टर राकेश शर्मा की अवैध संचालित अस्पताल को सील किया गया कुछ दिन पहले,पीसी पीएनडीटी एक्ट का भी पाया गया था उल्लंघन फिर भी इलाज जारी कैसे?
सवाल: पीसीपीएनडीटी एक्ट की धारा 21 में आपराधिक कार्रवाई का है प्रावधान लेकिन नहीं किया गया कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज क्यों?
सवाल: भारतीय जनता पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ के जिला संयोजक है डॉक्टर राकेश शर्मा  के न्यायिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद क्या मामल होगा दर्ज?
सवाल: क्या डॉक्टर राकेश शर्मा इस बार भी मैनेज कर पाएंगे शासन प्रशासन को जबकि आचार संहिता है प्रभावी?
सवाल: क्या पूर्व पुलिस अधीक्षक की नजदीकी होने के कारण नहीं हुई थी एफआईआर?
सवाल: क्या सही में जांच अधिकारी अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट एवं एसडीएम को धमकी दी थी डॉ राकेश शर्मा ने जांच रिपोर्ट दबाने की?
सवाल: क्या डॉक्टर राकेश शर्मा के द्वारा नर्सिंग होम एक्ट, भारतीय दंड संहिता की धारा 186 तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम के उल्लंघन करने का मामला सिद्ध पाया गया?
सवाल: न्यायिक जांच के दौरान डॉक्टर राकेश शर्मा के द्वारा जांच अधिकारी से दुर्व्यवहार किया गया था या कानून से ऊपर है डॉक्टर राकेश शर्मा?


Share

Check Also

रायपुर,@ निगम-मंडल और स्वशासी संस्थाओं को मिलने वाली अतिरिक्त सुविधाओं पर लगी रोक

Share @ वित्त विभाग ने जारी किया आदेश…रायपुर,26 अक्टूबर 2024 (ए)। वित्त विभाग ने तमाम …

Leave a Reply