- क्या अधिकारियों के लिए आचार संहिता के पालन अनुसार नहीं है जिला मुख्यालय में रहने की बाध्यता?
- एमसीबी जिले के मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी विभाग के प्रथम श्रेणी अधिकारी का एमसीबी जिला है गृह निवास जिला?
- कोरिया जिले के नव पदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी भी हैं कोरिया जिले के ही निवासी,परिवार का राजनीति से जुड़ाव भी प्रत्यक्ष है।
- एमसीबी जिला शिक्षा अधिकारी अभी तक नहीं बना पाए एमसीबी जिला मुख्यालय में ठिकाना, सूरजपुर से करते हैं आना जाना।
- क्या अधिकारियों को आचार संहिता नियमों से है छूट की पात्रता,क्या नियम केवल कर्मचारियों के लिए?
- आदर्श आचार संहिता के नियमानुसार पालन के लिए जरूरी है सभी के लिए एक जैसे नियम,अधिकारी कर्मचारी के लिए तय हो एक नियम।
कोरिया/एमसीबी 12 अक्टूबर 2023 (घटती-घटना)। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है और अब प्रशासन पूरी तरह चुनावी तैयारियों में जुट गया है और कर्मचारियों अधिकारियों के लिए आदर्श आचार संहिता का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है। आदर्श आचार संहिता प्रदेश के कोरिया जिला और एमसीबी नवीन जिले में भी प्रभावी कर दी गई है और अब सभी तरफ चुनाव का ही माहौल देखा जा रहा है। इसी बीच कुछ ऐसे मामले कुछ ऐसे उदाहरण शासकीय विभागों और उसमे पदस्थ अधिकारियों कर्मचारियों को लेकर देखे जा रहे हैं जिसको देखकर लगता है की एमसीबी नवीन जिले सहित कोरिया जिले में आदर्श आचार संहिता सहित चुनाव को लेकर बरती जाने वाली निष्पक्षता सवालों के घेरे में न आ जाए, नवीन जिले एमसीबी सहित कोरिया जिले में कई प्रथम श्रेणी जिला अधिकारियों का गृह जिले से होना और उनका परिवारिक पृष्ठभूमि राजनीतिक होना इसकी वजह मानी जा रही है और माना जा रहा है की यह जिला स्तर के प्रथम श्रेणी अधिकारी चुनाव प्रभावित कर सकते हैं और जिसको लेकर अब राजनीतिक दल भी चुनाव आयोग से शिकायत करने वाले हैं और चुनाव तक ऐसे अधिकारियों को जिला अधिकारी प्रथम श्रेणी पद से मुक्त करने की सिफारिश करने वाले हैं जिससे चुनाव निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो सके।
मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी का गृह जिला एमसीबी,काफी प्रभावशील व्यक्ति है
बता दें की एमसीबी नवीन जिले के मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी का गृह जिला एमसीबी ही है वहीं मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी का पद जिला स्तर का होने के कारण वह प्रथम श्रेणी पद अंतर्गत आता है, मुख्य चिकिस्ता एवम स्वास्थ्य अधिकारी के अधीनस्थ स्वास्थ्य विभाग के हजारों कर्मचारी कार्य करते हैं वहीं निजी क्लीनिक, जांच परीक्षण केंद्र, नर्सिंग होम सहित दवा दुकानों पर भी उनका नियंत्रण होता है और इस तरह मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी चुनाव में काफी प्रभावी हो सकता है किसी दल के लिए यदि उसका गृह जिला वर्तमान पदस्थापना जिला हो। ऐसा ही मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी एमसीबी के मामले में है उनका गृह जिला एमसीबी ही है वह लगातार बीएमओ बनकर प्रभावशाली बने ही चले आ रहे थे जब नवीन जिला गठित हुआ उन्हे राजनीतिक सहारा मिला वह प्रमुख जिला अधिकारी विभाग के बन गए हाल फिलहाल में उनका एक मामला भी समाने आया जिसमें वह जब फंसते नजर आए सत्ताधारी दल के छोटे स्तर के नेताओं ने उनके खिलाफ जब मोर्चा खोला तब विधायक उनके ढाल बने सत्ताधारी दल के ही छोटे नेता सार्वजनिक रूप से माफी मांगते देखे गए डॉक्टर साहब से अब ऐसे में समझा जा सकता है की वह चुनाव में कितना प्रभाव डाल सकते हैं कितना वह प्रभावित कर सकते हैं जबकि वह जिला प्रथम श्रेणी अधिकारी हैं स्वास्थ्य विभाग के।
ऐन आचार संहिता लगने के दो दिन पूर्व कोरिया का जिला शिक्षा अधिकारी बनाना कोई षडयंत्र तो नहीं?
वहीं कोरिया जिले के नव पदस्थ किए गए जिला शिक्षा अधिकारी मामले में भी कुछ ऐसा ही है उनके परिवार की पृष्ठभूमि विशुद्ध राजनीतिक है, वर्तमान में सत्ताधारी दल के जिलाध्यक्ष कोरिया उनके ही परिवार से हैं उन्ही के प्रयासों से ऐन आचार संहिता लगने के दो दिन पूर्व उन्हे जिला शिक्षा अधिकारी बनाया गया वहीं उनके परिवार से ही कई लोग शिक्षक भी हैं, परिवार के लोग का राजनीति से सीधा संबंध है यह उनके लिए इन्कार का भी विषय नहीं हो सकता वहीं उनके द्वारा चुनाव प्रभावित किया जा सकता है यह भी मानने से इंकार करना कठिन होगा, शिक्षा विभाग की जिले में यदि स्थापना देखी जाए तो हजारों की संख्या में कर्मचारी विभाग में हैं वहीं निजी स्कूलों पर भी जिला शिक्षा अधिकारी का नियंत्रण सर्वविदित है जो हर तरह के नियंत्रण का अधिकार उन्हे देता है ऐसे में कोरिया जिले के जिला शिक्षा अधिकारी चुनाव को कितना प्रभावित कर सकते हैं यह समझना कठिन नही होगा वैसे उनकी पदस्थापना को लेकर भी माना जाता है की ऐन आचार संहिता लगने के दो दिन पूर्व उनकी जिला शिक्षा अधिकारी पद कोरिया जिला पर पदस्थापना चुनाव को प्रभावित करने के उद्देश्य से ही कराई गई है। जिला शिक्षा अधिकारी का पद भी जिला स्तर का प्रमुख अधिकारी होने के कारण यह माना जाता है की प्रथम श्रेणी पद है और जिसका प्रभाव सभी कर्मचारियों सहित निजी स्कूलों पर पड़ना स्वाभाविक है। एमसीबी जिले के जिला शिक्षा अधिकारी को लेकर चुनाव के समय अलग ही जानकारी सामने आ रही है वह जिला मुख्यालय या जिले में ही नहीं निवास करते वह आज तक अपना ठिकाना नहीं बना पाए हैं जिले में जबकि आदर्श आचार संहिता लगते ही नियमानुसार अधिकारी कर्मचारियों का जिला मुख्यालय छोड़ना प्रतिबंधित हो जाता है उन्हे जिला मुख्यालय या कार्यस्थल मुख्यालय में ही रहना अनिवार्य कर दिया जाता है, एमसीबी जिला शिक्षा अधिकारी सूरजपुर जिले से आना जाना करते हैं वहीं अब उनके सूरजपुर से आने जाने को लेकर यह कहा जा रहा है की क्या आदर्श आचार संहिता अंतर्गत जिला मुख्यालय में रहने की अनिवार्यता अधिकारी संदर्भ में नहीं होती क्या अधिकारियों को छूट रहती है वह जहां रहें जब मुख्यालय छोड़ दें वहीं कर्मचारी ही केवल आदर्श आचार संहिता की जद में आता है। अब इन अनेकों मामलो के बाद समझा जा सकता है की कोरिया जिला सहित नवीन एमसीबी जिला चुनाव के दौरान किस तरह आदर्श आचार संहिता का पालन कर पायेगा जो देखने वाली भी बात होगी क्योंकि अब राजनीतिक दलों की तरफ से इन मामलों में शिकायत होने जा रही है जो जिला प्रशासन के लिए मुसीबत का सबब होगी क्योंकि इन अधिकारियों की पदस्थापना राज्य स्तरीय कार्यालयों से हुई है।
एमसीबी जिला शिक्षा अधिकारी का जिला मुख्यालय से बाहर रहना आदर्श आचार संहिता का है उलंघन क्या इसको लेकर होगी उनके ऊपर कार्यवाही
आदर्श आचार संहिता लगने उपरांत शासकीय अधिकारियों सहित कर्मचारियों के अवकाश पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है वहीं उनके मुख्यालय से बाहर जाने पर भी रोक लग जाति है। वही सूत्रों से मिलिजानकारी के अनुसार एमसीबी जिला शिक्षा अधिकारी जिले से बाहर निवास कर रहे हैं जिला मुख्यालय में जबकि उनका ठिकाना होना चाहिए खासकर आदर्श आचार संहिता का पालन करने के तारतम्य में ही उन्हे जिला मुख्यालय में रहना चाहिए जबकि वह नही रह रहे है सूरजपुर से आना जाना कर रहे हैं यह भी आदर्श आचार संहिता का उलंघन माना जा सकता है।एक जिला अधिकारी जिसे जिले में अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को आदर्श आचार संहिता के पालन हेतु निर्देशित एवम नियंत्रित करना है यदि वही निर्देश की अवहेलना करेगा तो कैसे वह आदर्श आचार संहिता का पालन अधिनस्थों से करा पाएगा यह भी बड़ा सवाल है। वैसे जिला स्तर के अधिकारियों को आदर्श आचार संहिता का पालन करना अनिवार्य नहीं होता क्या यह भी एक सवाल है जिला शिक्षा अधिकारी एमसीबी के अन्य जिले में निवास को लेकर यदि ऐसा है तब तो कोई गलती उनकी नहीं मानी जायेगी लेकिन यदि नियम आदर्श आचार संहिता के सभी पर लागू होते हैं अधिकारी कर्मचारी पर समान रूप से तब तो वह उलंघन कर रहे हैं सूरजपुर से आ जाकर उन्हे अपना ठिकाना जिला मुख्यालय में बनाना चाहिए जो जरूरी है यदि उन्हे अपने अधिनस्थों से भी नियम का पालन कराना है।
निष्पक्ष संपन्न हो विधानसभा चुनाव इसलिए एमसीबी मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी को चुनाव संपन्न होने तक जिले के स्वास्थ्य विभाग प्रमुख पद से हटाने की होने वाली है राजनीतिक दलों की मांग
जैसा की संकेत मिल रहा है एमसीबी नवीन जिले के मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी को चुनाव संपन्न होने तक पद से हटाने की मांग कुछ राजनीतिक दल करने वाले हैं,राजनीतक दलों का मानना है की इनके रहते निष्पक्ष चुनाव संपन्न नहीं हो सकते यह विभाग में प्रभाव डालकर चुनाव परिणाम में असर डाल सकते हैं। हटाने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों का यह भी मानना है की स्वास्थ्य विभाग एमसीबी का राजनीतिक दलों की तरफ झुकाव छिपा हुआ नहीं है वह खुद भी इससे इंकार नही कर सकते इसलिए उन्हे चुनाव संपन्न होने तक इस पद से मुक्त कर दिया जाए जिससे निष्पक्ष चुनाव संपन्न हो सके। वैसे राजनीतिक दलों का भी मानना गलत नहीं है प्रथम श्रेणी जिला अधिकारी चुनाव प्रभावित कर पाने में निश्चित रूप से सक्षम साबित हो सकता है जबकि उसका राजनीतिक दलों के प्रति झुकाव भी देखने को मिल रहा हो,वैसे चुनाव आयोग को शिकायत की जाने वाली है वह आयोग क्या निर्णय लेता है देखने वाली बात होगी।
कोरिया जिला शिक्षा अधिकारी को लेकर भी राजनीतिक दल करने वाले हैं चुनाव आयोग से शिकायत,गृह जिला राजनीतिक परिवारिक पृष्ठभूमि होगी शिकायत का आधार
कोरिया के नव पदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी को लेकर भी राजनीतिक दल चुनाव आयोग के समक्ष शिकायत करने वाले हैं और उनके शिकायत में यह आधार होगा की कोरिया जिला शिक्षा अधिकारी की पृष्ठभूमि राजनीतिक है वहीं वह गृह जिले में प्रथम श्रेणी जिला स्तर के प्रमुख विभाग अधिकारी हैं और उनके अधीनस्थ हजारों कर्मचारी कार्यरत हैं वहीं निजी स्कूलों पर भी उनका नियंत्रण है जिसके कारण वह चुनाव प्रभावित कर पाने में सक्षम साबित हो सकते हैं इसलिए उन्हे चुनाव संपन्न होने तक जिले के जिला अधिकारी पद से मुक्त किए जाए जिससे निष्पक्ष चुनाव संपन्न हो सके। इनके मामले में भी चुनाव आयोग क्या निर्णय लेता है यह देखने वाली बात होगी क्योंकि मामला तो जायज है जो शिकायत का आधार बनाया जाने वाला है राजनीतिक दलों द्वारा।