कोरबा@13 करोड़ के कन्वेंशनल हॉल में नजर आ रहा है केवल लोहे का ढांचा

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राजा मुखर्जी-
कोरबा 06 दिसम्बर 2021 (घटती-घटना)। जिले को कोयला खदानों से मिलने वाले डीएमएफ फण्ड को बगैर किसी जरूरत के किस तरह खर्च किया जाता है इसका एक नमूना यहां का आधा-अधूरा पड़ा कन्वेंशनल हॉल है। जो दूर से महज लोहे का ढांचा नजर आता है। यह निर्माण बीते दो सालों से इसी तरह ही पड़ा हुआ है। अधिकारी कोरोना काल और फंड रिलीज नहीं होने का रोना रो रहे हैं।कोरबा छत्तीसगढ़ का ऐसा जिला है, जिसे खनिज न्यास में सबसे ज्यादा रकम मिलती है। मगर इस रकम का सबसे ज्यादा दुरूपयोग भी इसी जिले में हुआ है। एजुकेशन हब और अधूरे मल्टीलेबल पार्किंग के बाद जिला जेल कोरबा के पास बन रहे कन्वेंशनल हॉल का है । जिले के तत्कालीन कलेक्टर पी दयानन्द द्वारा यह प्रोजेक्ट सैंक्शन कराने के साथ ही इसका भूमिपूजन भी उन्हीं के द्वारा किया गया था।इस अधूरे निर्माण कार्य की कहानी यह जंग लगा बोर्ड बयां कर रहा है। इस कार्य की जवाबदेही निर्माण एजेंसी छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल की है। इस बोर्ड के अनुसार कार्य की लगत 13.24 करोड़ रुपये बताई गयी है। इसके निर्माण की अवधि भी निकल चुकी है।कोरबा शहर में छोटे-बड़े कार्यक्रमों के लिए अनेक भवन हैं। वैसे भी जब इस हॉल की कार्ययोजना तैयार की गई तब यहां के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित इंदिरा स्टेडियम के बाजू में विशालकाय रंगमंच भवन का निर्माण पूर्णता के कगार पर था। इस भवन का नाम राजीव गाँधी ऑडिटोरियम रखा गया है। मगर डीएमएफ फण्ड के दोहन के फेर में बिना किसी जरुरत के ऐसे प्रोजेक्ट लाये गए, ताकि करोड़ों रुपयों का फंड स्वीकृत हो और “लाभ” भी कमाया जा सके। कन्वेंशनल हॉल भी इन्हीं में से एक था।शहर का हृदयस्थल कहे जाने वाले ट्रांसपोर्ट नगर में काफी साल पहले दीनदयाल सांस्कृतिक भवन का निर्माण किया गया था। नगर निगम की देखरेख में चलने वाला यह भवन लोगों के काफी काम भी आता था, मगर बाद में इसे अनुपयोगी और अलाभकारी बताकर निविदा पद्धति के जरिये ठेके पर दे दिया गया। आज यहां निजी मैरिज गार्डन चल रहा है। अगर शहर में कन्वेंशनल हॉल की जरुरत थी तो दीनदयाल सांस्कृतिक भवन को वापस लेकर उसका पुननिर्माण किया जा सकता था।


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