अंबिकापुर@सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार को उपमुख्यमंत्री से इतना नफरत क्यों…?

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  • क्या सरगुजा कलेक्टर उप मुख्यमंत्री की कर रहें हैं उपेक्षा,यदि बात में सच्चाई है तो किसके इशारे पर की जा रही है उप मुख्यमंत्री की उपेक्षा?
  • छाीसगढि़या ओलंपिक खेल प्रतियोगिता संभाग स्तरीय आयोजन में हुई उप मुख्यमंत्री की उपेक्षा,खुद उप मुख्यमंत्री ने प्रशासन को चेताया…
  • प्रोटोकाल का नहीं हुआ पालन,मुख्य अतिथि बनाए जाने पर न ही दी गई सूचना न ही रखा गया सामने कोई प्रस्ताव:टी एस सिंहदेव उप मुख्यमंत्री
  • सम्मान मन में होना चाहिए देने वाले के…कोई किसी से सम्मान छीनकर प्राप्त नहीं कर सकता… यह भी कहा उप मुख्यमंत्री ने
  • सभी को आमंत्रण दिया गया था नियमानुसार,किसी व्यस्तता की वजह से कोई नही आ सका ऐसा भी संभावित है जो माना जा सकता है: कलेक्टर सरगुजा
  • उप मुख्यमंत्री बनने के बाद भी टी एस सिंहदेव उपेक्षा का झेल दे हैं दंश…आखिर उनके ही विधानसभा क्षेत्र में क्यों किया जा रहा उन्हे लगातार उपेक्षित?

घटती-घटना समाचार –
अंबिकापुर,23 सितम्बर 2023 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ राज्य में यदि कांग्रेस पार्टी सत्ता में पंद्रह साल बाद वापसी कर सकी और जिसका कारण कांग्रेस पार्टी का जन घोषणा पत्र था और जिसके प्रभारी सरगुजा राज परिवार से विधायक साथ ही उस समय की सरकार में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सम्हाल रहे टी एस सिंहदेव थे और उनकी सादगी उनकी जन घोषणा-पत्र के लिए लोगों से उनकी मांगों को लेकर उन्हे घोषणा पत्र में शामिल करने का सहजता से दिया गया वादा और दावा वहीं उनकी सौम्यता सरलता वजह बनी थी तो ऐसा कहना गलत नहीं होगा क्योंकि अधिकांश लोगों की बात माने तो यही सच और सत्य भी है की जन घोषणा पत्र प्रभारी कोई और कांग्रेस पार्टी नेता होता शायद ही जन घोषणा पत्र जनता के बीच प्रभावी होता और न ही जनता विश्वास कर पाती की घोषणा पत्र में उल्लेखित विषय पूरे किए जाएंगे। वहीं जब जन घोषणा पत्र बनाने और उसके लिए आम लोगों की राय और उनकी मांगों को शामिल करने घोषणा पत्र में जहां भी टी एस सिंहदेव पहुंचे सभी जगह उनकी बात सुनने उनके वादे से जुड़ने लोग भी भारी संख्या में जुटे थे जो भी सत्ता वापसी की वजह कांग्रेस पार्टी के लिए बनी। कांग्रेस पार्टी के लिए जन घोषणा पत्र ही सत्ता वापसी की वजह बना यह सर्वविदित और सर्वमान्य तथ्य है जिसे सभी स्वीकार भी करते हैं मानते भी हैं। वहीं सरकार और सत्ता में वापसी के बाद से ही सरगुजा राज परिवार से आने वाले अंबिकापुर विधायक की जिस तरह उपेक्षा शुरू हुई वैसा उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा।
क्या है उप मुख्यमंत्री से जुड़ा उनकी उपेक्षा का नया मामला…आइए जानते हैं…
छत्तीसगढ़ सरकार में हाल ही में सरकार के वर्तमान कार्यकाल के अंतिम समय में अंबिकापुर विधायक टी एस सिंहदेव का कद पार्टी ने बढ़ाया और उन्हे उप मुख्यमंत्री बनाकर यह बताने की कोशिश की पार्टी ने की टी एस सिंहदेव पार्टी के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। टी एस सिंहदेव जो कांग्रेस पार्टी के सच्चे सिपाही के तौर पर जाने जाते रहें हैं और जिन्होंने पार्टी के लिए वह सब कुछ किया है जिसकी वजह से ही आज पार्टी पन्द्रह साल बाद सत्ता में वापसी कर सकी है उनको सरकार के आरंभिक दौर और कार्यकाल में मंत्री पद दिया गया था वह भी कई महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी उन्हे मिली थी।मंत्री पद उन्हे दिया गया था महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी उन्हे मिली जरूर थी लेकिन उन्हे शासन प्रशासन की उपेक्षा से लगातार जूझना पड़ रहा था और उन्हे शासकीय कार्यक्रमों में भी उपेक्षित किया जाता रहा जिससे उन्हे महसूस भी होने लगा की उनसे किसी न किसी को असहज महसूस हो रहा है और खासकर एक मंत्रालय की जिम्मेदारी को लेकर ऐसा ज्यादा है इसलिए उन्होंने वह मंत्रालय और उसकी जिम्मेदारी का त्याग करना उचित समझा और उन्होंने उसका त्याग कर दिया।
उनके मंत्रालय का त्याग करना भी स्वीकार किया गया और उस मंत्रालय की जिम्मेदारी अन्य मंत्री के ही हिस्से में तत्काल जोड़ भी दी गई कोई मान मनौवल भी करने का प्रयास इस दौरान नहीं किया गया। एक मंत्रालय का त्याग कर टी एस सिंहदेव बचे हुए शेष मंत्रालय जिसकी जिम्मेदारी उनके पास शेष थी में ही अपना ध्यान लगाए रहे और अपना काम करते रहे,इस दौरान सरकार के इस कार्यकाल के अंतिम दौर में उन्हे उप मुख्यमंत्री बनाया गया और तब ऐसा लगा की उनका कद बढ़ाया गया है अब उन्हे उनको बेहतर मान सम्मान मिल सकेगा,साथ ही शासन प्रशासन से भी उन्हे महत्व मिलेगा,लेकिन यह सोच भी हाल ही में लोगों की टी एस सिंहदेव समर्थकों की वहीं खुद टी एस सिंहदेव की धराशाई हो गई जब छत्तीसगढि़या ओलंपिक खेल कूद प्रतियोगिता में उप मुख्यमंत्री होने के नाते मुख्य अतिथि तो सरगुजा जिला प्रशासन ने बनाया लेकिन उन्हे न तो आमंत्रित किया गया कार्यक्रम में न ही उनसे इसके विषय में चर्चा ही की प्रशासन ने…प्रोटोकाल का ध्यान भी नहीं रखा गया इस कार्यक्रम में यह बात खुद टी एस सिंहदेव ने कही जो उनकी उपेक्षा हुई यह साबित करने काफी है।
विपक्ष से सत्ता में वापसी कराने वाले सबसे बड़े कारक बने टी एस सिंहदेव को सत्ता में वापसी उपरांत ही यह एहसास करा दिया गया की उन्हे उपेक्षा के अलावा कुछ नहीं मिलने वाला
कांग्रेस पार्टी के लिए विपक्ष में रहकर उसकी सत्ता में वापसी कराने वाले सबसे बड़े कारक बने टी एस सिंहदेव को सत्ता में वापसी उपरांत ही यह एहसास करा दिया गया की उन्हे उपेक्षा के अलावा कुछ नहीं मिलने वाला, सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की सरकार में वहीं उन्हे कैबिनेट मंत्री बाद में उप मुख्यमंत्री बनाने के बाद भी उपेक्षित ही किया जाता रहा, जो सरकार के कार्यकाल के अंतिम दौर तक जारी है इस पारी के उपेक्षा से त्रस्त होकर टी एस सिंहदेव ने अपने जिम्मेदारियों में से एक जिम्मेदारी का त्याग भी कुछ समय पूर्व कर दिया था, जो मंत्री पद की जिम्मेदारी थी और जो महत्वपूर्ण मंत्रालय का मंत्री पद था। वहीं उन्होंने कुछ विभागों के मंत्री पद पर बने रहना उचित समझा और वह पद पर बने रहे वहीं उन्हे सरकार के कार्यकाल के अंतिम कुछ माह शेष बचे कार्यकाल के लिए उप मुख्यमंत्री भी बनाया गया लेकिन उनकी उपेक्षा बरकार रही जो लगातार जारी है।
कभी मुख्यमंत्री के पिता ने उनके ही विधानसभा में आकर भला बुरा कहा तो कभी कांग्रेस के विधायक ने उनके ऊपर जानलेवा हमला करवाने का आरोप लगाया
कभी उन्हे मुख्यमंत्री के पिता ने उनके ही विधानसभा क्षेत्र में आकर भला बुरा कहा उनके पराजय की कामना की कभी कांग्रेस पार्टी के ही विधायक ने उनके ऊपर जानलेवा हमला करवाने का आरोप लगाया वहीं बात यहीं तक नहीं रूकी उन्हे उनके सम्मान को किस कदर नीचा दिखाया जा सके इसके लिए ढेर सारे कांग्रेस पार्टी विधायकों ने बैठक भी की और उनके खिलाफ एकजुटता भी साबित की। वहीं अपने ही विधानसभा में उन्हे शासकीय स्तर पर मिलने वाले प्रोटोकॉल से भी वंचित किया जाता रहा उन्हे प्रशासन भी उपेक्षित करता रहा जिसकी खबरें सामने आती रहीं।
टी एस सिंहदेव का कद छोटा और छोटा कैसे किया जाए
टी एस सिंहदेव का कद छोटा और छोटा कैसे किया जाए इसको लेकर एक मंत्री तो इस कदर पूरे अपने कार्यकाल के दौरान व्यस्त रहे की उन्होंने आपने क्षेत्र अपने ही विधानसभा में समय पर्याप्त नहीं दिया और न ही वहां पार्टी के कार्यकर्ताओं को उन्होंने महत्व या समय दिया। अंबिकापुर में ही डेरा जमाए टी एस सिंहदेव का नित नया विरोध उनकी उपेक्षा प्रशासन से किस तरह करवाई जा सके यही उनका अधिकतम उद्देश्य देखा गया। टी एस सिंहदेव प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बने रहे लेकिन कई स्वास्थ्य योजनाओं में उनकी तस्वीर कोई प्रशासनिक अधिकारी शामिल नहीं करा सका प्रचार प्रसार माध्यमों में यह भी देखने को मिला जो उपेक्षा का ही मामला है जिसमे शहरी चलित स्वास्थ्य सुविधा वाहन एक उदाहरण है जिसमे स्वास्थ्य मंत्री की तस्वीर पांच सालों तक नजर नहीं आई।
क्या हाशिए पर रखने का पूरा पांच साल प्रयास जारी
शासकीय आयोजनों में प्रशासन ने लगातार उनकी उपेक्षा की और उनके कार्यक्रमों में या तो प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचे कभी या फिर उन्हे ही इस कदर उपेक्षित किया प्रशासन ने की वह खुद ही नहीं पहुंचे कई कार्यक्रमों में। कुल मिलाकर उन्हे हाशिए पर रखने का पूरा पांच साल प्रयास जारी रहा जो आज भी जारी है जिसका ताजा मिसाल समाने आया है जब छाीसगढि़या ओलंपिक संभाग स्तरीय आयोजन में उन्हे आमंत्रण कार्ड में तो मुख्य अतिथि बनाया गया है लेकिन उन्हे न तो बुलाया गया और न उनसे कोई इस विषय में वार्ता ही की गई ऐसा खुद उन्होंने ने ही मीडिया को बताया है। टी एस सिंहदेव उपेक्षा को हंसकर और सहजता से सहकर टालते चले आ रहे हैं और उन्हे ज्यादा मलाल नहीं और सम्मान छीनकर और जबरन नहीं लिया जा सकता ऐसा कहकर वह विषय को टालते रहें हैं जैसा इस बार भी उपेक्षित होकर उन्होंने कहा और साफ तौर पर उन्होंने यह भी कहा की प्रशासन को प्रोटोकाल का पालन करना था उन्होंने नहीं किया जबरन उनसे कुछ स्वीकार कराना बेकार है इसलिए बात यहीं समाप्त है कहकर वह आगे बढ़ गए।
टी एस सिंहदेव ने पांच साल के कार्यकाल के दौरान अपनी सहनशीलता का उदाहरण प्रस्तुत किया
टी एस सिंहदेव ने जिस तरह पूरे पांच साल के कार्यकाल के दौरान अपनी सहनशीलता का उदाहरण प्रस्तुत किया उसको देखते हुए यह कहा जा सकता है की उनके भीतर सहन शक्ति का अपार भंडार है और वह अपनी गति से आगे बढ़ते रहेंगे साथ ही वह अधिकांश मामले में मौन रहकर ही सामने वाले को जवाब देते रहेंगे जिसका भी उदाहरण उन्होंने पांच वर्ष तक साबित किया ही। अपनी ही पार्टी की सरकार में जिस तरह वह उपेक्षित होते रहे शायद ही ऐसा उदाहरण कभी भी कहीं भी किसी भी दल में देखने को मिला किसी राज्य या देश के किसी सरकार के कार्यकाल में, वहीं यदि किसी सरकार या दल में ऐसा कोई उपेक्षा वाला मामला सामने आया भी तो जिसकी उपेक्षा हुई उसने दल ही छोड़ दिया और खुद को किनारे कर लिया। वैसे माना जा रहा है की टी एस सिंहदेव को उपेक्षित इसी उद्देश्य से किया जा रहा है जिससे वह स्वयं कांग्रेस पार्टी से किनारा कर लें और अन्य किसी को पार्टी अंबिकापुर विधानसभा से आगे कर सके। टी एस सिंहदेव को राजनीतिक क्षति उनकी छवि धूमिल कर ही पहुंचाई जा सकती है जो संभव एक ही तरह से हो सकता है वह है उपेक्षा का मार्ग जिससे वह त्रस्त हों और खुद पार्टी छोड़ दें और यही प्रयास जारी है जो जन चर्चा का भी विषय है।
क्या टी एस सिंहदेव का कद और उनका प्रभाव उनके विधानसभा में कम हो इसके लिए उनके कई विरोधी पार्टी के ही पदाधिकारियों का कद ऊंचा किया गया?
टी एस सिंहदेव का कद और उनका प्रभाव उनके विधानसभा में कम हो इसके लिए उनके कई विरोधी पार्टी के ही पदाधिकारियों का कद ऊंचा किया गया उनके साथ रहने वालों को प्रभाव में लेने के लिए उन्हे भी पद से नवाजा गया कुल मिलाकर उन्हे किस तरह प्रभावहीन किया जा सके यह प्रयास लगातार जारी रहा। टी एस सिंहदेव समर्थकों को कार्यक्रमों में आमंत्रित न करना,उन्हे भी उपेक्षित करना यह भी उसी उपेक्षा की कड़ी है जो टी एस सिंहदेव की उपेक्षा से जुड़ी हुई है। टी एस सिंहदेव के मंत्री रहते हुए हुई उनकी उपेक्षा को लोग एकबार साथ ही वह स्वयं तब भुला बैठे थे जब उन्हे उप मुख्यमंत्री बनाया गया और तब माना गया की उनका कद बढ़ा है और अब उन्हे उनसे छीन लिया गया अब तक का मान सम्मान लौटाया जायेगा उन्हे अंतिम समय में सरकार के कार्यकाल के ही सही बेहतर सम्मान प्रदान किया गया लेकिन यह बात भी तब झूठी और कोरी साबित हो गई जब उप मुख्यमंत्री रहते हुए टी एस सिंहदेव की उपेक्षा सरगुजा जिला प्रशासन ने की और जिसका उल्लेख स्वयं टी एस सिंहदेव कर रहें हैं एक अपने बयान में।


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