बैकुण्ठपुर@लोगों का कहना है सच लिखो…..पर कैसे लिखूं …..12 नोटिस और तीन एफआईआर मिला है तोहफे में?

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मेरी कलम से मेरी आपबीती!

  • जनता सच जाना पढ़ना चाहती है और सच बताने में कानून के रक्षक व सत्ता से जुड़े लोग रोड़े अटकाते हैं।
  • जनप्रतिनिधियों पर एफआईआर दर्ज करना मुश्किल पर पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज करना आसान क्यों?
  • कभी सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों की आलोचना करना पत्रकार को पड़ता है महंगा,तो कभी शासन प्रशासन की कमियां बताना पत्रकार के लिए मुसीबत।

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 20 सितम्बर 2023 (घटती-घटना)। कभी पत्रकारिता समाज का दर्पण कहलाया करता था, जिसमें सभी का चेहरा दिखाया जाता था पर इस समय दर्पण मानना कोई नहीं चाहता, यदि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता यदि दर्पण दिखता है तो उसके लिए ही समस्या खड़ी हो जाती है, लोग चाहते तो हैं कि लोकतंत्र निष्पक्ष और निर्भीक होकर सच दिखाएं पर कैसे सच दिखाएं सच दिखाने पर परेशानियां भी कम नहीं होती? कभी प्रशासनिक नोटिस पत्रकार को परेशान करते हैं तो कभी छलपूर्वक एफआईआर उसके लिए मानसिक अवसाद का कारण बनती है। दैनिक घटती-घटना के पत्रकार को सच दिखाने के चक्कर में तकरीबन एक दर्जन से ज्यादा नोटिस मिल चुका है और तीन एफआईआर दर्ज हो चुके हैं उसके ऊपर वहीं न्यायालय में परिवाद भी झूठी शिकायतों पर दर्ज हो रहा है।
यदि मैं खुद की बात करूं तो पत्रकारिता पेशे से जुड़ने की मेरी ईक्षा कब मेरे मन में बलवत होती चली गई मैं नहीं जान सका, लेकिन जबसे इस पेशे से जुड़ा निष्पक्ष होकर मैंने अपना धर्म लोकतंत्र के चौथे स्तंभ होने का निभाया। खबर प्रकाशन को लेकर मैने हमेशा आइना दिखाने का ही प्रयास किया जो पत्रकारिता का मूल उद्देश्य था है और रहेगा लेकिन उसे कुछ ने स्वीकार किया वहीं कुछ ने अस्वीकार किया, निष्पक्ष होकर लिखना और उसका प्रकाशन भी करना यह बड़ी बात नहीं है लेकिन इसके लिए एक मजबूत ईक्षाशक्ति की जरूरत होती है जिसका आभाव मैंने खुद में आज तक तो नहीं पाया। निष्पक्ष लेखन पत्रकारिता क्षेत्र में मेरी इस हिसाब से भी मानी जाने लगी की मेरे प्रकाशन या मेरी विचारधारा मेरी सोच नकारात्मक है और उसी हिसाब से खबरों का मेरी पठन किया जाता रहा। मैने किसी की परवाह नहीं की लिखता गया मुझे अपने समाचार पत्र समूह का भी साथ मिला, जिन्होंने खबरों को लेकर कभी समझौता नहीं किया और इस तरह एक निष्पक्ष और निस्वार्थ भाव खबरों के प्रति मेरी लोग देखते पढ़ते रहे।


आलोचनाएं निश्चित रूप से किसी को अच्छी नहीं लगती यह मानवीय गुण है
आलोचनाएं निश्चित रूप से किसी को अच्छी नहीं लगती यह मानवीय गुण है लेकिन यह आम मानव मनुष्य के लिए एक गुण माना जाता है जिसको लेकर मुझे कुछ नहीं कहना रहता कभी लेकिन जब बात लोकतांत्रिक ढांचे की हो जब बात व्यवस्था और सरकारी तंत्र से जुड़े लोगों की हो तब आलोचनाएं स्वीकार्य होनी चाहिए यही मेरे खबरों का आज तक का उद्देश्य रहा। सार्वजनिक जीवन सार्वजनिक हित संवर्धन जिम्मेदारी सभी को नहीं मिलती वह खास और कुछ सीमित लोगों को मिलती हैं और उन्हे आलोचनाओं को लेकर हर पल तैयार रहना चाहिए उसे स्वीकार करना चाहिए यही मैने अपनी एक धारणा बनाई हुई है और उसी अनुरूप मेरी खबरें होती हैं। खबरें भी मेरी या मेरे द्वारा प्रकाशित खुद की मानसिकता से या खुद की प्रेरणा से जनित होती हैं यह कहीं कोई नहीं पायेगा और न सिद्ध कर पाएगा मैने उन्ही विषयों पर पत्रकारिता धर्म का पालन करते हुए कुछ लिखा या प्रकाशित कराया जो देखा सुना या जिनके कुछ प्रमाण मेरे पास सूत्रों ने उपलब्ध कराए। लेकिन यही निस्पक्ष्ता यही पत्रकारिता धर्म परायणता मेरे लिए कब घातक होती चली गईं मैं समझ नहीं सका।


खबरों सहित लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के विषय में लोगों को भी मैने हमेशा अलग अलग तरह से हर बार बदलते देखा
खबरों सहित लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के विषय में लोगों को भी मैने हमेशा अलग अलग तरह से हर बार बदलते देखा महसूस किया, जब किसी अन्य की आलोचना हुई मय सबूत दूसरा प्रसन्न दिखा, लेकिन जब उसकी स्वयं की कोई बात आई वह नाराज हुआ। कुल मिलाकर क्षण क्षण में मेरे लिए लोग अलग अलग विचार रखते मुझे महसूस हुए कभी मैं उनका लगा उन्हे कभी उनका दुश्मन लगा, फिर भी मैंने परवाह किए बगैर अपना धर्म निभाना जारी रखा। सभी के लिए मेरे विषय में धारणा बदलती रही और वह अलग अलग समय पर अलग अलग विचार रखते रहे यह कहना भी पूरी तरह गलत होगा कुछ पाठक आरंभ से मेरे लिए मेरी प्रेरणा रहे जिन्होंने उत्साहित किया और मुझे सच लिखने की हिदायत के साथ यह भी सचेत किया की बचाकर भी खुद को चलना है उनका मैं आभारी हूं वरना शेष ने समय समय पर साथ दिया और साथ छोड़ा भी जब उन्हे अपना नुकसान दिखा मुझसे जुड़कर।

आज मुझे मेरी निष्पक्षता और मेरी धर्म परायणता का काफी इनाम भी मिल चुका है
आज मुझे मेरी निष्पक्षता और मेरी धर्म परायणता का काफी इनाम भी मिल चुका है पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए निष्पक्ष समाचारों का प्रकाशन करते हुए जिसमे आज तक के मेरे सम्पूर्ण प्रकाशन के दौरान के कई प्रकाशनों को लेकर मुझे अब तक 92 कानूनी नोटिस मिल चुके हैं और तीन मामले कानूनी मेरे ऊपर पंजीबद्ध किए जा चुके हैं। जनता आज भी है कुछ जो प्रतिदिन कुछ न कुछ व्यवस्थागत सच जानना चाहती है मैं स्वयं मंशा रखता हूं की मैं निष्पक्ष होकर जनता के सामने सच लाता रहूं लेकिन यह कब तक संभव रह सकेगा यह कह नहीं सकता मैं। सच लिखने पर कानूनी नोटिस लेकर पुलिस दरवाजे पर आ रही है कुछ मामलो में अपराध भी पंजीबद्ध करने की जुगत में लगी रहती है ऐसे में सच की बात कैसे करूं कैसे प्रकाशन करूं समझ में नहीं आ रहा है। अपने पूरे पत्रकारिता क्षेत्र के कार्यकाल के दौरान आज तक मैंने आर्थिक लाभ की कामना या मंशा किसी के समक्ष नही रखी मैने यह माना की यह सच के सामने का रोड़ा है। अब उसके बावजूद भी इल्जाम कई लगे जिनमे आर्थिक लाभ लेने मांगने के बारे में शिकायतें हुईं, नाराजगी उनसे भी नहीं जिन्होंने ऐसी शिकायतें की उनकी मजबूरी थी उन्हे उनके विरुद्ध उनकी करनी का सार्वजनिक प्रकाशन नापसंद था इसलिए उन्होंने आरोप लगाए लेकिन वह स्वयं जानते हैं की उनके आरोप कितने सच हैं और वह कितने विश्वास के साथ आरोपों को साबित कर सकते हैं। आज व्यवस्था को लेकर लगातार कई बातें सामने आती रहती हैं सूत्रों से ही जानकारी मिलती रहती है, सूत्र से मिली जानकारियां ही खबरों का स्वरूप लेती हैं लेकिन जब वह खबर बन जाती हैं वहीं से खबर प्रकाशित करने वाले के लिए समस्या खड़ी हो जाति है।
हर व्यक्ति की मंशा है की खबरों में उनका नाम प्रकाशित जरूर हो लेकिन उसमे उनकी महिमा की,आलोचना वह सहन नही करने वाले
आज व्यवस्था से जुड़े हर व्यक्ति की मंशा है की खबरों में उनका नाम प्रकाशित जरूर हो लेकिन उसमे उनकी महिमा जरूर उल्लेखित हो आलोचना वह सहन नही करने वाले यह वह जताते चले आ रहे हैं। किसी खबर का प्रकाशन यदि मेरे द्वारा किया जाता है तो उससे जुड़ी उसके गुण और उसके दोष का भी प्रकाशन हो यह मेरा प्रयास होता है, वहीं यही बात खबरों को लेकर व्यवस्था से जुड़े लोगों को स्वीकार नहीं। अब ऐसे में निष्पक्ष और स्वतंत्र लेखन कैसे संभव होगा यह विचारणीय है। मैने खुद पर दर्ज या खुद के लिए जारी कानूनी नोटिसों की भी परवाह कभी नहीं की और लिखता रहा जो मुझे जानकारियां मिलती रहीं, आज उसका परिणाम ही है की दोस्तों से ज्यादा मेरे विरोधी मेरे साथ हैं आस पास हैं। राजनीतिक क्षेत्र में भी मैंने काफी कुछ लिखा और उस दौरान मैंने विचित्र स्थिति पाई राजनीतिक क्षेत्र में पल पल में खबरों का स्वरूप बदलने का दबाव मुझे सामने से देखने को मिला। कौन कब किस करवट बैठेगा यह मैने राजनीतिक क्षेत्र के विषय लेखन के दौरान अपनी समझ से परे समझ माना।
कब समर्थक कब विरोधी ऐसे मामले मेरे सामने कई बार आते रहे और मैने इस दौरान पाया की यह क्षेत्र विचित्र क्षेत्र है
कब समर्थक कब विरोधी ऐसे मामले मेरे सामने कई बार आते रहे और मैने इस दौरान पाया की यह क्षेत्र विचित्र क्षेत्र है और यहां सिद्धांत नहीं अवसर और व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से लोग जुड़े हुए हैं जिसकी वजह ही है की उनकी विचारधारा कब बदल जाए कहा नहीं जा सकता। आज मेरे समक्ष एक विकट स्थिति है,आज मेरी खबरों में से एक शब्दों का चयन किया जा रहा है और उसके अनुसार मुझे दोषी और अपराधी घोषित करने का प्रयास जारी है जो विषय सुधि पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। वैसे पत्रकारिता को आय का और बेहतर आय का जरिया मैने बनाया होता आज वह लोग जो मुझे परेशान करने में लगे हुए हैं वह मेरा गुणगान करते मुझे मान सम्मान देते यह मैं स्वीकार करता हूं, लेकिन मैने ठान रखा है की जबतक संभव होगा मैं अपनी निष्पक्षता कायम रखूंगा जिसको लेकर मेरे प्रयास जारी हैं और जारी रहने वाले हैं शेष अब जब तक अवसर मिलता रहे।
सत्यता की जांच का काम पत्रकार का नहीं होता
वैसे जनचर्चा साथ ही सूत्रों से मिली जानकारी ही खबरें बनती हैं और उसकी सत्यता की जांच का काम पत्रकार का नहीं होता, इसके लिए बकायदा शासकीय विभाग तय हैं और वह अपना काम करते रहें यदि निष्पक्ष और निस्वार्थ होकर उन्हे किसी पर अपराध खबरों के आधार पर दर्ज करने की जरूरत नही पड़ेगी। अभिव्यक्ति की आजादी सभी को है और उसी का पालन समाचार लेखन में भी किया जाता है, अब अभिव्यक्ति भी यदि दबाई जायेगी कुचली जायेगी तो फिर अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता की बात स्वतंत्र राष्ट्र में करना ही बेमाने साबित होती रहेगी। खबरें सत्यता के करीब होती हैं जब वह सूत्र जनित या जन चर्चाओं अनुसार प्रकाशित होती हैं वहीं घट चुकी घटनाओं से भी समाचार ही अवगत कराते हैं जनसामान्य को। वैसे यदि कोई विषय सत्यता के करीब है तो उसकी सत्यता प्रमाणित करने का काम कानून का है यदि वह सत्य साबित कभी नहीं भी होता तो उसको लेकर अपराध दर्ज करना कितना उचित नोटिस भेजना कितना उचित यह विचारणीय पहलू है। वैसे द्वेष एक अलग विषय हो सकता है अपनी ख्याति के विरुद्ध सही आरोप भी गलत लगना महसूस होना मानव स्वभाव है और उसके बावजूद सब कुछ सुन समझकर आगे बढ़ना न्याय के साथ आगे बढ़ना ही मिली जिम्मेदारी का सही निर्वहन माना जायेगा।
अभी तो मुझे छोटे मोटे मामलों में ही उलझाया गया है कब कोई बड़ा मामला बना दिया जाए इसकी संभावना बनी हुई है
आज पत्रकारिता क्षेत्र बड़ा व्यापक और बड़ा वृहद आकर्षित करने वाला क्षेत्र है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है और लोग इस क्षेत्र में आ रहे हैं, वहीं यदि पत्रकारिता क्षेत्र में यदि कोई निष्पक्ष होता है उसकी पूरी तरह उन्मूलन में सत्ता व व्यवस्था से जुड़े लोग लग जाते हैं। मुझे आज तक जितने मामलों में उलझाया गया जो उलझाने वाले भी जानते हैं की उनके आरोप कितने सही हैं उनमें से सभी की बानगी भी मैं प्रस्तुत कर रहा हूं। उद्देश्य मेरा यह नहीं है की मुझे सहानुभूति मिले मुझे किसी का समर्थन मिले उद्देश्य इतना मात्र इस लेख का की पाठक भी जाने की निष्पक्ष होकर पत्रकारिता करना कितना जोखिम भरा काम होता है। और अभी तो मुझे छोटे मोटे मामलों में ही उलझाया गया है कब कोई बड़ा मामला बना दिया जाए इसका भी कोई भरोसा नहीं इसलिए पहले से ही आशकाओं को पाठकों के सामने रखना मेरा कर्तव्य, वैसे मैंने अपने किसी लेख समाचार से आज तक किसी समुदाय धर्म सहित किसी व्यक्ति के लिए ऐसा कोई अघात नहीं पहुंचाया जो प्रायोजित हो या जो मेरी मंशा से जनित कोई विषय रहा हो जो कुछ तथ्य सहित सामने आया वह खबर मैने प्रकाशित करने का अपना धर्म निभाया किसी को अच्छा लगा किसी को बुरा। वैसे खबर कर्ण प्रिय ही हो यह सोचकर ही यदि सत्ता राजनीति या व्यवस्था से जुड़े लोग चलते हैं तो उन्हे पत्रकारिता पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा देना चाहिए, वहीं या तो सेंसर बोर्ड की तरह किसी इकाई का निर्माण करना चाहिए जहां से परिक्षण उपरांत ही कोई समाचार प्रकाशित हो सके, ऐसे में कभी सच से किसी को परेशानी नहीं होगी साथ ही वह समाचार प्रकाशित होगा जो सत्ता राजनीति साथ ही व्यवस्था से जुड़े लोग पसंद करते हैं उनकी मंशा जैसे अखबारों को समाचारों को लेकर होती है जिसमे सच के शिवाय सब कुछ होता है।
सुधि पाठकों सच पढ़ना सुनना सभी चाहते हैं लेकिन वह सच अपने लिए वह नहीं सुनना चाहते क्यों?
सुधि पाठकों सच पढ़ना सुनना सभी चाहते हैं लेकिन वह सच अपने लिए वह नहीं सुनना चाहते और यही वजह है की सच लिखने वाला आज हाशिए पर है अपराधी उसे बनाने में कोई संकोच नहीं किया जा रहा है, जबकि न्याय का कहना है अपराधी भले कई बच जाएं एक निर्दोष न प्रभावित हो किसी मामले में लेकिन निष्पक्ष पत्रकारिता मामले में सच यह है की सबसे बड़ा सबसे संगीन जुर्म करने वाला अपराधी आज के युग में वही है जो सच लिखता है और सच का एक एक शब्द समाचारों में प्रकाशित करता है।सबसे पहला नोटिस मनेंद्रगढ़ विधायक के करीबी पार्षद का
मुझे एक खबर प्रकाशन के बाद या प्रकाशन मामले में पहला नोटिस एक पार्षद के शिकायत पर भेजा गया था कानूनी जो मनेंद्रगढ़ विधायक के करीबी थे और जिसमे मैंने उपस्थिति होकर कानून का पालन किया था जवाब दिया था जहां मुझे घंटो बैठाया गया था और मुझे परेशान करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी गई थी।
दूसरा नोटिस तत्कालीन बैकुंठपुर तहसीलदार का
दूसरा नोटिस मुझे तत्कालिन तहसीलदार बैकुंठपुर का प्राप्त हुआ था जिसमे मुझे राज्य महिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत होना पड़ा था और मैंने वहां भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी कानून का पालन किया था। मामला सत्य खबरों की ही वजह से था और मेरी खबरों को ही शिकायत का आधार बनाया गया था।
तीसरा नोटिस श्रमिक नेता का
मुझे तीसरा कानूनी नोटिस कोयला कामगार एक मजदूर संघ के नेता द्वारा भेजा गया था जिसमे भी मेरी खबरों को ही आधार बनाया गया था शिकायत के लिए।
चौथा नोटिस पटना के एक डॉक्टर का
चौथा नोटिस मुझे पटना निवासी एक डॉक्टर ने भेजा था जिसमे भी मैने जवाब कानून का पालन करते हुए दिया था जबकि मुझे बेवजह दिनभर बैठाए रखा गया था जवाब लेने मात्र के लिए और शिकायत का आधार एक खबर ही थी।
पांचवा नोटिस भाजपा के जिलाध्यक्ष की शिकायत पर
पांचवां नोटिस भाजपा जिलाध्यक्ष ने भेजा था और जिसका भी मैने जवाब कानून का पालन करते हुए दिया था और जो भी समाचारों के कारण ही भेजा गया था जो जानकारी सामने आई।
छठवां नोटिस बैकुंठपुर के एक अधिवक्ता की शिकायत पर
छठवां नोटिस बैकुंठपुर के एक अधिवक्ता के माध्यम से मुझे मिला था जिसमे भी मेरी खबर ही उनकी शिकायत की वजह थी जिसमे मैंने नियमानुसार जवाब दाखिल किया था।
सातवां नोटिस एक एडिशनल एसपी पखांजूर की शिकायत पर
सातवां नोटिस मुझे एक एडिशनल एसपी ने भेजा था जिन्होंने पंखाजूर से नोटिस भेजा था जो भी खबरों के लिए ही भेजा गया नोटिस था।
आठवां नोटिस तत्कालीन एसडीएम बैकुंठपुर
आठवां नोटिस मुझे तत्कालीन श्री दुबे एसडीएम बैकुंठपुर ने भेजा था जिसका आधार भी खबर ही था।
तकरीबन 4 नोटिस कोरिया पुलिस का
चार अलग अलग नोटिस अब तक कोरिया पुलिस का मुझे प्राप्त हो चुका है जिसमे भी मेरी खबरें उन्हे अप्रिय लगीं इसलिए उन्होंने नोटिस भेजा यह नोटिस की ही बातें विषय बताती हैं।
पहला एफआईआर एक वायरल चैट पर,जिसे बनाया था खबर
मुझ पर सबसे पहला एफ आई आर एक वायरल चैट को खबर बनाए जाने के कारण दर्ज किया गया और उस वायरल चैट पर अपराध तो मुझ पर दर्ज किया गया लेकिन उसकी सच्चाई आज तक पुलिस सामने नहीं रख सकी क्योंकि मामला विभागीय था।
दूसरा एफआईआर भाजपा जिलाध्यक्ष के शिकायत पर
भाजपा जिलाध्यक्ष के एक शिकायत को आधार बनाकर मुझ पर दूसरा प्रकरण दर्ज किया गया और मजेदार बात यह है की जिस मामले में अपराध दर्ज किया गया वह शिकायत ही भाजपा जिलाध्यक्ष एक तरह से वापस ले चुके हैं उन्हे कोई कार्यवाही मामले में नहीं चाहिए अपनी शिकायत मामले में वह लिखकर दे चुके हैं लेकिन फिर भी अपराध दर्ज किया गया।
तीसरा एफआईआर एक अन्य के नाम से जिसकी जानकारी अभी तक मिल नहीं पाई
एक अन्य अपराध दर्ज किया गया है क्या मामला है जानकारी नहीं मिल सकी है अब तक लेकिन अपराध दर्ज किया गया है सूत्रो का कहना है। अब वह किस मामले और किस खबर को आधार बनाकर दर्ज किया गया है यह जब वह मामला सामने आएगा तभी पता चल पाएगा।


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