नई दिल्ली @अब मिलिए हत्यारे कोरोना के भी ताऊ ओमिक्रोन से

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-डॉ. राजकुमार मिश्र-
नई दिल्ली,01 दिसम्बर 2021 (ए)। लीजिए, कोरोना ने अबतक लोगो की रोजीरोटी,सुख शांति,स्वास्थ्य,शिक्षा,और जिंदगी को तहस नहस कर देने में जो कसर बाकी छोड़ रखी थी उसे पूरा करने के लिए अब कोरोना का ताऊ–ओमिक्रोन– आ धमका है।
अबतक कोरोना के जितने देशी-विदेशी कथित विशेषज्ञ दिनरात ज्ञान बांट रहे थे वे
अचानक रातोंरात ओमिक्रोन की कुंडली बांचने वालों की भूमिका में आगये हैं।हर एक टीवी चैनल पर दिनरात दुनिया वालों को ये सारे ज्ञानी ध्यानी जन कोरोना से भी ज्यादा ओमिक्रोन से डरने,दुबकने,मुंह छिपाकर एक दूसरे से अलग थलग रहने और अफसरों/दण्डाधिकारियों के आदेशों निर्देशो का आंख मूंदकर पालन करते रहने में ही अपना कल्याण समझकर जीने का मार्गदर्शन किए जा रहे हैं।इन दिव्य विशेषज्ञों की एक सरीखी वाणी का फौरन सम्मान करते हुए दुनिया के की देशों ने अपनी सीमाएं सील कर दीं, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द कर दिया,ऐसे भयप्रकम्पित कतिपय देशों ने दक्षिण अफ्रीका को तो बिल्कुल अछूत ही मान लिया है , जहां से — जैसा कि कहा जाता है–ओमिक्रोन धरती को मरघट बनाने निकल पड़ा है।जबकि दक्षिण अफ्रीका के बेचारे राष्ट्रपति
बारबार यह कहते ही रह गए कि उनके देश को इसतरह खलनायक बनाना सरासर अन्याय है मगर किसी ने नही सुनी उनकी बात।कोरोना को भड़काने का दोषी चीन को ठहराया गया था अब ओमिक्रोन का स्रोत दक्षिण अफ्रीका को बताया गया है और हर सेकेंड सारी दुनिया के मीडिया में सैंकड़ो सैकड़ो बार याद दिलाया जा रहा है कि कोरोना तो बच्चा है,ओमिक्रोन उससे कई गुना तेज हत्यारा है ।कोरोना की दो दो वैक्सीन डोज ले चुके लोग भी खुद को सुरक्षित मान लेने की भूल न करें।बनी बनाई इम्युनिटी को बालू की दीवार की तरह ओमिक्रोन ध्वस्त कर सकता है।कोई बूस्टर डोज भी शायद काम न आ सके।
वैसे तो हम विश्वगुरु हैं सर्व शक्तिमान हैं मगर डरकर दुबकने के मामले में हम भी बाकी दुनिया से अलग नही हैं बल्कि दो कदम आगे ही हैं।जैसे ही ज्ञानियों ने सुझाया कि मास्क को बिल्कुल नही भूलना है बल्कि दुश्मन को देखते हुए डबल मास्क लगाकर रहें तो मध्यप्रदेश की जागरूक सरकार ने तत्काल राजधानी भोपाल के चौक चौराहों पर मास्क लगाने के लिए हड़कानेवाले पुलिसिये तैनात कर दिए जो मास्क के बगैर देखते ही 500 रुपये तक का चालान काटने लगे है।आपदा को अवसर बना लेने की ऐसी तरकीब हमारे छत्तीसगढ़ में अबतक तो नही आजमाई गई है ।एक दिसम्बर से धान खरीद की जबरदस्त भीड़भरी गहमागहमी मचने के बावजूद मास्क की अनिवार्यता लाठी और वसूली के दमपर कहीं भी याद नही दिलाई गई है मगर निस्सन्देह दुनिया के देशों से छग आनेवालों के बारीक निरीक्षण परीक्षण और निगरानी की व्यवस्था बखूबी कर दी गई ही।
कुल मिलाकर हमे इस अकल्पनीय डरावने दौर में अपनी सहनशक्ति और आस्था को बनाये रखने की हर मुमकिन कोशिश करते रहनी होगी।हमारे देश मे डेंगू भी मारे जा रहा है,मस्तिष्क ज्वर से,डायरिया से मलेरिया से और अबतो बर्डफ्लू स्वाइनफ्लू सरीखी कई जानलेवा बीमारियों से भी लोग खतरे में ही जी रहे है।अब कोरोना और उसके नए वेरिएंट ओमिक्रोन भी हमलावर है तोभी डरकर नही,हिम्मत से विवेक से और एकजुटता से ही बात सम्भलेगी,कोई दूसरा उपाय नही है।


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