अंबिकापुर,26 अगस्त 2023 (घटती-घटना)। अंबिकापुर के पीजी कॉलेज ऑडिटोरियम में ‘लड़े हैं जीते हैं’ कार्यक्रम संपन्न हुआ। रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सरगुजा के कोरोना वारियर्स को सम्मानित किया गया। उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव जी ने दीप प्रज्वलित कर इस कार्यक्रम की शुरूआत की। उन्होंने ‘लड़े हैं जीते हैं’ के मंच से सरगुजा जिले के कोरोना वारियर्स को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। इस कार्यक्रम में कोरोना काल में उत्कृष्ट योगदान के लिए 1000 से अधिक कोरोना वारियर्स को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। पुरस्कृतों में कई ऐसे थे जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से ज़रूरतमंदों की सहायता की। साथ ही वो भी थे जिन्होंने एक समूह के रूप कोरोना से लडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
पुरस्कार पाने वालो में मितानिनें, मरीज़ों की सेवा करने वाले निजी अस्पताल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और मीडिया कर्मी शामिल हैं। इनके साथ-साथ नर्स, आरएचओ, पुलिस कर्मियों, ऑक्सीजन की आपूर्ति में योगदान देने वाले एनजीओ को सम्मानित किया गया। कई लैब टेक्नीशियन ने इस दौरान संक्रमित लोगों की पहचान हेतु जांच में महत्वपूर्ण योगदान दिया। फील्ड स्टाफ द्वारा सरगुजा जिले में कंटेनमेंट ज़ोन की पहचान और दवा का किट वितरण करने में योगदान दिया गया। लड़े हैं जीते हैं कार्यक्रम में इन्हें भी रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा सम्मानित किया गया।
इस कार्यक्रम में कोरोना वारियर्स के योगदान को चित्रित करते थीम गीत को लॉन्च किया गया। पैनल डिस्कशन और जन संवाद कार्यक्रम के दौरान शहर के गणमान्य नागरिकों ने कोरोना काल में अपना अनुभव साझा किया। साथ उपस्थित आमजनों ने भी कोरोना वारियर्स के योगदान पर अपनी बात पर कही और शंका के निवारण हेतु सवाल भी किए।इस दौरान उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को कोरोना वारियर्स के रूप में सम्मानित किया गया। उन्हें सम्मानित करते हुए जिला स्वास्थ्य और चिकित्सा अधिकारी पीएस सिसोदिया ने कहा कि बतौर स्वास्थ्य मंत्री कोविड काल में उनका योगदान अतुलनीय था। कार्यक्रम के आखिर में ड्यूटी के दौरान संक्रमण से मृत कोरोना वारियर्स को मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम के दौरान मंच पर डॉ प्रीतम राम, औषधीय पादप बोर्ड के अध्यक्ष श्री बालकृष्ण पाठक, जेपी श्रीवास्तव, द्वितेंद्र मिश्र, राकेश गुप्ता, डॉ आर्या, डॉ आरएन गुप्ता, डॉ जे के रेलवानी मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान शहर के गणमान्य नागरिक भी बड़ी संख्या में मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ अमीन फिरदौसी ने किया।
कोविड की विभीषिका का पहले ही अनुमान लगा लिया था
इस कार्यक्रम के दौरान उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को कोविड काल की स्मिृतियों पर बोलने के लिये निवेदन किया गया था। बतौर स्वास्थ्य मंत्री कोविड काल के अनुभवों पर उन्होंने बडी ही गहराई से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि साा सम्हालने के महज 1 वर्ष के भीतर ही चीन से आ रही इस बडी आफत को उन्होंने भांप लिया था। उन्होंने जानकारी दी कि 18 मार्च 2020 को जब छाीसगढ में कोविड का पहला केस आया था उसके तीन चार माह पूर्व ही उन्होंने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर इस बिमारी से निपटने के लिये एक आधारभूत चिकित्सीय ढांचे का निर्माण कर लिया था। इसी कारण छाीसगढ में कोविड के शुरुआती दौर में जब कम केस आ रहे थे तब रायपुर में कोविड नियंत्रण के लिये बने अस्पताल में लोगों का इलाज किया। इस दौरान विभिन्न जिलों के जिला अस्पतालों में भी तेजी से कोविड चिकित्सा इकाईयों का गठन किया गया। अम्बिकापुर के कोविड वार्ड का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब अम्बिकापुर में कोविड का पहला मामला आया तब स्वास्थ्य विभाग सशंकित था कि मरीज का इलाज अम्बिकापुर में किया जाये या उसे रायपुर लाया जाये। तब मैने अम्बिकापुर की मेडिकल टीम पर भरोषा करते हुए मरीज का इलाज अम्बिकापुर के कोविड सेंटर में कराने का निर्णय लिया। सरगुजा के पहले कोविड मरीज का सफलतापूर्वक अम्बिकापुर के कोविड सेंटर में इलाज हुआ और इसके बाद अम्बिकापुर के कोविड सेंटर के साथ ही विभिन्न अस्पतालों में हजारो मरीजों का इलाज किया गया। अपने 45 मिनट के उद्बोधन में उन्होंने कहा कि जहां कोविड के नकारात्मक पक्ष की बहुतायत है वहीं इसके कई सकारात्मक परिणाम भी सामने आये। कोविड बिमारी के प्रबंधन में समूचे छाीसगढ में चिकित्सा क्षेत्र के आधारभूत ढांचे में अभूतपूर्व बढोारी हुई है। सैकडों आईसीयू बेड तैयार हुए हैं। सभी प्रमुख सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हुए हैं। कोविड के दौरान चेस्ट स्केन की सुविधा स्थापित करने के लिये सभी जिला चिकित्सालयों में सिटी स्केन मशीन लगाया गया, जो आज दूसरी व्याधियों के लिये उपयोग में आ रहा है। कोविडकाल में पूरे देश में मात्र पुणे में कोविड का वॉयरोलॉजी लैब था। आज अकेले छाीसगढ में ऐसे लैब की संख्या 14 से अधिक है। कोविडकॉल में छाीसगढ के कटघोरा में जो प्रथम व्यापक संक्रमण का फैलाव हुआ था पर एक रोचक प्रसंग का उन्होंने जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब कटघोरा में एक साथ कई केस आये तब कोविड के लिये तैयार अमले में इसका सामना करने में कुछ हिचक-कुछ भय को मैने देखा जो कि मानव स्वभाव के अनुसार स्वभाविक था। तब मैने तय किया कि मै स्वयं वहां जाउंगा। उस वक्त मेरी आयु 68 वर्ष की थी। मेरे उत्साह को देख मेरी तब की स्वास्थ्य सचिव ने मुझे झिडकी दी और कहा कि मेरी आयु के मुताबिक यह सही नहीं है। लेकिन मेरे वहां जाने के उत्साह ने कोविड अमले में सक्रीयता ला दी। उन्होंने बताया कि कोविड वार रुम उनके बंगले के बगल में रेस्ट हाउस में बना था। इस वार रुम में निरंतर ऐसे लोगों का आनाजाना था जो सीधे कोविड के इलाज प्रक्रिया से जुडे हुए थे। इस वजह से स्टाफ के 60-70 लोग संक्रमित हो गये। मुझे स्वयं भी 3 बार कोविड संक्रमण हुआ। इतने संक्रमण के बावजूद भी स्टाफ ने कोविड काल में बेहद सक्रीयता से काम किया जिसके कारण मुझे अपने स्टाफ पर गर्व है। उन्होंने जानकारी दी कि आज तक कोविड की बीमारी का कोई सटीक इलाज सामने नहीं आया है। कोविड के तीन दौर में प्रदेश में 14190 मौतों का उन्होंने जिक्र किया। जिसमें सर्वाधिक मौतें वर्ष 2021 में कोविड के दूसरे दौर में मार्च से मई के बीच हुई जो 9000 से अधिक थी। उन्होंने कहा कि मौतों को देख हताश हो जाता था। कोई दिशा नहीं थी। विशेषज्ञों की अलग-अलग राय के बिच हमें नितियों का निर्धारण करना पडता था जो कि किसी अंधे कुॅंए में झांकने के समान था। कोविड का न तो कल कोई इलाज था न आज है। इलाज के नाम पर एक शून्य है जिसमें जाकर लडकर हमने कोविड पर जीत दर्ज की है।
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