एमसीबी@रसूखदार डॉक्टर पार्षदों को झुकाने में हुएकामयाब…मांग वाली माफी विधायक व नगर पालिका अध्यक्ष के सामने?

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  • जनप्रतिनिधि मांग रहे लोक सेवक से माफी,विधायक नगरपालिका अध्यक्ष सहित जनपद अध्यक्ष बन रहे मौन साक्षी
  • जिस रसूखदार डॉक्टर पर विधायक व निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को करवाना था कार्यवाही उसी की कर रहे पैरवी
  • क्या रसूखदार डॉक्टर से चलती है निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की दुकान..यही वजह है उन्हें देना चाहते हैं सीएमएचओ और बीएमओ पद दोनों?
  • जिस लोक सेवक डॉक्टर से विधायक,नगर पालिका अध्यक्ष अपनी उपस्थिति में पार्षदों से मंगवा रहे माफी उन पर खुद लगा हुआ है आरोप
  • क्या अपने ही दल के जनप्रतिनिधियों का सम्मान विधायक महापौर सहित नगरपालिका अध्यक्ष के सामने नहीं रखता कोई महत्व?
  • शासकीय अस्पताल सहित जिले के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया हैं डॉक्टर,जिनके समय पर नहीं पहुंचने से हुई थी एक घायल की मौत
  • घायल की इलाज के आभाव में हुई मृत्यु मामले में कुछ पार्षदों ने भी डॉक्टर पर लगाया था आरोप,खुलकर डॉक्टर का किया था विरोध।
  • पार्षद सत्ताधारी दल के थे और डॉक्टर शहर के रसूखदार,इसलिए निकाला बड़े जनप्रतिनिधियों ने अलग रास्ता,पार्षदों से मंगवाई माफी?
  • डॉक्टर ने सरकारी स्वास्थ्य विभाग के अमले को एकजुट कर करवाया था आंदोलन,आंदोलन के बाद जारी हुई थी कानूनी कार्यवाही।
  • डॉक्टर जो शासकीय चिकित्सक हैं और जिले के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख हैं चलाते हैं निजी क्लीनिक।
  • शासकीय अस्पताल में भी इलाज करके लेते हैं शुल्क,यह भी कहते हैं सूत्र।
  • घर पर ही है डॉक्टर के क्लीनिक…शासकीय अस्पतालों में आने वाले मरीजों का घर ले जाकर भी शुल्क लेकर करते हैं इलाज।
  • क्या जिले के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया के समाने नगरपालिका अध्यक्ष भी हैं मजबूर,खुद का उनका भी है निजी अस्पताल सह स्वास्थ्य परिक्षण केंद्र।
  • नगरपालिका अध्यक्ष ने इसी वजह से पार्षदों से मंगवाई माफी,अपने अस्पताल व्यवसाय की वजह से डॉक्टर की हैं वह करीबी।

-रवि सिंह-
एमसीबी 22 अगस्त 2023 (घटती घटना) जब रसूखदार साथ ही अपने लाभ के लिए कुछ भी किसी भी स्तर तक जाने वाले डॉक्टर को जनता द्वारा चुने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का संरक्षण मिल जाए तो फिर सोने पर सुहागा जैसा मामला हो जाता है, क्योंकि वह उस मिले हुए संरक्षण को अपने मतलब के कार्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं, कुछ ऐसा ही इस समय मनेन्द्रगढ़ विधानसभा में देखने को मिल रहा है, जहां एक शासकीय डॉक्टर पर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की मेहरबानी बरस रही है, वह डॉक्टर काफी चर्चित है और चर्चा में इस समय इसलिए भी है क्योंकि उनकी लापरवाही से किसी की जान गई चली गई थी, लेकिन जान जिसकी गई उसके परिजनों की शिकायत पर लापरवाह डॉक्टर के विरुद्ध तो कार्यवाही नहीं हुई न जांच ही हुई, लेकिन डॉक्टर की रणनीति डॉक्टर द्वारा पूरे जिले की स्वास्थ्य विभाग कर्मचारियों की कराई गई हड़ताल कारगर साबित हुई और उनकी शिकायत पर उनके साथ हुज्जत बाजी व मारपीट करने वाले के विरुद्ध कार्यवाही तय कर ली गई, जिसके बाद तरह-तरह के हथकंडे अपनाए गए और सीएमएचओ और बीएमओ पद पर पदस्थ एकमात्र डॉक्टर को बचाने के लिए पूरा तंत्र लग गया, हद तो तब हो गई जब जीवनदीप समिति की बैठक में पार्षदों को जो निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं डॉक्टर से माफी मांगने पड़ी और उनका गुणगान करना पड़ा और यह सब निर्वाचित विधायक व निर्वाचित नगर पालिका अध्यक्ष व जनपद अध्यक्ष के सामने हो रहा था और सब मौन होकर इसके साक्षी बने हुए थे। अब ऐसा क्यों हो रहा था यह तो अंदर खाने की बात है पर पार्षदों के माफी के बाद डॉक्टर के कार्यों का बखान करना समझ नहीं आया, जब इतना ही डॉक्टर साहब अच्छे थे तो फिर क्यों नहीं समय पर पहुंचकर उस व्यक्ति की वह जान बचा लिए? जो घायल था घंटो अस्पताल में तड़पता रहा, डॉक्टर को सूचना भी गई लेकिन वह घंटो बाद आए और वह घायल मृत घोषित हुआ, वहीं डॉक्टर जिनको लेकर अब पार्षद विधायक, नगरपालिका अध्यक्ष सहित जनपद अध्यक्ष के सामने तारीफ के कसीदे पढ़ रहे हैं, उनसे माफी मांग रहें हैं की उन्होंने गलत किया जो उनका विरोध किया, वह डॉक्टर यदि जैसा बताया जा रहा है यदि महान हैं तो घर में लगी मशीनों से गरीबों का निशुल्क इलाज वह क्यों आज तक नहीं करते हैं? पैसा तो वह घर पर गरीबों से भी खूब ऐंठते हैं निशुल्क वह शासकीय अस्पताल में भी किसी का इलाज नहीं करते तो वह किस तरह महान हैं? यह भी बताना चाहिए, लेकिन डॉक्टर का रसूख ऐसा की अब उनकी गलतियों पर पर्दा डालने विधायक को सामने आना पड़ रहा है, नगरपालिका अध्यक्ष भी मजबूर हैं, क्योंकि उनका निजी क्लीनिक है स्वास्थ्य परीक्षण केंद्र है जो सूत्रों का बताना है, जहां वही डॉक्टर निरीक्षण कर सकते हैं, जनप्रतिनिधियों का उनके खिलाफ मौन रहना समझ के परे हैं, कहीं ऐसा तो नहीं कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की मेडिकल से संबंधित दुकान चल रही हैं और उसे दुकानों पर डॉक्टर साहब की मेहरबानी है? सूत्रों की माने तो जनप्रतिनिधियों की दुकान स्वास्थ सुविधाओं से जुड़ी हुई है जहां पर डॉक्टर मरीजों को भेजा करते हैं, जिससे भारी-भरकम कमाई होती है, जिसके घर का व्यक्ति गया उसके लिए जनप्रतिनिधियों का दिल नहीं पिघला पर डॉक्टर साहब के लिए जनप्रतिनिधियों का दिल खूब पिघल रहा, डॉक्टर पर मेहरबानी खूब बरस रही। जनता के लिए चुने गए निर्वाचित जनप्रतिनिधि जनता की नहीं सरकारी तंत्र के गुलाम बने हैं।
रसूखदार डॉक्टर से मृतक के परिजनों के भी माफीनामे की हो चुकी है तैयारी,कार्यवाही से बरी करने का आश्वाशन के बाद मांगने वाले हैं वह माफी-सूत्र
रसूखदार डॉक्टर को लेकर सत्ता साथ ही विपक्ष दोनों एक हो गया है,अब तैयारी यह है की जिस लापरवाही की वजह से एक घायल की जान गई उस पूरे मामले का की पटाक्षेप किया जाए जिससे रसूखदार डॉक्टर पूरी तरह बरी हो जाए,मामले में डॉक्टर ने जिले के स्वास्थ्य अमले का इस्तेमाल कर उनसे आंदोलन कराकर मृतक के परिजनों के खिलाफ गंभीर धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध तो करा लिया है जिससे मृतक के परिजन भी परेशान हैं और वह भी कानूनी सलाह और शरण ढूंढ रहे हैं इसी बीच यह भी सूत्र बताते हैं की सत्ताधारी दल सहित विपक्ष भी अब रसूखदार डॉक्टर से मृतक के परिजनों की माफी की तैयारी में लगा हुआ है जिसमे मृतक के परिजनों को प्रलोभन के तौर पंजीबद्ध अपराध से मुक्ति दिलाई जाएगी और मामले का पटाक्षेप डॉक्टर के पक्ष में कराया जायेगा,जिससे भविष्य में कभी यदि मृतक के परिजन यदि उन पर दर्ज अपराध वापस नहीं होता है और कानुनी सलाह लेकर आगे बढ़ते हैं तो डॉक्टर के खिलाफ जांच वाली नौबत न आ जाए।
नवीन जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था रसूखदार डॉक्टर के रहने तक होगी सशुल्क हुआ तय-
अब नवीन जिले में स्वास्थ्य विभाग कमान सम्हालने वाले डॉक्टर से जब जनप्रतिनिधि हि माफी मांग रहें हैं,विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि इसे जीवन दीप समिति की बैठक बता रहें हैं जनप्रतिनिधियों का माफीनामा भी बंद कमरे में हो तो रहा है लेकिन उसका वीडियो विधायक प्रतिनिधि बना रहें हैं प्रेस मीडिया को बांट रहें हैं ऐसे में समझा जा सकता है की अब नवीन जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की कमान जिसके पास है जो निजी क्लीनिक संचालक भी है वह कैसे निशुल्क सेवा का भाव स्वास्थ्य महकमे में जगा पाएगा,अब वहां पैसे से ही इलाज होगा तय है।
डॉक्टर तिवारी ने मितानिन को जनदर्शन में जाने के लिए निर्देश
मितानिन के भी दो गुट हो चुके हैं बैठक में मनेंद्रगढ़ की मितानिन का न होना क्या दर्शाता है? सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार डॉ तिवारी ने झगड़ाखंड खोगापानी केल्हारी की मितानियों को कलेक्टर जन दर्शन में जाने के लिए कहा गया है, डॉक्टर तिवारी द्वारा यह भी कहा गया है कि आप लोग एक आवेदन दीजिए जनदर्शन में एमसीबी जिले में सीएमएचओ के कमी के कारण हम काम अच्छे से नहीं कर पा रहे हैं, वही एक और जिनके ऊपर मामला पंजीकृत हुआ था वह सब माफी मांगने के कगार पर आ गए, प्रार्थी का कहना है यह सब बैठक की जानकारी मुझे नहीं मिली ना मेरे परिवार को मिली मेरे परिवार के साथ गलत हुआ है और मैं इसके खिलाफ हूं मैं सिर्फ शासन प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा हूं, वही एक और मनेंद्रगढ़ की मितानियों को बैठक में ना बुलवाकर चोरी छुपे उनसे माफी मंगवाया जा रहा है और अब मितानियों का भी दो गुट हो चुके है मनेंद्रगढ़ की मितानियो का ये भी कहना है हम डॉ तिवारी के खिलाफ है हमारे साथ गलत हुआ हमे न्याय चाहिए अब देखना होगा डॉक्टर तिवारी के ऊपर शासन प्रशासन द्वारा सही जांच होती है या नहीं?
स्वास्थ्य मंत्री के बंगले का चक्कर तक लगा चुके डॉक्टर साहब
वैसे बताया जा रहा है की डॉक्टर साहब कई दिनों स्वास्थ्य मंत्री के बंगले पर भी नजर आ रहे थे और इस दौरान वह अकेले नहीं कई अन्य रसूखदारों को लेकर जाते थे और उसी का कुछ असर हुआ है और अब वह खुद से माफी मंगवाने खुद ही जीवन दीप समिति की बैठक बुला रहें हैं और जहां बड़े पदों पर आसीन निर्वाचित जनप्रतिनिधि खुद से नीचे पदों पर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से डॉक्टर साहब से माफी मंगवा रहे हैं क्योंकि नीचे पदों पर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों जिनमे कुछ पार्षद शामिल हैं उन्होंने डॉक्टर साहब की पोल खोलने का काम किया था जो रसूखदार डॉक्टर और बड़े जनप्रतिनिधियों को नागवार गुजरा था।
जीवन दीप समिति की बैठक क्या माफीनामे के लिए आयोजित किया जाना सही निर्णय
मनेंद्रगढ़ में जीवन दीप समिति की बैठक आयोजित हुई उसकी कार्यवाही को लेकर जो विडियो सामने आया उसमे साफ समझ आ रहा है की वह डॉक्टर से माफीनामे वाली बैठक है,अब ऐसे में सवाल उठता है की क्या जीवन दीप समिति की बैठक का यह स्वरूप सही है, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं और लोगों को मिल रही शासकीय स्वास्थ्य सुविधा हो रही असुविधा साथ ही सुविधा विस्तार की चर्चा होनी थी वहां एक ऐसे डॉक्टर से जनप्रतिनिधि माफी मांग रहे थे जो अभी एक मामले में दोषी है जिसमे एक घायल की जान उसकी लापरवाही से चली गई है और जो आरोप मृतक के परिजनों का है। वहीं बैठक में विधायक,नगर पालिका अध्यक्ष,जनपद अध्यक्ष पार्षदों से जो जनप्रतिनिधि हैं से माफी मंगवा रहे हैं रसूखदार डॉक्टर के सामने एक तरह से नाक रगड़वा रहें हैं जो बैठक के औचित्य पर ही सवाल है और जीवन दीप समिति की बैठक का एजेंडा ऐसा हो यह कोई नहीं चाहेगा।
कुछ बड़े जनप्रतिनिधियों की अपनी ही स्वास्थ्य सुविधाओं की दुकान है,उनकी मजबूरी भी बनी पार्षदों के माफी की वजह-सूत्र
मनेंद्रगढ़ में जीवन दीप समिति की बैठक में जिन पार्षदों ने माफी मांगी डॉक्टर से वह क्यों मजबूर हुए यदि इसकी पड़ताल की जाए तो सूत्रों के अनुसार शहर में कई जनप्रतिनिधि जो बड़े पदों पर हैं उनकी स्वास्थ्य सुविधाओं की निजी दुकान है, जहां शासकीय स्वास्थ्य विभाग का दबदबा बना रहता है खासकर एमसीबी जिले के सी एम एच ओ और बी एम ओ का पद एक साथ सम्हाल रहे डॉक्टर तो निजी अस्पतालों सहित अन्य केंद्रों पर पूरा नियंत्रण और दबाव रखते हैं और यही वजह है की बड़े पदों पर बैठे जनप्रतिनिधि अपनी दुकान बंद न हो जाए इससे चिंतित थे और इसीलिए आनन फानन में उन्होंने पार्षदों को नतमस्तक होने मजबूर किया।
रसूखदार डॉक्टर स्वास्थ्य मंत्री के यहां भी लगा आए हैं चक्कर, वहां से भी ले आए क्लीन चिट-सूत्र
मनेंद्रगढ़ के डॉक्टर जिन्हे या जिनकी गलती उस समय सामने आई थी जब एक घायल की मौत उनके विलंब से आने की वजह से अस्पताल में हुई थी और तब उनका शहर भर में विरोध हुआ था और स्वास्थ्य मंत्री तक का बयान उन्हे हटाने का उस समय सुर्खियां बना था को सूत्रों की माने तो स्वास्थ्य मंत्री के यहां भी राजधानी में देखा गया था, वहां से भी वह इसलिए क्लीन चिट पा गए हैं क्योंकि शहर में कोई उन्हे चाहे न चाहे जनप्रतिनिधि जिनकी मेडिकल क्षेत्र अंतर्गत कार्य करने वाली दुकान है वह उनका विरोध नही कर सकते नहीं और यह भी उनके लिए संजीवनी का कार्य कर गया।
रसूखदार डॉक्टर अब शहर में फिर करेंगे मनमानी,खुद के क्लीनिक में करेंगे वह सतत शुल्क लेकर इलाज वेतन और सुविधा भी लेंगे सरकारी
अब जिस तरह विधायक,नगरपालिका अध्यक्ष,जनपद अध्यक्ष सभी को रसूखदार डॉक्टर अपनी तरफ कर चुके हैं उससे साबित हो गया है की अब वह पद पर बने रहेंगे वह मनमानी भी करेंगे वहीं फिर से वह अपने निजी क्लीनिक में ही शुल्क लेकर इलाज करेंगे और शासकीय अस्पताल में आने वालों का परिक्षण जांच और उनकी दवाइयों का बिल उनके क्लीनिक में ही भुगतान होगा,गरीब परेशान ही रहेगा डॉक्टर शासकीय वेतन भत्ता लेकर भी निशुल्क इलाज नहीं करेंगे यह भी तय हो गया। कुल मिलाकर सैयां भय कोतवाल अब डर काहे का।


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