- बेमियादी हड़तालअस्पतालों में चरमराई व्यवस्था, गंभीर मरीजों को ही भर्ती कर रहे
- राज्य शासन द्वारा स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी-अधिकारियों के मांगों कि उपेक्षा और अनुपूरक बजट में अनदेखी से स्वास्थ्य विभाग में भारी रोष व्याप्त है
- इसके चलते स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर, स्वास्थ्य संयोजक,नर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ चुके हैं
- इनके हड़ताल के चलते मरीजों को परेशानी शुरू हो चुकी है
- डॉक्टर नहीं मिलने के कारण निजी अस्पतालों की ओर रूख करना पड़ा रहा है
सूरजपुर,22 अगस्त 2023 (घटती घटना) जिला अस्पताल सहित सभी शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर व स्टॉफ की एकाएक कमी हो चुकी है। इसके चलते अस्पताल पहुंच रहे मरीजों की तकलीफ और बढ़ चुकी है। डॉक्टर व स्टॉफ अपनी मांग पूर्ति के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इसके पूर्व 11अगस्त को चेतावनी के रूप में इनके द्वारा सांकेतिक प्रदर्शन किया गया था। उन्होंने राज्य सरकार से उम्मीद जताई थी कि स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के दौरान उनकी मांगों पर सीएम घोषणा कर सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे स्वास्थ्य कर्मचारियों की नाराजगी और बढ़ गई। पूर्व निर्णय पर अमल करते हुए 21 अगस्त से डॉक्टर सहित नर्सिंग स्टॉफ जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में सेवा देने के लिए नहीं पहुंचे। केवल आपातकालीन सेवा के लिए गिनती के स्टॉफ मौजूद हैं। अधिकतर स्वास्थ्यकर्मी रंगमंच मैदान धरना प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे और हड़ताल में शामिल है ।
कर्मचारियों की मांग
स्वास्थ्यकर्मियों की प्रमुख मांग वेतन विसंगति का दूर करने की है। अन्य विभाग के कर्मचारी अधिकारी सप्ताह में 32.5 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं, लेकिन हम उनसे कहीं ज्यादा ड्यूटी कर रहे हैं। एक साल में 52 शनिवार और 52 रविवार होते हैं। मतलब हम 104 दिन अवकाश में ड्यूटी करते हैं और सभी अवकाश को मिला लिया जाए तो साल में अन्य विभाग की तुलना में 4 माह से भी अधिक ड्यूटी करते हैं। इसलिए सप्ताह में ड्यूटी अवधि का निर्धारण और ओवरटाइम टाइम भो की मांग की। मरीजों की संख्या सरकारी अस्पतालों में लगातार बढ़ रही है, लेकिन स्टॉफ का सेटअप जस का तस है। आईपीएचएस गाइडलाइन के अनुसार स्वास्थ्य विभाग में मरीजों की संख्या के अनुसार स्टॉफ का सेटअप रिवाइज किया गया है। इसके अनुसार स्टॉफ की नियुक्ति किया जाना चाहिए। वहीं हर अधिकारी कर्मचारी कैडर में संविदा और एडहॉक एम्प्लॉय हैं। ऐसे में संविदा-एडहॉक का नियमतीकरण किया जाए। कोविड इंसेंटिव कोविड समय से ही पेंडिंग है और जोखिम भाा किसी भी अधिकारी कर्मचारी कैडर को नहीं मिल रहा है।
सभी अस्पतालों पर असर
जिला अस्पताल के अलावा सभी 9 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 36 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के करीब 50 डॉक्टर और उपस्वास्थ्य केंद्र 209 है व अस्पताल के करीब 400 स्वास्थ्यकर्मी अपनी मांगों के लिए हड़ताल पर हैं। इनके हड़ताल पर चले जाने के कारण शासकीय स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने वाले अधिकतर मरीजों को बिना ईलाज के लिए ही लौटना पड़ा। वहीं आपातकालीन सेवा में भी गिनती के स्वास्थ्यकर्मी हैं जो जैसे-तैसे मरीजों की देख-रेख कर रहे हैं।
हड़ताल में 12 संघ शामिल
स्वास्थ्य अधिकारी-कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल में छग स्वास्थ्य फेडरेशन के 12 घटक संघ डॉक्टर एसोसिएशन, डेंटल सर्जन, स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ, नर्सिंग ऑफिसर एसोसिएशन, प्रदेश नर्सेज एसोसिएशन, परिचारीका कर्मचारी कल्याण संघ, छग एनएचएम संघ और छग शासकीय वाहन चालक संघ शामिल हैं। हड़ताल को लेकर संघ द्वारा अधिकारी को सूचना दी गई है।
दूसरे दिन बस स्टैंड से कलेक्ट्रेट तक निकाली रैली
स्वास्थ्य संयोजक ने बताया कि पांच सूत्रीय मांग को लेकर बस स्टैंड से रैली निकाली गई । रैली शहर के मुख्यमार्गों से होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंच कर। यहां ज्ञापन सौंपा गया ।जिला संयोजक छाीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन संघ के संदीप गुप्ता ने कहा कि मांगे पूर्ण नहीं होने पर उग्र आंदोलन किया जाएगा। इस अवसर पर डॉक्टर, नर्स आदि कर्मचारी उपस्थित थें।