स्वतंत्रता दिवस पर छात्रों,अधिकारियों व कर्मियों को नहीं मिली मिठाई
-अरविंद द्विवेदी-
अनूपपुर,20अगस्त 2023(घटती-घटना)। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक बिल्डिंग घोटाला, भर्ती में भ्रष्टाचार, जनजातीय छात्राओं के छेड़छाड़, बलात्कार के मामलों में चर्चित रहा है। वहीं हाल ही में 15 अगस्त के स्वत्रंत्रता दिवस पर्व के दिन ढाई हजार पैकेट मिठाई का घोटाला हो गया तथा विश्वविद्यालय के सभी संकाय के छात्र एवं कई असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर तथा नॉन-टीचिंग के अधिकारी, अस्सिटेंट रजिस्टार भी घन्टो लाइन में लग रहे, लेकिन मिठाई नहीं मिल पाई। स्वत्रंत्रता दिवस पर्व के खर्चे के लिए लाखों रुपए का एडवांस विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी ने लिया था, मिठाई घोटाले का मुद्दा छात्रों और जनजातियों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। विश्वविद्यालय में सैकड़ो की संख्या में सफाई-कर्मचारी, डेलीवेजेस पर काम करने वाले कर्मचारी, गार्ड, आसपास के जनजातीय दर्शक भी मायूस होकर लौट गए।
अधिकारियों को गुमराह करने व मामले को दबाने पहुंचे दिल्ली
सूत्रों की माने तो विश्वविद्यालय में ऐसी चर्चा है कि दिनांक 16 अगस्त से विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी अपने कुनबे के कुछ प्रोफ़ेसर तथा अधिकारियों के साथ जांच एजेंसियों के समक्ष पहुंच गए हैं तथा उन्हें फर्जी एवं गुमराह करने वाला जवाब दे रहे हैं तथा कई भाईसाहब लोग से अधिकारियों और मंत्री को फोन करा कर मामले को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। 15 अगस्त की मिठाई में भी 80त्न तक की कमीशन कुलपति को पहुंचाने के लिए विजय दीक्षित ने मिठाई गायब कर दिए तथा लोगों को नाश्ता नहीं कराकर उसका भी कमीशन कुलपति को दे दिए, 15 अगस्त के कार्यक्रम के लिए भी घोटाला किया जाने से पूरा विश्वविद्यालय परिवार शर्मशार हो गया है तथा इसकी चारोंतरफ निंदा हो रही है देखना यह है कि शिक्षा मंत्रालय, राष्ट्रपति भवन, सेंट्रल विजिलेंस कमीशन और लोकसभा कब तक कार्यवाही करेगा।
स्वत्रंत्रता दिवस पर्व के टेंट लगाने के कार्य में भी किया गया घोटाला
15 अगस्त की तैयारी के लिए टेंट और 500 कुर्सियों सहित वाटरप्रूफ टेंट की बड़ी व्यवस्था के लिए लाखों रुपए का एडवांस लिया गया लेकिन कुर्सी लगाने के नाम पर मात्र 50 कुर्सियां लगी थी और गांव से पधारे लोग तथा दर्शक शिक्षक, छात्र तथा गैर शैक्षणिक कर्मचारी खड़े होकर शामिल हुए। भारी अव्यवस्था को देखकर गैर-शैक्षणिक कर्मचारी और शिक्षकों के बीच तनातनी भी हो गई और झड़प की नौबत आ गई थी, बड़ी मुश्किल से झड़प को कंट्रोल किया गया। इसके बाद मिठाई नहीं बांटने को लेकर अफरा-तफरी मच गई। बाद में प्रशासनिक भवन के अंदर ले जाकर कुछ छात्रों तथा कुछ शिक्षकों को मिठाई मिला जिसको लेकर चर्चा का बाजार गर्म है।
प्रभारी कुलसचिव एवं कुलपति का गायब होना खड़ा कर रहा कई प्रश्न
सूत्रों के अनुसार विश्वविद्यालय द्वारा किये गए बिल्डिंग घोटाला, भर्ती में भ्रष्टाचार, जनजातीय छात्राओं के छेड़छाड़, बलात्कार के मामलों में हो रही जांच में फर्जी जवाब देने के लिए 16 अगस्त से विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो प्रकाशमणि त्रिपाठी एवं प्रभारी कुलसचिव प्रो एनएचएस मूर्ति तथा कुछ अन्य लोग गायब हो गए हैं। फर्जी जवाब तैयार करने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई गई है जिसमें माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की गलत ढंग से प्रस्तुति कर तथा फर्जी डॉक्यूमेंट तैयार कर जवाब दिया जा रहा है। यहां तक की जिस व्यक्ति ने विश्वविद्यालय के घोटाला को उजागर कर लिखित शिकायत किया है उसके संदर्भ में भी झूठी एवं बनावटी बातें प्रस्तुत की जा रही है। शिक्षा मंत्रालय, राष्ट्रपति भवन, सेंट्रल विजलेंस कमिशन, लोकसभा सचिवालय द्वारा किए जा रहे जांच में गलत प्रतिवेदन प्रस्तुत करने पर और झूठी जानकारी प्रस्तुत कर अपने-आप को बचाने के लिए झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के संदर्भ में रिप्रेजेंटेशन किया जाएगा।
डॉ शिवा कांत त्रिपाठी ने प्रो. आलोक श्रोतिया को सुनाया अपना दुखड़ा
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 15 अगस्त के दूसरे दिन प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शिवा कांत त्रिपाठी ने विभाग के एक अन्य प्रो आलोक श्रोतिय को बताया कि मात्र 10 लोगों के लिए छोले, भटूरे, पुलाव की व्यवस्था की गई थी। भटूरे बनाने वाले के पास भटूरे रखने के लिए बर्तन नहीं था इसलिए वह भटूरे नीचे जमीन पर ही रख रहा था और जमीन पर रखा हुआ भटूरे विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर तथा अधिष्ठातागण को खिलाया गया। लेकिन जमीन पर पड़ा हुआ भटूरा भी 15 लोग के बाद खत्म हो गया और सुबह से काम कर रहे डॉ शिवा कांत त्रिपाठी सहित कई शिक्षकों को एवं गैर शैक्षणिक अधिकारियों को छोले भटूरे नसीब नहीं हुए और वो पूरे दिन भूखे रह गए। इसको लेकर बड़े स्तर पर आपसी विरोध शुरू हो गया है तथा कुलपति के अत्यंत नजदीकी लोग ही इसका विरोध शुरू कर दिए हैं।
विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ही कर रहे सारी साजिशों का खुलासा
जब से शिक्षा मंत्रालय तथा राष्ट्रपति भवन द्वारा जांच शुरू की गई है तब से जांच को प्रभावित करने के लिए विभिन्न प्रकार के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। वहीं सूत्रों के अनुसार हाल ही में जी लक्ष्मण को विश्वविद्यालय ने आमंत्रित किया गया था, जी लक्ष्मण के सिफारिश पर सिलेक्ट हुए डॉ जयप्रकाश नारायण की नियुक्ति की यदि सीबीआई जांच हो तो संघ के वरिष्ठ प्रचारक जी लक्ष्मण सीधे जेल पहुंच जाएंगे। इस बात पर कई प्रोफेसर ने कुलपति के इशारे पर जी लक्ष्मण से निवेदन किया कि यदि यह जांच नहीं रुकी तो आप भी खतरे में आ जाएंगे। आपके दिल्ली आने-जाने का टिकट विश्वविद्यालय से आरेंज करा दिया जाएगा। आप तुरंत दिल्ली जाकर शिक्षा मंत्रालय की जांच को रुकवाएं। कुलपति प्रो प्रकाशमणि और श्रीशील मंडल के कुछ पदाधिकारी का कॉल डिटेल्स निकल जाए तो बड़े-बड़े घोटाले सामने आ जाएंगे। शिवाकांत त्रिपाठी द्वारा प्रोफेसर आलोक को जिस तरह से शिकायत प्रस्तुत किया गया है उससे यह लग रहा है कि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तथा प्रकाशमणि त्रिपाठी के लोग ही अब उनके खिलाफ खड़े हो गए हैं।
पर्दे के पीछे खेल रहे
विजय दीक्षित
आ सकते हैं जांच के घेरे में
विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं को खास तौर पर जनजातीय छात्रों को निम्न गुणवत्ता का भोजन कराया जाना विधानसभा चुनाव में चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ज्ञात हो कि कमीशनखोरी करने के लिए विजय दीक्षित अपने जबलपुर की टीम को विश्वविद्यालय में लाकर एलबीआई के माध्यम से खाना बनाना के काम में कमीशनखोरी करने का काम शुरू कर दिया है, विजय दीक्षित पढ़ाने का काम छोड़कर दूध बेचने, दही-घी-शक्कर बेचने और आटा पीसने तथा भोजन बनवाने में कमीशन खोरी करने में लगे हैं। कमीशन का 80त्न कुलपति के पास जाता है और 20त्न स्वयं विजय दीक्षित रख लेते हैं। सूत्रों के अनुसार एलबीआई की यदि उच्च स्तरीय जांच हो तो करोड़ों के इस घोटाले में विजय दीक्षित सीधे जेल पहुंच जाएंगे।
कमीशन के लिए पुराने कर्मचारियों को दिखाया बाहर का रास्ता
सूत्र बताते हैं कि एलबीआई में पिछले सात आठ सालों से कार्य कर रहे पूरन सिंह मरकाम, रीवा के शिव तिवारी तथा शहडोल के अवकाश गर्ग सहित कई पुराने कर्मचारियों को विजय दीक्षित ने इसलिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है कि विजय दीक्षित द्वारा बड़ी पैमाने पर कमीशनखोरी किया जा रहा है। कमीशनखोरी करना तथा कुलपति को 80त्न कमीशन देना पीआरओ दीक्षित का प्रमुख धंधा है। छात्रों को गुणवत्तायुक्त भोजन न देकर बिना टेंडर हुए अपने परिचित को टेंडर का काम देने से तथा इसके लिए एलबीआई का उपयोग करने के लिए विजय दीक्षित जांच के घेरे में है। वहीं विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार, घोटाला, रोस्टर में गड़बड़ी, जनजातियों के नुकसान के मामले में स्थानीय युवा एवं छात्र नाराज है।