बैकुण्ठपुर@चोरी का सामान बरामद कर पुलिस ही करती रही उसका उपयोग…क्या चोर को फिर चोरी करने की थी छूट…?

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मामला चरचा पुलिस थाने का…चोरी के जब्त मोबाइल का पुलिसकर्मी कर रहा था उपयोग…साइबर जांच में खुली पोल,हुआ लाइन हाजिर
कोरिया पुलिस का यह कारनामा पुलिस की छवि को कर गया दागदार,अब कैसे लोग पुलिस पर करेंगे विश्वास


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 09 अगस्त 2023 (घटती-घटना)। चोर को पकडक़र उसे दंडित करना उसे सजा दिलाना पुलिस का काम है और इसी के एवज में वह सरकार से वेतन प्राप्त करती है वहीं अवैध कारोबार सहित अन्य किसी भी गलत कार्य को रोकना भी उसका काम है और यही उसकी उपस्थिति की वजह है समाज में लेकिन जब पुलिस ही चोरों के साथ समझौता कर ले और वह चोरों को पकड़े और उनसे चोरी का सामान भी बरामद करे और फिर उन्हें सजा दिलाने की बजाए उन्हें आगे चोरी करने के लिए छोड़ दे और सामान जो दूसरे का है उसे उसको लौटने की बजाए खुद उपयोग उसका करने लगे तो समझा जा सकता है की कानून व्यवस्था का और पुलिसिंग का जिले में क्या हाल है।
कोरिया जिले की पुलिस इसी तर्ज पर काम कर रही है यह कहना हमारा नहीं है यह कोरिया पुलिस के जवान ही साबित कर रहे हैं और जो जिले के एक पुलिस थाने से आई खबर से साबित होता है की किस तरह चोर और पुलिस एक साथ मिलकर काम कर रहे थे और जब उनकी पोल खुली तब सभी दंग रह गए यहां तक की मामले की जांच करने वाली साइबर टीम भी दंग रह गई जब उन्हें पता चला की चोरी का सामान पुलिसकर्मी ही उपयोग कर रहा है और जबकि उसे सामान को उसके असली मालिक को सुपुर्द करना था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया बशर्ते वह यह मानकर सामान उपयोग करता रहा की जांच मामले की उसके पास ही है और जब्त सामान भी उसके पास है चोर आगे चोरी करने छोड़ ही दिया गया है ऐसे में उसे सामान लौटाने की जरूरत ही क्या है, लेकिन दूसरी चोरी ने पुलिसकर्मी की पोल खोल दी और वह पुलिस की ही जांच में फंस गया और अब लाइन हाजिर हो गया है। यदि पुलिस वाले चोरों को नहीं छोड़े होते तो चरचा में चोरी की और घटना नहीं होती पर चंद पैसे की लालच में चोरो को छोड़ कर बुरा फसी पुलिस। पुलिस कर्मचारियों से साईबर की टीम पूछती रही चोरो का पता पर कर्मचारी नही बताए। फिर साइबर को अपने तरीके से चोरो को पकड़ना पड़ा।
चरचा पुलिस चोरों को नहीं छोड़ती तो नहीं घटती चोरी की दूसरी घटना
चरचा पुलिस का जो कारनामा सामने आया है वह बेहद चौकाने वाला है,पुलिस की विश्वसनीयता पर ही प्रश्न चिन्ह लगाने वाला है,एक महिला डॉक्टर घर में चोरी की वारदात की जानकारी थाने में देती हैं और वह निश्चिंत हो जाती हैं की पुलिस निश्चित ही चोर को पडक़ेगी और उन्हे उनका सामान मिल सकेगा वहीं पुलिस चोर को पकड़ भी लेती है और सामान भी बरामद कर लेती है लेकिन वह सामान खुद इस्तेमाल करने लगती है और इसका खुलासा तब होता है जब चोरी की दूसरी घटना घटती है और मामला सायबर टीम के पास जाता है। सायबर टीम डॉक्टर का सामान किसके पास है यह तो पता लगा लेती है लेकिन चरचा पुलिस उसे लौटाने की बजाए उपयोग करती रही और वह सामान लौटाने की बात से बचती रही,मामले में चोर को छोडऩे की भी बात सामने आ रही है,अब सवाल यह उठता है की चोर को क्या चोरी करने के लिए छोड़ दिया गया,यदि उसे छोड़ा नहीं गया होता उससे जब्त सामान उसके मालिक के सुपुर्द कर दिया गया होता तो शायद दूसरी चोरी नहीं होती जो हुई।
थाना प्रभारी भी किए गए लाइन हाजिर,मामले में भूमिका मिली संदिग्ध
चोरों से चोरी का सामान जब्त कर उसका खुद इस्तेमाल करने के मामले में अब थाना प्रभारी को भी लाइन हाजिर कर दिया गया है। थाना प्रभारी जिन्हे मामले का पूरा ज्ञान होना था थाने में जिनका नियंत्रण होना था वह उसमे असफल थे या संलिप्त थे यह भले ही तय न हो पाया हो लेकिन उनके लाइन हाजिर होने से यह जरूर तय हो गया है की वह दोषी हैं क्योंकि उनके अधीनस्थ कर्मचारी के पास से चोरी का सामान जब्त हुआ है और जिसे वह खुद उपयोग कर रहा था। थाना प्रभारी क्या कर रहे थे उन्हें क्यों इसकी जानकारी नहीं थी या थी तो उन्होंने मामले में संज्ञान क्यों नहीं लिया ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब जरूर लोग जानना चाहेंगे। वैसे कोरिया पुलिस की छवि इस बीच सभी ने मिलकर धूमिल की यह भी उनके लाइन हाजिर होने की एक बड़ी वजह है।
क्या दोषी पुलिसकर्मी केवल लाईन हाजिर किए जायेंगे,दंडित करने क्या निलंबन और बर्खास्तगी नहीं की जाएगी?
लगातार देखा जा रहा है की पुलिस विभाग में जब कभी भी कोई पुलिसकर्मी दोषी पाया जाता है या उसके ऊपर आरोप लगते हैं उसे तत्काल लाइन हाजिर कर दिया जाता है,लाइन हाजिर करने के अलावा कभी भी निलंबन और बर्खास्तगी की कार्यवाही दोषी पुलिसकर्मियों पर कभी नहीं की जाती,अब ऐसे में यह सवाल उठता है की क्या लाइन हाजिर किया जाना ही एक मात्र दोषी पुलिसकर्मियों के लिए दंड है,क्या उन्हे इतनी ही सजा की पात्रता है,वैसे लाइन हाजिर करके पुलिस मामले को दबा ले जाति है और बाद में दोषी पुलिसकर्मी को पुन: पुलिस थानों में मामला ठंडा होने के बाद भेज दिया जाता है और फिर वह मनमानी करने लगते हैं। चरचा थाने के मामले में भी ऐसा ही किया गया है और सभी लाइन हाजिर कर दिए गए हैं। वैसे जब दोष तय हो गया हो तो कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए थी जिससे भविष्य में अन्य पुलिसकर्मी इस तरह की गलती करने से परहेज करते जो इस बार भी नहीं किया गया।
पुलिसकर्मी की गलती और अपराध की जांच भी पुलिस करती है और इसलिए पुलिसकर्मी बड़े-बड़े मामले खुद के विरुद्ध खड़ा करके भी बच जाते हैं…
पुलिस विभाग सभी तरह के अपराधों में जांच का काम करता है,पुलिस विभाग स्वयं अपने विभाग के पुलिसकर्मियों के भी मामलों की जांच करता है और जांच में पुलिसकर्मियों को बचाने का काम करता है क्योंकि वह विभाग की छवि धूमिल नहीं होने देना चाहता। पुलिस विभाग खुद जब तक अपने विभाग के कर्मचारियों के विरुद्ध जांच करता रहेगा तब तक कभी सही जांच नहीं होगी यह भी तय है क्योंकि यह विभाग की साख से जुड़ा मामला होता है। कोरिया जिले में ही कई पुलिसकर्मियों पर कई तरह के आरोप लगते आए हैं और कार्यवाही के नाम पर लाइन हाजिर पुलिसकर्मियों को किया जाता रहा है,जिन मामलों में दोष तय होने की स्थिति बनी भी है उन मामलो की जांच ही लंबित करके रखी गई है और जहां पुलिसकर्मी को आसानी से बचाया जा सकता है वहां बचा भी लिया गया है। चरचा थाने के मामले में भी सभी दोषी पुलिसकर्मी बच निकलेंगे इसमें कोई दो राय नहीं है क्योंकि जांच विभाग के ही लोग करेंगे।
पुलिस अपनी बदनामी से बचने के लिए कर्मचारियों को बचाने में लगी हुई है
चरचा थाने का मामला पुलिस की छवि को बदनाम करने वाला है,पुलिस का यह रूप शायद ही कभी देखने और सुनने को कहीं मिला हो जहां पुलिस ही अमानत में खयानत करती पकड़ी गई हो,चोरी का सामान खुद उपयोग करते पकड़े गए पुलिसकर्मियों का कृत्य सामने आने के बाद कोरिया पुलिस की बहुत बदनामी हुई है,अब मामले में पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है जिससे पुलिस की छवि खराब जनता की नजर में न हो,पुलिस पूरी तरह दोषी पुलिसकर्मियों को बचाने की जुगत में लगी हुई है।
कहां से आती है पुलिसकर्मियों को इतनी हिम्मत जो करते हैं वह मनमाना काम?
पुलिस कर्मियों को आखिर कहां से इतनी हिम्मत मिलती है जो वह मनमाना काम करते हैं,कहीं उनके कृत्यों की जांच चूंकि विभाग ही करता है और वह उन्हे बचाने का ही प्रयास करता है इसलिए तो उन्हे हिम्मत नहीं मिलती गलत काम करने की। अवैध कार्य में संलिप्तता हो उसको संरक्षण देने की बात हो,अवैध वसूली हो या जो चरचा पुलिस थाने की घटना सामने आई हो जिसमे चोर से समान लेकर खुद उपयोग करते पकड़े गए पुलिसकर्मी सभी मामलों में पुलिसकर्मी जिस हिम्मत और निडरता के साथ नजर आए हैं वह बताता है की उन्हें डर किसी का नही है और वह बच निकलेंगे उनका विभाग उनकी मदद करेगा यह उनका विश्वास ही उनकी हिम्मत है कहा जा सकता है।
पुलिस पर से विश्वास कम करने वाली घटना है चरचा थाने की घटना
पुलिस का नाम एक एहसास है सुरक्षा का विश्वास का की लोग सुरक्षित हैं लेकिन चरचा पुलिस थाने के पुलिसकर्मियों ने जो किया वह पुलिस पर से लोगो का विश्वास कम करने के लिए काफी है। अब जब अमानत में खयानत की ही जब नियत पुलिस की हो जायेगी कौन विश्वास करेगा। एक महिला डॉक्टर चोरी की रिपोर्ट दर्ज कर निश्चिंत रहती है की उसका सामान पुलिस ढूंढ रही है मिलने पर उसे मिल जायेगा लेकिन उसे क्या पता था की चोर पकड़े गए और सामान पुलिसकर्मी खुद उपयोग कर रहें हैं। इस तरह की घटना से आने वाले समय में लोग चोरी की रिपोर्ट दर्ज करने से भी कराएंगे क्योंकि उन्हें जब उनका सामान मिलना ही नहीं है पुलिस ही उसका उपयोग मिलने पर करने वाली है तो वह क्यों रिपोर्ट दर्ज कर अपना समय बर्बाद करेंगे वह भूल कर संतोष कर लेंगे की जो जाना था चला गया क्योंकि यहां पुलिस पर भी विश्वास करना बिना मतलब है।


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