शिक्षा,स्वास्थ्य एवं रोजगार के वादे के साथ जनता ने 2018 के चुनाव में क्षेत्र के विकास की जिम्मेदारी सुनील सराफ को दी थी… किंतु आज पांच वर्ष के कार्यकाल की सांध्य बेला पर जनता खुद को ठगा हुआ महसूस करती है…
शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर सरकार चिंतित है लेकिन क्षेत्रीय समस्याओं के लिए क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों खासकर विधायक को पहल करनी होती है…लेकिन जब क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाला दूसरे कामों में व्यस्त हों तो उसे जनता की समस्याएं दिखाई नहीं देती और ऐसा ही कुछ सामुदायिक अस्पताल कोतम ा के साथ हुआ है जहां मरीजों को केवल भटकाव हाथ लग रहा है…
-अरविन्द द्विवेदी-
अनूपपुर,30 जुलाई 2023 (घटती-घटना)। विकास का दावा करने वाले वर्तमान विधायक सुनील सराफ ने कितने पायदान कोतमा को विकास की सीढ़ी पर पहुंचाया है, यह तो वक्त ही बतायेगा। लेकिन जिस तरह की समस्याएं सामने आई और विधायक उन सारे मुद्दों पर मौन रहे। पंद्रह महीने की अपनी सरकार में भी उन समस्याओं का समाधान नहीं तलाश पाए जिसकी दरकार आम जनता को थी। गौरतलब है कि कोतमा तहसील का सामुदायिक अस्पताल वैसे तो भारी भरकम बना हुआ है और आसपास के सैकड़ों गांव के लोग उपचार की आस लगाकर इस अस्पताल में आते हैं लेकिन अव्यवस्थाओं के कारण उन्हें निराशा ही हाँथ लगती है।
नहीं है पर्याप्त डॉक्टर व स्टाफ
कोतमा के इस अस्पताल में केवल दो चिकित्सक पदस्थ हैं। कहने को तो संविदा के रूप में कुछ चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है लेकिन उसका लाभ कितना मिल पा रहा है यह बात गौर करने वाली है। फिलहाल एक चिकित्सक को बीएमओ की कुर्सी पर बिठाया गया है जो पूरी प्रशासनिक झंझावतों से जूझता रहता है। एक स्त्री रोग विशेषज्ञ की दरकार एक अर्से से इस क्षेत्र मे की जा रही है लेकिन स्त्री रोग विशेषज्ञ भी इस चिकित्सालय में उपलब्ध नहीं है और महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं हड्डी रोग विशेषज्ञ की कमी भी इस चिकित्सालय में लगातार बनी हुई है।
ढोल में पोल साबित हो रही व्यवस्थाएं
इस अस्पताल को 100 बिस्तरों की सौगात की दरकार थी ताकि यहां मरीजों को चिकित्सा लाभ भी मिल सके। लेकिन पांच साल बीतने को हैं, विधायक ने क्षेत्र की जनता के साथ खिलवाड़ करते हुए इस विकट समस्या को नजर अंदाज किया है और पांच साल में एक चिकित्सक भी इस अस्पताल में नहीं ला सके। किसी बड़ी दुर्घटना के बाद जिस समय मरीजों को उपचार की आवश्यकता होती है, मजबूरन उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद अनुपपुर या शहडोल भेजना पड़ता है या फिर उन्हें जबलपुर के लिए रेफर कर दिया जाता है। जिस तरह से कोतमा का यह अस्पताल दिखाई दे रहा है वह ढोल में पोल साबित हो रहा है।
आखिर.! दिया तले अंधेरा कायम रहा
क्षेत्र की जनता ने उम्मीद की थी कि विधायक सुनील सराफ इन समस्याओं पर गौर फरमाते हुए सरकार से अपने क्षेत्र का हक छीनने की कोशिश करेंगें। लेकिन जनता की उम्मीदों पर जिस तरह से पानी फेरा है वह किसी से बोलने की जरुरत नहीं है, क्योंकि वह खुद-ब-खुद दिखाई दे रहा है। हाल ही में क्षेत्र में भ्रमण के समय विधायक ने बड़े-बड़े दावे किए लेकिन दिया तले अंधेरा कायम रहा और विधायक का यह अनदेखा पन क्षेत्र की जनता शायद न भुला पाए।