अम्बिकापुर/सूरजपुर@आखिर शासन से प्राप्त पट्टे की जमीन को बिना कलेक्टर की अनुमति कैसे बेचा गया?

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  • भू-माफिया की नजर शासकीय पट्टे से प्राप्त भूमि या फिर शासकीय भूमि पर
  • शासन से प्राप्त की 4 एकड़ भूमि…खुद नहीं हो पाया कभी उस जमीन पर काबिज… बिना अनुमति शासन से प्राप्त जमीन बिक भी गई…
  • पटवारी ने शासन से प्राप्त भूमि होने की जानकारी छुपाई बिना कलेक्टर अनुमति भूमि को शासकीय कर्मचारियों को दिया बिकवा…
  • शासन से भूमिहीन व्यक्ति को कृषि के लिए मिला 4 एकड़ भूमि,खुद उस जमीन पर नहीं हुआ काबिज,आज भी जमीन वन विभाग के कब्जे में
  • भू-माफिया के दलाल बने पटवारी ने शासन से प्राप्त भूमि की जानकारी छुपा दी चौहद्दी…जमीन हो गई रजिस्ट्री
  • जमीन खरीदने वाले भी निकला शासकीय कर्मचारी व भाजपा के कद्दावर नेता


-विशेष संवाददाता-
अम्बिकापुर/सूरजपुर,25जुलाई 2023 (घटती-घटना)। समय-समय पर सरकारें कई ऐसे काम करती हैं जिससे लोगों को आजीविका मिल सके, ऐसा ही सरकार की योजना थी जो भूमिहीन व्यक्ति है उसे आजीविका के लिए कृषि कार्य हेतु शासकीय भूमि का पट्टा दिया जाता था, ताकि वह कृषि कार्य कर अपनी आजीविका चला सकें, पर शासन की योजना को भी पलीता लगाने से लोग बाज नहीं आ रहे, कुछ ऐसा ही मामला सूरजपुर जिले का आया है जहां शासन ने भूमिहीन व्यक्ति को 4 एकड़ जमीन कृषि परपस से दी थी, जिसका पट्टा शासन ने भूमिहीन व्यक्ति के नाम किया था, जिस उद्देश्य शासन ने उसे पट्टा प्राप्त किया था वह उद्देश्य कभी पूरा हुआ नहीं और जमीन बिना कलेक्टर के आदेश के बिक भी गई, बेचने वाले में पटवारी का योगदान ज्यादा बताया जा रहा है और खरीदने वाला एक सरकारी कर्मचारी है तो दूसरा भाजपा का कद्दावर नेता। सवाल तो यह उठता है कि आखिर शासन से प्राप्त पट्टे की जमीन को बिना कलेक्टर की अनुमति कैसे बेचा गया? और यह जानकारी किसने छुपाई यह किसी से छुपा नहीं है आरोप यह है कि पटवारी ने शासन से प्राप्त जमीन होने की जानकारी छुपाकर चौहद्दी काटी और जमीन बिक्री हो गई।
मिली जानकारी के अनुसार 1972-74 में शासन द्वारा भूमिहीन व्यक्ति रामपत पिता भकड़ी गोड़ निवासी सूरजपुर तिलसिवां को उक्त भूमि कृषि के लिए दिया गया, पर भूमिहीन व्यक्ति उस भूमि पर ना तो कभी कृषि कार्य किया और ना ही उस जमीन पर कब्जा कर पाया, पट्टे की जमीन वन विभाग के कब्जे में थी और आज तक वन विभाग का कब्जा उस पर बरकरार है, पर यह जमीन भू माफिया के दलाल बने पटवारी के द्वारा जानकारी छुपाकर बेचीं गई,जबकि नियम है कि शासकीय पट्टे से प्राप्त भूमि को बेचा नहीं जा सकता है, इसके लिए कलेक्टर की अनुमति लेना अनिवार्य होता है पर यह भूमि बिना अनुमति के जानकारी छुपाकर बेच दी गई, खरीदने वाला भी शासकीय कर्मचारी व भाजपा के कद्दावर नेता निकले। जबकि शासन ने जिस समय पट्टा दिया था उस समय पट्टे में सारे नियम व शर्तों का उल्लेख किया गया था, फिर भी उसके बावजूद बिना उनके नियम व शर्तों को मानते हुए वह भूमि बेचीं गई, जो कहीं न कहीं नियम विरुद्ध तरीके से बिका है, जिसे लेकर मामला उजागर होने के बाद मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, पर यह मामला जांच का विषय बना हुआ है और यदि इस मामले की जांच हो गई तो संबंधित पटवारी तहसीलदार पर गाज गिर सकती है। देखने वाली बात यह होगी कि आखिर यह जांच कब होगी और कब कार्यवाही होगी इसका इंतजार होगा।
उक्त भूमि पर वर्तमान में विभाग का कब्जा है
सूरजपुर के तिलसिवां बाईपास रोड पर स्थित शासकीय भूमि जिसका खसरा क्रमांक 2/6, 2/10, 2/32, 2/33, 2/34, व 5967/4 यह 6 खंड में शासकीय भूमि भूमिहीन व्यक्ति रामपत को शासन द्वारा लगभग 4 एकड़ भूमि कृषि कार्य के लिए दी गई, जिस पर जानकारी के अनुसार कोई भी कृषि कार्य नहीं हुआ पर पट्टे में उनका नाम इन भूमि पर दर्ज हो गया, पट्टे से पहले यह भूमि बड़े झाड़ जंगल मद की भूमि थी, जो वन विभाग के कब्जे में थी और वन विभाग का कब्जा आज भी है वन विभाग उसे घेरकर आज भी रखा है, शासन से प्राप्त भूमि तकरीबन 2 एकड़ भूमि 2023 में नियम विरुद्ध तरीके से जानकारी छुपा कर बेचने की बात सामने आ रही है। इस भूमि के विक्रय में संबंधित पटवारी का बहुत बड़ा योगदान है, जिसने नियम विरुद्ध तरीके से इस जमीन को बिकवाया और राजस्व के नियमों का भी उल्लंघन करवाया, जबकि वह भूमि शासकीय पट्टे से प्राप्त है यह जानकारी उसे पहले से थी।
क्या खरीदने वाले कर पाएंगे कब्जा?
नियम विरुद्ध तरीके से शासकीय कर्मचारी और भाजपा के कद्दावर नेता ने भूमि तो खरीद ली और वह भूमि आज भी वन विभाग के कब्जे में और वन विभाग उस पर फेंसिंग वायर से घेरा किए हुए हैं, अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि एक तो जमीन नियम विरुद्ध तरीके से बिक गई और क्या खरीदने वाले इस भूमि पर कब्जा कर पाएंगे? क्योंकि पहले से ही इस भूमि पर वन विभाग का कब्जा है।
नियम विरुद्ध तरीके से शासकीय पट्टे की जमीन बेचने वाले पर होगी कार्रवाई?
नियम विरुद्ध तरीके से शासकीय पट्टे से प्राप्त भूमि को बेच तो दिया गया, जबकि शासन ने जो पट्टा दिया था उसमें सारे नियम व शर्तें साफ-साफ लिखे हुए थे, जिसमें लिखा हुआ था कि भूमि कृषि कार्य के लिए दी जा रही है, भूमि को पट्टेदार अपने अधिकार या उसके किसी भाग्य को बिक्री, भेंट, बंधक, उप पट्टा या अन्य प्रकार से आंतरिक नहीं करेगा, प्रत्येक बिक्री, भेंट, बंधक व उपपट्टा सहित अन्य प्रकार से किया गया अनंतर निष्प्रभावी होगा, साफ-साफ पट्टे में यह बात अंकित होने के बावजूद इस जमीन को बेचना अपराध की श्रेणी में आता है, क्या ऐसे अपराधिक मामले में कलेक्टर सूरजपुर कार्यवाही करेंगे?
भू-माफिया की नजर शासकीय पट्टे से प्राप्त भूमि या फिर शासकीय भूमि पर
भू माफिया का मनोबल इतना बड़ा हुआ है कि वह राजस्व अमले के कर्मचारियों को पार्टनर बनाकर शासकीय भूमि को हड़पने में लगे हुए या फिर शासन की योजना के तहत अजीविका के लिए मिली शासकीय पट्टे पर भूमि को भी बेचने से बाज नहीं आ रहे कहीं ना कहीं गरीबों को बहला-फुसलाकर उनकी जमीन बेचीं दी जा रही है और उन्हें अपराधी बना दिया जा रहा है।
शासकीय पट्टे से प्राप्त इस भूमि की हुई बिक्री
नियम विरुद्ध तरीके से खसरा नंबर- 2/34 से 0.324, हेक्टेयर खसरा नंबर- 2/32 से 0.101 हेक्टेयर, खसरा नंबर 2/6 से 0.092 हेक्टेयर, खसरा नंबर 2/10 से 0.193 हेक्टेयर भूमि बेची गई और यह भूमि पट्टेदार को गुमराह कर कर लोभ वा लालच देकर बिकवाया जा रहा है, क्योंकि शासकीय पट्टेदार को इतनी जानकारी नहीं थी और वह नियमों को ज्यादा नहीं जानता था, थोड़ा कम पढ़ा लिखा होने की वजह से शासकीय अमले ही उस भूमि में दलाल बन कर उस भूमि को बिकवा कर खुद लाखों रुपए अंदर कर लिए फजीहत तो उस पट्टेदार की होगी जिसकी वह जमीन थी।
सूरजपुर बाईपास बनने से जमीन भू-माफिया के नजर में आई
वह भूमि इसलिए भू माफिया के नजर में आ गई क्योंकि वह अब बाईपास के किनारे पढ़ रहा है, अब वह जमीन बेशकीमती हो गई है जिस वजह से भू-माफिया की नजर उस पर पड़ी और उससे बेच कर लाखों रुपए कमा लिया, वह भी नियमों को दरकिनार कर, यदि उस जमीन के किनारे से बाईपास ना बना होता तो शायद भूमाफिया की नजर उस जमीन पर ना पड़ी होती, बाईपास सड़क बनने से वह जमीन बेशकीमती हो गई और भू-माफिया के आंखों में चुभने लगे, लंबे समय से उसे बेचने की तैयारी चल रही थी, आखिर वर्ष 2023 में बेचने में सफलता मिली गई, अब अंदर खाने की बात आ रही है कि नामांतरण भी हो रहा है आदेश हो चुका है बस कुछ ही दिनों में ऑनलाइन देखने भी लगेगा, मामला काफी गभीर है इस वजह से उससे ऑनलाइन नहीं किया जा रहा है।


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