- बच्चों की संख्या के आगे स्कूल में अव्यवस्था का आलम…अव्यवस्था के भीच बच्चे शासकीय स्कूल में पढ़ने को मजबूर
- बारिश से पहले स्कूलों का मरम्मत कार्य नहीं हुआ पूरा और जहां हुआ वह भी चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,09 जुलाई 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिले सहित पूरे प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग के तय शेड्यूल के अनुसार 26 जून से नए सत्र की पढ़ाई स्कूल खुलने के साथ ही शुरू हो चुकी है। राज्य में यही मानसून की आमद का भी समय है। ऐसे में शहर से अंचल तक कई स्कूल ऐसे है जहां जर्जर भवनों वाली छतों से टपकते पानी के बीच देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों को जान हथेली पर लेकर कमरों के अभाव के कारण बैठना पढ़ रहा है । मामला एक प्राथमिक शाला है जहा इस वर्ष बच्चो की दर्ज संख्या करीब 50 हैं व दो कमरे है एक अतिरिक्त कमरा बना जो पानी टंकी लगने से टपक रहा व खिड़की दरवाजा जर्जर है,वहीं दूसरा अतिरिक्त कमरा स्वीकृति हुआ किन्तु निर्माण एजेंसी द्वारा डोर लेबल के बाद कार्य ही नही कराया गया जिससे लगे खिड़की दरवाजे सड़ गये किन्तु जिम्मेदार अधिकारियों ने इस और ध्यान नही दिया जिससे इस वर्ष भी स्कूल का मरम्मत नही हो सका खैर यह तो एक स्कूल का मामला है यदि सही जांच हो तो कई स्कूलों में यह देखने को मिल सकता है जिस कारण बच्चे अव्यवस्था के बीच शासकीय स्कूल में पढ़ने को मजबूर हैं।
गौरतलब हैं कि कई सरकारी स्कूलों में समुचित सुविधाएं नहीं होने के कारण स्कूल सुचारू रूप से नहीं चल पा रहे हैं। वहीं कई बार अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ। जिससे बच्चों से लेकर शिक्षकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । ऐसा ही एक मामला कोरिया जिले के जनपद पंचायत बैकुंठपुर के शासकीय प्राथमिक शाला ग्राम पंचायत चिरगुड़ा में देखने को मिल रहा है, जहां छमता से ज्यादा बच्चे लिए गए हैं, लेकिन छात्रों के बैठने के लिए उचित भवन नहीं है। शिक्षकों के साथ छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। वहीं इस पूरे मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को होने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है । जिसके कारण स्थिति जस की तस बनी हुई है । विद्यालय में सुविधाओं के अभाव के कारण विद्यार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 50 छात्रों वाले इस स्कूल में छात्र एडमिशन लेने आते हैं, लेकिन कमरों की कमी के कारण प्रबंधन उन्हें दाखिला तो दे रहा किन्तु बैठक व्यवस्था कम होने को लेकर चिंतित हैं।
सत्र शुरू होने से पहले भवनों की समीक्षा सिर्फ होती है…दुरुस्त करने की कोशिश नहीं होती
हर साल सत्र शुरू होने से पहले भवनों की समीक्षा होती है लेकिन दुरुस्त करने की कोशिश नहीं होती। ये तो रही पुराने भवनों की बात लेकिन सरकार की निर्माण एजेंसी पीडब्लूडी के मार्फत तीन साल में लाखों रुपए से बने भवन चंद महीनों में दरारों से पट रहे हैं। ऐसे में इनकी उपयोगिता भी साबित नहीं हो पा रही है। जिले में सरकारी स्कूलों में भवन निर्माण की स्थिति बेहद खराब है। ऐसे हालात तब हैं जब यह काम तीन सरकारी विभाग करवा रहे हैं। 10 लाख रुपए से कम लागत वाले निर्माण के काम पंचायत स्तर पर उससे अधिक के काम पीडब्लूडी व ट्रायवल विभाग करवाता है। वर्तमान में स्कूल भवन निर्माण को लेकर जो तस्वीर सामने आई है वह लापरवाही और अनियमितता की कहानी कहती है।
वर्षों से बनी हैं समस्याएं
कोरिया जिले में इस वर्ष 158 जर्जर स्कूलों की स्थिति में सुधार करने करीब पांच करोड़ के लगभग राशि भी स्वीकृति हुई किन्तु निर्माण एजेंसी के ठेकेदार की लापरवाही से स्कूल खुलने की तिथि तक सभी स्कूल मरम्मत नही हो पाए आज भी जिले में करीब 70 स्कूलों के मरम्मत का कार्य पूर्ण होने का दावा तो किया जा रहा किन्तु शिक्षा विभाग के बेबसाइड में एक भी स्कूल पूर्ण नही बताया जा रहा जब कि जिले में अन्य स्कूलों की भी मरम्मत की जरूरत है किंतु अधिकारी के मॉनिटरिंग के अभाव में वे स्वीकृति नही हो सके जिससे सालों पुरानी समस्याओं के साथ अब 26 जून से शासकीय स्कूलों के पट खुल गये। छात्र-छात्राओं के नए क्लास में जाने के बाद भी वही पुरानी समस्याएं उनके लिए चुनौती बनी रहेंगी। शिक्षक व भवन की मांग करने छात्र-छात्राएं कलेक्टोरेट व अधिकारियों के दफ्तरों का चक्कर काटेंगे। शिक्षक व भवन की कमी बड़ी समस्या है। इसके बावजूद शासन स्कूलों की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है। स्कूलों की समस्याओं को लेकर ग्रामीण, पालक, छात्र-छात्राएं परेशान हैं। इसका खामियाजा परीक्षा के समय छात्रों को भुगतना पड़ता है।