एमसीबी,@क्या एक प्रधान आरक्षक के आगे एमसीबी जिले के पुलिस विभाग के उच्च अधिकारी बेवस…इसीलिए चंद दिनों में हो गई फिर घर वापसी?

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  • यदि जनप्रतिनिधि ही एसपी कार्यालय व थाना चलाना चाहते हैं तो फिर पुलिस अधीक्षक व निरीक्षक की जरूरत ही क्यों है
  • जिले का एक प्रधान आरक्षक जो चाहता है वही होता है..जिस थाने में रहना चाहता है उसी थाने में पदस्थापना पाता है?
  • 15 दिनों में 2 बार तबादला आखिर क्यों…विवादित प्रधान आरक्षक व आरक्षक की वापसी फिर थाने में
  • एक प्रधान आरक्षक ने होटल संचालक से वसूली थी बड़ी रकम…तो वही दूसरे ने दारू पीकर ड्राइवरों से की थी पैसों की मांग
  • चुनाव से पहले पुलिस अधीक्षक को करना होगा निष्पक्ष तबादला स्थानीय लोगों को घर से दूर के थानों में देनी होगी पदस्थापना
  • अवैध कारोबारियों को संरक्षण देने वाले पुलिसकर्मियों का तबादला बहुत जरूरी
  • क्या अवैध कारोबार में संरक्षण देने वाले पुलिसकर्मियों को विधायक का भी है संरक्षण?


-रवि सिंह-
एमसीबी,03 जुलाई 2023 (घटती-घटना)। एमसीबी जिले की स्थापना व पुलिस कप्तान के बदलने के बाद लगा था कि पुलिस बड़ी कसावट देखने को मिलेगी और कोयलांचल क्षेत्रों के होने के कारण अपराधों के बड़े ग्राफ में काफी कमी आएगी नई पुलिस इन देखने को मिलेगी लेकिन सब मनसाओ के विपरीत पुलिस की स्थिति काफी कमजोर और लाचार दिखाई दे रही है। जिले में पदस्थ कुछ चर्चित सिपाही पुलिस को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं उनमें से एक चिरमिरी थाने में पदस्थ “”एक सिपाही सब पर भारी”” वाली कहावत चरितार्थ कर रहा है पिछले दिवस एक होटल व्यवसाई से लगभग डेढ़ लाख रुपए की उगाही करने वाला सिपाही इन दिनों नव पदस्थ पुलिस अधीक्षक के मौखिक आदेश से उसे मनेंद्रगढ़ थाने में स्थानांतरित किया गया था लेकिन अपनी राजनीतिक पकड़ रखने वाला यह सिपाही एसपी साहब को भी धत्ता बताते हुए अपना स्थानांतरण पोंडी थाने में करा लिया है जिसको लेकर क्षेत्र में नागरिकों से लेकर पार्षदों में काफी असंतोष व्याप्त है करीब 25 पार्षद एवं एल्डरमैन पिछले दिवस क्षेत्रीय विधायक से मिलकर यह बात कही है कि आप हम सब को यह स्पष्ट करें कि आपके लिए वह सिपाही प्री है या हम सब,, विधायक ने सभी पार्षदों एवं एल्डरमैन ओं को काफी समझाने की कोशिश की लेकिन उस विवादास्पद सिपाही को यहां से हटवाने की बात पर सभी जनप्रतिनिधि अड़े रहे।
एमसीबी पुलिस एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है वह इसलिए है क्योंकि एक प्रधान आरक्षक का नाम 15 दिन में दो बार तबादला आदेश सूची में शामिल किया गया, जो उच्च अधिकारी का अधिकार भी है पर समस्या आमजनों के लिए खड़ी हो गई है, जिस प्रधान आरक्षक की बात हो रही है वह प्रधान आरक्षक काफी विवादित है उसके खिलाफ कई शिकायतें हैं और वह बहुत ऊंची पकड़ रखता है, क्या यही वजह है कि प्रधान आरक्षक को 15 दिन में तबादला सूची जारी कर घर के पास भेज दिया गया है। प्रधान आरक्षक पर क्षेत्र के लोगों के द्वारा कई बार आरोप लगाया गया है कि अवैध कारोबार को इनका संरक्षण रहता है, यही वजह है कि अवैध कारोबार करने वाले ही राजनीतिक पहुंच पकड़ बता कर इन्हें उसी थाने में ले आते हैं, जिस थाने क्षेत्र में अवैध कारोबार संचालित होता है। पूरी नौकरी यह अपने निवास स्थल के आसपास के थानों में ही रहकर अभी तक काटते आ रहे हैं, दूरस्थ अंचल क्षेत्रों के थानों में आज तक इन्होंने काम नहीं किया है, मनचाहा थाना पाना इनके लिए बाएं हाथ का खेल माना जाता है, यही वजह है कि प्रशासनिक अधिकारियों के ऊपर भी सवाल उठता है कि क्या प्रधान आरक्षक के सामने वह भी विवश है? आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है कि इस प्रधान आरक्षक को दोबारा उन्हीं के गृह क्षेत्र के थाना में फिर से भेज दिया गया। वैसे सूत्रों का मानना है विधायक का संरक्षण व उनकी कृपा की वजह से प्रधान आरक्षक को दोबारा उनके गृह क्षेत्र के थानों में भेजा गया है, जैसे ही दोबारा प्रधान आरक्षक की वापसी की तबादला सूची आई लोगों ने उच्च अधिकारी को फोन लगाकर उनके गतिविधियों के बारे में बता कर उन्हें थाना क्षेत्र हटाने की मांग की वहीं अधिकारी ने भी आश्वासन दिया है कि पूरे मामले का पता करके उन्हें हटाया जाएगा।
क्या पुलिस विभाग के ऐसे भ्रष्ट प्रधान आरक्षक व आरक्षक से जन सेवा मंशा सही है?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पार्षदों और उस सिपाही के बीच काफी लंबे समय से विवाद चल रहा है विवादित सिपाही चिरमिरी का लोकल रहने वाला है यही और पढ़ा लिखा है कुछ छूट भैया मुंहफट किस्म के कथित ट्रेड यूनियन के नेता का काफी करीबी है, वह बड़बोला नेता विरोध करने वाले जनप्रतिनिधियों को धमका चमकाता रहता है, बेहूदा नेता तीन-चार दिन पूर्व कहता था कि तुम लोग कुछ भी कर लो चिरिमिरी से बाहर वह नहीं जा पाएगा कि उसका कोई कुछ नहीं कर पाओगे चुपचाप शांति से रहो,, इसके अलावा यह सिपाही एक कबाड़ी के साथ दिन भर घूमता है और कबाड़ी भी उसकी कार व दोस्ताना संबंध पूरा मेंटेन करता है, उस चर्चित कबाड़ी के साथ दोस्ताना संबंध रखने वाले कबाड़ी के बीच पार्टनरशिप की भी खबर है, दोनों के फोटो भी काफी वायरल किए जाते रहे हैं, इन सब के बावजूद भी उसका चिरमिरी और आसपास के थानों में लंबे समय से कोयलांचल के थानों में बने रहना पुलिस कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहा है, क्या ऐसे भ्रष्ट आरक्षक से पुलिस देशभक्ति जन सेवा करने की मंशा रखती है जो रास्ते चलते लोगों से विवाद करते चलता है और हमेशा नशे में भी भूत रहता है, पार्षदों और इस सिपाही के बीच काफी तलवार खींची हुई है यह आरक्षक अपने पुलिसिया अंदाज में किसी के निवास स्थान में किसी अपने चहेते को भी घुसा देता है, तो कभी किसी से भयादोहन करता है और कभी अपने महकमे के अधिकारियों से झूठी धमकी दिलाता है और एफआईआर कराने की बात करता है, उसका संरक्षण चिरमिरी क्षेत्र के पुलिस के आला अधिकारी भी देते रहे हैं यही वजह है कि इतना विरोध और इतना विवाद होने के बावजूद भी इसका कोई कुछ नहीं कर पा रहा है।
सिपाही संभागीय स्तर के पुलिस के आला अधिकारियों के बारे में भी अपशब्द कहता रहता है
बीते दिवस नगर पालिका के विरुद्ध एक धरना प्रदर्शन के दौरान भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं ने सीधे नाम लेकर इस पर गंभीर आरोप लगाए थे और यह भी कहा था कि यह सिपाही संभागीय स्तर के पुलिस के आला अधिकारियों के बारे में भी अपशब्द कहता रहता है और उनके स्थानांतरण कराए जाने की बात भी कहता है, चुकी कबाड़ और अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए आईजी साहब लगातार प्रयासरत रहें या सिपाही कबाड़ीओं का दोस्त है यही वजह है कि यह उनका भी स्थानांतरण करवा कर यहां पर कबाड़ चालू करवाना चाहता है, होटलों में बैठकर नशे में धुत होकर यह पुलिस के आला अधिकारियों के बारे में भी अपशब्द बोलता रहता है, जिसको लेकर शहर में हमेशा चर्चा रहती है आखिर क्या वजह है कि एक सिपाही पुलिस महानिरीक्षक सहित पुलिस अधीक्षक पर भारी होता दिख रहा है?
जब जनप्रतिनिधि के निर्देश पर ही पूरा कार्य होना है तो पुलिस अधीक्षक और निरीक्षको की क्या जरुरत?
बाहर हाल इस पूरे प्रकरणों को देखने के बाद यह प्रतीत होता है कि कांग्रेस के शासन में जिले में पुलिस अधीक्षक और थानों में नगर निरीक्षको की पदस्थापना ही नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन सभी मामलों में उस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि के निर्देश पर ही पूरा कार्य किया जाता है, किसके विरुद्ध एफआईआर करना है किस सिपाही की किस थानेदार में स्थापना होगी वह जनप्रतिनिधि तय करता है, किससे कितनी उगाही करनी है ये सभी चीज़ जनप्रतिनिधि तय करता है कौन सी धारा जोड़नी है कौन सी घटानी है कब किस मामले में चालान पेश होना है जब थानेदार का काम और पुलिस अधीक्षक का काम जनप्रतिनिधि करने लगे हैं तो फिर इन पदों को तत्काल प्रभाव से खत्म कर देना चाहिए ताकि शासन को अनावश्यक रूप से हर महीने करोड़ों रुपए का पेमेंट भुगतान करना पड़ता है उस की बचत की जा सके!
प्रधान आरक्षक देते है अवैध कारोबार को संरक्षण
बताया जाता है की जिन प्रधान आरक्षकों को पुनः 15 दिन बाद तबादला सूची जारी कर उनके गृह क्षेत्र के थानों में भेजा गया है वह अवैध कारोबार को क्षेत्र में संरक्षण देते हैं। कोयलांचल क्षेत्र में जारी अवैध करोबार में उनकी तूती बोलती है और यही वजह है की वह कोयलांचल क्षेत्र का थाना नहीं छोड़ना चाहते।
अवैध कारोबारी भी नहीं चाहते प्रधान आरक्षक कोयलांचल छोड़कर अन्यत्र जाएं,अवैध कारोबारियों की मंशा से ही हुआ है तबादला निरस्तःसूत्र
प्रधान आरक्षक जिन्हे पुनः उन्हीं थानों में पदस्थ किया गया है पंद्रह दिनों बाद जहां वह पहले से पदस्थ से और जहां से उन्हें हटाया गया था के पीछे अवैध कारोबारियों का ही हांथ है यह भी सूत्रों का कहना है,बताया जा रहा है की अवैध कारोबारी उन्हे क्षेत्र छोड़कर जाने नहीं देना चाहते क्योंकि उनकी पहले की सेटिंग प्रभावित हो सकती है और इसलिए संबंधित प्रधान आरक्षक का तबादला निरस्त किया गया है जो पूरी तरह अवैध कारोबारियों की सह पर हुआ है।
उच्च अधिकारी भी प्रधान आरक्षक की ऊंची पकड़ के आगे हैं नतमस्तक,निरस्त किया तबादला आदेश
सुर्खियों में रहने वाले प्रधान आरक्षक का तबादला उच्च अधिकारियों को निरस्त करना पड़ा क्योंकि ऐसी मंशा अवैध कारोबारियों की थी और वह ऊंची पकड़ का सहारा लेकर उच्च अधिकारियों पर दबाव डलवाकर ऐसा करवा पाने में सफल हुए हैं ऐसा बताया जा रहा है। अब ऐसे में समझा जा सकता है की उच्च अधिकारी भी किस तरह मजबूर हैं एक प्रधान आरक्षक और उसकी ऊंची पकड़ के आगे जो उन्हे पंद्रह दिनों में ही तबादला निरस्त करना पड़ा है।
चुनाव से पहले क्या उच्च अधिकारी करेंगे चर्चित एवं सुर्खियों में रहने वाले पुलिसकर्मियों का तबादला
सवाल यह भी है की क्या चुनाव पूर्व उच्च अधिकारी चर्चित एवम सुर्खियों में रहने वाले पुलिसकर्मियों का तबादला करेंगे। वैसे बता दें जो गिने चुने पुलिसकर्मी हैं जिनकी ऊंची पकड़ और पहुंच है वह अपनी मनचाही पोस्टिंग पाने में सफल होते रहते हैं और उनके क्षेत्र में अवैध कारोबार भी जमकर होता है वहीं जो बिना ऊंची पहुंच और पकड़ वाले हैं वह दूरस्थ थानों में ही सेवा दे रहें हैं।
विधायक का भी संरक्षण प्राप्त है चर्चित प्रधान आरक्षक को
बताया जाता है की प्रधान आरक्षक जिसका तबादला निरस्त किया जाकर पुनः पुराने थाने में जिसे भेजा गया है उसे विधायक का भी समर्थन प्राप्त है और उसका तबादला इसलिए भी नहीं होता या रुक जाता है,वैसे सच जो भी हो लेकिन लोगों को सताने वाले साथ ही अवैध कारोबार को संरक्षण देने वाले पुलिसकर्मियों की चांदी है यह देखने को मिलता रहता है।


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