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सूरजपुर@पत्नी के मौत का मुआवजा पाने के लिए दो साल से भटक रहा पति,तहसील का चक्कर काटने में घिस गये चप्पल

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  • मौत का मुआवजा देने में अधिकारियों व कर्मचारियों को क्यों फुलाते हैं हाथ-पाव?
  • असमय मौत के मुआवजा मामले में तहसील कार्यालय में कार्यवाही क्यों जल्दी नहीं होती?
  • असमय मौत मामले के मुआवजा राशि में भी दलालो की नजर क्यों?
  • बिना कमीशन असमय मौत के मुआवजा नहीं मिलता पीडि़त कोःसूत्र


-ओंकार पाण्डेय-
सूरजपुर 26 जून 2023 (घटती-घटना)। असमय मौत पर सरकार से मिलने वाली मुआवजा राशि पाने में पीड़ित के छूट जाते हैं पसीने और घिस जाते हैं चप्पल, ज्ञात हो कि सड़क दुर्घटना, पानी में डूबने, सांप काटने या गाज गिरने, करंट लगना से होने वाली मौत पर राज्य सरकार की ओर से मुआवजा देने का प्रावधान है जिसकी जानकारी सभी को पर इस मामले को लेने में लोगों को जो परेशानियां होती हैं शायद यह सरकार को भी नहीं पता है नीचे स्तर में इस मामले की राशि के लिए लोग कितने परेशान होते हैं यह किसी से छुपा नहीं है यहां तक कि पैसे पाने के लिए चढ़ावा भी चढ़ाना पड़ता है ऐसे में सवाल यह उठता है कि मौत के मामले में भी अधिकारी कर्मचारी चढ़ावा खोजते हैं? ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि असमय मौत के मामले की मुआवजा लेने में लोगों को महीनों नहीं साल लग जाते हैं फिर भी मुआवजा नहीं मिल पाता। यदि सही तरीके से जांच की जाए तो तहसील कार्यालय में मौत के मुआवजा मामले के कई प्रकरण पेंडिंग हो गए। ऐसा ही मामला अभी सूरजपुर जिले का सामने आया है जहां पर एक पति अपनी पत्नी के मौत के मुआवजे के लिए भटक रहा है और यह मुआवजा कब मिलेगा इसका भी पता नहीं। ऐसे कई मामले ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में होते हैं, इसलिए मुआवजा नहीं मिलता या बिचौलिए अपनी कमीशन खा जाते हैं। पीçड़त परिवारों को पूरी राशि मिले इसलिए सरकार को भी अच्छी पहल करनी होगी ताकि नीचे के लोग मौत के मौत के मामले में पीड़ित को जल्द राहत दे सकें।
इस समय जिला प्रशासन में प्रसासनिक कसावट नही होने से अफसर अपने मूल कार्यो से भटक गए है। जिनका कार्य है जनता के लिए सेवा देना है वो अपना कार्य ईमानदारी से करते हुए नही दिख रहे है। जिस कारण ग्रामीण अंचल के ग्रामीणो को जिला मुख्यालय का चक्कर लगाने पर मजबूर है। दरअसल मामला जिले के ओड़गी विकास खण्ड का है। ग्राम पंचायत कोल्हुआ के एक पंडोजनजाति के ग्रामीण फटे हुए चप्पल, फटे हुए पुराने कपड़े पहने 1 वर्ष पूर्व हुए धर्मपत्नी की मौत का मुआवजा के लिए शासकीय कार्यालयों का चक्कर लगा रहा है। ये कहानी सूरजपुर जिला के ओड़गी विकास खण्ड के ग्राम कोल्हू का है। कोल्हू निवासी अतिपिछड़ी संरक्षित जनजाति शिवशंकर पण्डो आ. पन्नू पण्डो, उम्र लगभग 42 वर्ष का है। शिवशंकर पण्डो की पत्नी जागमती पण्डो की मृत्यु 18 अगस्त 2021 को कुंआ में गिरने के कारण हो गया था।
बेचारे पिता की मजबूरी
शिवशंकर पण्डो बताते हैं कि वो बनी मजदूरी करते है। मनरेगा में गोदी खोन्द कर बच्चों का पालन पोषण कर रहे है। आगे बताते है कि पैसे के बभाव में बच्चो की पढ़ाई लिखाई भी नही करा पाए है। द्वारा अपनी पत्नी की मृत्यु के पश्चात सहायता राशि प्राप्त करने के लिए समस्त दस्तावेज तहसील कार्यालाय में जमा कर चुके है। जिसके बाद भी अफसरो ने फाइल को आगे बढ़ाना उचित नही समझा है। पंडो कई दफा कार्यालय जाकर मुआवजा की गुहार लगाते रहा किन्तु जिम्मेदार अधिकारियो के कानों में जु तक नही रेंग रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि मानों 4 लाख का मुआवजा अफसरों को शासन से मिलने वाले तनख्वाह से दिया जाएगा। किन्तु सीएम भूपेश बघेल ने अकाल मौत होने वाले ग्रामीणो के परिजन को 4 लाख रुपये का सहायता राशि प्रदान करती है। शिवशंकर पंडो आगे बताते है कि बिहारपुर जिला कार्यालय से बहुत दूर होने के कारण कारण आने में काफी दिक्कत होता है। इनके द्वारा कई दफा कार्यालाय पहुँच कर जिमेदार अफसरों से गुहार लगाई है। आगे बताता है कि कई दफा तहसील कार्यालाय एसडीएम कार्यालाय जाकर गुहार लगाई है। कार्यालाय में जाने से आर्थिक बोझ बढ़ता है। साथ ही बनी मजदूरी भी नही कर पाते है। 2 बच्चे, शासन से सहयोग राशि प्राप्त होता तो बच्चो के पालन पोषण में उपयोग करते।


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