बैकुण्ठपुर@क्या भारतीयों में योग विद्या को प्रदर्शन की चीज बनाकर प्रस्तुत करना…महान धरोहर का अपमान तो नहीं?

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योगा नित्य दिन करने वाली प्रक्रिया,फिर भी एक दिवस विशेष में कार्यक्रम आयोजित कर शासकीय पैसे का दुरुपयोग करना कहां तक उचित है?
क्या अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आड़ में पैसे का हो रहा दुरुपयोग?
योग दिवस पर खर्च करने वाली क्या मजबूरी है,जिसमें जमकर शासकीय राशि का दुरुपयोग किया जाता है ?
स्वस्थ जीवन के अभिन्न अंग योग का प्रदर्शन मात्र कितना उचित

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,22 जून 2023 (घटती-घटना)। भारतीय संस्कृति और भारतीय जीवन दर्शन में योग तथा प्राणायाम का अत्यंत महत्व है। अति प्राचीन काल से ही योग के द्वारा निरोग रहने की प्रक्रिया आज आधुनिक काल तक निरंतर चलती आ रही है। यह बात दीगर है कि 2014 के पूर्व योग तथा प्राणायाम का क्षेत्र संकुचित हो चुका था, परंतु बाबा रामदेव एवं उनके द्वारा स्थापित पतंजलि योगपीठ के क्रियाकलापों के कारण आज भारतीय योग विद्या पूरे विश्व में अपना परचम लहरा रही हैं। और इसी तत्वाधान में संपूर्ण विश्व में 21 जून को योग दिवस के रूप में विगत कई वर्षों से निरंतर मनाया जा रहा है। यह भारतीय विद्या को दिया गया एक वैश्विक सम्मान है, जिसने योग और प्राणायाम को द्वार द्वार तक पहुंचाने में अहम भूमिका अदा की है। और यह सब भारतीय योग गुरु के अथक परिश्रम का परिणाम है।
यह भी माना जाता है कि योग के द्वारा किसी भी प्रकार के शारीरिक व्याधि को प्रारंभिक स्तर से समाप्त किया जा सकता है। निरंतर योग निरोग रहने का एकमात्र उपाय माना जाता है। परंतु वर्तमान में 21 जून को योग दिवस के दिन इसे एक प्रोपेगेंडा के रूप में विभिन्न स्थानों पर शासकीय आयोजन कर क्या प्रदर्शित करने का प्रयास किया जाता है, यह समझ से परे है। ऐसे आयोजनों में जहां एक ओर शासकीय राशि का दुरुपयोग तो होता ही है, साथ ही ऐसे आयोजन केवल एक दिवसीय आयोजन बनकर रह जाते हैं, जिसका कोई लाभ परिलक्षित नहीं होता। जबकि योग नित्य दिन करने वाली प्रक्रिया है। और इसका लाभ भी तभी संभव है जब इसे नित्य प्रतिदिन अनवरत किया जाए। परंतु सोशल मीडिया, वेब मीडिया, प्रिंट मीडिया में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के चक्कर में इसे केवल एक प्रोपेगेंडा के तहत आयोजन करना कितना उचित है? योग एक ऐसी प्रक्रिया है जिस पर किसी प्रकार की कोई लागत नहीं आती। ढीले ढाले कपड़ों में साधारण कपड़े या चटाई बिछाकर की जाने वाली इस प्रक्रिया पर योग दिवस मनाने के चक्कर में शासकीय राशि का दुरुपयोग समझ से परे है। एक ओर जहां वैश्विक समुदाय भारतीय योग विद्या से निरोग रहने की प्रणाली को अपनाने के लिए आतुर है और जिसका व्यापक प्रभाव देखा भी जा सकता है। वहीं भारतीयों में योग विद्या को प्रदर्शन की चीज बनाकर प्रस्तुत करना इस महान धरोहर की अपमान करने वाली बात जैसी है। योग दिवस के नाम पर जो कि वर्ष में प्रत्येक दिन स्वेच्छा से स्वयं के हित के लिए होना चाहिए, विभिन्न आयोजन जो पंचायत, ब्लॉक, जिले स्तर पर होते हैं, के लिए शासकीय राशि का बंदरबांट हास्यास्पद लगता है। और सबसे बड़ी बात की योग दिवस के दिन 1 दिन योगाभ्यास का विभिन्न माध्यमों से प्रदर्शन करके लोग क्या साबित करना चाहते हैं? जबकि हर व्यक्ति इस बात से भिज्ञ है कि योग का लाभ सभी है जब इसे निरंतर जहां तक संभव हो बिना नागा किए प्रतिदिन किया जाए।
नेता मंत्री विधायक और अधिकारी योग दिवस के दिन सिर्फ सक्रिय होते हैं?
विश्व योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है और इस दिन शासकीय आयोजन भी होते हैं और जिसे काफी उत्साह के साथ आयोजित किया जाता है, उत्साह योग का लाभ मिले और इसका प्रचार प्रसार हो इसको लेकर कम बशर्ते शासकीय राशि का जमकर दुरुपयोग करने के लिए किया जाता है यह कहना गलत नहीं होगा। शासकीय आयोजनों में योग जो की बिना लागत की विधा है उसे लागत वाली विधा बना दिया जाता है और बड़े बड़े लोगों को आमंत्रित कर आयोजन पर लाखों खर्च किया जाता है। नेता मंत्री विधायक और अधिकारी योग दिवस के दिन काफी सक्रिय हो जाते हैं और इस दिन योग करने के लिए सार्वजनिक आयोजन किया जाता है, जहां जितने बड़े स्तर के नेता और अधिकारी उपस्थित होते हैं वहां उतना ही ज्यादा खर्च किया जाता है।
योग के नाम पर खातिरदारी
टेंट पंडाल लगाए जाते हैं नेता मंत्री और अधिकारियों के लिए गद्दे और कालीन बिछाए जाते हैं वहीं आम लोगों के लिए आयोजन में भी टाटपट्टी या दरी ही बिछाई जाति है और बड़े लोगों के लिए कालीन और टेंट पंडाल सहित गद्दों की व्यवस्था के नाम पर लाखों खर्च कर दिया जाता है। योग जीवन के लिए खासकर स्वस्थ जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण क्रिया है और जो बिल्कुल शून्य लागत की क्रिया है उसे लागत का बनाकर शासकीय राशि का दुरुपयोग आखिर क्यों। आज भारत का योग विश्व में अपनी पहचान बना चुका है और पूरा विश्व यह मान चुका है की निरोग रहने साथ ही लंबी आयु के लिए योग करना ही एकमात्र उपाय है जो निशुल्क है,लेकिन योग विधा जो भारतीय विधा है उसे भारत में ही खर्चीला विधा बना दिया गया है।


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