अंबिकापुर@सरगुजा संयुक्त संचालक शिक्षा कार्यालय का भ्रष्टाचार,शिक्षक संघ विरोध में आने लगे सामने

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  • 23 जून को शिक्षक संघ करेगा बैठक, भ्रष्टाचार को लेकर शिकायत की रणनीति पर होगा विचार
  • वरिष्ठ शिक्षकों की जगह कनिष्ठ शिक्षकों को मनचाही पदस्थापना देने का मामला अब पकड़ने लगा है तूल
  • पैसे लेकर संशोधन के नाम पर हुआ है बड़ा भ्रष्टाचार,करोड़ों का हुआ है लेनदेन का खेल
  • वरिष्ठ शिक्षकों ने शुरू में ही दर्ज की थी शिकायत, शिकायत करने वालों को डराने किया गया था निलंबित
  • क्या शिक्षकों को डराकर कराया गया चुप,अब संशोधन कर करोड़ों की वसूली की गई पूरी
  • वरिष्ठ कई शिक्षकों ने पदोन्नति पदस्थापना प्रकिया में धांधली की वजह से नहीं ली पदोन्नति
  • संशोधन करने और फर्जीवाड़ा करने आपसी सहमति दर्शाने भी खेला गया बड़ा खेल
  • जिन शिक्षकों से पैसा लिया गया उन्हे पहले पदस्थ किया गया अन्य जिलों में,बाद में आपसी सहमति दर्शाकर किया गया भ्रष्टाचार?
  • कलेक्टर सरगुजा ने मामले में लिया संज्ञान:सूत्र,जवाब मांगने की बात आ रही सामने

अंबिकापुर,20 जून 2023 (घटती-घटना)। संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा कार्यालय का भ्रष्टाचार आखिर शिक्षक संघों ने संज्ञान में लिया और अब शिक्षक संघ मामले में विरोध दर्ज करने लामबंद होने जा रहें हैं जिसके लिए शिक्षक संघ 23 जून को बैठक करेंगे और मामले की शिकायत शिक्षा मंत्री सहित संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा से करेंगे। शिक्षक पदोन्नति मामले में शिक्षक संघ ने भी बड़े भ्रष्टाचार का अंदेशा जताया है और उनकी मांग है की मामले की जांच की जाए और दोषियों पर कार्यवाही की जाए वहीं पूरे मामले में खुद संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा की भूमिका ही संदिग्ध है और पदोन्नति पदस्थापना के पश्चात बड़े स्तर पर हुए पदोन्नति पदस्थापना संशोधन से इसकी पुष्टि भी होती है।
बताया जा रहा है की काउंसलिंग से की गई पदोन्नति पदस्थापना में पैसे लेकर संशोधन का खेल खेला गया और करोड़ों रुपए शिक्षकों से वसूली कर लिए गए। एक एक शिक्षक जिन्हे मनचाही पदस्थापना लेनी थी उनसे डेढ़ से दो लाख वसूले गए और उनको मनचाही पदस्थापना प्रदान की गई वहीं जिन्होंने पैसे नहीं दिए उन्हे दूरस्थ स्कूलों में भेजा गया और उनके लिए संशोधन का दरवाजा भी बंद रखा गया। मामले में गड़बड़ी की आशंका पर जिन शिक्षकों ने विरोध दर्ज किया उन्हे संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा ने निलंबित कर भयभीत किया और जब भय कायम हो गया संशोधन आदेश जारी कर दिया गया जिसके बाद अब अन्य दूरस्थ पदस्थापना पाए शिक्षक खुद को ठगा महसूस कर रहें हैं और वह पूरी व्यवस्था को ही कोश रहें हैं वहीं पूरे मामले में यह भी सवाल खड़ा होता है की क्या इतने बड़े भ्रष्टाचार की जांच होगी भी या मामले को रफा दफा कर दिया जाएगा और करोड़ों का भ्रष्टाचार अपना उद्देश्य पूरा करेगा।
वरिष्ठ शिक्षकों का हक छीनकर कनिष्ठ शिक्षकों को पैसों के दम पर हक प्रदान किया गया
सरगुजा में शिक्षक पदोन्नति पदस्थापना मामले में यदि जांच की गई तो एक बड़े भ्रष्टाचार का मामला सामने आएगा और पता चल सकेगा की किस तरह वरिष्ठ शिक्षकों का हक छीनकर कनिष्ठ शिक्षकों से पैसा लेकर उन्हे वह हक प्रदान कर दिया गया और मामले में सब कुछ जानकर भी जिम्मेदार मौन बने रहे और शिक्षक दो तरफ से ठगे गए। संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा कार्यालय का यह भ्रष्टाचार जिस दबंगई से किया गया उससे यह भी साफ हो गया की मामले में संयुक्त संचालक सहित ऊपर के भी जिम्मेदार लोग पूरे मामले में शामिल रहे जिन्होंने भ्रष्टाचार की पहली शिकायत पर भी संज्ञान नहीं लिया और भ्रष्टाचार पूरी तरह अपना असर दिखा गया। मामले में जो बड़ा पहलू है वह यह है की भ्रष्टाचार की वजह से कई पात्र शिक्षक पदोन्नति से वंचित रह गए वहीं अपात्र या कनिष्ठ पदोन्नति पा गए वह भी मनचाही पदस्थापना के साथ।
कनिष्ठ शिक्षकों से पैसा लेकर वरिष्ठ शिक्षकों को पदोन्नति से किया गया वंचित
सरगुजा संयुक्त संचालक कार्यालय द्वारा आयोजित पदोन्नति पदस्थापना काउंसलिग में भ्रष्टाचार करने के लिए जो रास्ता अपनाया गया उससे वरिष्ठ एवं पात्र शिक्षकों को पदोन्नति से वंचित होना पड़ा वहीं जिन्होंने पैसा दिया डेढ़ से दो लाख उन शिक्षकों को वह पदस्थापना मिल सकी जिनपर वरिष्ठ शिक्षकों का हक था। वरिष्ठता सूची अनुसार वरिष्ठ शिक्षक को पहले पदस्थापना स्थल चुनने का प्रावधान काउंसलिंग नियम के अनुसार दिया गया था लेकिन नियम को दरकिनार किया गया और पैसा लेकर पदस्थापना बेच दिया गया जिससे वरिष्ठ शिक्षकों ने पदोन्नति से ही इंकार कर दिया और इस तरह करोड़ों का भ्रष्टाचार पूरा हो सका।
गर्मी की छुट्टियों में जारी हुआ पदस्थापना संशोधन आदेश,बंद स्कूल खुलवाकर संशोधन प्राप्त शिक्षकों ने किया कार्यभार ग्रहण
भ्रष्टाचार का पूरा खेल खेलने के लिए संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा ने गर्मी की छुट्टियों का इंतजार किया और पुरे मामले में पूरा धैर्य रखा और जब विरोध करने वाले और भ्रष्टाचार की बात करने वाले वरिष्ठ शिक्षक गर्मी की छुट्टियों में व्यस्त हो गए पैसे लेकर संशोधन का खेल खेला गया। संशोधन गर्मी की छुट्टियों में बड़े गुपचुप तरीके से किया गया और संशोधन के बाद संयुक्त संचालक शिक्षा ने जिनका भी संशोधन किया उन शिक्षकों के लिए गर्मी की छुट्टियों ने स्कूल खुलवाए और कार्यभार ग्रहण कराया। कुलमिलाकर भ्रष्टाचार का खेल पूरी ईमानदारी से खेला गया और जिनसे भी पैसा लिया गया उन्हे कार्यभार ग्रहण करने पूरी व्यवस्था आसानी से उपलध कराई गई।
भ्रष्टाचार का बड़ा खेल आपसी सहमति बनाकर भी किया गया फर्जीवाड़ा,प्लान कई स्तर पर था तैयार
भ्रष्टाचार का यह बड़ा खेल बड़ी ही तैयारी के साथ खेला गया,इस फर्जीवाड़े के लिए संयुक्त संचालक कार्यालय सरगुजा द्वारा कई स्तर पर प्लान तैयार किया गया था। कई प्लान बनाए गए थे जिसमे एक प्लान कारगर नहीं होने पर दूसरा और दूसरा पूरा नहीं होने पर तीसरा प्लान तैयार था। हुआ भी ऐसा ही पहले प्लान की जानकारी शिक्षकों को हो गई और जब विरोध होने लगा प्लान दूसरा अपनाया गया और फिर तीसरा प्लान भी अपनाया गया। पहले प्लान में पैसे लेकर सीधे कनिष्ठ को मनचाही पोस्टिंग दी गई जिसकी जानकारी शिक्षकों को हो गई विरोध हुआ और विरोध करने वालों को निलंबित किया गया और डराया गया जो वीडियो में देखा गया वहीं जब शिक्षक डर गए दूसरा प्लान अपनाया गया और जिनसे पैसा लिया गया था उन्हे अलग अलग जिले में पदस्थ किया गया और आदेश जारी कर दिया गया,फिर तीसरा प्लान अपनाया गया और जिन्हे जिन्हे अलग अलग जिले में पदस्थ किया गया था उन्हे आपसी सहमति बताकर पुनः उसी जिले में पदस्थ किया गया जिन जिलों में उन्हे पदस्थ करने के लिए पैसा लिया गया था। कुलमिलाकर तीन प्लान तैयार थे और तीनों प्लान अपनाए गए फर्जीवाड़ा करने के लिए।
काउंसलिंग के दौरान रिक्त पदों को डिस्प्ले बोर्ड से हटाया गया,बाद में उन्हीं पदों पर पदस्थापना दी गई
काउंसलिंग के दौरान भ्रष्टाचार को अमली जामा पहनाने के लिए डिस्प्ले बोर्ड से रिक्त पदों को हटाया गया और उन पदों को उन शिक्षकों के लिए सुरक्षित रखा गया जिनसे पैसा लिया गया था। बाद में जब काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी हो गई उन्ही पदों पर उन शिक्षकों को पदस्थापना दी गई जो नियम से पदस्थापना होती तो वह पदस्थापना नही प्राप्त कर सकते थे। मनचाही पदस्थापना उन्ही शिक्षकों को मिली जिन्होंने डेढ़ से दो लाख रुपए खर्च किए ।
कलेक्टर सरगुजा ने मामले में मांगा जवाब,सूत्र,संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर होगी कार्यवाही
मामले में कलेक्टर सरगुजा ने संयुक्त संचालक सरगुजा शिक्षा से जवाब मांगा है और जवाब संतोषजनक नहीं होने पर उचित कार्यवाही की बात उन्होंने की है। बताया जा रहा है की जब मामले की खबर सुर्खियों में आई तब कलेक्टर सरगुजा ने मामले को सज्ञान में लिया है और जवाब तलब किया है। अब देखना है की पूरे मामले में कलेक्टर सरगुजा को क्या जवाब दिया जाता है और फिर आगे क्या कार्यवाही की जाती है।
सैकड़ों की तादाद में हुआ संशोधन
जैसा की सूत्रों का कहना है की पैसे लेकर सैकड़ों शिक्षकों के पदस्थापना आदेश में संशोधन किया गया है। पूरे संभाग में हजारों शिक्षकों की पदोन्नति हुई है और उनमें से सैकड़ों से वसूली कर उन्हे मनचाही पदस्थापना प्रदान की गई। पूरा खेल करोड़ों का है जैसा बताया जा रहा है और इसमें कई लोगों के शामिल होने की संभावना बताई जा रही है जिसमे जिले के भी कार्यालयों की भूमिका संलिप्त है जो बताया जा रहा है।
जिन शिक्षकों से लिए गए पैसे उन्हे संशोधन के लिए दिया गया समय
संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा कार्यालय जिसके द्वारा पदोन्नति प्रक्रिया संपन्न की गई उसने उन शिक्षकों को नवीन पदस्थापना में कार्यभार ग्रहण करने के लिए पर्याप्त समय दिया जिन्होंने मनचाही पदस्थापना के लिए पैसा दिया। सभी शिक्षकों के लिए एक ही निर्देश कार्यभार ग्रहण करने के लिए जारी किया गया था और जिसमे समय सीमा निर्धारित थी लेकिन जिन्हे लाभ पहुंचाना था उन्हे आवेदन लेकर संशोधन का अतिरिक्त समय दिया गया और जब उनका संशोधन कर दिया गया तब जाकर उन्हें कार्यभार ग्रहण करने कहा गया। बताया यह भी जा रहा है की जिन शिक्षकों ने पैसे दिए उन्हे पहले से ही यह कह दिया गया था की वह कार्यभार ग्रहण न करें और उन्हे निर्देश पालन करने की जरूरत नहीं है उन्हे उनकी मनचाही पदस्थापना जब दी जाएगी तब उन्हे कार्यभार भी ग्रहण कराना कार्यालय की ही जिम्मेदारी होगी जिसके कारण पैसे देने वाले शिक्षक निश्चिंत थे जिन्हे बाद में मनचाही पदस्थापना मिल भी गई।
नियम अनुसार वरिष्ठता सूची के वरिष्ठ शिक्षक को मिलनी थी मनचाही पदस्थापना,लेकिन मिली कनिष्ठ शिक्षक को मनचाही पदस्थापना
जैसा की स्कूल शिक्षा विभाग का पदोन्नति पदस्थापना मामले में स्पष्ट निर्देश था की वरिष्ठता सूची में जो शिक्षक वरिष्ठ हैं पहले उन्हे ही पदस्थापना के लिए बुलाया जाएगा और उन्हे पहले सभी रिक्त पद दिखाए जायेंगे और उन्हीं में से वरिष्ठ शिक्षक अपनी मनचाही पदस्थापना ले सकेंगे लेकिन ऐसा न किया जाकर वरिष्ठ शिक्षकों को रिक्त पद पूरे नहीं दिखाए गए और जब उनकी बारी आई उन्हे सभी पद भरे हुए दिखाए गए लेकिन उनके बाद काउंसलिंग में पहुंचे शिक्षकों को जिनसे पैसा लिया गया था उन्हे उनकी मनचाही पोस्टिंग मिल गई जबकि उसपर वरिष्ठ शिक्षकों का हक था। कुलमिलाकर नियमो को ताक पर रखकर पैसे के बल पर जिन्हे जो स्कूल चाहिए थे उन्होंने प्राप्त कर लिए और नियम के भरोसे रहने वाले शिक्षक ठगे गए।
काउंसलिंग में जो शिक्षक गए ही नही उन्हे ही मिली मनचाही पोस्टिंग
बताया यह भी जा रहा है की कनिष्ठ वे शिक्षक जिन्हे मनचाही पोस्टिंग चाहिए थी उन्हे काउंसलिंग में भी उपस्थित नहीं होने का निर्देश जारी था और जिहोने पैसे दिए थे उन्हे साफ तौर पर कहा गया था की वह काउंसलिग में उपस्थित ही न हों उन्हे उनकी मनचाही पोस्टिंग मिल जायेगी,हुआ भी वही जो स्कूल शिक्षा विभाग के नियम के भरोसे पहुंचे थे वह ठगे गए और जिन्होंने पैसा दिया वह मनचाही पोस्टिंग लेकर अब निश्चिंत हैं।
फर्जीवाड़ा खुलेआम हुआ जो स्पष्ट नजर भी आता है,फर्जी चिकित्सकीय आधार बनाकर भी दी गई मनचाही पोस्टिंग
पूरे मामले में फर्जी चिकित्सकीय आधार पर भी कई शिक्षकों को मनचाही पोस्टिंग दी गई। जिन्हे कोई भी बीमारी नहीं है उन्हे भी बीमार बताकर मनचाही पोस्टिंग दी गई वहीं स्कूल शिक्षा विभाग से जारी चिकित्सकीय आधार जिनके आधार पर शिक्षकों को लाभ प्रदान करना था उसमे भी फर्जीवाड़ा किया गया और स्वस्थ को भी बीमार बताकर मनचाही पोस्टिंग दे दी गई। पूरे मामले की यदि जांच की गई तो बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकेगा और पात्र शिक्षकों को जिन्होंने पदोन्नति लेने से भ्रष्टाचार के कारण इंकार कर दिया है उन्हे लाभ मिल सकेगा।
क्या मामले में होगी जांच,क्या जिम्मेदार लेंगे संज्ञान?
संभाग के शिक्षा कार्यालय ने शिक्षकों को ही लूटा और उनके भ्रष्टाचार की वजह से कई शिक्षक पदोन्नति से वंचित हो गए। अब देखना यह है की शिक्षकों को लूटने वालों पर जिम्मेदार कार्यवाही करते हैं या मामले को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं। क्या इसी तरह संभाग में शिक्षा का स्तर सुधारेंगे अधिकारी,शिक्षकों से ही जब पैसा लेकर उन्हे मनचाही पोस्टिंग देंगे और कइयों को पदोन्नति से इसी कारण वंचित होना पड़ेगा तो ऐसे में कैसे शिक्षक ईमानदारी से शिक्षा का प्रकाश फैलाएंगे जबकि उन्ही के जीवन में उच्च कार्यालय अंधकार फैला रहें हैं और उनके अधिकार को ही बेच रहें हैं।
प्रदेश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार साबित हो सकता है यह मामला, केवल जांच सही तरीके से हो जाए
बताया यह भी जा रहा है की पूरा मामला प्रदेश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का मामला साबित हो सकता है। जरूरत केवल सही जांच की है और सब कुछ सामने आ जाएगा। अब देखना है की क्या जांच होती है क्या दोषियों पर कार्यवाही होती है,क्या पात्र शिक्षक को पदोन्नति मिलती है। सब सभी सवालों के जवाब जांच से ही सामने आयेंगे।


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