मनेंद्रगढ़@क्या कोतवाली प्रभारी को सद्बुद्धि आ गई,दिखने लगी कोतवाली प्रभारी में मानवता?

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  • एक महिला व उसके 4 महीने के बच्चे को थाने में रात भर बैठाया गया तब कहां गई थी मनेंद्रगढ़ कोतवाली प्रभारी की मानवता?
  • अंतिम संस्कार की व्यवस्था कर अबोध बालक को गोद में लेकर मुखाग्नि देने मामले में क्या खुद प्रभारी साहब अपने तारीफ के कसीदे छपवा रहे हैं?
  • एमसीबी जिले में कोतवाली प्रभारी की कमियां पत्रकार को दिखती नहीं पर उनके कसीदे खूब पढ़ते नजर आते हैं पत्रकार
  • क्या मानवता का ढोंग कर अपने उच्च अधिकारियों की सहानुभूति पाना चाहते हैं प्रभारी साहब?

रवि सिंह-
मनेंद्रगढ़ 25 जुलाई 2023 (घटती-घटना)। एमसीबी जिले के कोतवाली प्रभारी की कमियां क्षेत्र के पत्रकारों को नहीं दिखता है और नहीं दिखने की वजह क्या है यह सभी को मालूम है कि उनका मैनेजमेंट पत्रकारों, जनप्रतिनिधियों व उच्च अधिकारियों बीच कितना तगड़ा है और उनके मैनेजमेंट से पत्रकारों का एक छोटा वर्ग काफी प्रभावित है जो उनकी गलतियों और कमियों को नजरअंदाज कर उनका यदि इक्का-दुक्का मानवता वाला चहरा गलती से दिखता भी है तो उनके मानवता दिखाने के मामले उनके विभाग के लोग कम पत्रकार ज्यादा कसीदे पढ़ते देखे जाते हैं, जैसे लगता है कि उनसे साफ सुथरा प्रभारी पूरे छत्तीसगढ़ में नहीं मिलेगा? जबकि मानवता को उन्होंने कई बार शर्मसार भी किया है और उनके थाने में ही कई बार मानवता शर्मशार हो चुकी हैं जो बात किसी से छुपी नहीं है, ऐसे ही सेटिंग सिंह के नाम से पूरे शहर में प्रसिद्ध नही हुए हैं यह भी बात किसी से छुपी नहीं है, यह हम नहीं कह रहे, यह नाम पूरे शहर में प्रसिद्ध है लोग जानते हैं। बहुत लंबे समय की बात नहीं है महीने 2 महीने पहले की बात होगी जब इन्हीं के थाना क्षेत्र में एक महिला को रात के अंधेरे में नियम विरुद्ध तरीके से 4 महीने के अबोध बच्चे के साथ लाकर पूरे रात थाने बैठाया गया था, जिसमें इनकी मानवता शायद कहीं चली गई थी, जो अब लगता है वापस लौट गई है, अब प्रभारी साहब को सद्बुद्धि कहीं से मिली है और वह मानवता दिखाने लगे यह अच्छी बात है, एक कहावत है सुबह का भूला यदि शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते। यदि प्रभारी साहब का हृदय परिवर्तन हो गया है और वह पूरी तरीके से बदल चुके हैं उन्हें मानवता याद आ चुकी है? उन्हें अपनी जिम्मेदारी याद आ चुकी है.. उन्हें अपना कर्तव्य याद आ चुका है.. तो इससे अच्छा पुलिस विभाग के लिए कोई चीज नहीं हो सकती..जिस भी उच्च अधिकारी ने इनके अंदर परिवर्तन लाया है उसके लिए धन्यवाद तो बनता है।
फिलहाल हम बात करते हैं इस समय कोतवाली प्रभारी के कसीदे पढ़ने वाले पत्रकारों व मीडियाकर्मियों की, इस समय प्रभारी साहब का मानवता दिखाने वाला चहरा सुर्खियों में जिसके कसीदे पढे जा रहे है जो इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां एक वर्ग इनकी मानवता की तारीफ में कसीदे पढ़ रहा है, उस वर्ग की संख्या भले ही कम है पर कसीदे पढ़ने कि उन्हें इनाम भी समय-समय पर मिलता है, यही वजह है कि वह कसीदे पढ़ रहे हैं, पर यह बात सही है कि इस मामले में प्रभारी साहब संवेदनशीलता दिखाई है, चाहे वह जिस उद्देश्य दिखाई हो पर मानवता का एक प्रचार हुआ, इसे गलत कहना सही नहीं होगा, क्योंकि जिस कदर उनका हृदय परिवर्तन हुआ और सभी के सौजन्य से अंतिम संस्कार की व्यवस्था हुई सिर्फ उसमें इन्हीं का कसीदे पढ़ना भी गलत है, जिन जिन लोगों ने इस मामले में सहयोग दिया वह भी पूर्ण के भागीदार हैं। क्योंकि उनके अंदर भी मानवता थी, जिन्होंने अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की व्यवस्था कराई जिन्होंने वहां पर विधि विधान से अंतिम संस्कार हो सके उसकी व्यवस्था कराई पर यहां पर कसीदे सिर्फ गोद में लेकर मुखाग्नि दिलाने वाले प्रभारी साहब की पढ़ी जा रही है, जो न्याय उचित नहीं होगा, इसमें सभी की भागीदारी है और सभी के सहयोग से यह मानवीय कार्य पूरा हुआ था उन सभी की सराहना होनी चाहिए।
थाना प्रभारी के कसीदे पर गौर किया जाए तो
पत्रकारों के कसीदे पर गौर किया जाए तो जब अपनो ने जब छोड़ दिया तो मनेन्द्रगढ़ पुलिस ने न केवल मृत युवक के अंतिम संस्कार कि व्यवस्था की और खुद कोतवाली प्रभारी ने मृत युवक के दो वर्षीय अबोध बालक को गोद में लेकर मृतक को मुखाग्नि दी, सिटी कोतवाली प्रभारी के साथ पुलिसकर्मियों ने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की, कहते हैं जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है कुछ ऐसा ही नजारा मनेन्द्रगढ़ में उस समय देखने को मिला जब बीमारी से मृत एक मजदूर का अंतिम संस्कार पुलिस कर्मियों ने मिलजुल कर किया।
यह है पूरा मामला
दर असल ग्वालियर के रहने वाले निक्की वाल्मीकि और कोरबा की रहने वाली से अंतर जाति विवाह किया था, इससे नाराज होकर दोनों के परिजनों ने उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जिसके बाद दोनों दंपçा पहले मनेन्द्रगढ़ में और उसके बाद रायपुर मजदूरी करते थे, बीते मंगलवार को निक्की की तबीयत खराब हो गई जिसके बाद जहां पर यह लोग काम करते थे वहां के मालिक ने एक वाहन से दोनों को मनेंद्रगढ़ के लिए भेज दिया, रास्ते में निक्की की मौत हो गई जिसके बाद वाहन मालिक के ड्राइवर ने निक्की और उसकी पत्नी को बिलासपुर रतनपुर के पास सड़क किनारे उतार दिया और वहां से वाहन लेकर फरार हो गया, आसपास के ग्रामीणों की मदद से किसी तरह सविता अपने मृत पति को लेकर अस्पताल पहुंची, जहां उसका पोस्टमार्टम करने के बाद एक एंबुलेंस के माध्यम से मृतक के शव को मनेन्द्रगढ़ के लिए रवाना कर दिया गया, मंगलवार की रात्रि लगभग 9 बजे विवाहिता अपने मृत पति के शव को लेकर एंबुलेंस के पास खड़ी थी तभी पुलिसकर्मियों ने उसे देखा और उससे पूछताछ की तो युवती ने बताया कि उसके पति की मृत्यु हो गई है और उसके पास शव का अंतिम संस्कार कराने की व्यवस्था नहीं है, जानकारी मिलने के बाद थाना प्रभारी ने पुलिस अधीक्षक एमसीबी को घटना से अवगत कराया और आज बुधवार की सुबह मुक्तिधाम मनेंद्रगढ़ में मृतक युवक का अंतिम संस्कार पुलिस के सहयोग से किया गया।
कसीदे पढ़ने वाले पत्रकार उस दिन कहां थे?
एमसीबी जिले के पत्रकार उस दिन कहां थे जब एक महिला व उसके 4 महीने के दुधमुहे बच्चे को घर से सूर्य अस्त होने के बाद थाने लाया गया था और पूरी रात थाने रखने के बाद बच्चे की मां को से दूर करते हुए जेल भेज दिया गया था, जिसमें यह भी आरोप लगा गया था ज्यादा मात्रा में शराब दिखाकर कार्यवाही की गई थी, जमानत मिलने तक महिला को अपने 4 महीने के बच्चे से दूर रहना पड़ा था।
सोचने वाली बात
एक तरफ दूधमुँहे बच्चे को महुआ दारू के केस में 8 बजे सिटी कोतवाली उसकी माँ के साथ लाया जाता है बिना लेडिस पुलिस के और रात भर बैठा कर रखती है बिना ?फ़आईआर के दूसरे दिन जेल भेज दिया जाता है नारी सक्ति का अपमान किया जाता है और उन पुलिस वालो के ऊपर जब आबेदन का जांच करने के बाद भी कार्यवही नहीं हो ती है पता नहीं अधीक्षक महोदय क्या साबित करबाना चाहते है, वाही दूसरी तरफ सिटी कोतवाली प्रभारी ने पुलिसकर्मियों के साथ मृतक का अंतिम संस्कार उसके 2 साल के बच्चे और पत्नी की मौजूदगी में किया। सिटी कोतवाली प्रभारी 2 साल के बच्चे के साथ शव को आग देते हुए नजर आए और वाह वाही लुटते दिखे पर उस दिन क्यों मानवता नहीं दिखा जब 4 महीने के बच्चे को उसकी माँ से दूर कर रहे थे?


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