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कोरिया@गजब एसपी साहब! दस्तावेज में कमी मिलने पर प्रधान आरक्षक सस्पेंड होगा..पर वह कर्मचारी कब सस्पेंड होगा जिसकी वजह से पुलिस की फजीहत हो रही?

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पुलिस ने चोरी के संदेह उल्टा लटका कर की दलित युवक की पिटाई,पीडि़त ने आईजी से लगाई गुहार तब पुलिसकर्मी हुए लाइन हाजिर
चोरी के संदेह पर पुलिस ने कर दी दूसरे युवक की पिटाई,चोरी का सामान दूसरे युवक के यहां से हुआ बरामद
पीडि़त निर्दोष युवक ने पुलिस अधीक्षक से लगाई न्याय की गुहार पर नहीं हुई सुनवाई तो पंहुचा आईजी सरगुजा के दरवार
कोरिया जिले की पुलिस की कार्यप्रणाली सुधरने का नाम नहीं ले रही,क्या कोई आएगा जो लगाएगा अंकुश दोषपूर्ण कार्यप्रणाली पर?

-रवि सिंह-
कोरिया,30 अप्रैल 2023 (घटती-घटना)। गजब है कोरिया के एसपी साहब निरीक्षण में जाते हैं दस्तावेज में कमी पाने पर प्रधान आरक्षक को सस्पेंड कर देते हैं पर वही उन कर्मचारियों को क्यों सस्पेंड नहीं करते जिसके द्वारा चोरी के संदेह पर बेदर्दी से पिटाई की गई वह भी लटका कर। कोरिया जिले की पुलिस की कार्यप्रणाली जो लगातार सुर्खियों में बनी हुई है और जो सुधरने का नाम नहीं ले रही है और एक नया मामला फिर सामने आया है जिसमे एक दलित युवक की पिटाई का मामला समाने आया है जिसमे युवक की बेरहमी से पिटाई केवल इसलिए की गई क्योंकि पुलिस को युवक के ऊपर चोरी करने का संदेह था। पुलिस ने चोरी के एक मामले में दलित युवक को संदेह के आधार पर पुलिस थाने ले जाकर बेरहमी से पिटाई कर दी और बाद में पता चला की चोरी किसी और ने की थी और बाद में चोरी का सामान भी दूसरे युवक के यहां से बरामद हुआ है और अब पुलिस को जवाब देते नहीं बन रहा है। मामला चरचा पुलिस थाने का है जहां चोरी के एक मामले में संदेह के आधार पर एक दलित युवक को पुलिस ने घर से आकर अपने साथ गाड़ी में बैठाकर पुलिस थाने ले जाने की बात सामने आ रही है और पुलिस थाने में उसके साथ बेरहमी से पिटाई की गई जिसकी युवक ने शिकायत पुलिस अधीक्षक से की है और न्याय की गुहार लगाई है।
दलित युवक का आरोप
सुनील यादव ग्राम घटोली पारा आमगांव ने चरचा पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखवाई की उसके घर पर चोरी हुई है और 190000 की कुल हुई चोरी का संदेह उसे राजकुमार सोनवानी के उपर है,सुनील यादव की शिकायत को आधार बनाकर चरचा पुलिस थाने से उप निरीक्षक कुशवाहा सहित 5 से 6 पुलिसकर्मी सरकारी गाड़ी में राजकुमार सोनवानी के घर आए और उसे गाड़ी में बिठाकर पुलिस थाने ले आए। थाने लाकर जैसे ही युवक को गाड़ी से उतारा गया वैसे ही सामने उपस्थित प्रभारी चरचा पुलिस थाना ने सबसे पहले सीसीटीवी बंद करवाया और युवक के दोनो पैर और हांथ को रस्सी से बांधकर डंडे से लटकाकर प्रभारी एवम 5 से 6 पुलिसकर्मी जिन्हे युवक पहचानता है के द्वारा लात घूंसे से मारपीट किया गया एवम थाना प्रभारी द्वारा युवक के साथ बेल्ट से भी मारपीट किया गया,युवक ने मामले में यह सभी आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक कोरिया को शिकायत पत्र लिखकर दोषी पुलिसकर्मियों कर कार्यवाही की मांग की है और उसने यह भी कहा है शिकायत में की थाना प्रभारी द्वारा उसके पंजे पर भी बेल्ट से मारा गया जिससे वह बुरी तरह घायल हो गया और रात भर थाने में ही डरकर पड़ा रहा, युवक ने यह भी आरोप लगाया है की पुलिस के डर से उसके घरवाले भी थाने नहीं आए, दूसरे दिन सुनील यादव के घर के सामने दरवाजे पर 190000 रुपए पड़ा मिला और जिसकी बरामदगी का वीडियो भी बनाया गया और फिर सुनील यादव की तलाश की गई और उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया साथ ही पीडि़त युवक को जिसको की संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया गया था उसके ऊपर 151 दंड प्रक्रिया की कार्यवाही की गई और तहसीलदार बैकुंठपुर के यहां पेश किया गया जहां से उसे जमानत मिल गई। राजकुमार सोनवानी ने जमानत मिलने के बाद पुलिस अधीक्षक के समक्ष उपस्थित होकर अपने साथ बीते घटना की शिकायत की गई और न्याय की गुहार लगाई गई की किस तरह उसे बेवजह घर से उठाकर पुलिस थाने लाया गया और उसके साथ बिना किसी अपराध बर्बरता की गई।

बिना जांच दलित युवक की रातभर पिटाई करने से पहले पुलिस ने मामले की जांच क्यों नहीं की?
मामले में जो सबसे बड़ा सवाल है वह यह है की एक दलित युवक को चरचा पुलिस ने संदेह के आधार पर घर से उठाया और रातभर उसके साथ मारपीट की वहीं मामले में आरोपी कोई और दूसरा था और जो बाद में गिरफ्तार भी कर लिया गया,अब यहां सवाल यह उठता है की क्या पुलिस को मामले में पहले जांच नहीं करनी थी क्या पुलिस को मामले के तह तक नहीं जाना था,क्या केवल संदेह के आधार पर ही पुलिस को किसी के साथ मारपीट करने का अधिकार है। पुलिस की यह कार्यवाही यह साबित कर गई की पुलिस निरंकुश हो चुकी है कोरिया जिले की और किसी को भी घर से उठा ले जाने की उसे छूट मिल चुकी है।
कोरिया जिले की पुलिस अपनी कार्यप्रणाली को लेकर लगातार रहती है सुर्खियों में
कोरिया जिले की पुलिस लगातार अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सुर्खियों में बनी रहती है। ताजा मामला उदाहरण है की पुलिस किस तरह निरंकुश हो चुकी है। किसी मामले में पुलिस असली आरोपी तक पहुंचने की बजाए निर्दोष से ही मारपीट कर आरोप कुबूल करने किस तरह दबाव बनाती है यह इस मामले से उजागर हुआ। कोरिया पुलिस का यह कोई पहला मामला नहीं है जो दोषपूर्ण कार्यवाही का समाने आया है इसके पहले भी कई मामले ऐसे हैं जिसमे कोरिया पुलिस पर आरोप लग चुके हैं और उसके बावजूद पुलिस सुधरने का नाम नहीं ले रही है।
मामले में पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा ने लिया संज्ञान,पुलिसकर्मी हुए लाइन अटैच
मामले में पुलिस अधीक्षक से शिकायत कर पीडि़त दलित युवक ने न्याय की गुहार लगाई,दलित युवक की गुहार पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा तक पहुंची उसके बाद दोषी पुलिसकर्मियों पर लाइन अटैच की कार्यवाही हो सकी। बताया जा रहा है की मामले में पुलिस अधीक्षक के संज्ञान लेने के पूर्व ही पुलिस महानिरीक्षक ने संज्ञान लिया और यह कार्यवाही की। पुलिस अधीक्षक जब तक मामले को समझ सकते उसके पहले ही पुलिस महानिरीक्षक की कार्यवाही यह साबित कर गई की वह कितने गंभीर है मामले को लेकर।
कोरिया जिले में गोपनीय आदेश क्यों निकाला जा रहा है
पहले कोरिया जिले में कप्तानों के आदेश चाहे ट्रांसफर के हो या फिर कार्यवाही के सर्वजनिक हुआ करते थे पर इस समय एक नया ही कल्चर बन गया सभी आदेश गोपनीय होने लगे अब इसकी वजह चाहे जो भी हो पर यह इस समय नय कल्चर में तब्दील हो गया है अब आने वाले पुलिस अधीक्षक भी ऐसे ही कल्चर को बनाएंगे या फिर पारदर्शिता दिखेगी।
पुलिसकर्मियों पर होने वाली कार्यवाही छुपाने की वजह क्या है?
सवाल इस समय यह भी है कि जब पुलिस कप्तान जब कार्यवाही करते हैं तो फिर आदेश छुपाने की वजह क्या है? यदि किसी ने गलती की है और कार्यवाही हुई है तो सार्वजनिक भी होनी चाहिए जिस प्रकार पुलिस जब कोई बड़ी कार्यवाही करती है तो प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है और बताती है अपनी उपलब्ध पर जब उनके कर्मचारियों से गलती होती है और कार्यवाही होती है तो फिर छुपाया क्यों जाता है यह बड़ा सवाल है।
क्या पुलिस कप्तान विवादित पुलिसकर्मियों को देर है संरक्षण?
कोरिया जिले में अभी-अभी कुछ विवादित पुलिसकर्मी है जो अक्सर सुर्खियों में रहते हैं और यह विवादित पुलिसकर्मी कौन है यह किसी से छुपा नहीं है पर लगातार अधिकारियों के संरक्षण की वजह से इनका मनोबल बढ़ा हुआ है ऐसे कर्मचारियों के लिए कब ऐसे पुलिस कप्तान आएंगे जब इनका मनोबल तोडेंगे और इन्हें कर्मचारी होने का पाठ पढ़ाएंगे?


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