सूरजपुर@अनुजनगर की बजुर्ग महिला की फरियाद, उसे मालूम नही और बिक गई उसकी जमीन

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कलेक्टर से न्याय की गुहार

सूरजपुर,25 अप्रैल 2023 (घटती-घटना)। जिले के ग्राम अनुजनगर की एक महिला ने उसकी जमीन पर जबरन कजा किये जाने की शिकायत कलेक्टर से करते हुए न्याय की गुहार की है। अनुजनगर की 70 वर्षीय कबुतरी ने दिए आवेदन में कहा है कि वृद्ध असहाय एवं बेवा महिला हूँ। मेरे ससुर मखरू आ0 छोटन अहिर के नाम पर ग्राम मजीरा तहसील लटोरी की भूमि खसरा क्रमांक 452/5 रकबा 0.70 एकड़ का सिंहदेव योजन के तहत् शासकीय पट्टा बना था। उक्त भूमि का नवीन खसरा क्रमांक 1396 रकबा 0.27 हे0 हो गया है।मेरे ससुर मखरू के मृत्यु के बाद उक्त भूमि मेरे एवं मेरे पुत्र स्व0 अवधलाल की पत्नी धनेश्वरी, गुडीया, आरती, प्रिति, रानी, कृष्णा के नाम पर राजस्व अभिलेखों में उाराधिकारीयों के हैसियत से नाम दर्ज हुआ था। उक्त भूमि को स्व0 मखरू अथवा उसके किसी भी वारिसान द्वारा विकय या अन्य रीति से किसी व्यक्ति को अन्तरित नहीं किया गया हैं। वर्ष 2021 में उक्त भूमि पर राजेश कुमार आ0 विजयनाथ निवासी मंजीरा में जबरन निर्माण प्रारंभ कर दिया था, तब आवेदिका द्वारा तहसीलदार लटोरी से स्थगन प्राप्त किया था। परन्तु राजेश सचिव होने के कारण अपने पद का दुरूपयोग करते हुए स्थगन का अवहेलना कर छोटा सा घर बना लिया गया।आवेदिका अत्यधिक गरीब है, और उसके परिवार में पुरूष सदस्यो का आभाव होने के कारण वह राजेश का विरोध कर पाने में असमर्थ रहती है। आश्चर्य जनक स्थिति पिछले वर्ष 2022 में तब उत्पन्न हुई जब राजेश कुमार, निरंजन, मुनेश एवं सुमित्रा ने सामुहिक रूप से तहसीलदार लटोरी के न्यायालय में एक नामांतरण आवेदन प्रस्तुत कर अपने आवेदन में यह लिखा की आवेदकगण के पिता स्व0 विजयनाथ आ0 हरिनंदन रजवार ने दिनांक 28.07.2005 को उक्त भूमि रजिस्टर्ड विकय पत्र के माध्यम से मैनलाल आ0 अनंत लाल से भूमि कय कर लिया है। मैंनलाल आ0 अनंत लाल का आवेदिका के परिवार से कोई संबंध सरोकार नही था। राजेश के पिता विजयनाथ पूर्व में ग्राम पंचायत के सचिव थे जो हल्का पटवारी के साथ साठ-गाठ कर उक्त भूमि को मैंनलाल के नाम पर फर्जी तरीके से राजस्व प्रपत्र में दर्ज कराकर चोरी-छुपके विजयनाथ आ0 हरिनंदन के नाम पर रजिस्ट्री करा दिये थे।उक्त बात का खुलासा तब हुआ जब राजेश वगैरह के नामांतरण आवेदन पर मैंनलाल नायब तहसीलदार लटोरी के समक्ष एक आपçा मय शपथ पत्र प्रस्तुत किया कि उक्त भूमि से उसका कोई संबंध नही रहा है और उसने कभी भूमि को विक्रय नही किया है। उक्त पंजीकृत विकय पत्र फर्जी एवं कुट रचित है।महिला ने कहा है कि न्यायालय नायब तहसीलदार की कार्यशैली समझ से परे है, उनके समक्ष प्रस्तुत नामांतरण प्रकरण को आहुत कर अवलोकन करने पर स्पष्ट होगा की दिनांक 14.02.2023 के पश्चातवर्ती प्रकरण में आवेदकगण कभी भी प्रकरण के सूनवाई में उपस्थित नही हुए है। चूंकि उक्त प्रकरण में फर्जी तरीके से राजस्व अभिलेखों में नाम दर्ज कराकर भूमि को विकय किया गया है, और विक्रेता ने स्वयं इस बात का शपथ पत्र दिया है कि उसने भूमि को विकय नही किया था। महिला ने शिकायत की जांच करा कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।


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