जयपुर, ,23 अपै्रल,2023 (ए)। राजस्थान कांग्रेस का राजनीतिक संकट ज्यादा बढ़ने लगा है। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ आरपार की लड़ाई लड़ने की तैयारी में है। राज्य विधानसभा चुनाव से करीब सात महीने पहले चार मंत्रियों, कई विधायकों और पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे नेताओं ने पायलट के समर्थन में अभियान चलाने की रणनीति बनाई है।
इन नेताओं ने कांग्रेस आलाकमान तक संदेश पहुंचाया है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव गहलोत के नेतृत्व में लड़ने को तैयार नहीं है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी में आस्था जताते हुए इन नेताओं ने कहा, गहलोत के सीएम रहते हुए दो बार विधानसभा चुनाव में पार्टी की बुरी तरह से हार हो चुकी है। ऐसे में उनके नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ा जाना चाहिए । पिछले विधानसभा चुनाव में पायलट के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर कांग्रेस की सरकार बनी थी।
आरोप, गहलोत ने अपने समर्थकों को लड़वाया था निर्दलीय चुनाव
विधायक वेदप्रकाश सोलंकी और राकेश पारीक ने गहलोत द्वारा अपने विश्वस्तों को निर्दलीय चुनाव लड़वाकर कांग्रेस प्रत्याशियों की हार तय करवाने का आरोप लगाया है। दोनों विधायकों ने आलाकमान को भेजे संदेश में कहा ,पिछले विधानसभा चुनाव में गहलोत ने अपने समर्थकों को पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के सामने चुनाव लड़वाया था। जिससे पार्टी को उम्मीद से कम सीटें मिली थी।
गहलोत के इशारे पर संयम लोढ़ा, बाबूलाल नागर, महादेव सिंह खंडेला और राजकुमार गौड़ निर्दलीय चुनाव जीते हैं। दोनों विधायकों ने “दैनिक जागरण” से बातचीत में आलाकमान को भेजे संदेश की पुष्टि करते हुए कहा कि अब इन निर्दलीय विधायकों की मर्जी से प्रशासन में कार्य हो रहे हेँ। उधर पायलट के विश्वस्त वन मंत्री हेमाराम चौधरी ने आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया है।
चौधरी और कृषि विपणन राज्यमंत्री मुरारी लाल मीणा ने कहा,आलाकमान को बता दिया गया कि पायलट के बिना चुनाव जीतना मुश्किल है। चौधरी बोले,पायलट को सीएम नहीं बनाने से पार्टी को बड़ा नुकसान होगा। मीणा ने कहा,पार्टी में न्याय होना चाहिए।
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