नई दिल्ली,@ईसाइयों पर कथित हमलों के आंकड़े गलत

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केंद्र की एससी में दलील;
हिंसा से जुड़ी पीआईएल पर शीर्ष अदालत में सुनवाई
नई दिल्ली,13 अप्रैल 2023 (ए)।
ईसाई संस्थानों और पादरियों पर हमलों से जुड़े आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में उन्हें गलत करार दिया। सरकार ने दावा किया कि याचिकाकर्ता विदेश में देश की छवि मलिन करने के लिए मुद्दे को गरम रखना चाहते हैं। ऐसी अदालती कार्यवाहियों से जन सामान्य में गलत संदेश जाएगा।
कोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ नेशनल सालिडारिटी फोरम के पीटर मचाडो, ईवेनजेलिकल फेलोशिप आफ इंडिया के विजयेश लाल और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं ने पीठ को पूर्व में बताया था कि वर्ष 2021 से मई, 2022 के बीच ईसाई समुदाय के सदस्यों के विरुद्ध हिंसा के कई मामले सामने आए थे।
पड़ोसियों के बीच विवाद के मामले
केंद्र की ओर से सालिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने बिहार व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से प्राप्त मामलों के आंकड़ों का हवाला दिया और कहा कि उनमें से ज्यादातर मामले पड़ोसियों के बीच विवाद के हैं और संयोग से उनमें से एक पक्ष ईसाई है। सालिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता ने दावा किया कि ऐसी करीब 500 घटनाएं हुई हैं जिनमें ईसाइयों पर हमले किए गए थे। हमने हर चीज राज्य सरकारों को भेजी थी। हमने प्राप्त सभी जानकारियों का मिलान किया है।
बिहार में कुल 38 मामले हुए दर्ज
पहले बिहार को लेते हैं। याचिकाकर्ताओं ने मामलों की जो कुल संख्या दी है, वो पड़ोसियों के बीच आंतरिक लड़ाइयों से जुड़ी हुई है। उनके दिए गए आंकड़ों को अदालत ने देखा है, जो सही नहीं हैं। बिहार से कुल मिलाकर 38 ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। मेहता ने कहा कि ऐसी अदालती कार्यवाहियों से लोगों में गलत संदेश जाएगा। देश के बाहर इन्हें ऐसे ही प्रदर्शित किया जा रहा है। लोगों में संदेश जाता है कि ईसाई खतरे में हैं और उन पर हमले किए जा रहे हैं जो गलत है।
मामलों में की गई जरूरी कार्रवाई
उन्होंने कहा कि जहां भी गंभीर अपराध हुए हैं और गिरफ्तारी की जानी थी, वहां गिरफ्तारियां की गईं। एसजी ने कहा कि सिर्फ छत्तीसगढ़ में 64 गिरफ्तारियां की गईं जहां राज्य ने ऐसी घटनाओं की जानकारी देने के लिए हेल्पलाइन बनाई है। याचिका के मुताबिक छत्तीसगढ़ में ईसाइयों और उनके संस्थानों पर 495 हमले हुए, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा कुछ नहीं हुआ। अदालत ने केंद्र की रिपोर्ट पर संज्ञान लिया और याचिकाकर्ताओं को जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय दे दिया।


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