एमसीबी@क्या अविभाजित कोरिया जिले में कुछ पुलिसकर्मी एक ही जगह के लिए पट्टा लिखवा रखा हैं?

Share

  • आरक्षक से उपनिरीक्षक बन गए पर नहीं बदला जिला और कुछ प्रधान आरक्षक तो ऐसे हैं जिसके बिना नहीं चल पाते थाना प्रभारी
  • एमसीबी के पुलिस अधीक्षक के तबादला सूची में लंबे समय से चिरमिरी क्षेत्र में जमे प्रधान आरक्षक व आरक्षकों को नहीं किया गया शामिल
  • तबादला सूची में चिरमिरी क्षेत्र के प्रधान आरक्षक का नाम भी हो रहा था शामिल,थाना प्रभारी ने किया उसका बचाव:सूत्र
  • थाना प्रभारी ने कहा यदि इनका हुआ तबादला तो मेरा भी कर दे:सूत्र
  • मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी का नाम भी सूची में हो रहा था शामिल पर याचना कर एक बार फिर बचे:सूत्र
  • एमसीबी जिले के कुछ पुलिसकर्मी ही अवैध कारोबार के लिए अलग मोबाइल व सिम का करते हैं इस्तेमाल:सूत्र

रवि सिंह –
एमसीबी 09 अप्रैल 2023 (घटती-घटना)। अविभाजित कोरिया जिले के समय से ही कुछ पुलिसकर्मी सुर्खियों में बने रहते हैं मनचाहा थाना पाना तो उनका अधिकार क्षेत्र हो गया, ऐसा लगता है कि किसी एक थाना के लिए पट्टा लिखवा लिए हैं कोरिया से अलग होने के बाद भी एमसीबी जिले में वैसे ही भर्रासाही आज भी चली आ रही है, एमसीबी जिले के एक थाना क्षेत्र में एक ऐसे प्रभारी भी मौजूद हैं जो प्रधान आरक्षक से उपनिरीक्षक तक बन लेकिन उनका जिला तक नहीं बदला तो थाने की तो बात ही अलग है, कुछ ऐसा ही हाल कुछ चुनिंदा प्रधान आरक्षक व आरक्षकों का भी है जो अपनी पहुच ऊंची रखते हैं जिस वजह से विधायक कोई भी हो या सरकार किसी की भी हो पर याचना करके अपने चहेते थानों में जमे रहते हैं, एमसीबी जिले के पुलिस अधीक्षक ने काफी लंबे इंतजार के बाद तबादला सूची तो निकाला और उस तबादले सूची में चिरमिरी क्षेत्र के कुछ नामचीन प्रधान आरक्षक व आरक्षकों को शामिल नहीं किया जो उस क्षेत्र के काफी चर्चित प्रधान आरक्षको में नाम आता है, संदीप बागीस, संजय पांडे, चंद्रसेन राजपूत व सुरेश गौड़ा यह चार ऐसे प्रधान आरक्षक हैं जो अपने इच्छा अनुसार थाना पाते हैं फिलहाल अभी काफी लंबे समय से चिरमिरी थाने में जमे हुए हैं वही चंद्रसेन राजपूत सीएसपी कार्यालय में पदस्थ है वही आरक्षक जितेन्द्र मिश्रा व जय ठाकुर यह भी एक ही थाने के आस पास रहते है, सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि यह अपने क्षेत्र के उन्हीं थानों में रहना पसंद करते हैं जहां से उनका निवास स्थल भी नजदीक है या कहा जाए तो अपने गृह निवास क्षेत्र वाले थाने में ही रहते हैं।
मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी याचना करके बचे
मनेंद्रगढ़ थाना प्रभारी इतिहास रचने से सिर्फ 3 महीने दूर है 3 महीने बाद उनका एक थाना के बतौर थाना प्रभारी बने रहने का 3 साल का कार्यकला पूरा हो जाएगा जो अब तक का मनेंद्रगढ़ थाना का इतिहास होगा, कोई भी पुलिसकर्मी इस थाना में 3 साल लगातार पदस्थ नहीं हुआ होगा, जब भी थाना प्रभारी के पदस्थापना के सूचना पटल पर लोगों की नजर जाएगी तो वर्तमान थाना प्रभारी का नाम बड़े गर्व से लिया जाएगा कि कोई ऐसा थाना प्रभारी था जो मनेंद्रगढ़ के इतिहास में 3 साल का कार्यकाल पूरा किया था, वह भी सिर्फ एक थाना में जो अविभाजित कोरिया जिले का सबसे बड़ा थाना, खिलाफ गंभीर शिकायतें भी थे और गंभीर आरोप भी लगे थे पर कारवाही तो दूर थाना क्षेत्र तक नहीं बदला, इस बार तबादला सूची तैयार हो रही थी उस समय इनका नाम उसमें शामिल होने की संभावना पूरी थी पर सूत्रों की माने तो इन्होंने याचना की तब जाकर पुलिस अधीक्षक तबादला सूची में नाम नहीं आया, कहा यह जा रहा है कि इनके द्वारा याचना की गई कि मेरा तबादला बहुत जल्द इस जिले से बहार हो जाएगा मे तबादले तक रुक जाइए, आखिर याचना में कितना दम है कि पुलिस अधीक्षक भी बार-बार उन्हें माफ कर देते हैं साथी थाना प्रभारी के पिता का भी आकाशमई में निधन हो गया था जिसकी संवेदना भी थाना प्रभारी को लगता है मिल गई।
अपने चहेते प्रधान आरक्षक को अपने साथ रखने के लिए थाना प्रभारी अपने थाने की कुर्बानी देने को थे तैयार पर क्यों?
विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एमसीबी जिले के एक बड़े थाना के थानेदार अपने चहेते प्रधान आरक्षक को बचाने के लिए और तबादला सूची में नाम ना शामिल हो व उनके साथ ही वह काम करें इसलिए उन्होंने पुलिस अधीक्षक को भी कहा कि यदि उनका तबादला होगा तो फिर मुझे भी वहां से हटा दें अब यह बात कितनी सही है यह तो पता नहीं पर यदि यह बात सही है तो आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि जिले में पुलिसिंग की हालत क्या है?
कुछ पुलिसकर्मी अवैध कारोबार में ऐसे लिप्त हैं कि उस कारोबार के लिए अलग फोन व सीम का इस्तेमाल करते हैं
एनसीबी जिले के पुलिसिंग को लेकर जो सूत्रों के हवाले से जानकारी आ रही है उसके अनुसार कुछ पुलिसकर्मी अवैध कारोबार में इस कदर लिप्त हैं की उसके लिए मोबाइल व सीम ही अलग रखते हैं और सिर्फ उसी काम के लिए उसका इस्तेमाल होता है इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने सातीराना तरीके से अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने वाले उसके फलने फूलने की वजह बने हुए हैं।
भू-माफिया के शागिर्द ही हैं कुछ कर्मी
भू-माफिया का इतना बड़ा गिरोह है कि उस गिरोह में भू-माफिया अपने अवैध काम या किसी की भूमि पर कजा करने या भूमि खाली कराने के लिए पुलिसकर्मियों का इस्तेमाल करते हैं और जिसके एवज में उन्हें भारी भरकम मुनाफा भी होता है, यह काम इस समय काफी तेजी से एमसीबी जिले के कुछ थाना क्षेत्रों में चल रहा है जो जांच का विषय भी है जो दबी जुबां पर क्षेत्र में सुनने को मिल भी रहा है जानकारी तो कुछ पुलिसकर्मी भी देते हैं पर उनका नाम ना सामने आए या शर्त भी होता है इस वजह से वह डरते भी हैं सूत्रों का मानना है की भू माफिया जमीन खाली कराने या कब्जा लेने या दिलाने के लिए पुलिसकर्मियों को खड़ा करके उसका खोफ दिखाकर गरीबों की जमीन हड़प लेते हैं कुलमुलकर समझा जा सकता है की कानून की रक्षा करने वाले लोगों को न्याय दिलाने वाले ही जब अन्याय का साथ देने लगेंगे तो जिले की कानून व्यवस्था की स्थिति समझी जा सकती है।
शिकायत कितनी भी हो जाए पर कार्यवाही तो दूर तबादला सूची में नाम तक नहीं आता
जो पुलिसकर्मी गलत कार्यों में लिप्त हैं या जिनकी शिकायत होती रहती है उनकी कितनी भी शिकायत हो जाए उनका नाम तबादला सूची में कभी नहीं आता और वह एक ही जगह बने रहते हैं। ऐसे पुलिसकर्मियों की कमी नहीं है जो देखते ही देखते धनकुबेर बन चुके हैं और अवैध कार्यों को खुलेआम होने देने में सहायता प्रदान कर रहें हैं। कोयला,कबाड़,जुआ सट्टा,सहित अवैध शराब मामले में लिप्त हैं लेकिन उनपर कार्यवाही करना तो दूर उनकी पदस्थापना भी नहीं बदली जाति है।
विधायकों का समर्थन लेकर चलते हैं पुलिसकर्मी
जिले के अधिकांश ऐसे पुलिसकर्मी जिनकी शिकायत होती रहती है या जो गलत अवैध कार्यों में लिप्त हैं वह विधायकों का भी समर्थन लेकर चलते हैं और जब उनकी पदस्थापना बदले जाने की बात आती है वह अपनी पहुंच दिखाकर उसे रोकने में कामयाब हो जाते हैं और वहीं बने रहते हैं। ऐसे पुलिसकर्मियों की संख्या कम नहीं है।


Share

Check Also

रायपुर,@साय कैबिनेट में सोनी या चंद्राकर?

Share कांग्रेस नेता का बड़ा बयानरायपुर,25 नवम्बर 2024 (ए)। राजधानी रायपुर की दक्षिण विधानसभा सीट …

Leave a Reply