बैकुण्ठपुर@क्या शुक्ला और तिवारी ने छोड़ी टिकट की आस,क्या जायसवाल बनेंगे मुंगेरीलाल?

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  • क्या वर्तमान विधायक ही होंगी कांग्रेस से आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से प्रत्याशी?
  • बैकुंठपुर विधानसभा में कांग्रेस में विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनने लगी थी होड़
  • कोई चमत्कार ही अब वर्तमान विधायक की टिकट कटने का हो सकता है जिम्मेदार
  • भइया-भाभी का है विधायक के लिए आशीर्वाद,मिलेगा टिकट है कंफर्म?
  • विधायक भी चुनावी वर्ष में सुधार रहीं हैं परफोर्मेन्स,कर रहीं लगातार जनसंपर्क
  • चार वर्ष तक विधायक को हर गली-चौराहे पर कोशने वाले भी आर्थिक लाभ मिलते हो गए विधायक के खास
  • वहीं चार साल साथ रहने वाले विधायक से हुए दूर,बढ़ रही लगातार विधायक से और दूरी

रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 07 अप्रैल 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा में सत्ताधारी दल के भीतर पिछले कुछ समय से विधानसभा चुनाव में दावेदारों की लंबी कतार नजर आ रही थी। बैकुंठपुर से जिला पंचायत उपाध्यक्ष, रनई जमींदार और पूर्व जनपद उपाध्यक्ष वर्तमान विधायक के अलावा कांग्रेस से उम्मीदवार की दौड़ में शामिल चल रहे थे और अब जब चुनाव बिल्कुल करीब आ चुका है यह स्पष्ट नजर आ रहा है की वर्तमान विधायक का ही टिकट तय है शेष को फिलहाल टिकट नहीं मिल रहा है जैसा की सूत्रों का कहना है,वहीं टिकट की दौड़ में सबसे आगे चल रही वर्तमान विधायक अपनी टिकट पक्की मान रहीं हैं और उन्हे विश्वास है की उनको ही टिकट मिलेगा और वह चार साल बाद अपनी परफॉर्मेंस सुधारने में लगी हुई हैं और ताबड़तोड़ दौरा उनकी तरफ से चार साल बाद जारी है और वह जनसंपर्क में लगी हुई हैं।
तिवारी को शुक्ला पसंद नहीं करते, शुक्ला को तिवारी पसंद नहीं करते, गुप्ता को अजहर पसंद नहीं करते, अजहर गुप्ता को पसंद नहीं करते, विधायक इन सभी को पसंद नहीं करती, संगठन विधायक को पसंद नहीं करता, बाकी सभी विधायक को पसंद नहीं करते कुछ ऐसा ही बैकुण्ठपुर विधानसभा में देखा या सुना जा रहा है। ऐसे में आगामी विधानसभा में कैसे जीत दर्ज होगी यह बड़ा सवाल है। संगठन में बदलाव ना होना भी कांग्रेस के लिए समझ से परे हैं जिला तो अलग हो गए पर जिले के अध्यक्ष अलग नहीं हुए संगठन के बदलाव का इंतजार आज भी जारी है और चुनाव में समय काफी कम बचा है सूत्रों की माने तो पार्टी भी अब बदलाव करने से डर रही है कि कहीं नुकसान ना हो जाए क्योंकि समय काफी कम है कम समय में नुकसान की भरपाई करना मुश्किल पड़ सकता है।
वर्तमान विधायक की टिकट है कंफर्म,सूत्र
सूत्रों की माने तो वर्तमान विधायक की टिकट कांग्रेस से कन्फर्म है और वह स्वयं भी आश्वस्त हैं। विधायक की टिकट उनकी परफॉर्मेंस के आधार पर काटी जा सकती थी और इसलिए विधायक लगातार अपनी छवि सुधारने में लगी हुई हैं और ताबड़तोड़ दौरा उनका जारी है। विधायक पिछले चार सालों तक जनसंपर्क में जहां बिल्कुल पीछे थीं वहीं अब चुनाव नजदीक आते ही उनका जनसंपर्क तेज हो गया है और वह हर उस जगह जाने का प्रयास कर रहीं हैं जहां से उन्हें चुनाव में मदद मिल सकती है। वर्तमान विधायक लोगों के बीच पहले जाने से जहां गुरेज करती थी ज्यादातर समय जहां वह क्षेत्र से बाहर रहती थीं चुनाव नजदीक आते ही वह लोगों से सीधा संवाद कर रहीं हैं और लोगों को उनकी समस्याओं से निजात दिलाने की बात कर रहीं हैं। कुल मिलाकर चुनाव नजदीक आते ही जनता की याद उन्हे आने लगी है और वह जनता से सरोकारों से रिश्ता कायम करने लगी हैं।
कुछ क्षेत्रों से विधायक को है ज्यादा उम्मीद,लगातार उन क्षेत्रों में कर रहीं दौरा
विधायक को कुछ क्षेत्रों से ज्यादा ही उम्मीद है और कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां उन्हे उम्मीद कम है समर्थन का। जिन क्षेत्रों से विधायक को ज्यादा उम्मीद है उन क्षेत्रों में बचरा पोड़ी और चरचा नगरपालिका क्षेत्र मुख्य हैं और इन क्षेत्रों में विधायक ज्यादा मेहनत करती नजर आ रही हैं। वहीं पटना क्षेत्र से विधायक को उम्मीद जरूरत के हिसाब से कम है जहां उनका जनसंपर्क भी कम है और वह इन क्षेत्रों में कम ही नजर आती हैं।
भइया-भाभी का है आशीर्वाद टिकट वर्तमान विधायक का होगा तय
सूत्रों की माने तो भइया और भाभी ने अपने क्षेत्रीय दौरे के दौरान अन्य टिकट के दावेदारों को यह चेता दिया है की टिकट वर्तमान विधायक का ही तय है और उन्हीं के लिए चुनाव में काम करना है यह मानकर ही पार्टी की विचारधारा और सरकार की उपलçधयों को जनता के बीच लेकर जाएं अन्य। विधायक भी भइया भाभी के इस समर्थन के बाद विश्वास से भरी हुई हैं और वह अपना टिकट तय मानकर जनसंपर्क कर रहीं हैं।
अन्य उम्मीदवारों को करना पड़ सकता है अभी इंतेजार,टिकट की दौड़ से फिलहाल हैं बाहर
अन्य उम्मीदवार जो कांग्रेस पार्टी के ही पदाधिकारी हैं उन्हें इस चुनाव में टिकट नहीं मिल रहा है और उन्हे इस चुनाव में इंतजार करना पड़ सकता है यह तय नज़र आ रहा है। जिला पंचायत उपाध्यक्ष, रनई जमीदार और पूर्व जनपद उपाध्यक्ष को इस बार पार्टी टिकट देने पर विचार शायद न करे यह हालिया घटी घटनाओं से तय नजर आ रहा है। वैसे टिकट की आस में चुनाव लड़ने की मंशा रखने वाले सभी नेता अभी टिकट की आस छोड़े नहीं हैं और वह अंतिम समय तक टिकट की दौड़ में शामिल रहने वाले हैं और किसी चमत्कार के भरोसे वह यह उम्मीद संजोए हुए हैं की उन्हे अवसर मिल सकता हेयर वह उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं।
पूर्व जनपद उपाध्यक्ष का सपना मुंगेरीलाल के सपने न साबित हो जाए
पूर्व जनपद उपाध्यक्ष जो अपनी टिकट को लेकर सबसे ज्यादा आश्वस्त हैं उनके सपने मुंगेरीलाल के सपने न साबित हो जाएं यह भी संभावना बन सकती है जैसा की माना जा रहा है। यदि पूर्व जनपद उपाध्यक्ष को टिकट नहीं मिलता है तो उन्हें गहरा झटका लग सकता है क्योंकि उन्होंने विगत वर्षों में जिस तरह जनसंपर्क किया है जिस तरह उन्होंने लोगों से गांव गांव हाट बाजार बाजार जाकर मुलाकात की है और खर्च किया है वह सब कुछ बेकार चला जायेगा और उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। पूर्व जनपद उपाध्यक्ष वैसे अभी अभी अपनी टिकट को लेकर आश्वस्त हैं और वह चुनाव में कैसे जीत दर्ज करनी है यह समीकरण भी बना चुके हैं। अब भविष्य में टिकट जिसे भी मिले लेकिन सरकार की उपलçधयों को जन जन तक पहुंचाने में जो मेहनत पूर्व जनपद उपाध्यक्ष ने किया है उसे नकारा नहीं जा सकता और पार्टी भी इस बात से इंकार नहीं कर सकती की वह जिलाध्यक्ष और विधायक से ज्यादा जनसंपर्क कर चुके हैं और सरकार की उपलçधयां गिनवा चुके हैं।
विधायक के करीबी हुए दूर,चार साल तक कोसने वाले आर्थिक लाभ मिलते हुए करीब
वैसे वर्तमान विधायक के लिए आने वाले समय में कुछ अच्छे अनुभव भी सामने आने वाले हैं और कुछ बुरे अनुभव भी उन्हे मिले हैं। विधायक को विगत चार वर्षों तक जो लोग चौक चौराहों में बैठकर पार्टी के सदस्य होने के बावजूद कोसा करते थे उनकी आलोचना करते थे वह जरा सा आर्थिक लाभ मिलते ही उनकी प्रसंशा करने लगे हैं और अब विधायक के सबसे करीबी हो गए हैं। गिरगिट की तरह हर चुनाव में रंग बदलने में माहिर यह ऐसे लोग हैं जिन्हें केवल अपने लाभ से मतलब है और लाभ मिलते ही उनकी करवट बदल जाती है और वह किसी भी तरफ करवट ले लेते हैं ऐसे लोग अब विधायक के सलाहकार हैं और सबसे खास हैं वहीं जो लोग पिछले चुनाव में विधायक के सारथी थे और उनकी जीत सुनिश्चित करने में सहायक थे वह विधायक से दूर हो चुके हैं और अब उनकी दूरी बढ़ती भी जा रही है जो चुनाव में विधायक के लिए मुस्किल वाली बात हो सकती है।


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