रायपुर@राजधानी में तालाबों का मिटता वजूद

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जनप्रतिनिधियों की अनदेखी का खामियाजा भुगत रहे हैं आम नागरिक
तालाब सफाई वर्गीकरण के नाम पर मिलता है करोड़ों का बजट जाता है आखिर कहां?
-दुलारे अंसारी-
रायपुर,28 मार्च 2023 (घटती घटना)।
बुजुर्गों से सुना था कि कभी राजधानी रायपुर में 340 तालाब हुआ करती थी। जिसमें छोटी-छोटी लगभग दो दर्जन डबरी तालाब भी शामिल थी, यह डबरी तालाब मवेशियों के लिए पानी पीने के लिए बनाई गई थी।लेकिन अब इसका वजूद सिमटकर महज एक दर्जन तालाब ही रह गया है। प्रमुख तालाबों में बूढ़ा तालाब , महाराज बंद,रामकुंड के आमा तालाब, घोराही तालाब, धोबी तलाब, शीतला तलाब, रायपुरा तलाब ,कुशालपुर तलाब , तेलीबांधा तलाब ,कटोरा तालाब ,राजेंद्रनगर खदान सहित कई ऐसे ऐसे पानी के स्रोत मौजूद रहे हैं जिसके चलते 3 दशक व 4 दशक के मध्य में कभी किसी तरह के जल संकट का सामना रायपुर वासियों को नहीं पड़ा। लेकिन अब कुछ बचे तालाबों में भी वजूद भू माफियाओं की गिद्ध दृष्टि पड़ी हुई है ।कुछ भू माफियाओं ने तो इन तालाबों को पाटकर आलीशान कालोनिया का झंडा गड़ाकर प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से मिलीभगत कर इस भूमि को बेचकर मालामाल हो गए।इनमें है कुछ तालाब है जो इस्तेमाल के लायक नहीं रह गए हैं इन पर भी इन भू माफियाओं की गिद्ध दृष्टि पड़ी हुई है।वह भी इस्तेमाल कुल मिलाकर तालाबों का वजूद खत्म होते जा रहा है। तलाब की जगह कंक्रीट के बड़े-बड़े जंगल उग रहे हैं तलाब पट रही है बढ़ती जनसंख्या के कारण लोग अब तालाब में निस्तारिकरन करने की कोई गुंजाइश नहीं है। लेकिन वही एक ऐसा वर्ग है जो कि तालाब पर आश्रित है।इसका ताजातरीन उदाहरण राजधानी से लगे ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जा सकता है जैसे जरवाएं , गुमा,टाटीबंध ,सरोना ,
रायपुरा, चंगोरनभाटा, के साथ कई रायपुर नगर निगम के ग्रामीण क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले कई तालाबों में संकट के बादल मंडरा रहे हैं। आज भी वहां के निवासी अपनी दैनिक क्रिया के लिए तालाब पर ही आश्रित है स्मार्ट सिटी का दंभ भरने वाली स्मार्ट सिटी प्रशासन निगम प्रशासन इन तालाबों का जीर्णोद्धार करने के लिए आंखें मुंदी पड़ी है। हालांकि कुछ तालाबों वह लेकिन वहीं कुछ तालाब उपेक्षित पड़े हैं, हालांकि है कि ऐसा महसूस होता है कि कुछ दिनों में यह तालाब सिर्फ नाम करा जाएगा और इतिहास के पन्नों में दफन होकर रह जाएगा। जैसे राजबंधा तालाब राजा तालाब सहित 100 से 200 तालाबों का वजूद मिट चुका है , अब मिटने के कगार पर बचा है तो संत रविदास वार्ड क्रमांक 70 स्थित सरोना में कुल 5 तालाब जिसमें शीतला तालाब ,बस्ती तालाब, डबरी तालाब यह आम जनता की सुविधा बुजुर्गों ने निर्माण कराया था वही 500 साल पूर्व सरोना तालाब स्वर्गीय गुलाब ठाकुर के वंशजों की निजी संपत्ति है। परिवारों की निजी संपत्ति है, जो उसके वंशजों ने धरोहर के रूप में सहेज कर रखा है। डबरी तालाब और शीतला तालाब की हालत यह है कि पानी बदबू मारने लगी है ,और जगह-जगह गाजर घास उग गए हैं। ग्राम वासियों द्वारा घरों में पूजन किए गए हवन सामग्री का भी विसर्जन किस तालाब में किया जाता है। जनप्रतिनिधि की अनदेखी के चलते इस तालाब का भी वजूद खतरे में पड़ने लगा है ।यहां सौंदर्य करण के नाम पर महज गाजर घास को देखा जा सकता है वही तालाब के भीतर सड़ रहे घासो के कारण इस तालाब में नहाने वालों को विभिन्न प्रकार के चर्म रोगों से ग्रसित होना पड़ रहा है। निगम प्रशासन की अनदेखी के चलते हालात बिगड़ते जा रहे हैं जबकि तालाबों के गहरीकरण के लिए निगम में हर साल करोड़ों रुपए का बजट आता है ।लेकिन यह बजट सिर्फ कागजों में दफन होकर रह जाता है, कागजों में सफाई अभियान करवा दिया जाता है ।बाकी बजट कहां जाता है यह तो निगम के प्रशासनिक अधिकारी निगम में बैठे जनप्रतिनिधि जाने इस विषय वस्तु को लेकर हमारे संवाददाता ने महापौर एजाज ढेबर से बात की तो उन्होंने कहा कि
बाकी तालाबों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा
तालाबों के जीर्णोद्धार करने के लिए हमारे पास पर्याप्त बजट है निविदाएं भी बुलाई जाएगी और जल्द ही राजधानी के वार्ड 2 के अंतर्गत आने वाले तालाबों का जीर्णोद्धार का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
एजाज ढेबर
महापौर नगर निगम रायपुर
मैं 3 वर्ष पहले ही सूचना दे चुका हूं
इन तालाबों के बारे में
संत रविदास वार्ड क्रमांक 70 के पार्षद राजेश ठाकुर ने बताया कि इन तालाबों के गहरीकरण में पचरी निर्माण तथा सौंदर्यीकरण के लिए मैंने जोन क्रमांक 8 में 3 वर्ष पूर्व भी आवेदन दे चुका हूं लेकिन नगर निगम में विपक्ष में होने के कारण महापौर किसी की नहीं सुनते इसकी प्रतिलिपि मेरे पास आज भी सुरक्षित है
राजेश सिंह ठाकुर
पार्षद संत रविदास वार्ड क्रमांक 70


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