अंबिकापुर,24 मार्च 2023 (घटती-घटना)। उार छाीसगढ़ में शुक्रवार सुबह 10.28 बजे भूकंप के झटके आए। भूकंप का झटका करीब छह सेंकेंड तक महसूस किया गया। लोगों के घरों की छतें व सीट हिलने लगी। लोग डर से अपने-अपने घर से बाहर निकल गए। वहीं स्कूलों में भी छुट्टी कर दी गई। मौसम विज्ञानी व भूगोल शास्त्री के अनुसार भूकंप का केन्द्र अंबिकापुर शहर से लगे ग्राम सोनपुर कला बताया जा रहा है। वहीं इसकी रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.9 आंकी गई,जबकि गहराई 10 किमी बताई जा रही है।
अंबिकापुर में शुक्रवार की सुबह करीब 10.28 बजे तेज आवाज के साथ भूकंप के झटके महसूस किए गए। लोगों के घरों की छतें, सीट, पंखे, व कुसी-टेबल हिलने लगे। इसे देखते हुए लोगों को समझने में देर नहीं हुई और लोग अपने-अपने घर से बाहर निकल गए। घर के बाहर निकलते ही पास पड़ोसों में चर्चा का विषय बन गया। वहीं अस्पताल, बैंक के कर्मचारी भी डर से बाहर निकल गए। भूकंप के झटके महसूस होते ही स्कूलों में बच्चों को बाहर निकाला गया। इसके बाद स्कूल प्रशासन द्वारा बच्चें को छुट्टी दे दी गई। वहीं भूकंप के केन्द्र बिन्दू को लेकर विशेषों में भी चर्चा का विषय बना रहा। मौसम विज्ञानी एएम भट्ट ने भूकंप वेधशाला की पुष्टि के बाद बताया कि भूकम्प का वास्तविक केंद्र अम्बिकापुर नगर के पश्चिम-उार-पश्चिम दिशा में सैनिक स्कूल के पास सोनपुर कला था। भूकंप की तीव्रता 3.9 रिक्टर और गहराई 10 किमी थी। क्रमिक अंतराल में 7 सेकंड के अंदर 2 से 3 भूकम्पीय झटकों के महसूस होने की पुष्टि स्थानीय लोगों ने की है। वहीं सरगुजा संभाग के अंबिकापुर के अलावा बलरामपुर व सूरजपुर जिले में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। वहीं विशेषज्ञों के अनुसार एक साल के अंदर सरगुजा संभाग के अलग-अलग क्षेत्रों में अब तक 5 बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। वहीं प्राकृतिक भूकंप भूगर्भ में होने वाले असंतुलन का परिणाम होता है। भूगर्भ में उत्पन्न होने वाले ऊर्जा का किसी न किसी रूप में उत्सर्जन होता है। यह क्रिया भूगर्भिक प्लेटों के टकराने से या प्लेटों के एक दूसरे के विपरीत दिशा जाने में होता है। इस तरह भूगर्भ का गतिशील होना भूकंप का प्रमुख कारण माना जाता है । वर्तमान वैज्ञानिक भूगर्भिक अनुसंधानो से यह प्रकाश में आया है कोई भी भूकंप यदि उसका जन्म 10 किलोमीटर की गहराई पर हुआ है तो भूपटल पर विनाशकारी होता है। 4 से 5 मेग्नीट्यूड का भूकंप का प्रभाव बहुत अधिक क्षति के रूप में नहीं होता किंतु मानव को पूरी तरह से बेचैन कर देता है क्योंकि तरंगे बहुत तेजी से मकानों को प्रभावित करती है। सभी को ज्ञात है कि लटोरी और भटगांव क्षेत्र दोनों बहुत पुराने कोयला उत्खनन के केंद्र हैं और लगातार यहां से कोयले का उत्खनन किया जा रहा है। पृथ्वी के संतुलन का सिद्धांत कहता है की कोल उत्खनन से जो भूमि खाली होती है इससे धरातल का संतुलन बिगड़ता है और संतुलन बनाने के लिए भूगर्भिक क्रियाएं भी होने लगती है। गुरुवार का भूकंप कुछ इसी तरह का संकेत देता है। सरगुजा संभाग के मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों में लगातार भूकंप की आवृçा से यह प्रमाणित हो रहा है की दृढ़ भूखंडों के क्षेत्र में भी अब भूकंप की आवृçा बढ़ रही है।
सरगुजा सम्भाग में 2022 में भूकम्प की घटनाएं
11 जुलाई 22 – कोरिया जिला बैकुंठपुर 4.3 रिक्टर , 8.10 बजे सुबह
29 जुलाई 22 कोरिया जिला बैकुंठपुर 4.6 रिक्टर, 12.58 बजे रात
4 अगस्त 22 – सूरजपुर जिला गंगोटी क्षेत्र 11.57 बजे दिन 3.0 रिक्टर
14 अक्टूबर 22 – कोरिया जिला 5.28 बजे 4.8 रिक्टर
1 नवम्बर को इसी बेल्ट में जबलपुर में भी धरती हिली थी। प्रात: 8.44 बजे, 3.9 रिक्टर
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