क्या मनेन्द्रगढ़ वन मंडल के अधिकारियों को कोरिया व मनेन्द्रगढ़ जिले में नही मिला ईट?
–रवि सिंह –
मनेन्द्रगढ़ 12 मार्च 2023 (घटती-घटना)। पर्यावरण की सुरक्षा और लागत मूल्य में कमी तथा गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए शासन-प्रशासन ने सभी सरकारी निर्माण कार्य फ्लाई ऐश ईंट से कराने का निर्णय काफी पहले ही ले लिया है और इस संबंध में सभी सरकारी निर्माण एजेंसियों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए गए हैं। लेकिन संबंधित कार्य एजेंसी वन मंडल मनेन्द्रगढ़ शासन-प्रशासन के इन निर्देशों और नियम कायदों को ठेंगा दिखाते हुए सरकारी निर्माण कार्य जिले के बजाय उत्तर प्रदेश के लाल ईंटों से ही करा रहे हैं।जब कि जिले में ग्राम पंचायत से लेकर सबसे बड़ी सरकारी निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग सभी लाल ईंटों के बजाय फ्लाई ऐश से निर्माण कार्य करा रहे हैं ।किन्तु वन मंडल मनेन्द्रगढ़ में यह मनमानी क्षेत्र के वन सीमा में खुलेआम देखने को मिल रहा है।
जानकारी अनुसार ब्लॉक मुख्यालय जनकपुर में सरकारी वन विभाग कुवारपुर का लगभग पच्चीस लाख रुपये से निर्मित शासकीय कार्यालय भवन उत्तर प्रदेश के लाल ईंटों से खड़ा किया जा रहा है। यह स्कूल भवन लगभग पूर्ण होने के कगार पर पहुँच चुका है। लेकिन न तो कार्य एजेंसी ने कभी अपने ठेकेदार से सवाल किया और न ही प्रशासनिक अधिकारी व क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने विभागीय कार्य की इस मनमानी पर ध्यान दिया। जबकि अविभाजित कोरिया जिला प्रशासन के बड़े अधिकारी का साफ तौर पर निर्देश है कि सरकारी निर्माण कार्य फ्लाई-ऐश ईंटों से ही कराया जाए। उन्होंने तो प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रारंभ पूर्व बकायदा जिले के फ्लाई ऐश ईंट निर्माताओं की बैठक भी ली थी और उन्हें निर्देश दिए थे कि वे बड़ी संख्या में फ्लाई ऐश ईंटों का निर्माण करें, क्योंकि इनका उपयोग पीएम अवास के साथ विभिन्न सरकारी निर्माण में किया जाएगा। लेकिन जिला प्रशासन के मुखिया के निर्देशों को उनके ही अधीनस्थ विभाग के अधिकारी ठेंगा दिखा रहे हैं और बेधड़क सरकारी निर्माण में लाल ईंट खपा रहे हैं। पूर्व में वहा पदस्थ जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत भी किया गया है। लेकिन फिलहाल जांच की बात कही जा रही है।
लाल ईंट बनाने के सभी भट्ठे अवैध
जिले के खनिज विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में जितने भी लाल ईंट के भट्ठे संचालित किए जा रहे हैं वे सभी अवैध हैं। सरकार ने लाल ईंट पर 5 प्रतिशत का टैक्स लगा रखा है। ऐसे में ठेकेदार बिल कहां से लगा रहे हैं। इंजीनियर मूल्यांकन कैसे करते हैं? यह सब जांच का विषय है। माना जा रहा है कि इस हथकंडे से टैक्स की बड़ी चोरी भी की जा रही है। लेकिन शासन-प्रशासन इस पर पूरी तरह खामोश है।
आखिर उत्तर प्रदेश की ईंट वन विभाग में क्यो?
विदित है कि कोरिया व नवीन जिले में सभी ब्लॉक मुख्यालय में लगभग फ्लाई ऐश से निर्मित ईट प्रति नग चार से पाँच रुपये में उपलब्ध है जो कि कम दर में वन विभाग को मिल सकता था किंतु कुर्सी में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों ने नियम को ताक में रख जिले के बजाय अन्य राज्य से इससे महंगे दाम में सात से आठ रूपये प्रति नग के हिसाब से ईट मंगाया जिससे अधिकारी की भूमिका को लेकर सवाल उठना लाजमी है कि क्या जिले में गुणवत्ता युक्त ईट नही है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार- यू पी पैकरा उप वन मंडल अधिकारी जनकपुर मनेन्द्रगढ़ वन मंडल ने कहा की
लाल ईंट और सीमेंट ईंट दोनों की क्वॉलिटी और कीमत जिले में समान है, इसलिए मूल्यांकन करने में हमें कोई दिक्कत नहीं है। किन्तु उत्तरप्रदेश से ट्रक में ईट क्यों मंगाया गया इस संबंध में कुछ भी कहने से मना कर दिया वही शिकायत मिलने पर जाच की बात कही।